THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Wednesday, April 24, 2013

फिर भारत चीन युद्ध की तैयारियां!

फिर भारत चीन युद्ध की तैयारियां!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


भारत चीन सीमा विवाद सुलझाये बिना महज द्विपाक्षिक व्यापार समझौते की राजनय का खामियाजा भारतीय जनता को भुगतना पड़ सकता है। चीनी  चुनौती के  मद्देनजर युद्ध की परिस्थितयों  के मुताबिक एहतियाती तैयारियों  से तो यही लगता है कि फिर १९६२ की तरह जख्मी हो सकता है हिमालय और लहूलुहान हो सकता है भारत देश हमारा।ताजा हालत यह है कि चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन नहीं करने के रूख पर कायम रहने के बाद सेना ने सरकार को विभिन्न सैन्य विकल्पों के बारे में बताया है ताकि लद्दाख में घुसपैठ की समस्या से निपटा जा सके। हालांकि राजनीतिक स्तर पर परिस्थितियां उतनी संगीन नही है।सैनिक तैयारियां चाहे जो हो, अब भी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) क्षेत्र से चीन के हटने से इंकार के बावजूद विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कह रहे हैं कि जमीन पर असहमतियां इसलिए होती हैं क्योंकि वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर नजरिया भिन्न है।लद्दाख में घुसपैठ को लेकर चीन के साथ जारी विवाद को कमतर करने का प्रयास करते हुए भारत ने आज आशा जताई कि फिलहाल चल रही प्रक्रिया से समाधान निकलेगा। भारत ने कहा कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।


इसके विपरीत चिंता की बत यह है कि सीमा पर वास्तविक परिस्थितियों के आकलन के बाद भारतीय सेना फिर १९६२ की गलतिोयों की पुनरावृत्ति के लिए कतई तैयार नहीं है।सरकारी सूत्रों ने यहां कहा कि सेना ने चीनी घुसपैठ के बारे में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के नेतृत्व वाले चीन अध्ययन समूह को जानकारी दी है जिसमें रक्षा, गृह और विदेश मंत्रालयों के सचिव शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जो जानकारी दी गई है उसमें इस स्थिति में सेना के इस्तेमाल सहित विभिन्न विकल्पों की चर्चा है। उन्होंने कहा कि चीन अध्ययन समूह को सुझाए गए सभी विकल्पों पर सावधानी से गौर किया जा रहा है और इस स्थिति में सभी संबंधित पक्षों से भी जानकारी ली गई है। चीन अध्ययन समूह प्रधानमंत्री कार्यालय और रक्षा मंत्रालय की सलाह पर पूरे मुद्दे को देख रहा है।


सेना ने पांच लद्दाख स्काउट्स बटालियन से अपने सैनिकों को डीबीओ इलाके में भेज दिया है और वे वहां डेरा डाले हुए हैं। सेना जरूरत पड़ने पर और सैनिकों को वहां भेजने पर भी विचार कर रही है। डीबीओ सेक्टर के बुथ्रे में 15 अप्रैल की रात चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) एक दल दस किलोमीटर अंदर भारतीय क्षेत्र में आ गया था और वहां अपना तंबू गाड़ लिया था। बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनियांग ने मीडिया से आज कहा कि चीन के सैनिक द्विपक्षीय समझौते के मुताबिक काम कर रहे हैं और एलएसी के चीनी इलाके में सामान्य तरीके से गश्ती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने एक कदम भी पार नहीं किया।


विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि हमारे पास एक प्रणाली है जो विवाद होने पर शुरू होती है और फिर यह प्रणाली समाधान देने की कोशिश करती है। हम फिलहाल यही कर रहे हैं। यह प्रक्रिया जारी है और मुझे आशा है कि हम समाधान निकालेंगे। मुझे लगता है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि हमें इस बारे में बहुत ज्यादा विस्तार में बात करनी चाहिए क्योंकि प्रक्रिया को समाधान निकालने दीजिए। प्रक्रिया के बारे में कोई शक या दिक्कत पैदा मत कीजिए। खुर्शीद की इन टिप्पणियों से एक दिन पहले दोनों पक्षों की फ्लैग मीटिंग बेनतीजा रही थी और चीन ने मांग की कि भारत को वहां बनाये कुछ बंकरों को ध्वस्त करना चहिए।


मंत्री ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर दोनों देशों के नजरियों में फर्क है और जब नजरिये भिन्न होते हैं, कई बार जमीन पर असहमतियां जगह ले लेती हैं। उन्होंने कहा कि देानों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा तय करने की प्रक्रिया में हैं। गौरतलब है कि चीनी सैनिकों ने 15 अप्रैल को भारतीय सीमा में डीबीओ में एक छोटा शिविर स्थापित किया था।


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