THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, March 14, 2016

स्टींग के झाग का इस फाग में कोई काम नहीं..सारारारा! सत्ता दल की बढ़त है।लेकिन कांग्रेस के समर्थन की बदौलत जो बहुत उसे मिलता रहा है,वह 45 फीसद भी नहीं है। बंगाल में अब कांग्रेस वामपक्ष के साथ है और वाम पक्ष का चरम दुर्दशा में भी वोट चालीस फीसद के आसपास है। एक के खिलाफ एक उम्मीदवार की रणनीति के तहत वाम कांग्रेस गठबंधन 45 फीसद से कम समर्थन से खिसक रहे सत्तादल के लिए सीधे मुकाबले मेंं बहुत बडी चुनौती है,जबकि भाजपा वोटों का सोलह फीसद का गुब्बारा पांच से शून्य तक पिचक जाने का नजारा है। बंगाल में सनसनी के विकल्प से शार्टकट में वापसी का रास्ता चुनने की भूल न करें विपक्ष तो बेहतर! बेहतर हो कि जिन मुद्दों को लेकर सत्ता बेनकाब है,जनगण के जीवन आजीविका के उन्हीं मुद्दों को लेकर राजनीतिक विमर्श में ही लौटें कामरेड! एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

स्टींग के झाग का इस फाग में कोई काम नहीं..सारारारा!

सत्ता दल की बढ़त है।लेकिन कांग्रेस के समर्थन की बदौलत जो बहुत उसे मिलता रहा है,वह 45 फीसद भी नहीं है।


बंगाल में अब कांग्रेस वामपक्ष के साथ है और वाम पक्ष का चरम दुर्दशा में भी वोट चालीस फीसद के आसपास है।


एक के खिलाफ एक उम्मीदवार की रणनीति के तहत वाम कांग्रेस गठबंधन 45 फीसद से कम समर्थन से खिसक रहे सत्तादल के लिए सीधे मुकाबले मेंं बहुत बडी चुनौती है,जबकि भाजपा वोटों का सोलह फीसद का गुब्बारा पांच से शून्य तक पिचक जाने का नजारा है।


बंगाल में सनसनी के विकल्प से शार्टकट में वापसी का रास्ता चुनने की भूल न करें विपक्ष तो बेहतर!


बेहतर हो कि जिन मुद्दों को लेकर सत्ता बेनकाब है,जनगण के जीवन आजीविका के  उन्हीं मुद्दों को लेकर राजनीतिक विमर्श में ही लौटें कामरेड!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास



चिटफंड घोटाले में खुद मुख्यमंत्री कटघरे में हैं।पक्ष विपक्ष के तमाम दिग्गज आरोपो के घेरे में हैं।लाखों लोगों का फूल सर्वनाश हो गया है।अनेक गिरफ्तारियां हुई हैं और अनेक आदरणीय जेल की सलाखों के पीछे हैं।रोज खबरें बनती हैं और खूब चलती है।


सीबीआई और तमाम केंद्रीयएजंसियां वर्षों से अभियुक्तों की पड़ताल कर रही हैं।


न लोगों को अपना पैसा वापस मिला न मिलने के आसार हैं।


राजनीतिक समीकरण कभी कटु,कभी अम्ल और कभी मधुर हानीमून या फिर वसंत बहार है।


कुल मिलाकर मामला रफा दफा है।इससे बड़ी बात किसी भी चुनाव में बड़ा मुद्दा बनते रहने के बावजूद इसका असर हुआ नहीं है।


ऐन चुनाव के मौके पर अज्ञात कुलशील नारद महिमा से स्टिंग आपरेशन एक हुआ है,जिसमें बीस लाख तक की रकम की लेनदेन अनेक आदरणीय चेहरों के मुखारविंद से नत्थी है,जो अदालत में सबूत बन पायेंगे,इसका शक है।


चुनाव नतीजे आने तक इस स्टिंग की साख को झूठ या सच साबित करने की संभावना नहीं है।


बंगाल में पांव धरने की जमीन कखने में नाकामयाब बजरंगियों के लिए भागते बूत की यह लंगोट बहुत काम की चीज है और वे चुनाव निबटने तक और उसके बाद कमल की खेती में इस स्टिंग को राष्ट्रवाद की चाशनी में डालकर स्वादिष्ट खाद बनाते रहेंगे,लेकिन इसके जायके में बंगाल की जनता की शायद ही कोई दिलचस्पी हो।



