THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Thursday, August 1, 2013

राजनीतिक बढ़त के मामले में चाहे दीदी सबसे आगे हों, लेकिन बंगाल निवेशकों की प्राथमिकता में लगातार पिछड़ रहा है।मुंबई कवायद के असर पर अब नजर।

राजनीतिक बढ़त के मामले में चाहे दीदी सबसे आगे हों, लेकिन बंगाल निवेशकों की प्राथमिकता में लगातार पिछड़ रहा है।मुंबई कवायद के असर पर अब नजर।


वाणिज्य मंत्रालय के सांप्रतिक रपट के मुताबिक चालू  वर्ष में जनवरी से जून तक पश्चिम बंगाल में सिर्फ 1,331 करोड़ का निवेश हुआ है जबकि महाराष्ट्र में इसी अवधि में 20,756 करोड रुपये का। महाराष्ट्र के बाद आंध्र में 4,434 करोड़, गुजरात में 3,926 करोड़ रुपये का निवेस हुआ।चौथे स्थान पर है कर्नाटक और पांचवें पर उत्तार प्रदेश। हालांकि केंद्रीय वाणिज्यमंत्रालय के आंकड़ों को खारिज करते हुए बंगाल के उद्योगमंत्री पार्त चटर्जी ने दावा किया है कि मां माटी मानुष की सरकार के सत्ता में आने पर बंगाल में 303 परियोजनाओं के लिए एक लाख 14 हजार करोड़ रुपये वा निवेश हो चुका है।उनके मुताबिक बाकी राज्य बंगाल से पीछे हैं। उन्हें मुंबई सम्मेलन के बाद और चार सौ पांच सौ करोड़ अतिरिक्त निवेश की उम्मीद है।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​  


राजनीतिक बढ़त के मामले में चाहे दीदी सबसे आगे हों, लेकिन बंगाल निवेशकों की प्राथमिकता में लगातार पिछड़ रहा है।पंचायतों में घासफूल से बंगाल को हरा हरा कर देने के बाद नये सिरे से गोरखालैंड आंदोलन और आमीर कान की स्त्यमेव जयते कामदुनि चुनौती के मध्य पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक दिन की यात्रा के लिए गुरुवार को मुंबई पहुंच गयीं। मुख्य रूप से बंगाल में उद्योग और कारोबार का माहौल बेहतर बनाने और उद्योग जगत की आस्था हासिल करके राज्य में निवेश के लिए उद्योगपतियों से संवाद करने के लिए उनकी यह  मुंबई यात्रा हैं। उनका कार्यक्रम दोपहर में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में शुरु हो गया। अब जाहिर है कि उनकी इस मुंबई कवायद पर सबकी नजर है।बंगाल में निवेश के लिए कहां कहां जमीन देना संभव है,उद्योगपतियों को यह बताने के लिए दीदी अपने साथ भूमि बैंक के सारे संबंधित दस्तावेज भी ले गयी हैं।


वाणिज्य मंत्रालय के सांप्रतिक रपट के मुताबिक चालू  वर्ष में जनवरी से जून तक पश्चिम बंगाल में सिर्फ 1,331 करोड़ का निवेश हुआ है जबकि महाराष्ट्र में इसी अवधि में 20,756 करोड रुपये का। महाराष्ट्र के बाद आंध्र में 4,434 करोड़, गुजरात में 3,926 करोड़ रुपये का निवेस हुआ।चौथे स्थान पर है कर्नाटक और पांचवें पर उत्तार प्रदेश। हालांकि केंद्रीय वाणिज्यमंत्रालय के आंकड़ों को खारिज करते हुए बंगाल के उद्योगमंत्री पार्त चटर्जी ने दावा किया है कि मां माटी मानुष की सरकार के सत्ता में आने पर बंगाल में 303 परियोजनाओं के लिए एक लाख 14 हजार करोड़ रुपये वा निवेश हो चुका है।उनके मुताबिक बाकी राज्य बंगाल से पीछे हैं। उन्हें मुंबई सम्मेलन के बाद और चार सौ पांच सौ करोढड़ अतिरिक्त निवेश की उम्मीद है।


मुंबई रवाना होने से पहले राइटर्स बिल्डिंग में उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि वह उद्योगपतियों से मिलने मुंबई जा रही हैं, जहां उनसे पश्चिम बंगाल में निवेश करने का आह्वान करेंगी। मुंबई देश की वित्तीय राजधानी है और इस दौरे का मुख्य उद्देश्य यहां निवेशकों को आमंत्रित करना है। उन्होंने कहा कि बंगाल में निवेश की संभावनाएं काफी अधिक हैं, इसलिए देश के अन्य शहरों को बंगाल के प्रति आकर्षित करना ही उनका पहला लक्ष्य है। राज्य में स्वास्थ्य, आइटी, निर्माण, उत्पादन, शिक्षा व पर्यटन सहित अन्य कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें निवेश की अपार संभावनाएं हैं।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ राज्य के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी, वित्त मंत्री अमित मित्र, आवास व युवा मामलों के मंत्री अरुप विश्वास और मुख्य सचिव संजय मित्र भी मुंबई के लिए रवाना हो गये।



