From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/9/9
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com
भाषा,शिक्षा और रोज़गार |
- हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय छात्रों ने काटा बवाल, आए सड़क पर
- यूपीःटीईटी का आयोजन नवंबर में
- 21 विवि व 348 इंजीनियरिग कालेज फर्जी,नोटिस के बाद भी धड़ाधड़ बांट रहे हैं डिग्रियां
- यूपीःएमबीबीएस की 26 सीटों पर आज काउंसिलिंग
- महाराष्ट्रःनिजी विवि विधेयक पर कांग्रेस ने जताई नाराजगी
- हरियाणाःनेट से भी मिलेंगे पात्रता परीक्षा के एडमिट कार्ड
- यूपीःविश्वविद्यालय में शून्य शुल्क पर प्रवेश का आदेश
- उत्तराखंडःशिक्षकों-कर्मचारियों का डाटा होगा तैयार
- यूपीःसूचीबद्ध होंगे लाइन पर चढ़ने वाले संविदाकर्मी
- महाराष्ट्रःसरकारी कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षक नीति को मंजूरी
- चंडीगढ़ःसीटीएस ने बढ़ाई आईटी प्रोफेशनल्स की टेंशन
- उत्तराखंडःअध्यापक पात्रता परीक्षा पर उठे सवाल
- यूपीःएलटीसी के लिए बीएसएनएलकर्मी सड़क पर
- महाराष्ट्र में शिक्षक सेवकों और ग्राम सेवकों का बढ़ा मानधन
- उत्तराखंडःडीएवी में लॉ प्रवेश परीक्षा की जांच शुरू
- डीयू में एमबीबीएस की दूसरी काउंसलिंग कल
- उत्तराखंडःपीसीएस अफसरों की ज्येष्ठता सूची रद्द
- शिमला के फागली कॉलेज में नुमाईश बन गई हैं किताबें और कंप्यूटर
- ऊधमपुर में आज सचिवालय का घेराव
- श्रेष्ठ बी स्कूलों में प्रवेश की कुंजी
- छत्तीसगढ़ में खुलेंगे 100 संस्कृत विद्यालय
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय छात्रों ने काटा बवाल, आए सड़क पर Posted: 08 Sep 2011 01:05 AM PDT एचपी यूनिवर्सिटी में शपथ ग्रहण समारोह स्थगित करने और हॉस्टलों की समस्या को लेकर भड़के सैकड़ों छात्र कक्षाओं का बहिष्कार कर सड़कों पर उतर आए हैं। एससीए के साथ मिलकर बुधवार को करीब २क्क् छात्रों ने समरहिल चौक पर धरना दिया। काले झंडे और काले बिल्ले पहनकर छात्रों ने कुलपति सहित आलाधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी की। सुबह करीब नौ बजे से ही छात्र समरहिल चौक पर जमा हो गए और नारेबाजी करने लगे। यूनिवर्सिटी के आलाधिकारियों को रास्ता बदलकर सांगटी होते हुए आना पड़ा। हॉस्टल की सुविधा देने और शपथ ग्रहण समारोह जल्द करवाने के मुद्दे पर एसएफआई के साथ एबीवीपी भी एकमत है। एसएफआई और एबीवीपी ने समस्याओं को दूर करने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन को चारों ओर से घेर रखा है। एससीए अध्यक्ष सहित सात के खिलाफ मामला शिमला. कुलपति को जान से मारने की धमकी और उनके खिलाफ नारेबाजी करने वाले सात छात्रों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। बालूगंज पुलिस ने कुलपति के सिक्योरिटी सुपरवाइजर हेमराज की शिकायत पर एससीए अध्यक्ष पुनीत धांटा सहित सात छात्रों मामला दर्ज किया है। एससीए उपाध्यक्ष लोकेंद्र, सचिव होशियार सिंह, एसएफआई कैंपस अध्यक्ष मुनीष , सचिव यशपाल, पूर्व एससीए अध्यक्ष खुशीराम और एसएफआई राज्य कमेटी के अध्यक्ष बलबीर पराशर के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। क्रमिक अनशन तीसरे दिन भी रहा जारी हॉस्टलों को लेकर एबीवीपी का क्रमिक अनशन बुधवार तीसरे दिन भी जारी रहा। तीसरे दिन सन्नी बन्याल, महेश्वर सिंह अनशन पर बैठे। कैंपस अध्यक्ष आशीष सिकटा का कहना है कि यदि मांगें नहीं मानी तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। छात्रों को पहुंचाई ठेस एससीए अध्यक्ष पुनीत धांटा का कहना है कि हॉस्टल मामले में गठित कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी है। इसके बावजूद कुलपति छात्राओं को हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं। प्रशासन ने यूनिवर्सिटी के हजारों छात्रों के भरोसे को ठेस पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। एससीए का स्वागत एससीए का शपथ ग्रहण समारोह स्थगित करने के निर्णय का एबीवीपी विरोध करती है। कैंपस सचिव सन्नी शुक्ला का कहना है कि एससीए छात्रों के चुने हुए प्रतिनिधि हैं और इकाई एससीए का स्वागत करती है। प्रशासन को जल्द शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करना चाहिए(दैनिक भास्कर,शिमला,8.9.11)। |
Posted: 08 Sep 2011 01:02 AM PDT शिक्षा के अधिकार के तहत प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में अध्यापकों की भर्ती के लिए अनिवार्य की गई शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उप्र बोर्ड नवंबर में आयोजित कराएगा। शासन ने बोर्ड से टीईटी का आयोजन नवंबर के पहले या दूसरे हफ्ते और परीक्षा का परिणाम तीसरे सप्ताह में घोषित करने की अपेक्षा की है ताकि शिक्षकों के 80 हजार रिक्त पदों पर नियुक्ति पहली जनवरी तक की जा सके। टीईटी के आयोजन के सिलसिले में बुधवार को शासन ने माध्यमिक शिक्षा परिषद (उप्र बोर्ड) के सभापति व सचिव को आदेश जारी किया है। टीईटी उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी राज्य सरकार के अधीन या उससे सहायता प्राप्त या राज्य सरकार/बेसिक शिक्षा परिषद/माध्यमिक शिक्षा परिषद से समय-समय पर मान्यता/संबद्धता प्राप्त या राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड से संबद्ध व राज्य सरकार से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त प्राथमिक व उच्च स्कूलों में नियुक्ति के लिए पात्र होंगे। टीईटी में वे सभी अभ्यर्थी शामिल हो सकेंगे, जिन्होंने न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक (बीए/बीएससी/बीकॉम) किया हो तथा एनसीटीई से मान्यता प्राप्त व उप्र सरकार से संबद्धताप्राप्त संस्था से प्रारंभिक शिक्षा शास्त्र में दो वर्षीय डिप्लोमा बीटीसी/सीटी (नर्सरी) या दो वर्षीय नर्सरी टीचर ट्रेनिंग किया हो या एनसीटीई से मान्यताप्राप्त संस्था से न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ उच्चतर माध्यमिक (या इसके समकक्ष) एवं चार वर्षीय प्रारंभिक शिक्षा स्नातक (बीएलएड) किया हो या एक वर्षीय बीएड किया हो या भारतीय पुनर्वास परिषद से बीएड (विशेष शिक्षा) उत्तीर्ण किया हो। टीईटी महज एक स्क्रीनिंग टेस्ट होगा, जिसमें उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम 60 प्रतिशत अंक पाना जरूरी है। अनुसूचित जाति/जनजाति और विकलांग श्रेणी के अभ्यर्थियों को परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए न्यूनतम 55 प्रतिशत अंक पाना अनिवार्य होगा। टीईटी उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को परीक्षा संस्था सर्टिफिकेट देगी। शिक्षक की नौकरी पाने के लिए प्रदेश में टीईटी सर्टिफिकेट की वैधता पांच वर्ष होगी। