THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Wednesday, May 2, 2012

ब्‍लॉग या वेबसाइट पर नामहीन कुछ भी न जाने दें

http://mohallalive.com/2012/05/02/vishnu-khare-react-on-anonymity-promotion-of-virtual-space/

 नज़रियाशब्‍द संगत

ब्‍लॉग या वेबसाइट पर नामहीन कुछ भी न जाने दें

2 MAY 2012 3 COMMENTS

राजेन प्रसाद शशि भूषण के लिखे पर टिप्‍पणी करते हैं …

बिलकुल सही लिखा है शशि भाई। ऐसे नाम गिनाने से उदार होने का प्रमाण पत्र मिल जाएगा? थानवी जी ने सवाल एक मानसिकता पर उठाया है। खरे जी उस बात को अपने पर ले बैठे जो दूसरे कट्टर लेखकों के बारे में थी। खरे जी ने चालाकी से मुद्दा पलटने की कोशिश भी की है ताकि आरएसएस के मंच पर जाने की जिल्लत से बच सकें। गये थे तो गर्व से कहो गये थे और दूसरे लेखकों को भी इस उदारता के लिए प्रेरित करो… ऐसा थानवी जी ने लिखा था। खरे जी में हिम्मत नहीं कि दम ठोक सकें या मंगलेश डबराल की तरह गुपचुप ही सही माफी मांग सकें।


स पत्र को पढ़ने के बाद विष्‍णु खरे जी ने मोहल्‍ला लाइव के मॉडरेटर से राजेन प्रसाद का ईमेल आईडी मांगा, जो उन्‍हें उपलब्‍ध करा दिया गया। क्‍योंकि लेखक को ये जानने का पूरा हक है कि उसके लेख पर आयी टिप्‍पणी दरअसल किसने की है और उसकी आईडी क्‍या है और उसका आईपी एड्रेस क्‍या है। हालांकि इसके बावजूद टिप्‍पणीकार की कुंडली निकालना आमतौर पर मुश्किल है। खैर विष्‍णु खरे जी ने राजेन प्रसाद को एक व्‍यक्तिगत पत्र लिखा…

आपने मुझे "आरएसएस के मंच पर जाने की जिल्लत" से बचने की सलाह दी है। कृपया बतलाएं कि आपके मुताबिक वह कौन-सा आरएसएस का मंच है जिस पर मैं गया। आपके उत्तर की प्रतीक्षा में,

विष्णु खरे


इस पत्र के कुछ घंटे बाद विष्‍णु जी ने हमें यह नोट भेजा…

आपने कृपापूर्वक राजेन प्रसाद जी का जो ईमेल पता मुझे भेजा था, उस पर मैंने उन्हें यह छोटा-सा पत्र लिखा था, किंतु अभी तक उनसे कोई उत्तर नहीं मिला। यदि वास्तव में ऐसे कोई सज्जन हैं तो शायद अन्यत्र व्यस्त हों और बाद में लिखें, क्योंकि पता तो सही मालूम पड़ता है वरना मेलर डोमेन तुरंत वापस कर देता।

ब्लॉग-जाल के साथ हिंदी में यही समस्या है। मालूम नहीं पड़ता कि कौन से नाम असली हैं और कौन से जाली, और असली नामों में से भी कितने लोग और फर्जी नामों से लिख रहे हैं। असलियों की भी असली नीयत का पता नहीं चलता। उनके असली आका कौन हैं यह भी मालूम करना कठिन है। यहां कोई भी कभी भी Agent Provocateur बन सकता है।

क्या मैं आपको यह सुझाव देने की गुस्ताखी करूं कि एक तो आप कृपया हमेशा मोनिटर लगाये रखें ताकि कुछ लोग अपने शत्रुओं को कमीना, कुत्ता, लौंडियाबाज, गांडू, मादरचोद आदि कहकर बच न निकलें… और यह अनिवार्य कर दें कि प्रत्येक लेखक-लेखिका हमेशा अपने असली नाम से लिखे। पहली बार अनिवार्यतः अपना फोन नंबर, ईमेल आइडी और डाक का पता भी दे, जिसे आप और आपके पाठकगण नोट कर सकें। नामहीन तो कुछ भी नहीं जाने देना चाहिए। इस सबसे आप की भी नैतिक और कानूनी सुरक्षा होगी और ब्लॉग पर एक स्वस्थ, खुला, षड्यंत्रहीन वातावरण बन सकेगा। कायरता कुछ कम होगी।

विष्णु खरे


हालांकि विष्‍णु खरे जी के इस सुझाव के बाद भी बेनामियों को लेकर मोहल्‍ला लाइव का रुख पहले की तरह बना रहेगा। इस बारे में हमने कई बार लिखा है कि क्‍यों बेनामी इस लोकतंत्र के लिए जरूरी हैं। फिलहाल दो लिंक यहां हम दे रहे हैं…

मोहल्‍ला लाइव हमेशा बेनामियों के साथ रहा है और रहेगा। लेकिन अगर बेनाम की इस चादर का इस्‍तेमाल किसी महिला को निशाना बनाने के लिए किया जाएगा, तो हमें मजबूरन टिप्‍पणियों को स्‍पैम में डालना पड़ेगा।

Read More … www.mohallalive.com

वेब का उपयोग हम अपनी छिपी हुई भावनाओं के साथ कर सकते हैं। मसलन हमारी प्रकृति मूलत: अफवाह फैलाने की है और तो वेब का इस्‍तेमाल ऐसे ही करेंगे। अगर पोर्नोग्राफी हमारे व्‍यक्तित्‍व का हिस्‍सा है, तो आप देखिए कि हजारों ऐसी साइट है – जिस पर खुलेआम पोर्नकथाएं बांची जाती हैं। इसलिए वेब में किसी की भी गतिविधियों से हम या आप सहमत-असहमत जरूर हो सकते हैं लेकिन उसको दूसरे माध्‍यमों से जोड़ कर किसी भी एथिक्‍स या नियम में नहीं बांध सकते।

Read More … www.mohallalive.com

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