पीड़ितों ने सुनाई व्यथा, बासागुड़ा मुठभेड़ मारे गये आदिवासी नहीं थे माओवादी
घटना स्थल से लौट कर देवशरण तिवारी
सभी ग्रामीण परम्परागत पण्डूम त्यौहार के लिए गांव के बीचो-बीच एकत्रित हुए थे जहां खेती किसानी को लेकर चर्चा हो रही थी. इसी बीच बिना कुछ कहे सुरक्षा बलों ने अंधाधुंध फायरिंग की. कुछ ने तो मौके पर ही दम तोड़ दिया कुछ बड़ी मुश्किल से जान बचाकर भागे...
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के बासागुड़ा में 29 -30 जून की रात हुई कथित तौर पर नक्सलियों से मुठभेड़ की पुलिसिया कहानी पीड़ित ग्रामीणों के बयान से विपरीत है. बासागुड़ा के सारकेगुड़ा, कोत्तागुड़ा और राजपेटा के ग्रामीणों पर शुक्रवार की रात सीआरपीएफ के जवानों ने चारों तरफ से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग की इस घटना में 17 लोगों की मौत हो गई, इनमें से 9 नाबालिग भी थे.
देशबन्धु संवाददाताओं ने घटनास्थल का दौरा कर ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया कि सभी ग्रामीण परम्परागत पण्डूम त्यौहार के लिए गांव के बीचो-बीच एकत्रित हुए थे जहां खेती किसानी को लेकर चर्चा हो रही थी. इसी बीच बिना कुछ कहे सुरक्षा बलों ने अंधाधुंध फायरिंग की. कुछ ने तो मौके पर ही दम तोड़ दिया कुछ बड़ी मुश्किल से जान बचाकर भागे. ग्रामीणों के अनुसार रात भर फोर्स ने एक-एक घर की तलाशी ली. एक युवक रमेश को सुबह 6 बजे उसके घर में घुसकर मार डाला. कई महिलाओं के साथ बलात्कार की भी कोशिश की गई.
सारकेगुड़ा के 5, कोत्तागुड़ा के 9 और राजपेटा के 3 ग्रामीण इस भयानक घटना के शिकार हुए है. सलवा जुडूम के बाद यह इलाका पूरी तरह से खाली हो चुका था. अभी डेढ़ वर्ष पहले ही यहां के ग्रामीण वापस लौट कर इस गांव को दोबारा बसाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन सुरक्षा बलों ने इसे फिर इतनी बुरी तरह उजाड़ दिया है कि गांव में सिर्फ पांच युवक जीवित बचे, जिन्होंने 16 लोगों का अंतिम संस्कार किया.
इनमें से हिरपा गांधी के शव को पाने के लिए उसकी पत्नी जानकी चिखती चिल्लाती रही परंतु उसके पति की लाश भी उसे नहीं मिल सकी. उसकी लाश को बासागुड़ा थाने के पास पुलिस द्वारा दफना दिया गया. जानकी ने बताया कि उसके चार छोटे-छोटे बच्चे है और अब उनके परिवार को सहारा देने वाला कोई नहीं है.
मृतक रामन की बहन चन्द्रकला, मां सिन्नका उसकी पत्नी सोमली और उसकी भाभी ममता ने बताया कि उनका परिवार खेती और वनोपज के सहारे जीवन-यापन कर रहा है. उन्होंने बताया कि रामन के गले में गोली लगी थी और मौके पर ही उसकी मौत हो गयी. रात भर सुरक्षा जवान उनके घरों के आस-पास उत्पात मचाते रहे. जबरदस्ती उनके घरों में घुसना चाहते थे विरोध करने पर गोली मार देने की धमकी दे रहे थे. तब से अब तक यह महिलाएं अपने घरों में दुबकी हुई थीं.
सुकराम ने बताया कि अबका मेटु उनका इकलौता बेटा था जिसे फोर्स ने मौत के घाट उतार दिया. मृतक कोरसा बिचेम की चाची मंगली ने बताया कि कोरसा के मां बाप नहीं है. उन्होंने ही बचपन से इसे पाला था उनका कहना है कि कोरसा का दूर-दूर तक नक्सलियों से कोई लेना देना नहीं है.
मंगली का एक मात्र सहारा भी उससे छिन चुका है. मृतक कुंजाम माला की बुआ कुंजाम नागी के बयान भी मंगली की बयान की तरह है. घटना के चश्मदीद हेमला देवा के कंधे पर गोलियों के हल्के निशान है वह अपनी जान बचाने में कामयाब रहा. उसका कहना है कि यहां सिर्फ ग्रामीण बैठे थे जिन पर चारो तरफ से गोलियां चलाई गई, बाद में घरों से निकाल-निकाल कर ग्रामीणों को मारा गया.