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए टीईटी के तहत दो परीक्षाएं होंगी। अभ्यर्थी इनमें से एक या दोनों परीक्षाओं में शामिल हो सकता है। दोनों स्तर की परीक्षाएं एक ही दिन दो पालियों में होंगी। दोनों परीक्षाओं में शामिल होने वाले अभ्यर्थी को दोनों के लिए अलग-अलग आवेदन करना होगा। परीक्षा की अवधि डेढ़ घंटा होगी जिसमें कुल 150 प्रश्न होंगे। सभी प्रश्न बहुविकल्पीय होंगे। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प होंगे। हर प्रश्न का एक अंक होगा। निगेटिव मार्किंग नहीं होगी। परीक्षा के आवेदन पत्र तथा निर्देश पुस्तिका बैंक/पोस्ट ऑफिस के माध्यम से अभ्यर्थियों को उपलब्ध कराए जाएंगे। विकलांग अभ्यर्थी आवेदन पत्र नि:शुल्क प्राप्त कर सकेंगे। सामान्य और पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों से 500 रुपये तथा अनुसूचित जाति/जनजाति से 250 रुपये परीक्षा शुल्क लिया जाएगा। परीक्षा शुल्क की धनराशि आवेदन पत्र के मूल्य में शामिल होगी। समय-सारिणी तय : शासनादेश में टीईटी के आयोजन के लिए समय-सारिणी निर्धारित कर दी गई है। समय-सारिणी के अनुसार शासनादेश जारी होने पर तीन दिन में टीईटी का विज्ञापन प्रकाशित किया जाएगा। विज्ञापन प्रकाशन के 10 दिन के अंदर बैंकों के माध्यम से आवेदन पत्र और सूचना पत्रिकाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। आवेदन पत्र प्राप्त करने की अंतिम तिथि आवेदन पत्र उपलब्ध कराए जाने की तिथि से 15 दिन के अंदर होगी। कंप्यूटर फर्म्स के जरिए आवेदन पत्रों की जांच के लिए 10 दिन और प्रवेश पत्रों के प्रकाशन के लिए पांच दिन की अवधि तय की गई है। मंडल मुख्यालयों पर होगी परीक्षा : परीक्षा का आयोजन मंडल मुख्यालय के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति की देखरेख में मंडल मुख्यालयों पर होगा। परीक्षा की शुचिता बनाये रखने और उसके पर्यवेक्षण के लिए सचिव उच्च शिक्षा की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी भी गठित होगी(दैनिक जागरण,लखनऊ,8.9.11) |
21 विवि व 348 इंजीनियरिग कालेज फर्जी,नोटिस के बाद भी धड़ाधड़ बांट रहे हैं डिग्रियां Posted: 08 Sep 2011 12:57 AM PDT उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में फर्जीवाड़े का आलम यह है कि 21 विविद्यालय और 348 इंजीनियरिंग कालेज अवैध तरीके से चल रहे हैं और विविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) व अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) उनका कुछ बिगाड़ नहीं पा रहे हैं। इस तरह की ज्यादातर संस्थाओं के संबंध क्षेत्रीय नेताओं से है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ऐसे शिक्षा संस्थानों को बंद करने के लिए राज्य सरकारों से मदद मांगी है। उच्च शिक्षा के मामले में उत्तरप्रदेश व दिल्ली सबसे आगे हैं। उत्तरप्रदेश में 8 और दिल्ली में 6 फर्जी विविद्यालय चल रहे हैं। जबकि बिहार, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में एक-एक विवि फर्जी चल रहा है। इन विविद्यालयों को यूजीसी ने फर्जी घोषित कर दिया है इसके बावजूद ये विविद्यालय न केवल छात्रों को विभिन्न पाठयक्रमों में दाखिला देते हैं बल्कि डिग्री भी बांट रहे हैं। यूजीसी का तर्क है कि विविद्यालयों को फर्जी घोषित करते हुए शैक्षिक क्रियाकलापों को बंद करने का नोटिस भेज दिया गया है मगर वे चल रहे हैं। इस आशय की जानकारी राज्य सरकारों के उच्च शिक्षा विभाग को भी दे दी गई है। इन विविद्यालयों में उच्च शिक्षा के अलावा होम्योपैथ, आयरुवेद व अन्य चिकित्सा पद्धतियों की पढ़ाई होती है। मगर आयोग का मानना है कि ये विविद्यालय केवल डिग्री बेचने तक ही सीमित है। डीम्ड विविद्यालय खोलने के लिए यूजीसी के नियमों को पूरा करना होता है उसके बाद यूजीसी निजी क्षेत्र के विविद्यालयों को मान्यता प्रदान करती है मगर 21 फर्जी विविद्यालयों को जब यूजीसी ने अवैध घोषित किया तो किसी ने भी उनका आदेश नहीं माना। इनमें से 6 मामले तो अदालत में भी पहुंच चुके हैं। फर्जी विविद्यालयों के मामले में किसी समय बिहार सबसे आगे होता था मगर नितीश सरकार की सख्ती के चलते अब वहां पर केवल एक विवि और दो इंजीनियरिंग कॉलेज फर्जी तरीके से चल रहे हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की सख्ती के चलते एक विविद्यालय फर्जी तरीके से चल रहा है जबकि इस राज्य में फर्जी इंजीनियरिंग कॉलेज कोई नहीं है। फर्जी विविद्यालयों से कहीं ज्यादा खराब स्थिति इंजीनियरिंग कॉलेजों की है। निजी क्षेत्र के इंजीनियरिंग कॉलेजों को एआईसीटीई मान्यता प्रदान करता है मगर 17 राज्यों में 348 इंजीनियरिंग कॉलेज फर्जी तरीके से चल रहे हैं। इनमें दिल्ली और महाराष्ट्र में 75-75 कॉलेज फर्जी हैं। इनको नोटिस जारी कर दिया गया है और राज्य सरकारों से कहा गया है कि जिला पुलिस प्रशासन के माध्यम से इन्हें तत्काल बंद करवा दिया जाए। एआईसीटीई ने इन कॉलेजों की सूची को अपनी वेबसाइट पर डाल कर अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों का दाखिला यहां न करवाए। यूजीसी एवं एआईसीटीई ने अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भी उक्त फर्जीवाड़े से अवगत करा दिया है जिसमें कहा गया है कि तमाम चेतावनी के बाद भी ये फर्जी संस्थाएं चल रही हैं। मंत्रालय ने अब राज्यों से सख्त कदम उठाने के लिए कहा है। दूसरी तरफ यह भी जानकारी मिली है कि उक्त फर्जी शिक्षा संस्थानों के संबंध क्षेत्रीय नेताओं से हैं और इन संस्थाओं के कार्यक्रमों की शोभा बढ़ाने के लिए ये नेता पहुंचते हैं। राज्य - फर्जी वि.वि.- फर्जी इंजीनियरिंग कॉलेज दिल्ली -6- 75 उत्तर प्रदेश- 8- 30 बिहार-12 कर्नाटक- 1- 26 केरल-1 -1 मध्य प्रदेश- 1- 0 महाराष्ट्र -1 -75 तमिलनाडु-1-14 पश्चिम बंगाल-1- 34 आंध्र प्रदेश - 52 हरियाणा - 17 चंडीगढ़ - 9 गुजरात - 4 हिमाचल प्रदेश - 2 पंजाब - 2 राजस्थान - 2 गोवा - 2 उत्तराखंड - 1(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,8.9.11) |
