THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Thursday, May 23, 2013

कोयला आपूर्ति के बाद अब शेल गैस ब्लाकों की नीलामी रोकने के दावे को लेकर कोल इंडिया विवाद में!

कोयला आपूर्ति के बाद अब शेल गैस ब्लाकों की नीलामी रोकने के दावे  को लेकर कोल इंडिया विवाद में!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


दामोदर बेसिन, बंगाल बेसिन और असम-अराकन बेसिन में शेल गैस का विशाल भंडार मौजूद है, जो वैकल्पिक ईंधन के रुप में देश को ऊर्जा संकट से निकाल सकता है। लेकिन इस शेल गैस भंडार का बड़ा हिस्सा बंगाल में है, जहां ओएनजीसी के जमीन न मिलन की वजह से कुआं शेल गैस अनुसंधान के लिए कुआं खोदना मुश्किल हो रहा है जिससे यह परियोजना अभी खटाई में है। अब ताजा विवाद कोलइंडिया के इस दावे के साथ शुरु हो गया है कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) सरकार को अपने कमांड एरिया में शेल गैस ब्लॉक की नीलामी नहीं करने देगी।अमेरिका में शेल ऑयल एंड गैस के उत्पादन का असर कच्चे तेल और ब्रेंट क्रूड पर दिखने लगा है।अमेरिका ने भारत में ईधन की किल्लत को देखते हुए शेल गैस निर्यात का रास्ता साफ कर दिया है। अमेरिकी सरकार ने ऐसे देशों को तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के निर्यात की मंजूरी दी है, जिनके साथ अमेरिका का मुक्त व्यापार समझौता नहीं है। भारत के लिए यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है।  


कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन एस नरसिंह राव ने  कहा, 'हमने अपने कमांड एरिया में शेल गैस एक्सप्लोर करने और एक्सट्रैक्ट करने का फैसला किया है। हम इसे अपने लेवल पर या जॉइंट वेंचर बनाकर करेंगे। हम नहीं चाहते कि सरकार नीलामी के जरिए तीसरे पक्ष को ये ब्लॉक दे। सीआईएल कोल मिनिस्ट्री के संपर्क में है। वह अपने कमांड एरिया में आने वाले किसी भी ब्लॉक के सरकार की तरफ से नीलामी किए जाने का विरोध करेगी।'


निरपेक्ष तौर पर देखा जाये तो कोलइंडिया के इस दावे में दम है। शेल गैस भंडार से कोलइंडिया की माली हालत काफी सुधर सकती है। लेकिन अभी कोल इंडिया को इसकी कोई इजाजत नहीं मिली है। कोयला ब्लाकों की तरह शेल गैस ब्लाकों की नीलामी भी भारत सरकार अपने ही तरह से करेगी। बेकार में सार्वजनिक क्षेत्र के दो प्रतिष्ठान आपस में लड़ने लगे हैं। इससे पहले कोयला आपूर्ति को लेकर सरकारी प्रतिष्ठानों सेल और एनटीपीसी से पंगा लिया कोलइंडिया ने, लेकिन इससे तीनों कंपनियों को कोई फायदा नहीं हुआ। मलाई उड़ा लिया निजी कंपनियों ने राजनीतिक हस्तक्षेप से। शेल गैस भंडार की बंदरबाट से भी ओएनजीसी और कोलइंडिया के हितों की रक्षा मुश्किल है। इस सिलसिले में संबंधित राज्य सरकारें अगर राजनीतिक पहल करें तो जरुर कुछ हो सकता है।


दूसरी ओर, राज्य के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने दुर्गापुर में एस्सार आयल की ओर से खोले गये सर्वभारतीय सीबीएम एवं अनकन्विंशनल रिर्सोस सेंटर का उद्घाटन किया।उन्होंने कहा कि दुर्गापुर-आसनसोल में उद्योग की अपार संभावनाएं है। यहां का गौरवशाली इतिहास रहा है। लेकिन पिछले 35 वर्षो में छोटे-बड़े कारखानों को आंदोलन के नाम पर बंदकर शिल्पांचल को श्मशान बना दिया गया। हमलोग इसे पुर्नजीवित करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उद्योग लगाने के लिये 261 आवेदन आये हैं। जिनके माध्यम से 1.12 लाख करोड़ रुपये निवेश का प्रस्ताव है।


