THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tuesday, March 15, 2016

जिन्हें भी यह निवेदन मतलब का लगे,उनके लिए! हस्तक्षेप के संचालन में छोटी राशि से सहयोग दें


जिन्हें भी यह निवेदन मतलब का लगे,उनके लिए!

हस्तक्षेप के संचालन में छोटी राशि से सहयोग दें

पलाश विश्वास
18 मई का शुभ मुहूर्तअब आने ही वाला है,जब मुझे वातानुकूलित पशेवर पत्रकारिता के 36 साल लंगे जीवन को अलविदा कहकर सीधे सड़क पर आना है।
अब उसकी तैयारियां जोरों पर हैं।
सेवानिवृत्ति से पहले भारत तीर्थ के दर्शन के लिए सविता के साथ आज दोपहर तीन बजे घर से निकल रहा हूं और वापसी का टिकट 28 का है।मोबाइल पर मैं लिखता नहीं हूं।कहीं किसी मित्र का पीसी मिला रास्ते में तो दुआ सलाम होगी वरना इस अवधि में आपकी नींद में मैं खलल नहीं डालुंगा।
आगे लंबी लड़ाई है।
बंगाल के साथियों ले संगठनात्मक पर हस्तक्षेप के साथ खडे होने का वादा किया है और हम इसे बांग्ला मे बहुत जल्दी कोलकाता से भी शुरु करेंगे।
महाराष्ट्र के साथियों से भी सकारात्मक जवाब मिला है और पंजाब से बड़ी उम्मीद है।
यही उ्मीद देश के बाकी हिस्सों से ,बाकी साथियों से है।
हम आपसे न्यूनतम सहयोग चाहते हैं ताकि लोकतंत्र बहाल रखने के लिए जनसुनवाई का सिलसिला हम हर भारतीय भाषा में शुरु कर सकें।
चूंक लगभग एक पखवाड़े तक हमारे कहे लिखे से आपको आराम है तो हम आपसे निवेदन करते हैं कि पे पाल के जरिये तुरंत आनलाइन अपना सबसक्रिप्शन हस्तक्षेप के लिए भेज दें।
The worst illiterate is the political illiterate, he doesn't hear, doesn't speak,

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Monday, March 14, 2016

स्टींग के झाग का इस फाग में कोई काम नहीं..सारारारा! सत्ता दल की बढ़त है।लेकिन कांग्रेस के समर्थन की बदौलत जो बहुत उसे मिलता रहा है,वह 45 फीसद भी नहीं है। बंगाल में अब कांग्रेस वामपक्ष के साथ है और वाम पक्ष का चरम दुर्दशा में भी वोट चालीस फीसद के आसपास है। एक के खिलाफ एक उम्मीदवार की रणनीति के तहत वाम कांग्रेस गठबंधन 45 फीसद से कम समर्थन से खिसक रहे सत्तादल के लिए सीधे मुकाबले मेंं बहुत बडी चुनौती है,जबकि भाजपा वोटों का सोलह फीसद का गुब्बारा पांच से शून्य तक पिचक जाने का नजारा है। बंगाल में सनसनी के विकल्प से शार्टकट में वापसी का रास्ता चुनने की भूल न करें विपक्ष तो बेहतर! बेहतर हो कि जिन मुद्दों को लेकर सत्ता बेनकाब है,जनगण के जीवन आजीविका के उन्हीं मुद्दों को लेकर राजनीतिक विमर्श में ही लौटें कामरेड! एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

स्टींग के झाग का इस फाग में कोई काम नहीं..सारारारा!

सत्ता दल की बढ़त है।लेकिन कांग्रेस के समर्थन की बदौलत जो बहुत उसे मिलता रहा है,वह 45 फीसद भी नहीं है।


बंगाल में अब कांग्रेस वामपक्ष के साथ है और वाम पक्ष का चरम दुर्दशा में भी वोट चालीस फीसद के आसपास है।


एक के खिलाफ एक उम्मीदवार की रणनीति के तहत वाम कांग्रेस गठबंधन 45 फीसद से कम समर्थन से खिसक रहे सत्तादल के लिए सीधे मुकाबले मेंं बहुत बडी चुनौती है,जबकि भाजपा वोटों का सोलह फीसद का गुब्बारा पांच से शून्य तक पिचक जाने का नजारा है।


बंगाल में सनसनी के विकल्प से शार्टकट में वापसी का रास्ता चुनने की भूल न करें विपक्ष तो बेहतर!


