अब होगी मंहगाई से जनता की मंहगी धुलाई
मंहगाई से त्राहि त्राही कर रही जनता पर अभी मंहगाई की मार कहां पड़ी है, अभी ग्लोबल वार्मिंग की तर्ज पर इमर्जिंग मार्केट में आर्थिक सुधारों का असर होना बाकी है। सेवाकरों से शुरुआत भर होगी। आर्थिक सुधार के दूसरे चरण का एजंडा पूरा करने के लिए गैर राजनीतिक गैर संवैधानिक जिस बेरहम टोली ने अर्थव्यवस्था की कमान संभाली है, वह इतनी धुलाई करने वाली है कि आप सर्फ एक्ससेल की कारामात भूल जायेंगे।
वित्त मंत्रालय से जाते जाते आम आदमी की ऐसी तैसी करने में प्रणव दादा ने अपने जहरीले बजट के मुताबिक कोई कसर नहीं छौड़ा। गार की वजह से कालाधन के वर्चस्व की लड़ाई में वे शहीद तो हो गये, पर कारपोरेट इंडिया के तेवर से साफ जाहिर है कि आपकी खाल खींचने में कोई कोताही नहीं करेगी आपकी सरकार।
बहरहाल महंगाई की असली चुभन अब महसूस होगी। पहली जुलाई रविवार से कोचिंग क्लासेस व प्रशिक्षण केंद्र से लेकर होटल में खाने-पीने और हवाई यात्रा तक सभी पर महंगाई टूट पड़ेगी। फिलहाल, रेल माल ढुलाई व यात्री किराए में रविवार से सेवाकर लगने को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। रेलमंत्री मुकुल राय ने कहा है कि रेलवे एक जुलाई से माल भाड़ा और यात्री किराए पर सेवाकर नहीं लगाएगा। इस बाबत उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा है, जिनके हाथों में ही इस समय वित्त मंत्रालय की कमान भी है। नई सेवा कर व्यवस्था के लागू होने के साथ ही कल यानी एक जुलाई से कई सेवाएं महंगी हो जाएंगी और लोगों को इनके लिए 12 प्रतिशत की दर से सेवा कर चुकाना पड़ेगा।
हालांकि नकारात्मक सूची में शामिल 38 सेवाओं पर नई व्यवस्था का असर नहीं होगा। यह सूची भी एक जुलाई से ही प्रभावी मानी जाएगी। इस सूची में शामिल सेवाओं के अलावा अंतिम संस्कार से जुडी सेवाएं भी इसके दायरे में नहीं आएंगी। दूसरी ओर जिन सेवाओं को नई व्यवस्था के दायरे में लाया गया है उनमें कोचिंग और प्रशिक्षण संस्थान शामिल हैं। हालांकि स्कूलों, विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा तथा व्यावसायिक शिक्षा को इससे छूट दी गई है।
नई कर व्यवस्था की सबसे बडी़ खामी यह है कि इसमें रेल माल ढुलाई तथा रेल यात्री किरायों पर सेवा कर को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अभी तक ऐसी सेवाओं की कुल संख्या 119 है। इसके साथ ही एक नकारात्मक सूची भी तैयार की गई है जिसमें वर्णित सेवाओं को सेवा कर के दायरे से बाहर रखा गया है। सेवाकर के दायरें को बढा़ने के पीछे सरकारी मंशा वस्तु एंव सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ना है।सरकार ने इस साल के बजट में सेवाकर का दायरा बढ़ाते हुए सेवाकर की परिभाषा को व्यापक बनाया है। अब तक 119 सेवाएं 'सकारात्मक सूची' में शामिल थी और उन्हीं पर सेवाकर लगाया जाता रहा। सेवाकर के दायरे को व्यापक बनाने का सरकार का नया कदम वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ने के तौर पर देखा जा रहा है।
सरकार व स्थानीय प्राधिकरणों को एयरक्राफ्ट की मरम्मत और रखरखाव के लिए दी जाने वाली सेवाओं को भी नकारात्मक सूची में रखा गया है। इसी तरह वकीलों द्वारा दूसरे वकीलों और दस लाख रुपये तक का टर्नओवर रखने वाले व्यावसायिक संस्थानों को भी सेवाकर के दायरे से मुक्त रखा गया है। सार्वजनिक शौचालय भी इसके दायरे में नहीं रहेंगे। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय नवीकरण मिशन [जेएनएनयूआरएम] व राजीव आवास योजना जैसी स्कीमों को भी नकारात्मक सूची में रखा गया है। वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में सेवाकर से 1.24 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
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