इस मौके पर एस्सार आयल एंड गैस के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अपूर्व रंजन ने कहा कि यहां खोले गये सेंटर से देश भर का सीबीएम एवं शेल गैस का आंकड़ा एकत्र कर विश्लेषण किया जाएगा। रानीगंज प्रखंड में अबतक एस्सार ग्रुप 1500 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। अभी और 1500 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना है। अबतक 150 कुएं खोदे जा चुके हैं। यहां से निकलनेवाले गैस से पानागढ़ में बन रहे खाद कारखाने सहित दुर्गापुर की कई कारखानों को चलाया जाएगा।


कोल इंडिया के दावे में इस लिए भी दम है कि इन ब्लाकों में शेल गैस के साथ साथ भारी मात्रा में कोयला भी है। सरकार कोयलायुक्त ब्लाकों की नीलामी न करें तो यह समस्या आसानी से सुलझ सकती है। लेकिन शेल गैस  ब्लाकों पर जिन निजी कंपनियों की दावेदारी है, वे शेल गैस के साथ साथ कोयला भी चाहती हैं। सरकार इन निवेशकों के हितों के विपरीत कोल इंडिया के हितों की परवाह करेगी, अब तक ऐसा इतिास में नहीं हुआ है, आगे भी होने की उम्मीद कम ही है।


शुरुआती अध्ययन के मुताबिक, दामोदर बेसिन में 48 टीसीएफ शेल गैस का भंडार है। इसमें से 10 टीसीएफ टेक्निकल तौर पर रिकवर किया जा सकता है। शुरुआती स्टडी से साफ है कि दामोदर, कैम्बी में कैम्बी शेल, केजी में राघवपुरम और कोमुदुदेम और कावेरी बेसिन में आंदिमदम में शेल गैस मिलने की पूरी संभावना है। मौजूद अनुमानों के अनुसार, इन चार बेसिन में 290 टीसीएफ गैस भंडार है। इनमें से 63 टीसीएफ को टेक्निकल तौर पर रिकवर किया जा सकता है। देश के कुछ और बेसिन में बड़े पैमाने पर शेल गैस के होने का अनुमान है। इनमें असम-अराकन बेसिन, बंगाल बेसिन, गोंडवाना बेसिन, प्राणहिता गोदावरी, सतपुड़ा, सोन महानदी, विंध्य बेसिन और राजस्थान बेसिन में शेल गैस एक्सप्लोरेशन की संभावनाएं हैं।


इसी बीच  पेट्रोलियम सचिव विवेक राय ने ऑयल मिनिस्ट्री के अफसरों से मई अंत तक तेल और प्राकृतिक गैस अनुसंधान से जुड़े लंबित मामलों को क्लियर करने को कहा है। राय ने अरबों डॉलर के इन्वेस्टमेंट प्रॉजेक्ट और फील्ड के डिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट को क्लियर नहीं करने पर सख्त कार्रवाई झेलने को तैयार रहने को कहा है।लंबित मामलों का खामियाजा ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ऑयल इंडिया, केयर्न इंडिया, हार्डी ऑयल और गुजरात सरकार की गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉर्प जैसी ऑयल ऐंड गैस कंपनियों को भुगतना पड़ रहा है। इन कंपनियों के कई प्रॉजेक्ट मंजूरी के इंतजार में लंबित हैं।कंपनियों को कई प्रूवन ऑयल ऐंड गैस फील्ड के डिवलपमेंट अप्रूवल, एक्सप्लोरेशन पीरियड का एक्सटेंशन, नेचरल गैस और कोल बेड मीथेन की प्राइसिंग को अप्रूवल और ऑडिटर्स की नियुक्ति में देरी जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।


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