यूपीःएमबीबीएस की 26 सीटों पर आज काउंसिलिंग Posted: 08 Sep 2011 12:47 AM PDT कंबाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (सीपीएमटी)के दूसरे चरण की काउंसिलिंग के पहले दिन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी और एसटी) समेत अन्य आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने सीटें लॉक कीं। पहले दिन की काउंसिलिंग के बाद एमबीबीएस की 26 और बीडीएस की 20 सीटें बची हैं। वहीं बीएएमएस की 52 और बीएचएमएस की 102 और बीयूएमएस की 18 सीटें अभी रिक्त हैं। यह जानकारी चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ.सौदान सिंह ने दी। सीपीएमटी की काउंसिलिंग प्रदेश में राजधानी समेत चार जिलों के चार केंद्रों पर चल रही है। राजधानी में संजय गांधी पीजीआइ काउंसिलिंग का केंद्र है। वहीं कानपुर मेडिकल कॉलेज, इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज और मेरठ मेडिकल कॉलेज को भी केंद्र बनाया गया है(दैनिक जागरण,लखनऊ,8.9.11)। |
महाराष्ट्रःनिजी विवि विधेयक पर कांग्रेस ने जताई नाराजगी Posted: 08 Sep 2011 12:46 AM PDT निजी विश्वविद्यालय विधेयक मानसून सत्र में मंजूर हुए तीन हफ्ते बीत गए हैं लेकिन कांग्रेस ने अब इसका विरोध शुरू किया है। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने स्पष्ट किया कि विधेयक में आरक्षण का प्रावधान न होने से पार्टी इस विधेयक से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि विधेयक में बदलाव की आवश्यकता है। प्रदेश कार्यालय गांधी भवन में पत्रकारों से बातचीत में ठाकरे ने यह बात कही। जब सहमति नहीं थी तो पार्टी विधायकों ने विधेयक का विरोध क्यों नहीं किया? इस सवाल पर उन्होंने सफाई दी कि विधेयक उस समय मंजूर किया गया जब सदन में विपक्ष हंगामा कर रहा था। उन्होंने कहा कि विधेयक पर चर्चा भी नहीं हुई जिससे कि पार्टी सदस्य अपना विरोध जता पाते। हम विधेयक के विरोधी नहीं हैं। कुछ मुद्दे शामिल नहीं हैं इसलिए उसमें संशोधन होना चाहिए। ठाकरे के मुताबिक विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद अमल में आएगा। लिहाजा सुझावों और शिकायतों के आधार पर विधेयक में बदलाव किया जा सकता है। इससे पहले जलसंपत्ति विधेयक को लेकर भी पार्टी ने आपत्ति जताई थी। पिछले विधानसभा सत्र में देर रात विधेयक मंजूर होने के बाद पार्टी विधायकों ने यह कहते हुए नाराजगी जताई थी कि विधेयक पारित होते समय पार्टी का एक भी विधायक सदन में मौजूद नहीं था। इससे विदर्भ के किसानों का हित जुड़ा है। कानून अमल में आते ही खेती का पानी औद्योगिक इकाईयों को दे दिया जाएगा। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की मध्यस्थता के बाद विधेयक में सबसे पहले पीने का पानी, सिंचाई और उसके बाद उद्योगों को पानी देने का संशोधन किया गया। तब कहीं जाकर दोनों सदनों में विधेयक को मंजूरी मिल सकी। निजी विश्वविद्यालय विधेयक में आरक्षण का मुद्दा शामिल न होने से आगामी चुनावों में फजीहत होने का डर पार्टी को सताने लगा है(दैनिक भास्कर,मुंबई,8.9.11)। |
हरियाणाःनेट से भी मिलेंगे पात्रता परीक्षा के एडमिट कार्ड Posted: 08 Sep 2011 12:43 AM PDT हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा (एचटेट) के आवेदन पत्रों की स्कैनिंग का कार्य जोरों पर है। बोर्ड सूत्रों की मानें तो करीब 3 लाख आवेदन फार्म स्कैन हो चुके हैं और बाकी भी स्कैन होने के प्रोसेस में हैं। आवेदन पत्रों की स्कैनिंग के बाद सभी आवेदकों का डाटा वेबसाइट पर ऑनलाइन कर दिया जाएगा। अगर किसी कारणवश आवेदकों तक एडमिट कार्ड नहीं पहुंचते हैं, तो उस स्थिति में आवेदक वेबसाइट पर जाकर भी अपने एडमिट कार्ड ले सकेंगे। फार्म स्कैन होने के बाद बोर्ड एडमिट कार्ड को डाक के जरिए भी भेजेंगे और रोल नंबर को ऑनलाइन भी लिया जा सकेगा। ऑनलाइन एडमिट कार्ड के लिए फार्म का नंबर डालना होगा। एचटेट के लिए इस बार 4 लाख 64 हजार के करीब आवेदन पत्रों की बिक्री हुई और बोर्ड को 4 लाख 59 हजार के करीब आवेदन पत्र प्राप्त हुए है। इस संख्या को देखते हुए भी बोर्ड ने यह कदम उठाया है। ताकि लेट न हों एडमिट कार्ड बोर्ड का मानना है कि इतनी संख्या में एडमिट कार्ड डाक के माध्यम से भेजे जाएंगे, तो ऐसा होना स्वाभाविक है कि कुछ परीक्षार्थियों को किसी वजह से एडमिट कार्ड न मिल सके। परीक्षार्थियों की इस परेशानी को दूर करने के लिए बोर्ड ने एडमिट कार्ड को ऑनलाइन जारी करने का भी फैसला किया है, ताकि परीक्षार्थी को अगर डाक के द्वारा एडमिट कार्ड नहीं मिलते हैं, तो वो वेबसाइट पर अपना एडमिट कार्ड प्राप्त कर लें। फूंक फूंककर कदम रख रहा है बोर्ड एचटेट की परीक्षाओं के संबंध में बोर्ड को मिली तरह तरह सूचनाओं का भी विश्लेषण हो रहा है। बोर्ड सूत्रों के अनुसार एक विशेष सैल बोर्ड परीक्षा में हो सकने वाली धांधली पर विश्लेषण कर उस खामी को दूर करने की तरकीबों पर का काम कर रही है। बोर्ड चाहता है कि एचटेट की परीक्षा शांतिपूर्ण व पारदर्शी तरीके से हो और इसके लिए लिए वह बाजार में उड़ने वाली अफवाहों तक को गंभीरता से ले रहा है। एचटेट परीक्षा की तैयारियां चल रही हैं। हम विश्वास दिलाते हैं कि परीक्षा पूरी तरह शांतिपूर्ण व पारदर्शी होगी। परीक्षाओं को पारदर्शी बनाने के लिए हमने अपनी तरफ से कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है और हम इसके लिए अंतिम समय तक प्रयासरत भी रहेंगे। परीक्षा होने के बाद सभी इस बात को मान भी जाएंगे। शेखर विद्यार्थी,सचिव, शिक्षा बोर्ड(दैनिक भास्कर,भिवानी,8.9.11) |
