THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, July 2, 2012

स्पेक्ट्रम की नीलामी का मामला खटाई में! आर्थिक बदहाली जारी। पर कालाधन छुपाना खपाना हुआ आसान।

स्पेक्ट्रम की नीलामी का मामला खटाई में! आर्थिक बदहाली जारी। पर कालाधन छुपाना खपाना हुआ आसान।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

मनमोहन सिहं के वित्त मंत्रालय संभाल लेने से बाजार बले ही बूम बूम हो, पर आर्तिक मोर्चे पर सरकार की बदहाली जस की तस है। गार नियमों में ढील देकर सरकार ने निवेशकों की आस्थ लौटाने का काम तो कर दिया। पर टोलीकाम स्पेक्ट्म का मामाला खटाई में पड़ गया। वित्त मंत्रालय से विदा हुए राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे प्रणव मुखर्जी भी नये विवादों में फंस गये हैं और उनके खिलाफ मैदान में डटे पीए संगमा तो उनकी उम्मीदवारी​ ​ ही खारिज कराने पर आमादा है। दीदी को खुश करने के लिए रेलवे को पिर सेव कर से छूट तो दे दी गयी , पर वित्तीय विधेयकों रिटेल​ ​ एफडीआई, भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक और पेंशन बिल के मामले में कोई प्रगति नहीं हुई। सत्ता वर्ग के लिए एक अच्छी खबर जरूर यह है कि स्विस बैंक ने कालाधन लाकरों में खपाने का इंतजाम कर दिया।दूसरी ओर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 55.44 पर बंद हुआ है। शुक्रवार को रुपया 55.6 के स्तर पर पहुंचा था।शुरुआत से ही रुपये ने मजबूती दिखाई और 55.5 के स्तर पर खुला। शेयर बाजार में गिरावट की वजह से रुपया फिसलकर 55.6 के स्तर पर आ गया।यूरोपीय बाजारों के कमजोरी पर खुलने के बाद रुपये पर दबाव बढ़ा और रुपया 55.89 के स्तर तक टूटा। हालांकि, अच्छे आर्थिक आंकड़ों की वजह से यूरोपीय बाजार संभले। जिससे रुपये को फिर से सहारा मिलता नजर आया। लेकिन एकबार फिर निवेशकों में जोश की कमी दिखी और सीमित दायरे में घूमने के बाद बाजार गिरावट पर बंद हुए। सेंसेक्स 31 अंक गिरकर 17399 और निफ्टी 0.5 अंक गिरकर 5279 पर बंद हुए। हालांकि, छोटे और मझौले शेयरों में अच्छी खरीदारी नजर आई।वैसे बाजार में तेजी का दौर है। साथ ही आर्थिक मोर्चे पर सरकार की ओर से ठोस कदम उठाने की उम्मीद जगी है। शेयरों की चाल भी मजबूत होने लगी है। हालांकि बाजार के जानकार मान रहे हैं कि भले ही बाजार भाग रहा हो, लेकिन लंबी अवधि में तेज गिरावट की आशंका है।बाजार की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं, बल्कि थोड़े समय के लिए टल गई हैं। प्रधानमंत्री द्वारा वित्त मंत्रालय का जिम्मा संभालने से बाजार खुश तो है। लेकिन अगर प्रधानमंत्री आर्थिक सुधार के मोर्चे पर ठोस कदम उठाने में विफल रहे तो बाजार में गिरावट का दौर शुरू हो सकता है। मई के मुकाबले मैन्यूफैक्चरिंग के मामले में जून में हालात कुछ बेहतर हुए हैं। मई के 54.75 बढ़कर जून में एचएसबीसी पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स 55 पर पहुंच गया है, जो 4 महीनों से सबसे ज्यादा है।इंडेक्स में बढ़ोतरी ज्यादा मांग के चलते उत्पादन बढ़ने से आई है। रुपये में कमजोरी आने से निर्यात मांग बढ़ी है। एचएसबीसी पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स 50 से ऊपर होता है तो माना जाता है कि देश में मैन्युफैक्चरिंग की स्थिति बेहतर है।

