THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Friday, May 24, 2013

[initiative-india] May 24 : प्रस्तावित ‘‘चुटका मध्यप्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना‘‘ की जनसुनवाई स्थगित






प्रस्तावित ''चुटका मध्यप्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना'' की जनसुनवाई स्थगितः
सरकार ने कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने का कारण दिया


मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर बने विशालकाय बरगी बांध के किनारे प्रस्तावित ''चुटका मध्यप्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना'' की 24 मई को होने वाली जनसुनवाई कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होने के अंदेशे के कारण जिलाधीश ने स्थगित कर दी है। इसके लिये चुटका संघर्ष समिति, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, बरगी बांध विस्थापित संघ के साथियों को विशेष बधाई।

कल रात से ही लगभग 2500 से ज्यादा स्थानीय और पास के जिलो से लोग जनसुनवाई स्थल पर जमा हो गये थे। लोगो ने तय किया है कि हम दूसरा विस्थापन नही सहेंगें।

चुटका में आज हुई जनता की जीतसभा में देशभर से पंहुचे संगठनो ने जनता की जीत में शामिल हुये। जिनमें प्रमुख रुप से थे संदीप पांडे, जनआंदोलनों का राष्ट्रीय समंवय; हरियाणा से यशवीरभाई; अरुणभाई बिलास जैतापुर, कोकण बचाओं समिति; विजयसेन, भाकपा माले; भोपाल; मोलेसिंह गोठरियंा धनसिंह, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी; सुनील, समाजवादी जनपरिषद्; लोकेश, शिक्षा अधिकार मंच, भोपाल; सत्यम पांडे, नागरिक अधिकार मंच; जयंत वर्मा, भारत जन आंदोलन।

ज्ञातव्य है कि प्रस्तावित ''चुटका मध्यप्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना'' उच्च भूकंप वाले क्षेत्र में, बरगी बांध में डूब से निकलकर नये बसाये गये चुटका गांव में प्रस्तावित है। 1400 मेगावाट की यह परियोजना बरगी बांध जलाशय के पास है। 69 मीटर उंचा और 5.4 किलोमीटर लम्बा बांध यह मध्य प्रदेश में नर्मदा पर बने 5 विशालकाय बांधों में से एक है जिसमें घोषणा से ज्यादा 60 गांव डूबे थे। जिनका आजतक पुनर्वास संभव नही हो पाया है।

6 मई को चुटका और टाटीघाट की ग्राम सभा के साथ गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, नागरिक अधिकार मंच, बरगी बांध विस्थापित संघ, जनआंदोलनों का राष्ट्रीय समंवय, भाकपा माले व अन्य साथियों के साथ प्रभावितों की बैठक में यह प्रस्ताव पास किया गया था कि पूरी पर्यावरण प्रभाव आंकलन रिर्पोट व प्रर्यावरण प्रबंध योजना हर प्रभावित गांव में हिन्दी में दी जाये व समझ में आने वाली भाषा में समझाई जाये। ताकि परियोजना प्रभावों की सम्पूर्ण जानकारी लोगो के सामने आये। इसके बाद ही कोई प्रक्रिया चलनी चाहिये।

बिना परियोजना स्वीकृति के 9 मई को मंडला जिलाधिकारी द्वारा परियोजना की पुनर्वास संबधी समस्याओं पर  बुलाई गई बैठक में लोगो ने प्रर्दशन करके इसका कड़ा विरोध किया। जिलाधिकारी ने एक हफ्ते में मसौदा रिर्पोट हिन्दी में देने का वादा किया। हिन्दी तक ना पढ़ने वाले अशिक्षित व अतिसाधारण गरीब किसान-मजदूर से जिलाधिकारी महोदय कैसे अपेक्षा कर सकते है कि 2000 पन्नों वाले इन दस्तावेज़ो को समझ लेंगें? किन्तु अपना यह वादा निभाने में भी जिलाघिकारी महोदय असफल रहे।

12 मई गोंडवाना जनतंत्र पार्टी ने बड़ी पंचायत में भी इस धोखे की जनसुनवाई का विरोध किया था। गांव-गांव मंे इसका विरोघ कार्यक्रम चालू था और 21 तारिख से चुटका में धरना चालू था।

ज्ञातव्य है कि इस परियोजना से मुख्य रूप से तीन गाँव विस्थापित होंगे। बीजाडांडी, नारायण गंज (मंडला) तथा घंसौर (सिवनी) विकासखंड के लगभग 54 गाँव विकिरण से प्रभावित होंगे। 1400 मेगावाट बिजली बनाने हेतु बरगी जलाशय से पानी लिया जायेंगा एवं पुनः उस पानी को जलाशय में छोड़ा जायेंगा। जिससे पानी प्रदूषित होंगा और मनुष्यो सहित इस पर आश्रित सभी जैविक घटकों का जीवन खतरे में पड जायेंगा। बरगी बाँध में बहुत सारा जंगल डूबने के बावजूद इस आदिवासी क्षेत्र में अभी भी पर्याप्त वन क्षेत्र है। इस परियोजना के आने से वन क्षेत्र के दोहन सहित आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को भी बाहरी खतरा उत्पन्न होंगा।
जनआंदोलनों का राष्ट्रीय समंवय की ओर से हम पुनः लोगो को जीत की बधाई देते है.

हम सरकार से मांग करते है कि प्रस्तावित ''चुटका मध्यप्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना'' को संसार भर के और भारत की स्थावित परियोजनाओं के आधार पर तत्काल निषेध करे। बरगी बांध से विस्थापितों की समस्याओं पर एक निष्पक्ष समिति बने और भूमि आधारित पुनर्वास तथा बरगी जलाशय पर विस्थापितों का अधिकार तय किया जाये। समिति में गैर सरकारी प्रतिनिधियों को जिसमें प्रभावित हो, शामिल किये जाये।

राजकुमार सिन्हा       मीरा              शीला          मधुरेश         विमलभाई

हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति और हमारा स्वराज्य अपनी जरुरतें दिनोंदिन बढ़ाते रहने पर, भोगमय जीवन पर निर्भर नही करते; परन्तु अपनी जरुरतों को नियंत्रित रखने पर, त्यागमय जीवन पर, निर्भर करते है।
6.10.1921--गांधीजी


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