Thursday, August 1, 2013
Uday Prakash कल जे.एन.यू. के स्कूल आफ़ लैंग्वेजेज़ में हुए एक छात्रा और छात्र की दर्दनाक घटना को जान कर लगा कि क्या ये वही जे.एन.यू. अब रह गया है. उस समय जे.एन.यू. के वाइस चांसलर के.आर.नारायणन थे और मेरी नियुक्ति में उनकी प्रमुख भूमिका थी. फ़्रेंच भाषा के विभागाध्यक्ष डा. महाले, जो बाद में मणिपुर विश्वविद्यालय के वी.सी. बने, वे भी मुझे बहुत पसंद करते थे. कल अपने इंफाल के दोस्त और साथी कमल मित्र चिनाय को जे.एन.यू. की घटना पर टी.वी. पर बोलते हुए देखा तो पुराना समय याद आया. काश मैं 'हिंदी विभाग' में न रहा होता ..यह विचार बार-बार आता रहा।
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