अपने कार्यकाल के दौरान अनाप-शनाप भविष्यवाणियां करने वाले शरद पवार की कुल जमा यही उपलब्धि रही है कि वे अपने विभाग अर्थात् कृषि के उन्नयन की बजाय क्रिकेट के उन्नयन में ही अधिक मशगूल रहे........................
मनु मनस्वी
या तो शरद पवार सठिया गए हैं, या फिर वे जनता को बेवकूफ समझते हैं कि वो हर बार उनके कहे को सत्य मानेगी, या फिर वो ये समझते हैं कि मंत्री होने के कारण उन्हें यह अधिकार प्राप्त हो गया कि वे जैसे चाहे, वैसा बयान दें.बीते दिनों कृषिमंत्री शरद पंवार ने इन्द्रदेव की भांति ऐलान किया कि किसान भाइयों को घबराने की जरूरत नहीं है.इस बार मानसून में देरी भले ही हो, लेकिन धान की फसल प्रभावित नहीं होगी.
गोया कि वे भगवान इन्द्र हो गए कि वर्षा उनके इशारे पर जमीन पर टपकेगी.अब ये अनुमान उन्होंने कैसे लगाया इसका कोई पैमाना तो शायद मौसम विभाग के पास भी नहीं होगा, लेकिन उम्मीद नहीं है कि भविष्यवाणियों के माहिर शरद की ये भविष्यवाणी सत्य साबित होगी.खासकर तब, जब देश में किसानों की आत्महत्याओं की तादात दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही हो.अपने कार्यकाल के दौरान अनाप-शनाप भविष्यवाणियां करने वाले शरद पवार की कुल जमा यही उपलब्धि रही है कि वे अपने विभाग अर्थात् कृषि के उन्नयन की बजाय क्रिकेट के उन्नयन में ही अधिक मशगूल रहे.समझ नहीं आता कि वे मंत्री बनाए किसलिए गए हैं.वर्तमान मंत्रिमंडल में वे मनमोहन सिंह की ही भांति नालायक साबित हुए हैं.
मनमोहन की डोर तो खैर कांग्रेसी महावत सोनिया के हाथों में है, लेकिन शरद पवार किसके कहने पर ऐसे तर्कहीन बयान दे रहे हैं, समझ से परे है.महंगाई पर अक्सर वे एक डेडलाइन दे देते हैं कि इसके बाद दाम कंट्रोल में आ जाएंगे, लेकिन हर बार उनकी भविष्यवाणियां गीले पटाखा ही साबित हुई हैं.
उनकी इन भविष्यवाणियों का परिणाम ये हुआ कि उन्हें सरेबाजार एक आम आदमी के थप्पड़ का रसास्वादन करना पड़ा.पर ये महाशय इतने बेशर्म हैं कि कार्यालय के एसी कमरे में बैठकर काम करने की बजाय बस जबान हिलाकर महंगाई खत्म करने का दावा कर देते हैं.यदि जबान हिला देने भर से महंगाई खत्म हो जाती तो गरीबी इस देश का पता कब का भूल चुकी होती.
बहरहाल शरद के ताजा बयान को सच मानकर बेहतर फसल की उम्मीद संजोए किसान भाइयों से यही कहा जा सकता है कि वे कर्म करें.शरद पवार जैसों का क्या है.महंगाई बढ़े या घटे, इन्हें तो दो जून की रोटी सरकारी खैरात में मिल ही जाती है.
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