THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Tuesday, July 3, 2012

Fwd: मानसूनअ दगड मुखसौड़



---------- Forwarded message ----------
From: Bhishma Kukreti <bckukreti@gmail.com>
Date: 2012/7/3
Subject: मानसूनअ दगड मुखसौड़
To: kumaoni garhwali <kumaoni-garhwali@yahoogroups.com>, uttarakhandpravasi <uttarakhandpravasi@yahoogroups.com>, uttaranchalwasi <uttaranchalwasi@yahoogroups.com>, arju <uttranchalkalasangam@googlegroups.com>, shilpkaar_of_uttaranchal <shilpkaar_of_Uttaranchal@yahoogroups.com>


चबोड़ इ चबोड़ मा
                                            मानसूनअ दगड मुखसौड़
                                                  भीष्म कुकरेती
              ब्याळि गौं मा छौ. अब अबि मि कैमरा सैवी नि ह्व़े सौकु जब कि अच्काल जु बि गाँ जांद वु गढवाळ बिटेन पैलाक तरां तोर, चून, गैहथ त कुछ लांद नी च पण कुछ फोटो लै आन्दन जन कि मेरा पहाड़ का मेहता जी बागेश्वर कि फोटो लैन अर फेस बुक मा इन दिखाणा छन जन बुल्यां ड़्यार बिटेन मेखुण चूडा, जख्या, भंगुल लयां ह्वावन धौं !
          सुचणु छौ कि फेस बुक मा क्या दिखौलू ? गाँ जाओ अर कुछ नि दिखाओ त फेस बुक मा फेस दिखाण लैक नि रै सक्यांद . भलु ह्वाई जु उख मै तै एक कतर मानसूनौ मिलि गे.फेस बोक मा फेस दिखांण लैक त कुछ ना कुछ मीली गे छौ.
             मीन मानसून तै पूछ- हे मानसून कख छयाई रै तु ?'
मानसून न ब्वाल," मि पत्रकारूं मुख नि लगण चांदु. टीवी मा द्याख च क्या क्या बखणा रौंदन - हत्यारा-मानसून , बेरहम मानसून , मानसून की मार ... सूखा .. जन बुल्यां मि यूँ पत्रकारूं नौकर छौं धौं या क्वी नेता हों धौं कि यूं पत्रकारूं बुल्यु मानि ल्यों.पैलक पत्रकार मनुष्य धर्मी छ्या अब त टी. आर. पी. बढ़ाओ , सरकुलेसन बढ़ाओ धर्मी ह्व़े गेन इ पत्रकार '
मीन ब्वाल," मि पत्रकार नि छौं. अर उन बि गढ़वाली लिख्वार जब मुलायम सिंग तै हत्यारा नि बथान्दन त मानसून तै क्या गाळि द्याला!"
" ओ तु गढवाळि लिख्वार छेई ? फिर क्वी फिकर नी च। तीन इ लिखण अर तीन इ बंचण . चल सवाल पूछ. म्यार थ्वडा टैम पास ह्व़े जालु" मानसून कु बुलण छौ.
बुरु त भौत लग पण अब त इन कटाक्ष का शब्द सुणणो ढब पोडि गे.
मीन पूछ," अब तक कख छौ भै ?"
मानसूनो बुलण छौ," कनो कख छौ. इन बोदी कख नि छौ ! जरा सि मीन केरल मा पाणी बुरक , फिर थ्वडा थ्वडा महाराष्ट्र, गुजरात, अर थ्वडा सि बंगाल ज़िना पाणि बुरकाणु छौ.'
मीन मानसून तै बताई ,"अरे इना उना खूब घुमणु रै अर इख गढ़वाल मा किलै नि ऐ .इख गढवाल का गां मा लोक तेरी कथगा जग्वाळ करणा छन. "