बेहतर हो कि जिन मुद्दों को लेकर सत्ता बेनकाब है,जनगण के जीवन आजीविका के  उन्हीं मुद्दों को लेकर राजनीतिक विमर्श में ही लौटें कामरेड!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास



चिटफंड घोटाले में खुद मुख्यमंत्री कटघरे में हैं।पक्ष विपक्ष के तमाम दिग्गज आरोपो के घेरे में हैं।लाखों लोगों का फूल सर्वनाश हो गया है।अनेक गिरफ्तारियां हुई हैं और अनेक आदरणीय जेल की सलाखों के पीछे हैं।रोज खबरें बनती हैं और खूब चलती है।


सीबीआई और तमाम केंद्रीयएजंसियां वर्षों से अभियुक्तों की पड़ताल कर रही हैं।


न लोगों को अपना पैसा वापस मिला न मिलने के आसार हैं।


राजनीतिक समीकरण कभी कटु,कभी अम्ल और कभी मधुर हानीमून या फिर वसंत बहार है।


कुल मिलाकर मामला रफा दफा है।इससे बड़ी बात किसी भी चुनाव में बड़ा मुद्दा बनते रहने के बावजूद इसका असर हुआ नहीं है।


ऐन चुनाव के मौके पर अज्ञात कुलशील नारद महिमा से स्टिंग आपरेशन एक हुआ है,जिसमें बीस लाख तक की रकम की लेनदेन अनेक आदरणीय चेहरों के मुखारविंद से नत्थी है,जो अदालत में सबूत बन पायेंगे,इसका शक है।


चुनाव नतीजे आने तक इस स्टिंग की साख को झूठ या सच साबित करने की संभावना नहीं है।


बंगाल में पांव धरने की जमीन कखने में नाकामयाब बजरंगियों के लिए भागते बूत की यह लंगोट बहुत काम की चीज है और वे चुनाव निबटने तक और उसके बाद कमल की खेती में इस स्टिंग को राष्ट्रवाद की चाशनी में डालकर स्वादिष्ट खाद बनाते रहेंगे,लेकिन इसके जायके में बंगाल की जनता की शायद ही कोई दिलचस्पी हो।



हस्तक्षेप में जगदीश्वर चतुर्वेदी ने सही कहा है कि बंगाल में मौजूदा संकट राजनीतिक विमर्श की अनुपस्थिति है,जो बाकी देश के लिए बी ज्वलंत सच है।


सनसनी बदलाव की पूंजी नही होती।

शीतल पेय की बोतल की झाग की तरह सनसनी उबलती जरुर है,पर उसका असर नहीं होता।

बंगाल की राजनीति निर्णायक दौर में है।


ऊपरी तौर पर सत्ता दल की बढ़त है।लेकिन कांग्रेस के समर्थन की बदौलत जो बहुत उसे मिलता रहा है,वह 45 फीसद भी नहीं है।


अब कांग्रेस वामपक्ष के साथ हैऔर वाम पक्ष का चरम दुर्दशा में भी वोट चालीस फीसद के आसपास है।


एक के खिलाफ एक उम्मीदवार की रणनीति के तहत वाम कांग्रेस गठबंधन 45 फीसद से कम समर्थन से खिसक रहे सत्तादल के लिए सीधे मुकाबले मेंं बहुत बडी चुनौती है,जबकि भाजपा वोटों का सोलह फीसद का गुब्बारा पांच से शून्य तक पिचक जाने का नजारा है।


ऐसे हालात में सनसनी के विकल्प से शार्टकट में वापसी का रास्ता चुनने की भूल न करें विपक्ष तो बेहतर।


बेहतर हो कि जिन मुद्दों को लेकर सत्ता बेनकाब है,जनगण के जीवन आजीविका के  उन्हीं मुद्दों को लेकर राजनीतिक विमर्श में ही लौटें कामरेड।


अगर केंद्र और राज्यसर्कार की मिलीभगत न हो और बंगाल में तैनात केंद्रीयवाहिनी निष्पक्ष मतदान और स्वतंत्र मताधिकार सुनिश्चित कर दें,तो राज्य सरकार की उपलब्धियों के आधार पर ही जनादेश बनेगा,जो लोकतंत्र का तकाजा भी है।

