THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Wednesday, October 5, 2011

Fwd: [Buddhist Friends] Written by Baba Vijayendra



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Date: 2011/10/5
Subject: [Buddhist Friends] Written by Baba Vijayendra
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Written by Baba Vijayendra सूर्पनखा की नाक...
Ground Journalist 3:33pm Oct 5
Written by Baba Vijayendra
सूर्पनखा की नाक काटने वाले का भी पुतला दहन हो

राम और लक्ष्मण दंडका की संप्रभूता का उलंघन करते हैं . सूर्पनखा गण- कन्या थी .उसका अपना गण - राज्य था . विना अनुमति का किसी राज्य में प्रवेश करना तो सीमा का उलंघन ही था . इस अमर्यादित आचरण के लिए राम- लक्ष्मण दोनों भाई जिम्मेवार थे .सूर्पनखा का न्याय कितना बेहतर था कि सजा के रूप में राम का हाथ माँगा, प्यार माँगा .राम झूठ बोलते है और कहते हैं कि मेरे ...साथ तो सीता है लक्ष्मण अकेला है .और टाइम पास के लिए लक्ष्मण की ओर जाने को कहते हैं ..बहुत भद्दा दृश्य है .राम का सामंती और मर्दवादी चेहरा उभरकर सामने आता है .एकदम स्त्री विरोधी चरित्र ? प्रणय की ही तो बात की थी सूर्पनखा ने ,कौन सा अपराध कर दी थी ? कम से कम सीता की तरह बेवकूफ औरत तो सूर्पनखा नहीं ही थी .सीता की नापसंद और पसंद का क्या अर्थ था ? सीता से ज्यादा मूल्यवान तो वह निर्जीव धनुष था जो इसे तोड़ता उसके साथ सीता बाँध दी जाती . सीता का व्यक्तित्व एक वस्तु से ज्यादा कुछ था ही नहीं ? संयोग से दशरथ का बेटा धनुष तोड़ता है अन्यथा अपराधी भी धनुष तोड़ता तो सीता को उनके साथ जाना होता ?
सूर्पनखा प्रगतिशील संस्कृति की रोल मॉडल हैं .आधुनिक स्त्री को इसपर गर्व करना चाहिए .लोहिया ने भी कहा था कि सीता के बजाय द्रोपदी स्त्री मुक्ति की आवाज है ...
राम लक्ष्मण सूर्पनखा की ही नाक नहीं काटा , वल्कि स्त्री- जाति पर नकेल कसने की साजिश थी ? सूर्पनखा उस समय गंधर्व -संस्कृति का हवाला देती है. उनके सपनों का समाज आज बनता दिख रहा है. आज गंधर्व - रीति से भी समाज बहुत आगे आ गया है .सहजीवन ही नहीं, वल्कि समलैंगिकता से भी आगे की बात हो चुकी है. सूर्पनखा के योगदान को भुलाना उचित नहीं होगा ? यथास्थितिवादियों की दृष्टि में सूर्पनखा अराजकतावादी हो सकती हैं ,पर इस समझ का क्या करना है ?
दलित को बदसूरत बनाकर पेश करना एक आदत है .उनकी स्वतंत्रता का मजाक उड़ाने के लिए ही तो तुलसी को महान बनाया गया .आज जब कि सूर्पनखा हर घर की मॉडल है . आज संप्रभुओं की हर बेटियां सूर्पनखा की राह पर है .संप्रभु स्त्री स्वतंत्र हो तो सुस्मिता और दलित करे तो सूर्पनखा ? राम की संस्कृति हार रही है . इसे हारना ही है . गुस्सा रावण पर उतारा जा रहा है . खिसयाई बिल्ली खम्भा नोचे ? रावण ने मिहनत कर सोने की लंका बनाई थी कोई अयोध्या को लूट कर नहीं . आज भी दलित वंचितों की लंका जल रही है .उनकी गाढी कमाई पर रामवंशियों की गिद्ध दृष्टि आज भी लगी है . रावण को जलाने वालों का चेहरा पहचानो .ये सभी भारत का भविष्य जलाने वाले हैं ......राम का भी अपराध कम नहीं ..आओ नए दहन की शुरुआत करें ....

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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