यूपीःविश्वविद्यालय में शून्य शुल्क पर प्रवेश का आदेश Posted: 08 Sep 2011 12:41 AM PDT हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा शून्य शुल्क के लिए पहले फीस जमा करने के आदेश पर स्टे लगा दिया है। लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा दायर याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि यदि लविवि प्रशासन द्वारा छात्रों से फीस मांगी जाती है तो शासन छात्रों को तुरंत फीस उपलब्ध कराए। छात्रों का आरोप है कि कि वे आदेश लेकर लविवि प्रशासन के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें टरकाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि अभिभावक की वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम होने पर विद्यार्थी को जीरो फीस का लाभ दिया जाता है। एससी, एसटी, ओबीसी और जनरल सभी छात्रों को शुल्क से राहत मिलती थी। राज्य सरकार ने सामान्य और पिछड़ी जाति के अभ्यर्थियों के लिए इस बार पहले शुल्क जमा करने का आदेश जारी कर दिया था। इसका हवाला देते हुए लविवि में दूसरा सेमेस्टर पास करने वाले छात्रों से तीसरे सेमेस्टर में प्रवेश से पहले फीस मांगी जाने लगी। लविवि प्रशासन ने शासनादेश का हवाला देते हुए छात्रों से फीस की मांग शुरू कर दी। इसके विरोध में छात्रों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट ने छात्रों के हक में फैसला करते हुए शासनादेश पर स्टे लगा दिया है। कोर्ट ने लविवि को आदेश दिया है कि बिना किसी शुल्क के छात्रों का प्रवेश लिया जाए। फार्म जमा करने में जो देरी हुई है उसे भी क्षमा करने का आदेश दिया गया है(दैनिक जागरण,लखनऊ,8.9.11)। |
उत्तराखंडःशिक्षकों-कर्मचारियों का डाटा होगा तैयार Posted: 08 Sep 2011 12:39 AM PDT प्रदेश सरकार अब स्थानीय निकायों, जिला पंचायत में कार्यरत कार्मिकों और सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों का डाटा बेस तैयार करेगी। इस डाटा बेस से इन कर्मियों शिक्षकों को वेतन मिलने में देरी की समस्या दूर हो जाएगी। गौरतलब है कि 13वें वित्त आयोग ने हाल में ही निकायों, पंचायतों व सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों कर्मचारियों का डाटा बेस तैयार करने की सिफारिश की थी। डाटा बेस तैयार करने के लिए पांच करोड़ रुपये की धनराशि भी उपलब्ध कराई जाएगी। बुधवार को सचिवालय में मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में तय हुआ कि स्थानीय निकायों में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन और पेंशन की धनराशि अलग से दी जाए। साथ ही वेतन का भुगतान सीधे कर्मचारियों के खाते में किया जाए। इस व्यवस्था से शिक्षकों कर्मियों के वेतन भुगतान में आ रही दिक्कत दूर हो जाएगी और वेतन सीधे कर्मचारियों के खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर हो जाएगा। मुख्य सचिव ने निर्देश दिये कि डाटा बेस तैयार करने के लिए पंचायतीराज और शहरी विकास को नोडल अधिकारी नामित किया जाए। उन्होंने कहा कि नोडल अधिकारी को कोषागार से समन्वय कर डाटा बेस तैयार करने में सहयोग करने का जिम्मा सौंपा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से शहरी निकायों और पंचायतों को जो अनुदान दिया जाता है, वह अब सीधे शहरी विकास औरपंचायती राज निदेशक को दिया जाएगा। विभाग जनपदवार बजट का आवंटन करेंगे। इससे विभाग की जिम्मेदारी भी तय हो जाएगी। इससे पहले वित्त विभाग से अनुदान जिलाधिकारियों को दिया जाता था(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,8.9.11)। |
यूपीःसूचीबद्ध होंगे लाइन पर चढ़ने वाले संविदाकर्मी Posted: 08 Sep 2011 12:37 AM PDT बिजली लाइनों पर मरम्मत करने वाले संविदाकर्मियों को सूचीबद्ध करने तथा प्रत्येक क्षेत्र में उनका विवरण रखने के निर्देश विद्युत सुरक्षा निदेशालय ने जारी किए हैं। पिछले दिनों हुई दुर्घटनाओं व संविदाकर्मियों की मौत के प्रकरणों का संज्ञान में लेते हुए सभी वितरण कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को नियमों का अनुपालन कराने व कार्रवाई से निदेशालय को अवगत कराने के निर्देश दिए गए हैं। विद्युत सुरक्षा निदेशालय के निदेशक विजयपाल सिंह ने बुधवार को इंडियन इलेक्ट्रीसिटी रूल्स 1956 के नियम तीन व 36 का हवाला देते हुए कहा कि जिन संविदाकर्मियों से लाइन पर काम कराया जा रहा है, उन्हें विद्युत ठेकेदार द्वारा अधिकृत किया जाना चाहिए। इन अधिकृत कर्मियों की सूची एक रजिस्टर पर होनी चाहिए तथा उसमें अधिकृत करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के हस्ताक्षर होने चाहिए। निदेशक ने मरम्मत के लिए जाने वाले संविदाकर्मियों को रबड़ के जूते, दस्ताने, सीढी, बेल्ट आदि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम सहित प्रदेश के सभी वितरण निगमों व कंपनियों को निर्देश जारी कर निदेशक ने इस दिशा में की जानी वाली कार्रवाई से अवगत कराने के निर्देश भी दिए हैं। उल्लेखनीय है कि लाइन पर कार्य करने के दौरान संविदाकर्मियों के दुर्घटना का शिकार होने की घटनाओं को लेकर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा द्वारा मंगलवार को विद्युत सुरक्षा निदेशालय से हस्तक्षेप की मांग की गई थी। परिषद अध्यक्ष ने कहा था कि संविदाकर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। जब तक काम पर रहते हैं, विभाग उन्हें संविदाकर्मी मानता है लेकिन हादसे होने पर विभाग उनसे पल्ला झाड़ लेता है। ऐसा तब हो रहा है, जब प्रदेश में विद्युत आपूर्ति एवं अनुरक्षण का दायित्व ठेके पर ही कराया जा रहा है(दैनिक जागरण,लखनऊ,8.9.11) |
महाराष्ट्रःसरकारी कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षक नीति को मंजूरी Posted: 08 Sep 2011 12:36 AM PDT सरकारी अफसर और कर्मचारियों की कुशलता को बढ़ाने के लिए सरकार ने प्रशिक्षक नीति को मंजूरी दी है। इसके तहत प्रथम श्रेणी से लेकर चौथी श्रेणी में आनेवाले सभी सरकारी अफसर और कर्मचारियों को समय-समय पर पुणो की यशदा संस्थान में प्रशिक्षक दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रशासन को गतिमान बनाने के लिए सभी को प्रशिक्षक देना बहुत आवश्यक होता है। इसके मद्देनजर सरकार ने प्रशिक्षक नीति तैयार की है। इसमें सभी अधिकारी और कर्मचारियों को सेवा नियमों के बारे में प्रशिक्षित करना, सभी सरकारी प्रशिक्षक संस्थानों को स्वायत्तता प्रदान करना, विभाग से लेकर कार्यालय स्तर तक प्रशिक्षक प्रबंधन की नियुक्ति करना, प्रशिक्षक देने संबंधी रिपोर्ट तैयार करना, इसके लिए बजट में निधि का प्रावधान करना और प्रशिक्षक के लिए नामांकन व वहां मौजूद रहने की अनिवार्यता निश्चित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी कोशिश होगी हर अधिकारी या कर्मचारी को उसके सेवाकाल में कम से कम दो या तीन बार प्रशिक्षक के लिए भेजा जाए। साथ ही दूसरे विभाग में तबादले के समय भी विभाग के काम को समझने के लिए उसे कम अवधि का प्रशिक्षक दिया जाए। उन्होंने बताया कि हम यशदा संस्थान को एक चिंतन समूह (थिंक टैंक) के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं। मसलन कौन-सी योजना नाकाम हो गई है और उसमें क्या बदलाव की जरूरत है या क्या नई नीति लानी चाहिए वगैरह-वगैरह। मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्रीय योजना आयोग में कार्यक्रम मूल्यांकन कार्यालय (प्रोग्राम इवेलुएशन ऑफिस) भी इसी तर्ज पर काम करता है(दैनिक भास्कर,मुंबई,8.9.11)। |