संदर्भःपश्चिम बंगाल में चुनाव में कुछ दिन बचे है और अभी से तृणमूल कांग्रेस के नेता स्टिंग ऑपरेशन में फंसने लगे है, एक-दो नहीं बल्कि कुल 12 नेता इस स्टिंग में फंसे है।


इन नेताओं पर आरोप है कि चेन्नई की एक कंपनी को बंगाल में बिजनेस सेट अप करने के लिए इन नेताओं ने 4 लाख से 50 लाख रुपए तक नकदी के रुप में लिए है। हांलाकि स्टिंग पर तृणमूल का कहना है कि यह उनके खिलाफ साजिश है।


दूसरी ओर बीजेपी ने ममता बनर्जी से इस्तीफा मांगा है।


कैमरे में टीएमसी के मंत्री, विधायक व सांसद तक पैसे लेते दिख रहे है। एक न्यूज चैनल ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस स्टिंग का खुलासा किया, जिस कंपनी से पैसे लिए गए है, उसका नाम इंपेक्स कंसल्टेंसी है। एक न्यूज पोर्टल के पत्रकार टीएमसी नेताओं को पैसे ऑफर कर रहे है।


कहा जा रहा है कि 2014-16 के बीच हुए इस स्टिंग के दौरान वेबसाइट ने कुल 1 करोड़ रुपए टीएमसी नेताओं को दिए है। इससे ममता सरकार पर दबाव बढ़ गया है। विपक्ष मिलकर ममता पर हमले कर रही है।


सीपीएम का कहना है कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। तृणमूल का कहना है कि ये वीडियो डॉक्टर्ड है।


तृणमूल के सांसद डेरेक ओब्रायन का कहना है कि राजनीतिक पार्टियां हमें बदनाम करने के लिए ओछे तरीके अपना रही है। तृणमूल वेबसाइट के किलाफ भी मानहानि का केस करेगी



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राजीव नयन बहुगुणा उवाच,उनके फेसबुक वाल से साभार धिक् नराधम --------------- प्रागैतिहासिक काल के आख्यानों में युयुत्सु शासक अपनी जीत का डंका बजाने के लिए घोड़े की बलि देते थे । इसे अश्व मेध यज्ञ कहा जाता था । आज देहरादून में उत्तराखण्ड के एक माननीय विधायक ने यह वेद विहित रस्म साकार कर दी । मनुष्य की मूक हय से यह कैसी प्रतिद्वन्द्विता । यह क्रूरता का जुगुप्सु सार्वजनिक विस्फोट ! धत्तेरे की । अय हिंसक पशु तुल्य , तू तो गधे से भी न्यून निकला ।


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राजीव नयन बहुगुणा उवाच,उनके फेसबुक वाल से साभार

धिक् नराधम 
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प्रागैतिहासिक काल के आख्यानों में युयुत्सु शासक अपनी जीत का डंका बजाने के लिए घोड़े की बलि देते थे । इसे अश्व मेध यज्ञ कहा जाता था । आज देहरादून में उत्तराखण्ड के एक माननीय विधायक ने यह वेद विहित रस्म साकार कर दी । मनुष्य की मूक हय से यह कैसी प्रतिद्वन्द्विता । यह क्रूरता का जुगुप्सु सार्वजनिक विस्फोट ! धत्तेरे की । अय हिंसक पशु तुल्य , तू तो गधे से भी न्यून निकला ।


अपने वस्त्र विन्यास में परिवर्तन के संघ निर्णय को एक अच्छे संकेत के रूप में देखना चाहिए । यद्यपि पहले उनकी ड्रेस अंग्रेजों के अर्दलियों जैसी थी , और अब प्रस्तावित ड्रेस सिक्योरटी गार्ड जैसी है । आशा की जानी चाहिए , कि उनमें स्वयं के आचार व्यवहार के प्रति प्रायश्चित का भाव जाग रहा है , तथा वे अलगाव और हिंसा का मार्ग छोड़ , राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल होना चाहते हैं । यदि सचमुच ऐसा है , तो इसका करतल ध्वनि से स्वागत होना चाहिए । उन्हें गांधी , कार्ल मार्क्स , भगत सिंह , टॉलस्टॉय एवं मैक्सिम गोर्की इत्यादि का राजनैतिक साहित्य उपलब्ध कराया जाना चाहिए , तथा इतिहास , भूगोल , विज्ञान आदि की बुनियादी शिक्षा दी जानी चाहिए , ताकि उन्हें शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो सके ।