मानसून न रुसेक ब्वाल,"' देख हाँ त्वे तै इन पुछणो क्वी अधिकार नी च हाँ. तू त इन पुछणु छे जन बुल्यां तू क्वी बी.बी.सी क रिपोर्टर ह्वेलि ."
मीन सुरक सुरक ब्वाल,' भै इख गढ़वाळ मा गढवळी बि त त्यार प्रेमी छन कि ना ?"
. "अर फिर गढवाळ का गाऊं तै मेरी क्या जरुरत ? अब जब इ लोग ना त मुंगरी बूंदन, ना कोदा-झंगवर बूंदन ना इ क्वी दाळ कि खेती करदन त यूँ गढ़वाळयूँ ले मेरी क्या जरुरात भै?" मानसून को रूखो उत्तर छौ
मीन ब्वाल,' भै पिछ्ला पांच हजार साल से तू ये बगत तलक गढ़वाळ मा खूब पाणि बरखै दीन्दो छौ . ठीक च गढ़वाळयूँ तै खेती क बान पाणि क जरुरात नी होली. पण त्वे तै भेमाता/भगवानो बणयाँ नियम धियम कु त ख़याल करण चयांद कि ना ?"
मानसून क बादल जोर से गड़गडैन ,' तुम मनिख बि ना ! बडी चालु चीज छंवां. अफु त तुम मनिख भगवानो बणयाँ सौब नियम धियम तोड़णा छंवां अर में मानसून से उम्मीद करदवां कि मि भेमाता बणयाँ नियमु पालन कौरु. हौरू तै अड़ाण पण अफु कुछ नि करण . वाह! "
मीन करूण रसीली भौण मा ब्वाल,'' ह्यां इख बि त पीणो पाणि जरुरात च अर फिर रूडि क गरमी से कथगा बुरा हाल छन."
' अरे इखमा क्या च . मि नि बर्खलु त तुमर गाँ वळु मजा ऐ जाला।" मानसून न इन भौणम ब्वाल जन क्वी जासूस क्वी रहस्य क सूत भेद खुलणु ह्वाउ
मीन पूछ, ' क्या बुनू छे भै तु? अरे अबरखौ मा इख गाँव वळु आफत ऐ जाली . तिसा मोरी जाला म्यार गाँ वळ अर तु बुलणि छे बल गाँ वळु मजा ऐ जाला"
मानसून को बथाण छौ," अब क्वी तिसा नि मोरी सकुद. इख अबरखौ क्षेत्र घोषित ह्वाई ना कि उना मुख्यमंत्री सहयोग , प्रधान मंत्री योगदान अर यूनेस्को कि इमदाद का पैंसा ऐ जाला . कथ्युंक त जन ठेकेदार,मंत्री , संत्र्यु सब्युंक घौर रुप्यौनं दबल-चंगेरी भोरे जाला"
मीन ब्वाल," ह्यां इथगा बि निर्दयी नि बणण चएंद हाँ ! "
मानसूनो उत्तर छौ," अरे इख बरखदु त उख शहरू नजीक तालाब खाली रै जाला ."
मीन बताई," पण मुंबई अर पूना मीन फोन लगाई त लोग बुलणा छन बल उख बि तु पाणी नि बरखाणि छे ."
मानसून रूण बिस्याई," अरे उख कन कैकी बरखूं ? वातावरण इथगा गरम च कि म्यार बादल कंडेंस इ नि ह्व़े सकणा छन. बदळ सळाणा इ नि छन . मी उना बरखणो इ जान्दो छौं अर अपण सि मुक लेकी इना उना रिटण बिसे जांदू ."
मिन बोली," त फिर इना गढवाळ मा इ ल़े बरखी जादी !"
मानसून हौर जोर से बगैर अंसदर्युं रुण बिसे ग्याई ," इख बि त बिजोग पड्यु च. अबि रुड्यु मा ज्वा बणाक लगी वां से वातवरण गरम च अर बादलूं तै सळाणो मौका इख बि नि मिलणो च."
मीन पूछ," त अब क्या होलू ?"
मानसून को फड़कुल/कैड़ो /करारा जबाब छौ," जन बुतिल्या तन इ काटिल्या."
Copyright@ Bhishma Kukreti 2/7/2012


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Regards
B. C. Kukreti


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