2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में देरी हो सकती है। कृषि मंत्री शरद पवार ने टेलीकॉम पर बनी ईजीओएम के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया है। इस ईजीओएम को स्पेक्ट्रम के दाम तय करना था, ये पद प्रणब मुखर्जी के इस्तीफा देने से खाली हुआ है। पवार ने प्रधानमंत्री को चिटठी लिखकर इस्तीफा भेजा. प्रधानमंत्री ने पवार का इस्तीफा मान लिया है। दरअसल पवार का नाम 2 जी घोटाले के आरोपी शादाब बलवा और विनोद गोयनका के साथ जोडा गया था।समझा जाता है कि कृषि मंत्री ने खुद को विवादों में घसीटे जाने से बचने के लिए यह कदम उठाया। पवार के नेतृत्व में सोमवार को ही इस अधिकार प्राप्त मंत्री समूह की पहली बैठक होनी थी।गौरतलब है कि दूरसंचार क्षेत्र के लिए कई अहम फैसले लिए जाने हैं लेकिन इस पर गठित अधिकार प्राप्त मंत्री समूह (ईजीओएम) की बैठक लगातार टलती जा रही है। पवार के इस्तीफे ने अनिश्चितता और बढ़ा दी है। इस बीच सरकार की ओर से जल्द फैसलों की उम्मीद कर रही दूरसंचार कंपनियां निराश हैं। पिछले दो महीनों दूसरी बार ईजीओएम की बैठक टली है। दूरसंचार क्षेत्र के विश्लेषकों के मुताबिक फैसले लेने हो रही देरी की वजह से दूरसंचार उद्योग के सामने अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है।  सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के मुताबिक 31 अगस्त तक 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी करने के सरकार के फैसले को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं।  

काफी उहापोह के बाद वित्त मंत्रालय ने आखिरकार रेल सेवाओं पर सर्विस टैक्स को एक बार फिर तीन महीने के लिए स्थगित कर दिया है। इस तरह एसी दर्जो के किरायों तथा माल भाड़े की दरें फिलहाल नहीं बढ़ेंगी। यह सातवां मौका है जब रेलवे के दबाव के आगे वित्त मंत्रालय को झुकना पड़ा है। इससे पहले 2009-10 से लेकर अब तक छह बार रेल सेवाओं पर सर्विस टैक्स टाला जा चुका है। इससे पहले सर्विस टैक्स की छूट 30 जून 2012 तक बढ़ाई गई थी।

स्विस बैंकों में बढ़ते काले धन को छिपाने का बैंकों ने एक नया तरीका निकाला है। वे लोगों को पैसा सेविंग अकाउंट में ना रख कर लॉकर में रखने की सलाह दे रहे हैं। सरकारों की नजरों से यह पैसा पूरी तरह छिप सकेगा।इन तिजोरियों में भारत का कितना धन पड़ा है या भारत की तरफ से इनकी मांग में कितनी वृद्धि हुई है इसका जवाब देने से एसएनबी ने इनकार कर दिया। हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारत के कुल 2.18 अरब फ्रैंक यानी 12,700 करोड़ रुपये मौजूद हैं। यह रकम भले ही काफी बड़ी लगे, लेकिन इन बैंकों में मौजूद राशि का यह केवल 0.14वां हिस्सा है।बैंक के क्लाइंट अब तक इन तिजोरियों का इस्तेमाल हीरा,सोना या शेयरों का कागजात रखने के लिए करते आए हैं, लेकिन अब इनमें पैसा भी रखा जा रहा है। बैंकों की सलाह है कि लोग हजार हजार स्विस फ्रैंक्स के नोटों की गड्डियां इन तिजोरियों में रखें। स्विस बैंकों के नियमों के अनुसार सरकारों को केवल लोगों के अकाउंट के बारे में जानकारी दी जा सकती है। तिजोरियों में रखा गया धन गुप्त माना जाता है और उस पर कोई जानकारी नहीं दी जाती। इसलिए यदि लोग यहां पैसा भी रखने लगें तो वे सरकारों की नजरों से बच सकते हैं।

