THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Thursday, July 5, 2012

नाम मनमोहन की पर राज मंटेक का!खुदरा कारोबार विदेशी पूंजी के हवाले!

नाम मनमोहन की पर राज मंटेक का!खुदरा कारोबार विदेशी पूंजी के हवाले!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

प्रणव मुखर्जी के वित्त मंत्रालय से विदा होने के बाद मनमोहन सिंह ने मोर्चा संभाला है पर राज चला रहे हैं
मंटेक सिंह आहलूवालिया। गार​ ​ के दांत तोड़कर प्रणव बाबू ने जान बचाने की कोशिश जरूर की थी और मनमोहन ने राहत का भरोसा भी दे रखा है। पर कारपोरेट इंडिया गार का काम तमाम किये बिना मान नहीं रहा और दिल्ली के असली सरदारजी के दरबार में उनकी दस्तकें तेज हो गयी हैं। गुरुवार को नंबर उद्योग चैंबर एसोचैम का था। चैंबर की टीम बेहाल अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के अपने नुस्खे के साथ मोंटेक से मिली। उसके नुस्खे में विवादित प्रस्तावित कर प्रावधान गार [जनरल एंटी अवाइडेंस रूल्स] को अगले दो-तीन वर्षो तक ठंडे बस्ते में डालना सबसे ऊपर है।खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआई] की पूरी तैयारी है। राष्ट्रपति चुनाव के बाद बंगाल के विरोध के बावजूद खुदरा कारोबार विदेशी पूंजी के हवाले होना है।महाराष्ट्र, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, असम, राजस्थान तथा केरल के मुख्यमंत्रियों ने पहले ही खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के समर्थन पर लिखित आश्वासन दिया है।वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने विश्वास जताया है कि खुदरा कारोबार में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर अगले कुछ सप्ताह में राजनीतिक आम सहमति बन जाएगी।विदेशी कंपनियों के लिए देश के 6 लाख करोड़ रुपए के फुटकर कारोबार के दरवाजे खोलने की खबरों के बाद व्यापारी फिर से लामबंद होना शुरू हो गए हैं और जल्दी ही इसके खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रूपरेखा की घोषणा करेंगे।लेकिन इससे कुछ बदलेगा , ऐसी उम्मीद बैमानी है क्योंकि आर्थिक सुधारों को लागू करने की मुहिम अब मंटेक सिंह चला रहे हैं, जिनकी कोई राजनीतिक बाध्यता नहीं है।हालांकि मंटेक के राज को वैधता देने में मनमोहन कोई कसर नहीं ठोड़ रहे हैं । मसलन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्रालय के कामकाज को पटरी पर लाते हुये जहां राज्यमंत्री नमो नारायण मीणा को तीन अहम विभागों के दैनिक कार्य देखने का जिम्मा सौंप दिया, वहीं वह कैबिनेट के प्रस्तावों पर मंत्रालय की टिप्पणियों को खुद देखेंगे।


इस बीच निवेशकों के हितों की सुरक्षा को लेकर लॉबिंग शुरू हो गई है। जिसके चलते जीएएआर को लेकर मॉरिशस और सिंगापुर भारत पर लगातार दबाव बना रहे हैं।घरेलू कंपनियों को विदेश से आसानी कर्ज मुहैया कराने के लिए सरकार विदहोल्डिंग टैक्स में कटौती कर सकती है। विदेशी कर्ज के ब्याज पर लगने वाला विदहोल्डिंग टैक्स घटाया जा सकता है।
पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बजट में इंफ्रा सेक्टर को राहत देने के लिए ईसीबी के ब्याज पर विदहोल्डिंग टैक्स 20 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा था।विदहोल्डिंग टैक्स घटने के बाद पावर, एयरलाइंस, रोड, पोर्ट, अफोर्डेबल हाउसिंग, फर्टिलाइजर सेक्टर को विदेश से कर्ज जुटाने में आसानी होगी।

मॉरिशस टैक्स रेजिडेंसी सर्टिफिकेट वाले निवेशकों पर जीएएआर नहीं चाहता है।जीएएआर को लेकर बीच का रास्ता निकालने की कोशिशें तेज हो गई है। मॉरिशस सरकार ने कहा है कि वह टैक्स छूट को लेकर किया गया डबल टैक्सटेशन एवॉइडेंश एग्रीमेंट(डीटीएए) की समीक्षा के लिए वो तैयार है ।भारत दौरे पर आए मॉरिशस के विदेश मंत्री अरविन बुलेल का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो सबसे बढ़िया नीति है वह उसको मानने को तैयार है। वहीं अगले महीने की 22 तारीख को इस बारे में दोनों पक्ष बैठक भी करेंगे।वहीं मॉरिशस के विदेश मंत्री जीएएआर को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मुलाकात करेंगे। साथ ही वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा और प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन से भी मुलाकात की तैयारी है।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा है कि सरकार पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े सुधारों की शुरुआत कर चुकी है। देश में विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार को अगले 4-5 महीनों में बड़े फैसले लेने होंगे।

