फासीवाद हो बर्बाद, इंकलाब जिंदाबाद के जोशीले नारे के साथ मार्च की शुरुआत हुई। लेखक-बुद्धिजीवियों की हत्या क्यों, मोदी सरकार जवाब दो के नारे भी गूंजे। प्रतिरोध मार्च आरा रेलवे स्टेशन परिसर में पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया। सभा को संबोधित करते हुए प्रगतिशील लेखक संघ के राज्य महासचिव प्रो. रवींद्रनाथ राय ने कहा कि देश में हिटलरशाही चल रही है।........जलेस के राज्य अध्यक्ष डाॅ. नीरज सिंह का मानना है कि प्रो. कलबुर्गी, का. गोविंद पंसारे और डाॅ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्याएं लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।...जसम के राष्ट्रीय सहसचिव कवि जितेंद्र कुमार ने कहा कि प्रो. कलबुर्गी, का. पंसारे और डाॅ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्याएं एक पैटर्न पर की गई हैं। जसम के राष्ट्रीय पार्षद सुनील चौधरी ने कहा कि सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी ही नहीं, बल्कि आज जनता के सारे लोकतांत्रिक अधिकार भी खतरे में हैं। आइसा, बिहार की राज्य कार्यकारिणी सदस्य रचना ने कहा कि व्यक्ति की हत्या करके वे प्रगतिशील और विवेकवादी सोच की हत्या नहीं कर सकते। युवा कवि हरेराम सिंह ने धर्म की आड़ में चलने वाले शोषण-उत्पीड़न और भेदभाव के अतीत और वर्तमान का जिक्र किया।
सभा में मैंने प्रो. कलबुर्गी पर जसम के राष्ट्रीय महासचिव प्रणय कृष्ण के लेख के अंश भी पढ़े। जिसके अंत में उन्होंने कहा है की नए भारत की खोज के लिए शहीद हुए इन अग्रजों के उसूलों और विचारों को आम जनता के बीच रचनात्मक प्रयासों से लोकप्रिय बनाना ही वह कार्यभार है जो उस लोकजागरण के लिए जरूरी है जिस के लिए वे जीवन भर संघर्षरत रहे और जो भारत के भविष्य की एकमात्र आशा है। इस मौके पर वरिष्ठ आलोचक रामनिहाल गुंजन, जनपथ संपादक अनंत कुमार सिंह, शिक्षक नेता अखिलेश, धर्म कुमार, रामकुमार नीरज, शायर इम्तयाज दानिश, कवि अरुण शीतांश, सुमन कुमार सिंह, ओमप्रकाश मिश्र, सुनील श्रीवास्तव, संतोष श्रेयांस, कवि-चित्रकार रविशंकर सिंह, रंगकर्मी राजू रंजन, आशुतोष पांडेय, विजय मेहता, रंगकर्मी सूर्यप्रकाश, पत्रकार प्रशांत, वार्ड पार्षद गोपाल प्रसाद, दीनानाथ सिंह, बालमुकुंद चौधरी, दिलराज प्रीतम, आइसा के संदीप, राकेश कुमार, श्याम सुंदर, रंजन, राजू राम, विक्की, अनिल, सुशील यादव आदि मौजूद थे।http://revolutionary-bhojpur.blogspot.in/…/09/blog-post.html
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सभा में मैंने प्रो. कलबुर्गी पर जसम के राष्ट्रीय महासचिव प्रणय कृष्ण के लेख के अंश भी पढ़े। जिसके अंत में उन्होंने कहा है की नए भारत की खोज के लिए शहीद हुए इन अग्रजों के उसूलों और विचारों को आम जनता के बीच रचनात्मक प्रयासों से लोकप्रिय बनाना ही वह कार्यभार है जो उस लोकजागरण के लिए जरूरी है जिस के लिए वे जीवन भर संघर्षरत रहे और जो भारत के भविष्य की एकमात्र आशा है। इस मौके पर वरिष्ठ आलोचक रामनिहाल गुंजन, जनपथ संपादक अनंत कुमार सिंह, शिक्षक नेता अखिलेश, धर्म कुमार, रामकुमार नीरज, शायर इम्तयाज दानिश, कवि अरुण शीतांश, सुमन कुमार सिंह, ओमप्रकाश मिश्र, सुनील श्रीवास्तव, संतोष श्रेयांस, कवि-चित्रकार रविशंकर सिंह, रंगकर्मी राजू रंजन, आशुतोष पांडेय, विजय मेहता, रंगकर्मी सूर्यप्रकाश, पत्रकार प्रशांत, वार्ड पार्षद गोपाल प्रसाद, दीनानाथ सिंह, बालमुकुंद चौधरी, दिलराज प्रीतम, आइसा के संदीप, राकेश कुमार, श्याम सुंदर, रंजन, राजू राम, विक्की, अनिल, सुशील यादव आदि मौजूद थे।http://revolutionary-bhojpur.blogspot.in/…/09/blog-post.html
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