हकीकत की जमीन बहुत कठिन है लेकिन।जिस महाराष्ट्र में दीदी निवेशकों को रिझाने पहुंची,वह बंगाल में हुए निवेश के मुकाबले पिछले जनवरी और जुलाई के दरम्यान करीब बीस गुणा ज्यादा निवेश हासिल कर चुका है और इस अवधि में निवेश के मामले में नरेंद्र मोदी के गुजरात को बेदखल करके वह अव्वल नंबर पर है।इस हिसाब से दीदी का कार्यभार पहुत बोझिल है क्योंकि निवेश के लिए वैश्विक परिस्थियां और समूचे देश में गिरती विकास दर के मद्देनजर निवेश की भारी समस्याएं हैं।भारतीय अर्थव्यवस्था के आठ बुनियादी ढांचागत उद्योगों के विकास की दर पिछले चार महीनों में न्यूनतन स्तर पर रही। जून 2013 में बुनियादी क्षेत्रों के विकास की दर 0.1 प्रतिशत कम होकर 7.8 फीसदी हो गयी जबकि पिछले वर्ष के जून माह में यह दर 7.9 फीसदी थी। बुनियादी क्षेत्रों से संबंधित आकड़े 31 जुलाई 2013 को जारी किये गये। बुनियादी क्षेत्रों के विकास की दर में कमी मुख्य रूप से कच्चे तेल की आपूर्ति में कमी, प्राकृतिक गैस, कोयले और विद्युत के उत्पादन में कमी के परिणामस्वरूप हुई। कोयले के उत्पादन में जून 2013 में पिछले वर्ष के मुकाबले 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी। खास तौर पर बंगाल में निवेश के लिए जमीन की गुत्थी अभीतक सुलझी नहीं है।जमीन अधिग्रहण संबंधी विवादों के चलते टाटा समूह के बाद जिंदल को बी बंगाल छोड़ना पड़ा है और तमाम परियोजनाओं और विकास के काम लंबित हैं।सेज विरोधी आंदोलन से बंगाल में मां माटी मानुष की सरकार बनी है जाहिर है कि सरकार और सत्तादल दोनों के तेवर अब भी सत्ताविरोधी है, जिसे उद्योग जगत बंगाल में बड़े निवेश के लिए बड़ा बाधक मानता है,जमीन समस्या के अलावा यह औद्योगीकीकरण और शहरीकरण के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट है।


इन दिनों दीदी अलग कारणों से चर्चा का विषय बनी है। उनहें राष्ट्रीय स्तर पर संभावित तीसरे मोर्चे के नेता के रूप में देखा जा रहा है। कहा जा रह है कि आगामी चुनाव में कांग्रेस-यूपीए या बीजेपी-एनडीए को उतनी सीटें मिलने की संभावना नहीं है जितनी (273) सरकार बनाने के लिए आवश्यक है। अत: तीसरे मोर्चे को ही सरकार बनाने का मौका मिल सकता है। यदि ऐसा हुआ तो ममता बनर्जी को सर्वमान्य नेता के रूप में देखा जा रहा है।उनके मुकाबले मुलायम सिंह एवं मायावती का नाम पीया है। यदि बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को लोकसभा में शानदार जीत मिली तो तीसरे मोर्चे में ममता की संभावना बढ़ेगी। याद रहे पश्चिम बंगाल में हाल में हुए नगरपालिकाओं के चुनाव में ममता को भारी सफलता मिली है।




राजनीतिक सफलता हासिल करने के बाद ममता ने अब एक और ज्यादा मुश्किल काम उनके हाथ में लिया है। अब तक बंगाल में औद्योगिक निवेश फीका रहा है और निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है।


सूत्रों के मुताबिक निवेशक सम्मेलन में जेएसडब्ल्यू स्टील के सीएमडी सज्जन जिंदल, आईटीसी के चेयरमैन वाईसी देवेश्वर, अंबुजा नेवतिया समूह के हर्ष नेवतिया, आईसीआईसीआई बैंक की चंदा कोछर आदि के शामिल होने की उम्मीद है। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव संजय मित्रा ने इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए औपचारिक तौर पर 65 उद्योगपतियों और 25 बैंकरों को आमंत्रित किया है। राज्य सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया है कि देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी भी इस सम्मेलन में हिस्सा ले सकते हैं। हालांकि रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रवक्ता ने अभी तक इस तरह की खबरों की पुष्टि नहीं की है।उल्लेखनीय है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एचपीएल) में पश्चिम बंगाल सरकार की हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई है और इसके लिए उसने अभिरुचि पत्र भी दाखिल किया है। वेदांत समूह के अनिल अग्रवाल भी एचपीएल में हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में शामिल हैं, लेकिन कंपनी की वार्षिक आम बैठक में हिस्सा लेने के लिए वह इस समय लंदन में हैं। ऐसे में आगामी निवेशक सम्मेलन में वह उपस्थित नहीं रहेंगे।






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