स्वयं को अच्छी तरह धुल चुकने के बाद वही बचा खुचा पानी हमारी ओर ढोल देता है आकाश . गनीमत यही है की नहाते धोते समय साबुन का इस्तेमाल नहीं करता . वरना हम कैसे पीते साबुन मिला पानी . हमारे अनाजों में भी तब साबुन की गंध आती ...


दिल्ली में उत्तराखंड प्रवासियों के सारे धरना - प्रदर्शन जन्तर मन्तर पर रविवार को ही क्यों होते हैं ? क्या किसी जोतखी ने बताया है ? सन्डे को 12 बजे के आसपास घर से खाना खा कर वहां भूख हड़ताल पर जा बैठते हो । फिर 4 बजे के आसपास इंडिया गेट पर आइसक्रीम कुल्फी खाकर अपनी भूख हड़ताल पिकनिक मनाते हुए तोड़ते हो। मत किया करो हर हफ्ते ऐसी भूख हड़ताल , कमज़ोर हो जाओगे । अन्यथा कभी कार्यदिवस पर भी बैठो जंतरमंतर ।


जो भी जोगटा जटा जूट डाई से रंगता है , मेक अप करता है , हज़ारों लाखों का मज़मा जुटा कर योग , ध्यान और साधना का प्रपञ्च रचता है , टी वी चैनलों को दारू और पैसा पिला कर अपना ढिंढोरा करवाता है , वह पाषंडी , धूर्त , कामी और लोभी है यह ठीक से समझ लो । इस श्रेणी में अब तक पिछली सदी का रजनीश चन्द्र मोहन जैन उर्फ़ ओशो अव्वल है , जिसके अगणित बुद्धि और धन सम्पन्न भक्त थे , और हैं । उनकी बुद्धि और धन दोनों का हरण कर वह ऐश उड़ाता था । वह एक तार्किक , बौद्धिक , अध्य्यन शील और आधुनिक दृष्टि वाला मायावी था , जिसने लोक मनोविज्ञान का खूब दोहन किया । विवादास्पद उलट बाँसियां कह कर धन , यश और दारा को भोगने की उसे लत पड़ गयी थी , लेकिन भारत और अन्यत्र भी चमत्कार की बजाय आचरण की ही सदैव पूजा होती रही है , इस तथ्य को जान कर भी वह अनजान बना रहा । गांधी की जम कर खिल्ली उड़ाता और तालियां बटोरता था । लेकिन गांधी और उसका भेद अंततः तब सामने आ गया , जब वह कई साल दमा और पीठ दर्द से तड़प कर बिस्तर पर मरा , जबकि गांधी राम नाम जपता हुआ रण भूमि में । दमे और पीठ दर्द ने उसके तमाम आत्म ज्ञान की ऐसी तैसी कर दी । कुल मिला कर उसकी चटोरी और तड़कती फड़कती बातें सलीम जावेद के लेबल की थी , जिनमे आचरण का कोई समावेश न था । ( जारी )


हर हाल में बना रहे फूलों और हरियाली का साथ





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Read Hastakshep to be updated with Politics and economics!बंगाल – दो इंच का भी फर्क नहीं हार-जीत में


दो इंच का फर्क भी नहीं है हार और जीत में

फिर भी बंगाल में ममता के मुकाबले विपक्ष की चुनौतियां कम नहीं!

अल्पसंख्यकों के वोटों के जरिये या बहुसंख्यकों के हिंदुत्वीकरण से बंगाल के चुनाव परिणामों पर कुछ ज्यादा असर अबकी दफा होने के आसार नहीं

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


Why should I raise slogan to prove my loyalty: Owaisi

Why should I raise slogan to prove my loyalty: Owaisi New Delhi, Mar 14 (ANI): All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen party (AIMIM) chief Asaduddin Owaisi, who had drawn flak for saying that he won't chant 'Bharat Mata Ki Jai' slogan,  on Monday clarified his stance, asking as to why he should raise the slogan to prove […]

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