सीएनबीसी आवाज के साथ खास मुलाकात में मोंटेक सिंह ने कहा कि विदेशी निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए गार जैसे विवादास्पद मुद्दों पर सफाई आनी चाहिए। उनकी निजी राय कि विदेशी निवेशकों को लेकर कर में किसी बड़े बदलाव की जरूरत नहीं है।

मोंटेक सिंह अहलूवालिया के मुताबिक जीएएआर के नए नियमों से एफआईआई को मनाने की कोशिश की जाएगी। वहीं जीएएआर पी-नोट्स पर लागू नहीं किया जाएगा। साथ ही इस नियम से विदेशी निवेशकों की कर देनदारी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष का कहना है कि मल्टीब्रांड रिटेल और विमानन क्षेत्र में एफडीआई को मंजूरी देना जरूरी है। हालांकि विदेशी निवेश के इन क्षेत्र के हालातों में तुंरत पूरी तरह से सुधार आ पाना मुश्किल है। लेकिन लंबी अवधि के नजरिए से एफडीआई को मंजूरी देना बेहतर होगा। वहीं देश में गैस का आयात पहले से ज्यादा बढ़ा है, साथ ही गैस और ऑयल की कीमतों की समीक्षा एक जैसी होगी।

मोंटेक सिंह अहलूवालिया का कहना है कि जीएसटी के लागू होने पर अब कोई अनिश्चितता नहीं है पर अगले 6 महीनों में जीएसटी का लागू होना मुमकिन नहीं दिख रहा है।

अहलूवालिया के मुताबिक जीएसटी में संवैधानिक संशोधन की जरूरत है। वहीं आर्थिक सुधार को लेकर राज्यों राज्यों में सहमति बन रही है। जीएसटी भी आर्थिक सुधार की कड़ी का एक अहम हिस्सा है। जीएसटी लागू होने पर वित्तीय हालात में सुधार होगा।

अहलूवालिया ने बताया कि जीएएआर पर जारी की गई ड्राफ्ट गाइडलाइंस से प्रधानमंत्री कार्यालय ने खुद को अलग नहीं किया है। जीएएआर पर जारी अनिश्चितता को दूर करने की जरूरत है।

अहलूवालिया का मानना है कि अर्थव्यवस्था के हालात सुधारने के लिए सरकार के फैसलों का लागू होना जरूरी है। जीएसटी और रिटेल में एफडीआई के लागू होने पर आर्थिक सुधार की प्रक्रिया में तेजी आएगी।सरकार ने एफडीआई वाले रिटेल स्टोर को मंजूरी का अधिकार राज्यों के पास छोड़ दिया है।राज्य सरकारों को यह तय करने की छूट होगी की वह अपने राज्य में रिटेल में एफडीआई चाहते हैं या नहीं।

वैश्विक बाजारों में मिल़े़-जुले रुख के बीच बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स गुरुवार को करीब 76 अंक मजबूत होकर तीन माह के उच्च स्तर 17,538.67 अंक पर बंद हुआ।अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सरकार की ओर से कदम उठाए जाने की उम्मीद में विदेशी संस्थागत निवेशकों [एफआइआइ] ने लिवाली की। इसके चलते दलाल स्ट्रीट में बुधवार को लगातार तीसरे दिन तेजी का सिलसिला जारी रहा। लेकिन रुपये की कीमत को काबू में रखने के लिए विदेश से डॉलर लाने की सरकार की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है। अमेरिका में पात्र संस्थागत निवेशकों [क्यूएफआइ] को मान्यता नहीं होने से उनका निवेश यहां आने की संभावना न के बराबर रह गई है। अब सरकार को देश में डॉलर का प्रवाह बढ़ाने के लिए सिर्फ खाड़ी देशों और यूरोपीय संघ [ईयू] के क्यूएफआइ पर ही निर्भर रहना होगा।इस महीने के अंत में राष्ट्रपति चुनाव के बाद मल्टी-ब्रांड रिटेल में सरकार द्वारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की अनुमति दिए जाने से संबंधित खबरों के बाद गुरुवार को रिटेल कंपनियों के शेयरों में 18 फीसदी तक का इजाफा देखा गया। दिल्ली की कुटॉन्स रिटेल, विशाल रिटेल के संस्थापक आरसी अग्रवाल द्वारा प्रवर्तित वी2 रिटेल, एस कुमार्स नेशनवाइड की इकाई ब्रांडहाउस रिटेल्स में क्रमश: 18.29 फीसदी, 9.98 फीसदी और 9.88 फीसदी की तेजी दर्ज की गई।