चंडीगढ़ःसीटीएस ने बढ़ाई आईटी प्रोफेशनल्स की टेंशन Posted: 08 Sep 2011 12:35 AM PDT शहर की आईटी इंडस्ट्री और कॉपरेरेट सेक्टर में काम करने वालों की टेंशन कारपल टनल सिंड्रोम (सीटीएस) ने बढ़ा दी है। चंडीगढ़ के अस्पतालों में हर रोज 40 से 50 यूथ कलाई में दर्द और अंगुलियां सुन्न होने की शिकायत लेकर पहुंच रहे है। जीएमसीएच आथरेपेडिक्स डिपार्टमेंट में आने वाले कुल मरीजों में से एक चौथाई को इसकी शिकायत है। कंप्यूटर पर लगातार काम करने वाले ज्यादातर प्रोफेशनल्स इसका शिकार हो रहे हैं। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापे और हार्ट प्रॉब्लम की तरह यह एक लाइफ स्टाइल बीमारी है। हालांकि मशीनों पर काम करने वाले मैकेनिकों में भी ऐसे लक्षण देखे जाते हैं, लेकिन आईटी वालों में यह बीमारी एक ट्रेंड के तौर पर तेजी से उभर रही है। कुल आबादी का छह फीसदी इससे पीड़ित है। बीमारी बढ़ने पर इसका सर्जिकल इलाज भी कामयाब नहीं होता। आईटी पार्क में एक मल्टीनेशनल कंपनी में रिसर्च एग्जिक्यूटिव रमणीक ने जीएमसीएच से ही सीटीएस की सर्जरी करवाई है। रमणीक के अनुसार उनकी कंपनी में ही तीन आईटी प्रोफेशनल्स को सीटीएस पाया गया है। वेब डिजाइनिंग कंपनी संपर्क के सीईओ संजय के अनुसार वह अपने साथ काम करने वालों को इसके बारे में पहले ही सावधान कर चुके हैं। हेल्थ हेजार्ड की सूची में शामिल: विदेश में सीटीएस को प्रोफेशनल हेल्थ हेजार्ड की सूची में शामिल किया गया है। वहां आईटी प्रोफेशनल सीटीएस के इलाज के लिए कंपनी से हर्जाना और मेडिक्लेम मांग सकते हैं। क्यों होता है सीटीएस इस बीमारी का कारण कलाई और उंगलियों का लगातार एक ही स्थिति में रहना है। कलाई की हड्डियों के नीचे लिगामेंट जब कलाई से गुजरने वाली मेडियन नर्व पर दबाव डालता है तो हथेली और उंगलियों तक जाने वाली खून और सेंसरी सप्लाई रुक जाती है और कलाई और हथेली के निचले हिस्से में दर्द बढ़ जाता है और उंगलियां खासकर बीच की बड़ी और पहली उंगली सुन्न हो जाती है। अवेयरनेस बढ़ने के कारण इसके केस ज्यादा सामने आ रहे हैं। नर्व कंडक्शन जैसी डायग्नोस्टिक तकनीक आ गई हैं। सीटीएस में सर्जरी बेहतरीन इलाज है, इसलिए इसके इलाज के लिए अन्य तरीकों में समय खराब नहीं किया जाना चाहिए। -डॉ. प्रदीप अग्रवाल, हड्डी रोग विशेषज्ञ पिछले कुछ समय से ओपीडी में सीटीएस के मरीजों की संख्या बढञी है। इनमें युवा प्रोफेशनल्स हैं और अधिकतर आईटी सेक्टर में काम करते हैं। ऑथरेपेडिक ओपीडी में हर रोज कई मरीज सीटीएस से पीड़ित आ रहे हैं।-एसोसिएट प्रोफेसर रवि गुप्ता, जीएमसीएच(रवि शर्मा,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,8.9.11) |
उत्तराखंडःअध्यापक पात्रता परीक्षा पर उठे सवाल Posted: 08 Sep 2011 12:32 AM PDT उत्तराखण्ड अध्यापक पात्रता परीक्षा (यूटीईटी) पर सवाल उठने लगे हैं। बीएड महासंघ ने विद्यालयी शिक्षा परिषद द्वारा वेबसाइट में डाली गई उत्तरमाला की सत्यता पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। महासंघ ने उत्तरमाला में प्रश्नों के जवाब पर आपत्ति जताई है। इसके चलते सही उत्तर देने वाले अभ्यर्थियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा पहली मर्तबा आयोजित उत्तराखण्ड अध्यापक पात्रता परीक्षा विवादों के घेरे में आ गई है। विवाद परीक्षा के आयोजन को लेकर नहीं, बल्कि विभाग के उत्तरमाला पर है। परीक्षार्थियों के अनुसार सेट 'ए' में प्रश्न संख्या 39 का जवाब उत्तरमाला में 'प्रज्ज्वलित' दिया गया है, जबकि उत्तराखण्ड एवं सीबीएसई बोर्ड की हिन्दी पाठय़क्रम की पुस्तकों के अनुसार 'प्रज्वलित' उत्तर भी सही है। इसी तरह प्रश्न संख्या 47 में 'लाघव' शब्द का विपरीतार्थाक का उत्तर 'विस्तार' दिया गया है, जबकि विस्तार संक्षेप का विलोम है। इसलिए प्रश्न का सही उत्तर 'लम्बा' या फिर 'कोई नहीं' होना चाहिए था। वहीं, उत्तरमाला में प्रश्न संख्या 55 में 'काकु' शब्द का सर्वाधिक उपयुक्त अर्थ 'व्यड्ग्य' दिया गया है, जबकि उक्त शब्द हिन्दी के बजाय संस्कृत कोष का हो सकता है। उत्तराखण्ड के दोनों मण्डलों में 'काकू' के लिए प्रचलित शब्द 'चाचा' है। उत्तर माला में वि में जल संकट का प्रमुख कारण नगरीकरण (प्रश्न संख्या 139) बताया गया है। विज्ञान के अनुसार वि के तापमान में वृद्वि, औद्योगिकीकरण व नगरीकरण तीनों उत्तर सही हैं। इसलिए प्रश्न का 'तापमान में वृद्धि' को भी गलत नहीं कहा जा सकता है। इसके अलावा महासंघ ने प्रश्न संख्या 42 व 49 के उत्तर पर भी आपत्ति की है। महासंघ ने उक्त प्रश्नों के उत्तर पर आपत्ति दर्ज कराने के साथ ही मुख्य सचिव को भी एक ज्ञापन दिया है जिसमें अभ्यर्थियों के भविष्य का हवाला देते हुए गलत प्रश्नों पर बोनस अंक दिलाने की मांग की है। साथ ही, वेबसाइट में गलत उत्तरमाला डालने के मामले में भी आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की। बहरहाल, सहायक अध्यापकों (एलटी) भर्ती परीक्षा के बाद यूटीईटी के विवादों में आने से शिक्षा विभाग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,8.9.11)। |
यूपीःएलटीसी के लिए बीएसएनएलकर्मी सड़क पर Posted: 08 Sep 2011 12:31 AM PDT बीएसएनएल कर्मचारियों ने कंपनी द्वारा एलटीसी व मेडिकल सुविधा बंद किए जाने के विरोध में मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय, हजरतगंज में बुधवार को प्रदर्शन किया। बीएसएनएल इम्प्लॉइज यूनियन व यूनाइटेड फोरम के तत्वावधान में भोजनावकाश के समय हुए इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए। एलटीसी व मेडिकल सुविधा को तत्काल बहाल करने की मांग के समर्थन कर्मचारियों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। संगठन के परिमंडल सचिव एवं युनाइटेड फोरम के सहयोजक आर के मिश्र ने कहा कि मान्यता प्राप्त यूनियन के बिना विचार विमर्श के एलटीसी व मेडिकल सुविधा बंद कर दी गई। कुप्रबंध के कारण ही बीएसएनएल की आर्थिक स्थिति खराब हुई है(दैनिक जागरण,लखनऊ,8.9.11) |