इन बैंकों में ऐसी कितनी तिजोरियां हैं इसके कोई आंकड़े मौजूद नहीं हैं। रिपोर्टों के अनुसार 2011 में बैंकों को इन तिजोरियों के किराए से होने वाला मुनाफा बढ़ा है, जबकि सेविंग्स अकाउंट से होने वाले मुनाफे में कमी देखी गई है।समाचार एजेंसी पीटीआई ने जब स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) से भारत के काले धन के बारे में जानकारी हासिल करनी चाही तो उसे कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। लेकिन बैंक ने माना कि पिछले एक साल में हजार फ्रैंक के नोटों की मांग तेजी से बढ़ी है। बाजार में मौजूद कुल स्विस नोटों का साठ फीसदी हिस्सा हजार के नोटों का है। पिछले साल तक यह पचास प्रतिशत था।इस वक्त बाजार में कुल दो हजार अरब रुपयों की कीमत के एक एक हजार स्विस फ्रैंक के नोट मौजूद हैं। ज्यूरिख में एसएनबी के एक प्रवक्ता ने पीटीआई से कहा, "हमें लगता है कि नोटों की अधिक मांग का कारण स्विस नोटों के रूप में धन को बचा कर रखने का चलन है। जब ब्याज की दरें कम होती हैं तो अक्सर यह चलन देखा जाता है. हमें ऐसा भी लगता है कि यह मांग विदेशों से बढ़ रही है।"


एक हजार फ्रैंक के नोट की कीमत साठ हजार रुपये होती है। यानी काले धन को छिपा कर रखना अब लोगों के लिए और आसान हो गया है। स्विट्जरलैंड उन चुनिन्दा देशों में से है, जहां इतनी बड़ी कीमत का नोट छपता है। ब्रिटेन में सबसे बड़ी कीमत का नोट पचास पाउंड का और अमेरिका में सौ डॉलर का है। हालांकि अमेरिका में पांच सौ, एक हजार, पांच हजार और यहां तक कि दस हजार के नोट भी छपा करते थे। लेकिन 1945 के बाद से इनकी छपाई बंद कर दी गई। इसके बाद 1969 से इन्हें बाजार से पूरी तरह हटा लिया गया।यूरोप में दो सौ और पांच सौ यूरो के नोट भी छपते हैं।

इस बीच योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया का कहना है कि जीएसटी के लागू होने पर अब कोई अनिश्चितता नहीं है पर अगले 6 महीनों में जीएसटी का लागू होना मुमकिन नहीं दिख रहा है।मोंटक सिंह अहलूवालिया के मुताबिक जीएसटी में संवैधानिक संशोधन की जरूरत है। वहीं आर्थिक सुधार को लेकर राज्यों राज्यों में सहमति बन रही है। जीएसटी भी आर्थिक सुधार की कड़ी का एक अहम हिस्सा है। जीएसटी लागू होने पर वित्तीय हालात में सुधार होगा। मनमोहन सिंह के वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के बाद दिग्गज उद्योगपतियों के मोंटेक सिंह अहलूवालिया से मिलने का सिलसिला जारी है। इससे पहले पिछले हफ्ते वोडाफोन प्रमुख अनलजीत सिंह और यूबी ग्रुप के चेयरमैन विजय माल्या भी मोंटेक सिंह अहलूवालिया से मुलाकात कर चुके हैं।रिलायंस इंडस्ट्रीज चेयरमैन मुकेश अंबानी भी मोंटेक सिंह अहलूवालिया से मुलाकात करेंगे। आज सुबह होने वाली इस बैठक में केजी-डी6 से निकलने वाली गैस की कीमत से लेकर स्पेक्ट्रम नीलामी पर चर्चा होने की उम्मीद है।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने उम्मीद जताई है कि सरकार यदि अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए कदम उठाती है तो मार्च के अंत तक एक डॉलर की कीमत घटकर 50 रुपए तक आ सकती है। क्रिसिल की रिसर्च इकाई ने एक नोट जारी कर यह अनुमान व्यक्त किया है। नोट में कहा गया है कि सरकार कुछ जरूरी कदम उठाये तो चालू वित्त वर्ष के अंत तक एक डॉलर का भाव 50 रुपए तक गिरने की उम्मीद है। गौरतलब है कि हाल में एक डॉलर की कीमत 57.32 रुपए तक पहुंच गई थी।

मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने बताया कि जीएएआर पर जारी की गई ड्राफ्ट गाइडलाइंस से प्रधानमंत्री कार्यालय ने खुद को अलग नहीं किया है। जीएएआर पर जारी अनिश्चितता को दूर करने की जरूरत है।योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेक सिंह अहलूवालिया ने भरोसा जताया है कि वित्त मंत्रालय जीएएआर पर उपजी अनिश्चितता को जल्द ही सुलझा लेगा।मोटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि बजट पेश होने के तुरंत बाद ही ये तय हो गया था कि जीएएआर को लेकर निवेशकों के बीच में अनिश्चितता का माहौल बनेगा। हालांकि अब वित्त मंत्रालय को प्रधानमंत्री के अधीन आने के बाद इस विवाद को खत्म होने की उम्मीद है।

मोंटेक सिंह अहलूवालिया का मानना है कि अर्थव्यवस्था के हालात सुधारने के लिए सरकार के फैसलों का लागू होना जरूरी है। जीएसटी और रिटेल में एफडीआई के लागू होने पर आर्थिक सुधार की प्रक्रिया में तेजी आएगी।

बंगाल की खाड़ी में मानसून की हलचल फिर शुरू हो गई है। इससे मानसून एक्सप्रेस में तेजी आने की उम्मीद बढ़ गई है। उम्मीद की जा रही है कि अगले दो-तीन दिनों में दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में मानसून पूर्व की बारिश हो सकती है। मौसम विभाग को उम्मीद है कि जल्द ही मानसून देश भर में सक्रिय हो जाएगा और इस महीने होने वाली बारिश से पिछले महीने की कम बारिश की भी भरपाई हो जाएगी।

शरद पवार ने प्रधानमंत्री को लिखे खत में कहा है कि पिछले कुछ दिनों में उनपर बेवजह के आरोप लगे, लिहाजा वो अब इस पद पर नहीं रहना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने पवार का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।गौरतलब है कि टूजी मामले में शरद पवार का नाम उछला था। उस वक्त शरद पवार ने अपनी संलिप्तता से इनकार किया था। सूत्रों की मानें तो अब शरद पवार को लगता है कि अगर वो इसके अध्यक्ष बने रहते हैं और टूजी की प्राइसिंग और थ्री जी की नीलामी जैसे अहम फैसलों में उनकी हिस्सेदारी होती है तो फिर से उनका नाम उछाला जा सकता है। इसी वजह से शरद पवार ने अपना इस्तीफा दे दिया है।स्पेक्ट्रम के मूल्य निर्धारण पर निर्णय लेने वाले अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह की पहली बैठक दो जुलाई को पवार की अध्यक्षता में होनी थी, लेकिन ईजीओएम की बैठक सोमवार को फिर टल गई। बैठक में 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए रिजर्व मूल्य पर फैसला लिया जाना था। इससे पहले यह बैठक 21 जून को तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में होने वाली थी, लेकिन वह टल गई थी। मुखर्जी को चूंकि राष्ट्रपति चुनाव लड़ना था सम्भवत: इसलिए वह किसी विवादास्पद मुद्दे पर फैसला देने से बचना चाहते थे।बैठक में स्पेक्ट्रम के मूल्य निर्धारण, स्पेक्ट्रम की मोर्टगेजिंग और आस्थगित भुगतान सहित प्रमुख मुद्दों पर निर्णय लिए जाने थे।

स्पेक्ट्रम नीलामी की कीमत पर ट्राई की सिफारिश को लेकर दूरसंचार कंपनियां पहले से ही अपना विरोध जता चुकी है और उनका कहना है कि नीलामी के लिए ऊंचे आरक्षित मूल्य से मोबाइल दरों में प्रति मिनट 26 पैसे से लेकर 90 पैसे तक का इजाफा हो सकता है। फरवरी 2012 में सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ए राजा के कार्यकाल में आवंटित 122 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस को रद्द कर दिए थे और सरकार को 31 अगस्त तक नए सिरे से स्पेक्ट्रम की नीलामी का आदेश दिया था। वित्त मंत्रालय ने दूरसंचार विभाग से कहा है कि वह मौजूदा सेवा प्रदाताओं को 4.4 मेगाहट्र्ज अथवा 6.2 मेगाहट्र्ज तक स्पेक्ट्रम प्रशासित कीमतों (1650 करोड़ रुपये की वह राशि जो उन्होंने अखिल भारतीय लाइसेंस के लिए  चुकाई है) पर इस्तेमाल करने देने के विकल्प पर विचार करे। या फिर उनको यह विकल्प मुहैया कराया जाए कि वे समूचे स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी द्वारा तय कीमत चुकाएं और जिसमें उसके इस्तेमाल को लेकर किसी तरह की शर्त शामिल नहीं हो।
दूरसंचार विभाग (डीओटी) को भेजे गए इस प्रस्ताव को प्रधानमंत्री की मंजूरी हासिल है जो कि फिलहाल वित्त मंत्रालय का कार्यभार भी देख रहे हैं। सशर्त स्पेक्ट्रम इस्तेमाल की स्थिति में जिस दूरसंचार कंपनी के पास 1800 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम होगा वह केवल 2जी सेवा मुहैया करा पाएगी। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक स्पेक्ट्रम को गिरवी रखे जाने के मसले पर अपनी संस्तुति दे चुका है लेकिन डीओटी का कहना है कि प्रक्रिया उसी के जरिये निपटाई जाएगी।