हस्तक्षेप में जगदीश्वर चतुर्वेदी ने सही कहा है कि बंगाल में मौजूदा संकट राजनीतिक विमर्श की अनुपस्थिति है,जो बाकी देश के लिए बी ज्वलंत सच है।


सनसनी बदलाव की पूंजी नही होती।

शीतल पेय की बोतल की झाग की तरह सनसनी उबलती जरुर है,पर उसका असर नहीं होता।

बंगाल की राजनीति निर्णायक दौर में है।


ऊपरी तौर पर सत्ता दल की बढ़त है।लेकिन कांग्रेस के समर्थन की बदौलत जो बहुत उसे मिलता रहा है,वह 45 फीसद भी नहीं है।


अब कांग्रेस वामपक्ष के साथ हैऔर वाम पक्ष का चरम दुर्दशा में भी वोट चालीस फीसद के आसपास है।


एक के खिलाफ एक उम्मीदवार की रणनीति के तहत वाम कांग्रेस गठबंधन 45 फीसद से कम समर्थन से खिसक रहे सत्तादल के लिए सीधे मुकाबले मेंं बहुत बडी चुनौती है,जबकि भाजपा वोटों का सोलह फीसद का गुब्बारा पांच से शून्य तक पिचक जाने का नजारा है।


ऐसे हालात में सनसनी के विकल्प से शार्टकट में वापसी का रास्ता चुनने की भूल न करें विपक्ष तो बेहतर।


बेहतर हो कि जिन मुद्दों को लेकर सत्ता बेनकाब है,जनगण के जीवन आजीविका के  उन्हीं मुद्दों को लेकर राजनीतिक विमर्श में ही लौटें कामरेड।


अगर केंद्र और राज्यसर्कार की मिलीभगत न हो और बंगाल में तैनात केंद्रीयवाहिनी निष्पक्ष मतदान और स्वतंत्र मताधिकार सुनिश्चित कर दें,तो राज्य सरकार की उपलब्धियों के आधार पर ही जनादेश बनेगा,जो लोकतंत्र का तकाजा भी है।

संदर्भःपश्चिम बंगाल में चुनाव में कुछ दिन बचे है और अभी से तृणमूल कांग्रेस के नेता स्टिंग ऑपरेशन में फंसने लगे है, एक-दो नहीं बल्कि कुल 12 नेता इस स्टिंग में फंसे है।


इन नेताओं पर आरोप है कि चेन्नई की एक कंपनी को बंगाल में बिजनेस सेट अप करने के लिए इन नेताओं ने 4 लाख से 50 लाख रुपए तक नकदी के रुप में लिए है। हांलाकि स्टिंग पर तृणमूल का कहना है कि यह उनके खिलाफ साजिश है।


दूसरी ओर बीजेपी ने ममता बनर्जी से इस्तीफा मांगा है।


कैमरे में टीएमसी के मंत्री, विधायक व सांसद तक पैसे लेते दिख रहे है। एक न्यूज चैनल ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस स्टिंग का खुलासा किया, जिस कंपनी से पैसे लिए गए है, उसका नाम इंपेक्स कंसल्टेंसी है। एक न्यूज पोर्टल के पत्रकार टीएमसी नेताओं को पैसे ऑफर कर रहे है।


कहा जा रहा है कि 2014-16 के बीच हुए इस स्टिंग के दौरान वेबसाइट ने कुल 1 करोड़ रुपए टीएमसी नेताओं को दिए है। इससे ममता सरकार पर दबाव बढ़ गया है। विपक्ष मिलकर ममता पर हमले कर रही है।


सीपीएम का कहना है कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। तृणमूल का कहना है कि ये वीडियो डॉक्टर्ड है।


तृणमूल के सांसद डेरेक ओब्रायन का कहना है कि राजनीतिक पार्टियां हमें बदनाम करने के लिए ओछे तरीके अपना रही है। तृणमूल वेबसाइट के किलाफ भी मानहानि का केस करेगी



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