महाराष्ट्र में शिक्षक सेवकों और ग्राम सेवकों का बढ़ा मानधन Posted: 08 Sep 2011 12:45 AM PDT शिक्षक सेवकों के लिए भविष्य निर्वाह निधि लागू करने के बाद राज्य सरकार ने अब उनके मानधन में भी बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। नई वृद्घि एक जनवरी-2012 से लागू होगी। साथ ही सरकार ने शिक्षक सेवकों का नाम भी बदलने का निर्णय किया है। उनका नया नाम अब सहायक शिक्षक(प्रोबेशनरी) होगा। बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया कि लंबे अरसे से राज्य के शिक्षक सेवक मानधन में बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे। इसके मद्देनजर सरकार ने प्राथमिक शिक्षक सेवकों का मानधन 3000 रुपए से बढ़ाकर 6000 रुपए, माध्यमिक शिक्षक सेवकों का मानधन 4000 रुपए से 8000 रुपए और उच्च माध्यमिक व जूनियर कॉलेज के शिक्षक सेवकों का मासिक मानधन 5000 रुपए से बढ़ाकर 9000 रुपए कर दिया है। यह फैसला अगले साल एक जनवरी से लागू होगा। मुख्यमंत्री के अनुसार इस फैसले से राज्य के 45,000 शिक्षक सेवकों को लाभ पहुंचेगा। इससे सरकार पर अंदाजन सालाना 200 से 225 करोड़ रुपए का बोझ आएगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने शिक्षक सेवकों का नाम बदलकर उन्हें सहायक शिक्षक (प्रोबेशनरी) नाम देने का फैसला किया है। ये सारे फैसले आगामी वर्ष से लागू होंगे। शिक्षक सेवकों का तीन साल का कार्यकाल कम करने की मांग के बारे में मुख्यमंत्री ने बताया कि फिलहाल उनके सेवाकाल में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इससे पहले वैसे इसी साल 25 अगस्त को सरकार ने राज्य के तमाम शिक्षक सेवकों के लिए भविष्य निर्वाह निधि की सुविधा लागू करने का फैसला किया था। सरकार ने ग्राम पंचायतों में ठेका पद्घति पर काम करने वाले ग्रामसेवकों का मानधन बढ़ाने का फैसला किया है। इसके तहत ग्रामसेवकों का मासिक मानधन 2500 रुपए की बजाय 6000 रुपए हो गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस फैसले से 27,920 ग्राम पंचायतों में काम करने वाले 4,866 ग्रामसेवकों को फायदा पहुंचेगा। यह फैसला भी एक जनवरी-2012 से लागू किया जाएगा। शिक्षक सेवक नाखुश मानधन में हुई वृद्धि से शिक्षक सेवक नाखुश हैं। मानधन को लेकर उनकी जो मांग थी वह पूरी नहीं हो पाई है। सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में मानधन दुगुना करने का फैसला किया। साथ ही शिक्षक सेवक के पद नाम में भी बदलाव करने का फैसला लिया। शिक्षक सेवक संगठनों ने इसका स्वागत किया है, किन्तु मानधन को ऊंट के मुंह में जीरा बताया। संगठनों का मानना है कि वर्तमान में प्राथमिक स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक सेवकों को 3 हजार, माध्यमिक कक्षा को पढ़ाने वाले शिक्षक सेवकों को 4 हजार तथा कनिष्ठ महाविद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक सेवकों को 5 हजार रुपये बतौर मानधन मिलता है। कैबिनेट ने इसे दुगुना करने का फैसला किया है। फैसले को इसी वर्ष जनवरी माह से लागू करने का निर्णय लिया गया। महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद के कार्यवाह योगेश बन ने कहा कि सरकार ने केवल आंखों में धूल झोंकने का काम किया है। परिषद के सदस्यों के साथ चर्चा में सरकार ने शिक्षक सेवकों का मानधन क्रमश: 9 हजार, 12 हजार तथा 14 हजार करने का आश्वासन दिया था। साथ ही कहा था कि फैसले को वर्ष 2006 से लागू किया जाएगा। कैबिनेट की बैठक से पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार व शालेय शिक्षक मंत्री राजेन्द्र दर्डा के साथ शिक्षक विधायकों की एक बैठक हुई थी। बैठक में आश्वासन दिया गया था कि कैबिनेट की बैठक में उनकी मांगों को रखा जाएगा। साथ ही उसे पूरा किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। संभाग में कितने हैं शिक्षक सेवक: संभाग में कुल 7 हजार शिक्षक सेवक हैं। इसमें से प्राथमिक शालाओं में दो हजार, माध्यमिक शालाओं में साढ़े तीन हजार तथा कनिष्ठ महाविद्यालयों में डेढ़ हजार शिक्षण सेवक हैं। (दैनिक भास्कर,मुंबई,8.9.11)। |
उत्तराखंडःडीएवी में लॉ प्रवेश परीक्षा की जांच शुरू Posted: 08 Sep 2011 12:28 AM PDT कालेज में लॉ प्रथम वर्ष में दाखिले के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा के दौरान कथित पर्चा आउट होने की मामले की जांच शुरू हो गई है। जानकारी के अनुसार जांच में छात्र नेताओं, कर्मचारियों के साथ-साथ कुछ शिक्षक भी कटघरे में हैं। रिपोर्ट आने में करीब 10 दिन और लग सकते हैं। छात्रसंघ चुनाव निपट जाने के बाद अब कालेज प्रशासन लॉ प्रवेश परीक्षा मामले की पड़ताल करने में जुट गया है। प्राचार्य द्वारा डा. नवदीप भटनागर की अगुआई में गठित टीम ने जांच के बिन्दुओं को अंतिम रूप दे दिया है। साथ ही, टीम ने एक नोटिस भी जारी किया है जिसमें छात्र-छात्राओं से प्रवेश परीक्षा के दौरान हुए घटनाक्रम से संबंधित जानकारी लिखित रूप में मांगी गई है। इसके लिए छात्रों को आठ सितम्बर तक का समय दिया गया है। जानकारी के अनुसार जांच टीम की नजर कुछ छात्र नेताओं व कर्मचारियों पर भी है। प्रवेश परीक्षा शुरू होने से लेकर समाप्त होने के दौरान इनकी गतिविधियों की जांच भी टीम कर रही है। इसके अलावा आउटसोर्सिग के तहत कक्षा में नियुक्त शिक्षकों की भूमिका की पड़ताल हो सकती है। फिलहाल टीम के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रवेश परीक्षा के दौरान पेपर परिसर से बाहर कब और कैसे पहुंचा। जांच भी मुख्य रूप से इसी बिन्दु पर ही केन्द्रित है। बताया जा रहा है कि डीएवी के कुछ छात्र नेता पेपर बाहर आने के मामले से जुड़ी तमाम जानकारियां मौखिक रूप से देने को तैयार हैं जिसमें यह भी शामिल है कि पेपर किस रेस्टोरेंट में हल करने का प्रयास किया गया। उनका कहना है कि पूर्व में हुए फर्जीवाड़े में लिप्त लोगों के नाम भी कालेज प्रशासन के पास थे लेकिन मामले में आज तक कार्रवाई नहीं की गई। ऐसी स्थिति में लिखित रूप से नाम सार्वजनिक करने से कार्रवाई होगी या नहीं, इसका