THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Thursday, December 18, 2014

पेशावर के बच्चों के लिए:अशोक कुमार पाण्डेय की एक मौजू कविता

पेशावर के बच्चों के लिए:अशोक कुमार पाण्डेय की एक मौजू कविता


सो जाओ मेरे बच्चों 

सो जाओ मेरे बच्चों
ये नर्म सफ़ेद चादरें ये गीला गीला सा बिस्तर
ये फातिहे की पुरदर्द आवाज़ें
तुम्हारी अम्मियों को इजाज़त नहीं आज तुम्हारे पास आने की
तुम्हारे दोस्त सारे साथ हैं
साथ हैं तुम्हारी किताबें
तुम्हारी कलमें जो अब कोई लफ्ज़ लिख न पाएंगी
सो जाओ मेरे बच्चों
अपने ख़्वाबों को सिरहाने रख के
उनमें जो परियाँ थीं सब तुमसे मिलेंगी आज की शब
उनमें जो चाकलेट थे सब आज की शब तुम्हारे हैं
उनमें जो उड़ाने थीं आसमानों की सब पूरी हुईं
तुम्हारे साथ ख़ुदा है
या कि उनके साथ था वह?
सवाल ये कि जिसका अब कोई जवाब नहीं
ख़ुदा के सारे वो बन्दे बहिश्त में जाकर
तुम्हारी परियों के परों को नोच लेंगे और
वो उनके साफ़ शफ्फाक लिबासों पर दाग़ जो होगा खुदा का होगा
तुम अपने बस्ते में रखा हुआ टिफिन देना उनको
और उनकी आँखों को चूम लेना
गोद में उनकी सर रख के सो जाना
तुम्हारी माओं की खुशबू सी उनसे आएगी
वहां पे बच्चों की कोई कमी नहीं होगी
खुदा के बन्दों की नेकी के हैं कई सबूत वहां
सारी दुनिया के बच्चों की आरामगाह है वह
वहां फलस्तीन के बच्चों की एक बस्ती हैं
सीरिया के वहां इरान के भी तमाम बच्चे हैं
वहां कश्मीर के बच्चे हैं गोधरा के भी हैं
सुनो जो काले काले अफ्रीकी बच्चे मिलें
तुम उनके हाथ थाम लेना उन्हें सलाम कहना
इराकी दोस्त मिलेंगे जो तुम्हें तुम पोछ देना उनकी आँख के आँसू
वहां सलोने से मणिपुरी बच्चे होंगे, तुम उनसे उनकी ही भाषा में बात कर लेना
वहां में दुधमुंही बच्चियाँ बहुत सी होंगी बहुत सी अजन्मी
तुम उनके माथे को चूम लेना मुआफ़ी कहना
और तुम्हारी अपनी ज़मीं के बच्चे तो रोज़ आते हैं वहां खेलना और खुश रहना
वहां पे सारी ख़ुशी होगी सब सुकूं होगा
अब कितने और दिन हम भी यहाँ रहेंगे और
खुदा के बन्दों को हम पर भी तो आयेगा रहम
हम आएंगे तो आकर के लग जाना गले
वहां पे फूल हैं पानी के साफ़ चश्में हैं
लहू तो सारा ज़मीन पर ही सूख जाता है
खुदा से और उसके बन्दों ज़रा सा बच बचा के चलना
तुम अपनी शरारतों में वहां रहना खूब खुश रहना
सब्ज़ मैदान, संदली सी हवा
आरामगाह और दैर-ओ-हरम
वहां पे सब है
बस एक स्कूल ही तो नहीं!

(

चित्तौडगढ फिल्म सोसाइटी

चित्तौडगढ फिल्म सोसाइटी

चित्तौड़गढ़ फ़िल्म सोसाइटी के फेसबुक पेज से साभार) 

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