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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Wednesday, May 2, 2012

शाह आलम बनें अमिताभ और रेखा बन जाये समरु बेगम!

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Written by एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास Category: [LINK=/index.php/dekhsunpadh]खेल-सिनेमा-संगीत-साहित्य-रंगमंच-कला-लोक[/LINK] Published on 02 May 2012 [LINK=/index.php/component/mailto/?tmpl=component&template=youmagazine&link=e25b00b78fe400f2ee5c3cef1549f98c02c0e036][IMG]/templates/youmagazine/images/system/emailButton.png[/IMG][/LINK] [LINK=/index.php/dekhsunpadh/1284-2012-05-02-08-48-54?tmpl=component&print=1&layout=default&page=][IMG]/templates/youmagazine/images/system/printButton.png[/IMG][/LINK]
''देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए दूर तक निगाहों में हैं गुल खिले हुए!'' वर्ष 1981 में अमिताभ और रेखा ने फिल्‍म 'सिलसिला' में काम किया था। उसके बाद एक साथ दोनों किसी भी फिल्‍म में नजर नहीं आये। मगर अब 30 साल बाद अमिताभ और रेखा के बीच फिर से सिलसिला शुरू हो सकता है। नये निर्देशकों ने माध्यम की चुनौतियों को स्वीकार करके नयी जमीन तोड़ने का जो जब्जा हाल की फिल्मों में दिखाया है, उससे उम्मीद तो की ही जा सकती है कि सिलसिला से भी आगे सेल्युलायड की भाषा में कोई अनूठी कथा पेश की जा सकती है। मसलन अगर कल्पना करें कि शाह आलम बनें अमिताभ और रेखा बन जाये समरु बेगम, इस नायाब दास्तां का इससे बेहतरीन अंजाम​​ क्या होगा। अमिताभ ने तो हरी झंडी दे दी है और रेखा से आप इनकार की आशंका कर नहीं सकते, क्या अब तिमांशु धूलिया इस सदाबहार ​​जोड़ी को पेश करके अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म को यादगार बनाने की हिम्मत कर सकते हैं? या फिर हम उम्मीद करें कि कोई गुलजार या फिर कोई श्याम बेनेगल फिर मैदान में आ जायें, और इस समर्थ जोड़ी के जरिये समांतर फिल्मों का सुनहरा युग को पुनर्जीवित कर दें। या यश चोपड़ा से ही बड़े परदे पर नयी काव्यधारा का इंतजार करें हम? मालूम हो कि‍ बॉलीवुड की सबसे रोमांटिक और कामयाब जोड़ी अमिताभ और रेखा ने फिल्‍म सिलसिला के बाद कभी एक साथ काम नहीं किया।

बालीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना अब गुमनामी के अंधेरे में जी रहे हैं। अमिताभ के उदय के रास्ते उनका जो सूर्यास्त हुआ, उसके ​​बाद हल्की सी किरण भी दिखायी नहीं पड़ी। पर अमिताभ बच्चन ने वक्त के साथ अपनी भूमिकाओं में तालमेल करते हुए आज भी बिग बी​​ बने हुए है। घर में ही अभिषेक-ऐश्वर्य जैसे नये जमाने के स्टार की मौजूदगी के बावजूद उनका करिश्मा अभी धूमिल नहीं हुआ है। राजनीति ​​की जो कीचड़ बोफोर्स के बहाने उनके दामन में लगी हुई थी, उससे निजात पाने के बाद अब फिर मुक्त विहंग की तरह अपने पंखों को तौलते हुए वे नई उड़ान भरने का दम रखते हैं। वैसे तो लंबी पारी अशोक कुमार ने भी खेली है। पर इतनी विविधता पूर्ण भूमिकाओं और चुनौतियों के ​​मुखातिब वे शायद नहीं हुए। बच्चन से हटकर रेखा के कैरियर में उमराव जान एक नया मोड़ साबित हुई, जिसमें रेखा ने अदायगी का जादू बिखेरा। इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतना रेखा की अभिनय क्षमता का प्रमाण था। उमराव जान के बाद रेखा के कैरियर में मंदी जरुर आई, लेकिन निजी तौर पर फिल्म-जगत में उनका जादू अब भी बरकरार है। आज भी बड़े से बड़े निर्देशक उनके साथ काम करने को उत्सुक रहते हैं। हाल ही में परिणीता के गाने की सफलता से साबित हो गया कि चार दशक बाद भी रेखा का जादू बरकरार है। ऐसे में, जबकि रेखा की समकालीन अधिकतर अभिनेत्रियां या तो रिटायर हो चुकी हैं, या फिर मां-दादी के रोल कर रही हैं, आज भी रेखा की क्षमता और रहस्य हमेशा दिलचस्पी का सबब बनी हुई है और शायद हमेशा बनी रहे।