तो पता नहीं लेकिन आपस में दुश्मनी जरूरहो जाएगी। ऐसे में सबकी निगाहें जांच टीम के रिपोर्ट पर टिकी हैं। यदि रिपोर्ट में पेपर आउट होने की पुष्टि हुई तो कालेज प्रशासन को प्रवेश परीक्षा पुन: आयोजित करनी पड़ सकती है। बहरहाल, लॉ के सत्र को पटरी पर लाने के लिए कालेज प्रशासन के प्रयास नाकाम हो चुके हैं। जांच-रिपोर्ट चाहे जो हो लेकिन लॉ प्रथम वर्ष के दाखिले में कम से कम एक माह लग सकते हैं। मालूम हो कि लॉ प्रथम वर्ष में दाखिले के लिए डीएवी में 14 अगस्त को प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई थी। प्रवेश परीक्षा खत्म होने के चंद मिनट बाद ही कुछ छात्रों ने पेपर लाकर कालेज प्रशासन के सामने रख दिया और पेपर आउट होने का आरोप लगाया था। छात्र नेताओं का आरोप था कि पेपर परीक्षा शुरू होते ही आउट हो गया था। इसलिए प्रवेश परीक्षा पुन: कराई जानी चाहिए(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,8.9.11)। |
डीयू में एमबीबीएस की दूसरी काउंसलिंग कल Posted: 08 Sep 2011 12:27 AM PDT दिल्ली विश्वविद्यालय में एमबीबीएस दाखिले के लिए दूसरी काउंसलिंग नौ सितंबर को होगी। डीयू के रजिस्ट्रार आरके सिन्हा ने बताया कि लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज में पहली काउंसलिंग के बाद कुछ सीटें रिक्त रह गई थी। लेकिन दाखिला प्रक्रिया को लेकर कुछ छात्रों के हाईकोर्ट जाने और कुछ छात्रों की शिकायतों पर डूमैट (दिल्ली विश्वविद्यालय मेडिकल प्रवेश परीक्षा) की जांच कराई गई। जिसमें काफी समय निकल गया। रिक्त सीटों को भरना जरूरी है। जिसके लिए छात्रों को अब नौ सितंबर को दूसरी काउंसलिंग के लिए सुबह नौ बजे नॉर्थ कैंपस स्थित पटेल चेस्ट भवन में बुलाया गया है। अभी एससी की 10, एसटी की 06, ओबीसी की 64 और सामान्य श्रेणी की 24 सीटें खाली हैं। काउंसलिंग की अधिक जानकारी के लिए छात्र डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट एफएमएससी डॉट एसी डॉट इन पर सर्च करें(दैनिक जागरण,दिल्ली,8.9.11)। |
उत्तराखंडःपीसीएस अफसरों की ज्येष्ठता सूची रद्द Posted: 08 Sep 2011 12:24 AM PDT नैनीताल उच्च न्यायालय ने शासन द्वारा 9 अगस्त 2010 को पीसीएस अधिकारियों की जारी पारंपरिक ज्येष्ठता सूची रद्द कर दी है। न्यायालय ने सरकार को पदोन्नत पीसीएस अधिकारियों को उनकी तदर्थ नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता देने के साथ ही छह माह के भीतर वरिष्ठता सूची जारी करने का हुक्म दिया है। इससे कई अधिकारियों को लाभ मिलने के रास्ता साफ हो गया है। यह हुक्म मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बारिन घोष एवं न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की संयुक्त पीठ ने हंसादत्त पाण्डे, डिप्टी कलक्टर देहरादून एवं अन्य की याचिका पर दिया है। पाण्डे एवं अन्य ने याचिका में सरकार द्वारा 9 अगस्त 2010 को जारी की गई वरिष्ठता सूची को चुनौती दी थी। इसमें कहा गया था कि याचीगण वर्ष 2003-2004 से तदर्थ रूप से डिप्टी कलक्टर के रूप में कार्य कर रहे हैं, लेकिन सरकार की वरिष्ठता सूची में सीधी भर्ती से चयनित अभ्यर्थियों को वर्ष 2005 में डिप्टी कलक्टर पद पर पदोन्नत कर दिया है और याचीगणों को वरिष्ठता सूची में निम्न स्थान पर रखा गया है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद संयुक्त पीठ ने सरकार को याचीगणों को तदर्थ नियुक्ति के दिन से पदोन्नत देने के साथ ही छह माह के भीतर नई वरिष्ठता सूची जारी करने का आदेश दिया है। इससे पीसीएस में पदोन्नत कई अफसरों को लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है(राष्ट्रीय सहारा,नैनीताल,8.9.11)। |
शिमला के फागली कॉलेज में नुमाईश बन गई हैं किताबें और कंप्यूटर Posted: 08 Sep 2011 12:19 AM PDT फागली कॉलेज में छात्र कंप्यूटर शिक्षा के महरूम हैं। कॉलेज में कंप्यूटर एक छोटे से कमरे में धूल फांक रहे हैं। कंप्यूटर की शिक्षा के अलावा कॉलेज में लाइब्रेरियन का पद भी नहीं है। ऑन लाइन पढ़ाई की बात तो दूर पुस्तकों का ज्ञान भी सिर्फ अलमारियों में कैद होकर रह गया है। कॉलेज में वर्ष 2009 में कंप्यूटर लगाए गए थे। तब से ये सिस्टम शोपीस बने पड़े हैं जबकि छात्रों से इसकी फीस ली जा रही है।कॉलेज के छात्र इंद्र और सुशील का कहना है कि ऑन लाईन पढ़ाई करने की तो दूर की बात है, संस्कृत कॉलेज के लिए लाइब्रेरियन का पद ही सृजित नहीं है। छात्र नितिन और कुसुम लता ने भी मांग की है कि सरकार कॉलेज में अध्यापकों की कमी को पूरा करे। फागली कॉलेज के कार्यकारी प्रिंसिपल चत्तर सिंह ठाकुर का कहना है कि जगह के अभाव में कंप्यूटर रखने के उचित स्थान नहीं है। दूसरा कंप्यूटर और लाइब्रेरियन के पद अभी तक संस्कृत कॉलेज में नहीं है। इसके चलते कंप्यूटर और पुस्तकालय के लाभ से छात्र वंचित हो जाते हैं(तरजीव शर्मा,दैनिक भास्कर,शिमला,8.9.11)। |
ऊधमपुर में आज सचिवालय का घेराव Posted: 08 Sep 2011 12:18 AM PDT आल जेएंडके इम्पलाइज कंसलेटेटिव कमेटी के पदाधिकारी वीरवार को श्रीनगर में सचिवालय का घेराव करेंगे। उसके बाद जेसीसी के पदाधिकारी जो निर्णय लेंगे, मुलाजिम उसका समर्थन करेंगे। इस बात की जानकारी बुधवार को जेसीसी के जिला संयोजक अनिरुद्ध शर्मा ने दी। बुधवार की शाम ही जेसीसी के अधिकारी श्रीनगर के लिए रवाना हो गए। छठे वेतन आयोग की बकाया किश्त के अलावा अन्य कई मांगों को लेकर बुधवार को दूसरे दिन भी विभिन्न विभागों के सरकारी मुलाजिम जेसीसी के बैनर तले हड़ताल पर रहे। इसके चलते अधिकतर सरकारी कामकाज प्रभावित रहे। दफ्तर आने वाले आम लोगों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ा। हालांकि हर रोज की तरह कर्मचारी समय पर अपने-अपने कार्यालय पहुंचे, लेकिन कामकाज नहीं करते हुए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। बीडीओ आफिस, गवर्नमेंट गल्र्स डिग्री कालेज में नान टीचिंग स्टाफ, पीडीडी, ट्रेजरी, जेडईओ, कृषि आदि विभागों के कर्मचारियों ने अपन-अपने कार्यालयों के बाहर धरना दिया और जमकर नारेबाजी की(दैनिक भास्कर,ऊधमपुर,8.9.11)। |
