THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Friday, August 2, 2013

आसमान पे इबारत

आसमान पे इबारत


पाठक से ले कर पत्रकारों तक, प्रभाष जी से ले के जस्टिस काटजू तक पेड न्यूज़ और उस की वजह से सूचना और संचार माध्यमों के दुरूपयोग को कोसते रहे. मगर जिन्न भूत बन के बोतल से बाहर आया है. पत्रकारों की आत्मा कुछ जगने के बाद मालिकों को खरीदना भी मुश्किल होने लगा तो खरीदार अब खुद मालिक बन बैठे हैं. नामी नेताओं ने अब खुद की बेनामी कंपनियां खोल लीं. 

उन के चैनलों में बंधुआ मज़दूरी जैसी शर्तों वाले नियुक्ति पत्र या उस के भी बिना लोगों को काम पे रखा जा रहा है. रिपोर्टर वो हैं जिन्हें गधे पे ए की मात्रा लगानी नहीं आती और संपादक वो जिन का पत्रकारिता से कभी कोई लेना देना नहीं रहा. 

अपने मालिक को टिकट दिलाने से ले कर जितवाने और फिर जीत या हार के बाद चैनल बेच देने से आगे जिन की सोच न हो, उन्हें लगी लगाई नौकरियां छोड़ के आए कर्मचारियों के शोषण और फिर बेरोज़गार कर देने का हक़ क्या है? क्यों ऐसा लाज़िमी न हो कि प्रोबेशन किसी का जीवन में दोबारा नहीं होगा और अपना मकसद पूरा होने पे कोई दुकान बंद करेगा भी दो साल की तनख्वाह दे के जाएगा. 

मुझे पता है कि इस बेकारी, मंहगाई और मारामारी के दौर में ऐसे मीडिया मालिकों की ताकत से लड़ना आसान नहीं है. लेकिन मेरा मानना है कि मुश्किल भी नहीं है. मैंने तय किया है कि मैं लडूंगा. अकेले लड़ना पड़ा तो अकेला. बस मुझे आप का नैतिक समर्थन चाहिए. हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में याचिका मैं डालूंगा. जो खर्च होगा वो भी मैं करूंगा. मुझे उस में शामिल करने के लिए आप की आपत्तियां और सुझाव चाहिए. मुझे मेल करें phutelajm@gmail.com पे. 

आसमान पे इबारत तो अब हम लिख के मानेंगे....

 

-जगमोहन फुटेला

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