आयात में आई कमी के चलते मई महीने में देश का व्यापार घटा कम हुआ है। मई में व्यापार घाटा 12 फीसदी घटकर 1,627 करोड़ डॉलर हो गया है। वहीं पिछले साल इस दौरान व्यापार घाटा 1,849 करोड़ डॉलर रहा था।साथ ही मई में आयात साल-दर-साल आधार पर 7.4 फीसदी घटकर 4,195 डॉलर हो गया है। इसके अलावा मई में निर्यात 4.2 फीसदी घटकर 2,568 करोड़ डॉलर रहा है।वहीं अप्रैल-मई के दौरान व्यापार घाटा 5.2 फीसदी घटकर 2,975 करोड़ डॉलर हो गया है। साल 2011 में अप्रैल-मई के दौरान व्यापार घाटा 3,138 करोड़ डॉलर रहा था। इस साल अप्रैल-मई में निर्यात सालाना आधार पर 0.7 फीसदी घटकर 5,014 करोड़ डॉलर रहा है। इसके अलावा मई-अप्रैल के दौरान आयात सालाना आधार पर 2.4 फीसदी घटकर 7,989 करोड़ डॉलर पर आ गया है।

राष्ट्रपति पद के विपक्ष के उम्मीदवार पी ए संगमा ने अपने प्रतिद्वन्द्वी और संप्रग प्रत्याशी प्रणव मुखर्जी के लाभ के पद पर आसीन होने का दावा करके उनका नामांकन खारिज करने की मांग की, लेकिन सरकार ने इसे आधारहीन आरोप बताया।

संगमा ने राज्यसभा के महासचिव और राष्ट्रपति पद के चुनाव के निर्वाचन अधिकारी वी के अग्निहोत्री के समक्ष लिखित में दावा किया कि मुखर्जी भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के अध्यक्ष के नाते लाभ के पद पर आसीन हैं, इसलिए उनका नामांकन पत्र रद्द किया जाना चाहिए। सरकार और मुखर्जी के कार्यालय ने संगमा के इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि पूर्व वित्त मंत्री अपना नामांकन पत्र दाखिल करने से बहुत पहले ही भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (आईएसआई) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने संवाददाताओं से कहा, ''मुखर्जी 20 जून, यानी अपना नामांकन पत्र दाखिल करने से एक हफ्ते पहले ही आईएसआई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं।''

मुखर्जी के नजदीकी सहयोगी ने भी यह बात बताई। मुखर्जी के अधिकृत प्रतिनिधि बंसल ने बताया कि संगमा के आरोप के बाद वे और गृह मंत्री पी चिदंबरम मुखर्जी से मिले और उन्होंने स्पष्ट किया कि वह नामांकन पत्र भरने से काफी पहले ही उक्त पद से इस्तीफा दे चुके हैं। बंसल ने बताया कि संप्रग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार कल अपराहन तीन बजे से पहले निर्वाचन अधिकारी को संगमा के आरोप का जवाब सौंप देंगे।

इससे पहले संगमा के वकील सतपाल जैन ने मुखर्जी के लाभ के पद पर आसीन होने का दावा करते हुए उनका राष्ट्रपति पद का नामांकन रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने दावा किया कि चूंकि मुखर्जी लाभ के पद पर आसीन हैं इसलिए वह राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं लड सकते हैं। नामांकन पत्रों की जांच करने का आज अंतिम दिन था। नामांकन पत्र चार जुलाई तक वापस लिए जा सकते हैं।

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