अब सत्तर के दशक में उनकी फिल्मों की जान सदाबहार रेखा के साथ फिर जोड़ी बनाने के उनके संकेत ने फिल्म उद्योग में सनसनी पैदा कर दी है। दर्शकों को फिर जहां फिर उसी सिलसिला के आगाज का बेसब्री से इंतजार है, वहीं निःशबद चीनी कम के रोमांस से गुजरने वाले अमिताभ और परिणीता में आइटम से खलबली मचाने वाली रेखा को एक साथ परदे पर पेश करके कोई निर्देशक सत्तर दशक के करिश्मे को पुनर्जीवित कर पाते हैं या नहीं, इसका इंतजार है। फ़िल्म सिलसिला को अमिताभ बच्चन, जया बच्चन तथा रेखा की निजी ज़िंदगी में उन दिनों चल रहे जज़्बातों से मेल खाने के लिए भी जाना जाता है। अमिताभ और जया का नाम बॉलीवुड की सबसे सफलतम जोड़ियों में गिना जाता है। रेखा, जया अमिताभ की तिकड़ी सिर्फ पर्दे तक ही सीमित नहीं थी, लोगों ने इस तिकड़ी को असल ज़िंदगी से भी जोड़ कर देखा। इसका संगीत पक्ष भी रोचक था तथा इस फ़िल्म में किसी फिल्मी संगीतकार के बजाय प्रसिद्ध बांसुरीवादक हरिप्रसाद चौरसिया तथा प्रसिद्ध संतूरवादक पंडित शिव कुमार शर्मा ने दिया था। फ़िल्म के गाने उस समय बहुत हिट हुए थे और आज भी सुने जाते हैं। फ़िल्म में कुल 7 गाने थे -

मैं और मेरी तन्हाई -अमिताभ बच्चन, लता मंगेशकर
रंग बरसे भींगे चुनरवाली - अमिताभ बच्चन
नीला आसमाँ सो गया - किशोर कुमार, लता मंगेशकर
जो तुम तोड़ो पिया - लता मंगेशकर
देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए - किशोर कुमार, लता मंगेशकर
सर से सरके चूनरी

गौरतलब है कि बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान फिर से ‌अभिनेत्री रेखा के साथ काम करने के सवाल पर कहा कि यदि कोई अच्छी कहानी मिली तो हम जरूर साथ काम करेंगे। अगर ऐसा हुआ तो दशकों पूर्व बड़े पर्दे की सुपरहिट जोड़ी एक बार फिर दर्शक के सामने होगी। अपनी आगामी फिल्म 'डिपार्टमेंट' का प्रमोशन करने पहुंचे बिग बी ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि अगर कहानी अच्छी होगी और पसंद की जाएगी तो रेखा के साथ काम करने में मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा। इससे पहले अमिताभ ने सचिन तेंदुलकर और रेखा का राज्यसभा के लिए मनोयन होने पर दोनों को बधाई दी। बतौर अभिनेत्री रेखा की पहचान अमिताभ बच्चन की नायिका बनने के साथ शुरु हुई, जब उन्होंने पहली बार फिल्म 'अलाप' में अमिताभ के साथ काम किया। प्रकाश मेहरा की 'मुकद्दर का सिकंदर' में रेखा और अमिताभ की जोड़ी ने पहली बार शोहरत के आसमान को छुआ और फिर देखते ही देखते यह जोड़ी सिने-इतिहास में अपना नाम दर्ज करती चली गई। 'सुहाग', 'मि.नटवरलाल' सहित कई फिल्मों की सफलता के साथ इस जोड़ी ने बुलंदी का वह शिखर छुआ, जिसे आज भी लोकप्रियता का इतिहास माना जाता है। इस जोड़ी का शिखर रहा यश चोपड़ा की फिल्म 'सिलसिला', जिसमें अमिताभ के साथ रेखा और जया बच्चन का त्रिकोण था। फिल्म में जया ने अमिताभ की पत्‍‌नी और रेखा ने प्रेमिका का रोल किया था।

[B]मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास की रिपोर्ट.[/B]

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