श्रेष्ठ बी स्कूलों में प्रवेश की कुंजी Posted: 08 Sep 2011 12:04 AM PDT सीएटी, एक्सएटी और एमएटी जैसी महत्त्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाओं के बारे में यहां हम आपको दे रहे हैं ताजातरीन जानकारियां। हर साल लाखों छात्र, भारत के सर्वश्रेष्ठ एमबीए इंस्टीटय़ूट्स में प्रवेश लेने के लिए कॉमन एप्टीटय़ूड टेस्ट (सीएटी) और दूसरी प्रवेश परीक्षाओं में बैठते हैं। इनमें से कुछ छात्र ही इन प्रवेश परीक्षाओं में सफल हो पाते हैं। यहां हम आपको देश के सबसे अहम बी स्कूलों की प्रवेश परीक्षाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं। कैट से जुड़ने के लिए दो साल पहले तक, कॉमन एप्टीटय़ूड टेस्ट (सीएटी) को कागज और पेंसिल के इसके मूल स्वरूप से कंप्यूटर आधारित परीक्षा में बदला गया था। इस साल सभी आईआईएम ने इसमें एक और बदलाव किया है। कैट में अब 30-30 सवालों के दो सेक्शन होंगे और हर सेक्शन के लिए छात्रों को 75 मिनट का समय मिलेगा। छह नये स्थापित आईआईएम ने भी ग्रुप डिस्कशन को छोड़ने का फैसला किया है। इसकी बजाय ये भी अब व्यक्तिगत इंटरव्यू और लिखित एनालिसिस टेस्ट कंडक्ट करेंगे। एक्सएलआरआई, एसपी जैन एक्सएटी का आयोजन हर साल एक्सएलआरआई कराता है। लगभग 70 ऐसे बी स्कूल हैं, जो इस परीक्षा के आधार पर छात्रों को प्रवेश देते हैं। इनमें एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च (मुंबई), गोवा इंस्टीटय़ूट ऑफ मैनेजमेंट और एक्सआईएम (भुवनेश्वर) भी शामिल हैं। सबसे चुनौतीपूर्ण माने जाने वाले इस टेस्ट-एक्सएटी-2011 में लगभग एक लाख छात्रों ने भाग लिया। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल यह परीक्षा काफी मुश्किल थी। हालांकि इसमें सवालों की संख्या 101 थी, जिन्हें तीन भागों में बांटा गया था। कुल मिले अंकों में से एक चौथाई अंक हर गलत जवाब के लिए कम कर दिये गये। हर सवाल एक से पांच अंक के बीच का था। पिछले साल की तुलना में इस साल दो सेक्शंस-क्वांटिटेटिव एबिलिटी व डाटा इंटरप्रिटेशन, एनालिटिकल रीजनिंग और डिसिजन मेकिंग-बहुत ज्यादा ट्रिकी और टाइम लेने वाले थे। वर्बल एबिलिटी और लॉजिकल रीजनिंग सेक्शन में 69 मार्क्स के 34 सवाल थे। पूरे टेस्ट में यही सेक्शन सबसे आसान था। पंक्चुएशन मार्क्स और फिल इन दि ब्लैंक्स के रूप में ग्रामर और वोकेबलरी पर पहली बार सवाल थे। एक्सएटी में कन्क्लूडिंग पार्ट के रूप में एक पेज का 20 मिनट का एक एस्से लिखना था। इसके लिए छात्रों को आसान भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए। एफएमएस में जाने के लिए फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली अपनी खुद की प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन करती है। इस साल भी एफएमएस ने पिछले साल के पैटर्न को ही फॉलो किया। इसमें, चार भागों में 200 सवाल थे। हर गलत सवाल के लिए एक अंक की पैनल्टी थी। पूरा पेपर चार भागों में बंटा था-रीडिंग कॉप्रिहेंशन, लॉजिकल रीजनिंग, वर्बल एबिलिटी, क्वांटिटेटिव एबिलिटी। इनमें से प्रत्येक सेक्शन 50 अंकों का था और पूरे पेपर के लिए 120 मिनट का समय था। क्या आईआईएफटी आपके लिए सही है? आईआईएफटी, उन छात्रों के लिए एक लोकप्रिय परीक्षा है, जो इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ फॉरेन ट्रेड, दिल्ली में प्रवेश लेना चाहते हैं। नवंबर के चौथे सप्ताह में होने वाली इस परीक्षा में आसान और मुश्किल, दोनों ही तरह के सवाल होते हैं। आईआईएफटी 2010 में कुल 135 सवाल थे। 100 अंकों का यह पेपर चार भागों में था। हर गलत जवाब के लिए एक तिहाई अंक काट लेने का प्रावधान था। चौथे भाग में छात्रों का सामान्य ज्ञान और करंट अफेयर का ज्ञान टैस्ट किया गया था। छात्रों से पब्लिक बैंकों, ब्रांड एम्बेसडर, महिला सीईओज से संबंधित सवाल पूछे गये थे। इसके अलावा रिपब्लिक डे पर चीफ गेस्ट कौन था, इंटरनेशनल संगठनों की लोकेशंस आदि से संबंधित सवाल भी पूछे गये थे। पेपर काफी लंबा था। मैट (एमएटी) में मास्टरी मैनेजमेंट एप्टीटय़ूट टेस्ट या मैट (एमएटी) परीक्षा साल में चार बार होती है। मई 2010 में पहली बार छात्रों को पेपर बेस्ड टैस्ट की जगह कंप्यूटर बेस्ड टैस्ट का विकल्प दिया गया था। इस टैस्ट में, पांच भागों में 200 सवाल थे, जिसमें छात्रों की विभिन्न तरह की योग्यताओं को परखा गया था। जैसे क्रिटिकल रीजनिंग, मैथमैटिकल स्किल्स, डाटा एनालिसिस एंड सफिशिएंसी, लैंग्वेज कम्पेरिजन और जनरल अवेयरनेस। इसके अलग-अलग पेपरों में कठिन सवालों का स्तर भी अलग होता है। छात्रों का मुख्य फोकस फंडामेंटल्स ऑफ क्वांट, न्यूमेरिकल डाटा की जानकारी और अंग्रेजी भाषा पर अच्छी कमांड, रीडिंग हैबिट, प्रैक्टिकल एनालिटिकल प्रश्न पर होना चाहिए। ऑनलाइन मॉक टेस्ट इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। (अभिषेक गुप्ता,हिंदुस्तान,दिल्ली,6.9.11) |
छत्तीसगढ़ में खुलेंगे 100 संस्कृत विद्यालय Posted: 08 Sep 2011 01:08 AM PDT छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम के अध्यक्ष डॉ. गणेश कौशिक ने कहा है कि राज्य में संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन को बेहतर बनाने के साथ ही इसे रोजगारपरक बनाने की पहल शुरू कर दी गई है। विभिन्न जिलों में नए संस्कृत विद्यालय शुरू किए जाने की संभावना का अध्ययन बोर्ड कर रही है। आगामी शिक्षा सत्र से राज्य में कम से कम 100 नए संस्कृत विद्यालय प्रारंभ करने की योजना पर बोर्ड काम कर रहा है। डॉ. कौशिक यहां सर्किट हाउस में शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं नागरिकों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने जिले में संस्कृत को बढ़ावा देने के संबंध में विस्तार से चर्चा की और उनसे सुझाव भी लिए। संस्कृत मूल भाषा है। उन्होंने कहा कक्षा 6वीं से लेकर 8वीं तक प्रथमा, नवमीं एवं दसवीं में पूर्व मध्यमा तथा ग्यारहवीं एवं बारहवीं में उत्तर मध्यमा की पढ़ाई होगी। इन विद्यालयों में व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की भी शिक्षा दी जाएगी। संस्कृत विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थी पीईटी, पीएमटी, बीसीए, बीबीए जैसे पाठ्यक्रमों में भी प्रवेश ले सकेंगे। संस्कृत के अलावा अन्य विषयों का अध्ययन-अध्यापन हिन्दी में होगा(दैनिक भास्कर,राजनंदगांव-रायपुर,7.9.11)। |
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Palash Biswas
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