इस घटना में मारे गये इरपानारायण की पत्नी इरपा नरसी ने बताया कि घटना के बाद जवानों ने उसके घर में घूस कर उसकी पेटी से 30 हजार रूपये निकाल लिए विरोध करने पर उसे भी बेरहमी से पीटा गया. गांव की सबसे अधिक शिक्षित युवती का नाम अनिता मड़काम है उसने बताया कि वह 12वीं पास है उसका चाचा मड़काम सोमा अस्पताल में भर्ती है और पुलिस उसे नक्सली बता रही है मड़काम को पहले ही एक फर्जी मामले में फंसाकर जेल भेज दिया गया था. जेल से निकल कर उसने शादी की और अब उसके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं. अनिता ने बताया कि सभी महिलायें रातभर घरों में छुप कर सुरक्षा बलों की वहशी हरकतों को देख रहीं थीं. पानी के लिए तरसते घायलों को पानी तक पिलाने नहीं दिया गया.
मारे गए दो ग्रामीण थे: कंवर
बीजापुर के बासागुड़ा में नक्सली-पुलिस मुठभेड़ के उपरांत उपजे विवाद के बाद कांग्रेस-भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है. कांग्रेस विधायक कवासी लखमा और आदिवासी महासभा के अध्यक्ष मनीष कुंजाम के बयान पर टिप्पणी करते हुए प्रदेश के गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने आज देशबन्धु प्रतिनिधि से चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने आज वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को तलब कर घटना की जानकारी ली.
श्री कंवर ने कहा कि यह तथ्य सामने आया है कि मारे गए दो लोग ग्रामीण है, जिसमें 1 महिला एवं एक 15 वर्षीय किशोर शामिल है वहीं एक बच्चे को गोली लगने की खबर है. श्री कंवर ने कहा कि तहशत एवं दबाव में ग्रामीण नक्सलियों का साथ दे रहे हैं और नक्सली इसका फायदा उठा रहे है. घटना दिनांक को नक्सलियों ने ग्रामीणों को सुरक्षा कवच के रुप में इस्तेमाल कर भागने का प्रयास किया और पहले गश्ती दल पर फायरिंग की जिसके बाद सुरक्षा बल ने जवाबी फायरिंग की जिसमें उनकी मौत हुई.
मनीष कुंजाम पर प्रहार करते हुए श्री कंवर ने कहा कि श्री कुंजाम कम्युनिस्ट है वहीं श्री लखमा के संबंध में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से राय सरकार नक्सल ऑपरेशन चला रही है अगर कांग्रेस को इस पर आपत्ति हैं तो केंद्र सरकार को सहयोग देने से मना करे. अगर नक्सलियों का साथ ग्रामीण देंगे तो मुठभेड़ में उनके हताहत होने की आशंका है उक्त घटना इसी की परिणीती है. कांग्रेस और मनीष कुंजाम नक्सलियों का साथ देना बंद करे ताकि प्रदेश से नक्सली समस्या का सफाया हो सके.
गृहमंत्री श्री कंवर ने कहा कि राय सरकार ने आदिवासियों एवं ग्रामीणों को नक्सली भय से मुक्त कराने कैंप लगाया है जहां उनके खाने-पीने की व्यवस्था सहित अन्य सुविधाएं दी जा रही है. ग्रामीण कैंपों में आकर रहे ताकि वे सुरक्षित रहे. सरकार सभी ग्रामीणों के लिए कैंपों में सुरक्षा उपलब्ध कराने वचनबध्द है. उन्होंने कहा कि नक्सली चिन्हित है. मारे गए नक्सलियों में एक जेल ब्रेक का आरोपी है वहीं बाकी कोर ग्रुप के सदस्य है.
गृहमंत्री का बयान शर्मनाक : मनीष कुंजाम
घटना की जांच करने बनी कांग्रेस पार्टी की पांच सदस्यीय टीम घटनास्थल पर पहुंची. कमेटी के अध्यक्ष व विधायक कवासी लखमा ने प्रभावित ग्रामीणों से चर्चा करने के बाद पत्रकारों से कहा कि यह सीधे-सीधे निरीह आदिवासियों की नृशंस हत्या है. ऐसा ही चलता रहा तो बस्तर से आदिवासियों का नामो निशान मिट जाएगा. इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जायेगी.
अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के अध्यक्ष मनीष कुंजाम भी घटनास्थल पहुंचे उन्होंने पत्रकारों को बताया कि मुठभेड़ में मारे गए लोग निर्दोष ग्रामीण हैं. सीपीआई के नेता मनीष कुंजाम ने घटना स्थल पर पहुंचकर मृतकों के परिजनों से मुलाकात की. श्री कुंजाम ने देशबन्धु को बताया कि वे आदिवासियों के लाश पर कोई राजनीति नहीं करना चाहते. प्रदेश के गृहमंत्री का बयान वास्तविकता से कोसो दूर है. यहां मारे गये सभी ग्रामीण अपने परिवारों के साथ यहां रह रहे थे जिन्हें नक्सलवादी कहकर पुलिस और सीआरपीएफ अपनी गलती को छिपाना चाहते हैं. उन्होंने भी सीबीआई से पूरे मामले की जांच कराये जाने की बात कही है.
(देशबंधु से साभार. यह रिपोर्ट 2 जुलाई को प्रकाशित हुई थी.)
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