सरकार ने पिछले साल नवम्बर में ही किराना और परचून की दुकानों में 51 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) पर मुहर लगा दी थी किंतु संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की प्रमुख घटक तृणमूल (कांग्रेस) प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और वामपंथियों के कडे़ विरोध की वजह से इस पर अमल नहीं हो पाया था।अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) ने सरकार के हाल के प्रयास का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि देश के खुदरा व्यापार की नब्ज को पहचाने बिना ऐसी पहल को किसी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा।कैट का कहना है कि सरकार का यह दावा कि खुदरा कारोबार में एफडीआई आने से किसानों, हाकर्स और व्यापारियों सभी को लाभ पहुंचेगा वास्तविकता से एकदम अलग है।कैट का कहना है कि देश के बडे़ घराने ही इससे लाभाविंत होंगे और छोटे व्यापारी का धंधा चौपट हो जाने से करोडों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

सरकार राष्ट्रपति चुनाव खत्म होने के साथ जल्द ही बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में 51 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को हरी झंडी दिखाने की योजना बना रही है।सरकार बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का फैसला उचित समय पर करेगी। आर्थिक मामलों के सचिव आर गोपालन ने गुरुवार को यह बात कही।गोपालन ने इसकी कोई समयसीमा नहीं बताई, लेकिन कहा कि राजनीतिक प्रक्रिया के जरिये यह काम होगा। इस तरह के फैसले लेने के लिए हमेशा उचित समय होता है। यह मुद्दा फिलहाल सरकार के पास है। ऐसे में मेरे लिए यह कहना जल्दबाजी होगी कि फैसला कब होगा।यह पूछे जाने पर कि इस फैसले की घोषणा के लिए उचित समय क्या होगा, गोपालन ने कहा कि राजनीतिक प्रक्रिया से यह तय होगा।
जबकि ताजा स्थिति यह है कि औद्योगिक नीति एवं संवद्र्धन विभाग (डीआईपीपी) पहले ही राज्यों सहित इस मामले के सभी संबंधित पक्षों के साथ बैठकें कर चुका है। इस फैसले को कैबिनेट की तरफ से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है, सिर्फ इसकी अधिसूचना जारी होनी बाकी है। ऐसा 19 जुलाई को राष्ट्रपति के चुने जाने के बाद ही संभव होगा।डीआईपीपी के एक आला अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'फैसला पहले ही कैबिनेट मंजूरी पाने के सबसे मुश्किल दौर को पार कर चुका है। हमें अब सिर्फ अधिसूचना जारी करने की जरूरत है। हमने अपने इरादे से सभी राज्य सरकारों को अवगत करा दिया है। जो राज्य इसे लागू करना चाहते हैं, वे खुदरा कंपनियों का स्वागत करेंगे और जो इसका विरोध करते हैं वे इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाएंगे। राज्य सरकारों को सिर्फ स्टोर खोलने के लिए जरूरी लाइसेंस जारी करने होंगे।'

बीते सप्ताह वाणिज्य, उद्योग और कपड़ा मंत्री ने आनंद शर्मा ने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर बताया था कि किस तरह से इस नीति पर अमल किया जाएगा। उन्होंने विशेष रूप से बहुब्रांड खुदरा में 51 फीसदी एफडीआई को मंजूरी देने के लिए गैर यूपीए राज्यों से समर्थन जुटाने के लिए संपर्क किया था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री जल्द राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर उनका समर्थन मांगेंगे।ब्रुसेल्स की दो दिन की यात्रा पर आए शर्मा ने बताया कि महाराष्ट्र, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, असम, राजस्थान तथा केरल के मुख्यमंत्रियों ने पहले ही खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के समर्थन पर लिखित आश्वासन दिया है।

वित्त मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा कैबिनेट के विचारार्थ भेजे जाने वाले सभी महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर वित्त मंत्रालय की टिप्पणियों को प्रभारी मंत्री (प्रधानमंत्री) के सुपुर्द किया जायेगा।

पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) द्वारा राष्ट्रपति पद के लिये अपना उम्मीदवार बनाये जाने के बाद प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्रालय का प्रभार अपने हाथों में ले लिया।

वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा अब तक व्यय और वित्तीय सेवाओं के विभाग देख रहे थे अब उन्हें आर्थिक मामलों के विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। नई व्यवस्था के अनुसार गैर-योजनागत खर्च से जुड़े 300 करोड़ रुपये तक के सभी प्रस्तावों को मीणा मंजूरी देंगे जबकि 300 करोड़ रुपये से अधिक के व्यय प्रस्ताव जिनमें कैबिनेट अथवा मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की मंजूरी आवश्यक होती है उन्हें प्रधानमंत्री सिंह के समक्ष रखा जायेगा।

मीणा छठे वेतन आयोग के तहत वेतन और भत्तों की समीक्षा से जुड़े प्रस्तावों को भी देखेंगे और इसके साथ ही वह मंत्रिमंडल की आवास समिति के समक्ष रखे जाने वाले प्रस्तावों को भी देखेंगे। इसके अलावा एसएस पलानीमणिक्कम भी वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री है और वह राजस्व विभाग को देखते हैं।


आर्थिक वृद्धि की धीमी रफ्तार तथा निवेश के कमजोर माहौल के मद्देनजर एसोचैम ने विवादास्पद सामान्य कर अपवंचन रोधी नियम (गार) को रोकने की मांग की है।एसोचैम ने कहा है कि सरकार ने काले धन और कर चोरी पर अभियान चला रही सिविल सोसायटी के दबाव में 'गार' जैसे कठोर नियम तैयार किए हैं। जिस तरह से ये नियम बनाए गए हैं उससे देश को काफी हानि हो चुकी है। रेटिंग एजेंसियों ने भारत की साख घटा दी है जिसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ रहा है। ऐसे में सरकार को तुरंत यह घोषणा करनी चाहिए कि वह वर्ष 2015 तक इसे लागू करने नहीं जा रही।

एसोचैम अध्यक्ष राजकुमार धूत ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष से आग्रह किया कि देश की अर्थंव्यवस्था को इस सुस्ती से बाहर निकालने के लिए केंद्र सरकार को अधिक सक्रिय भूमिका अदा करनी होगी। दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना के रास्ते में आने वाली तमाम बाधाओं को दूर करने से काफी फायदा मिलेगा। इसी तरह से रिजर्व बैंक को महंगाई दर के भय से निकलकर अभी ब्याज दरों को सस्ता करने के लिए कदम उठाने चाहिए। बिजली परियोजनाओं को कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए ठोस उपाय करने जरूरी हो गए हैं। कोयले की कमी का खामियाजा पूरे मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को भुगतना पड़ रहा है। इन कदमों से देश में निवेश का माहौल बनेगा। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] की तुलना में निवेश में बीते वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान 29 फीसद की गिरावट हुई है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने के लिए दुनियाभर के सेंट्रल बैंक हरकत में आ गए हैं।

यूरोपियन सेंट्रल बैंक और पीपल्स बैंक ऑफ चायना ने ब्याज दरों में कटौती की है। वहीं, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने राहत पैकेज में बढ़ोतरी की है।

यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने लेंडिंग रेट 0.25 फीसदी घटाकर 0.75 फीसदी की है। मार्जिनल लेंडिंग रेट 1.75 फीसदी से घटाकर 1.5 फीसदी किया है।

रिफाइनेंस रेट 1 फीसदी से घटकर 0.75 फीसदी हुआ है। वहीं, डिपॉजिट रेट शून्य फीसदी हो गया है। यूरोपियन सेंट्रल बैंक की नई दरें 11 जुलाई से लागू होंगी।

पीपल्स बैंक ऑफ चायना ने भी बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट 0.25 फीसदी घटाए हैं। 1 साल के बेंचमार्क लेंडिग रेट में 0.31 फीसदी की कटौती की गई है।

वहीं, 1 साल के बेंचमार्क डिपॉजिट रेट 0.25 फीसदी घटाया है। साथ ही, पीपल्स बैंक ऑफ चायना ने कहा है कि ब्याज दरें बेंचमार्क रेट के 70 फीसदी तक रखी जा सकती हैं। इसका मतलब है कि चीन के बैंक ब्याज दरों में ज्यादा छूट दे पाएंगे।

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में कटौती नहीं की है। लेकिन, एसेट पर्चेज प्लान को 50 अरब पाउंड से बढ़ाया है, यानी राहत पैकेज में बढ़ोतरी की है।

बैंक ऑफ इंग्लैंड का कहना है कि कमोडिटी कीमतों में गिरावट आने से महंगाई पर दबाव कम होगा। साथ ही, राहत पैकेज और दूसरे कदमों की वजह से अर्थव्यवस्था में मजबूती लौटेगी।

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