THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Thursday, December 25, 2014

होक कलरव! आज भी पढ़ाई का मतलब सिर्फ डिग्री नहीं है ! एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

होक कलरव! आज भी पढ़ाई का मतलब सिर्फ डिग्री नहीं है !

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

होक कलरव! आजभी पढ़ाई का मतलब सिर्फ डिग्री नहीं है !


आज भी जिंदा है छात्र युवा शक्ति!

आज भी जिंदा है जुल्मोसितम के खिलाफ रीढ़ की हड्डियां!


आज भी  जिंदा है सड़ी गली बंदोबस्त को उखाड़ फेंकने का जज्बा!


आज भी जिंदा है आग उस राख में,जो खाक में मिलने से पहले पैदा कर देती है अग्निपाखियों की जमात!


छात्र युवा शक्ति अगर लड़ने को हो जाय तैयार तो कैरियर और भविष्य की कीमत पर भी शासक के रक्तचक्षु को ठेंगा दिखाकर जारी रख सकती है अपना आंदोलन।

जादवपुर विश्वविद्यालय के समावर्तन के लिए छोत्रों को चेतावनी दी गयीथी कि उन्हें विवादित उपकुलपति के हाथों से ही अपनी डिग्रियां लेनी है और वे गैर हाजिर रहे तो उन्हें मार्क किया जायेगा।


सरकार उस उपकुलपति को बहाल रखने की जिद पर कायम है जिसने विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस बुलाकर अपनी बेटियों की बेइज्जती करवायी और कैंपस के मध्य छात्र छात्राओं को लाठी से पिटवाया।


क्योंकि वे सत्ता की राजनीति के मापिक सत्ता की पहली पसंद है जिसे सिरे से खारिज कर चुके हैं विश्वविद्यालय के छात्र और युवा।

उनका आंदोलन जारी है और छात्र कैंपस से लेकर राजपथ तक जब तब जुलूस निकाल रहे हैं।


नारे लगा रहे हैंः

इतिहासेर दुटि भूल

सीपीएम तृणमूल


इस अराजनीतिक आंदोलन की गूंज दुनियाभर में हुई है।


उनके समर्थन में दुनियाभर के छात्र सड़कों पर उतर चुके हैं और जो कभी भी फिर सड़कों पर उतर सकते हैं।यह नरसंहार राजसूयके पुरोहितों और सिपाहसालारों के लिए अंतिम चेतावनी भी साबित हो सकती है।


शहबाग आंदोलन के साथ जादवपुर में नारा लगाः

संघ जामात भाई भाई

दुइयेर एक दड़िते फांसी चाई


लव जिहाद के खिलाफ होक चुंबन आंदोलन चलाने में भी हिचक नहीं दिखायी छात्र छात्राओं ने।


अमित शाह के बंग विजयके सपने के लिए शायद यह बुरी खबर है कि भाजपाई राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने जब उपकुलपति से डिग्री लेने से समापवर्तन समारोह में पहली ही छात्रा,स्नातक के टापर गीतश्री सरकार ने रीढ़ की हड्डियों की मजबूती काइजहार करते हुए विनम्रता पूर्वक इंकार कर दिया,तब उनने उस छात्रा से कड़कते हुए गेट आउट कहा।


शायद वापस जाओ के नारों और काले झंडों के खिलाफ उनकी यह प्रतिक्रिया थी।


जाहिर है कि बंगदखल के लिए मुश्तैद बजरंगी वाहिनी भी तिलमिला गयी है जैससे तिलमिला रही है शारदा पोंजी नेटवर्किंग की सत्ता।

भजपा को केसरिया राज्यपाल को काले झंडे दिखाये जाने पर सखत ऐतराज है और जाहिर सी बात है कि वे गायपट्टी की तरह पूरब और दखिन के अलावा कश्मीर घाटी से लेकर पूर्वोत्तर में चीन म्यामार सीमात तक शत प्रतिशत हिंदू जनसंख्या का केसरिया लहराते हुए देखना चाह रहे हैं ।


सत्ता समर्थक एक शिक्षक ने घसीटते हुए गीतश्री को बाहर कर दिया तो हंगामा यूं बरपा कि महामहिम कोमंच छोड़कर जाना पड़ा और समावर्तन का पटाक्षेप हो गया।


आज कोलकाता के अखबारों में यह खबर हर अखबार में सबसे बड़ी खबर है ।

हस्तक्षेप ने कोलकाता से भी पहले यह खबर अपने दीवाल पर टांग दी।देखेंः

আগুন নেভেনি যাদবপুরে

আগুন নেভেনি যাদবপুরে

গীতশ্রী জানিয়েছে, "আমি তিন বছর পড়াশুনা করে স্নাতক হয়েছি। এই শংসাপত্র আমার কাছে একটা স্বপ্নের মতো। কিন্তু আরও বড় স্বপ্ন আছে, এবং শিরদাঁড়াটা শক্ত আছে। অতএব, প্রবল শক্তিশালী শাসকের মুখের উপর এই "না" বলতে পারাটাই, হয়ত সেরা সার্টিফিকেট।"

যাদবপুর ইউনিভার্সিটির সমাবর্তন। প্রথম বুক চেতানোর খবর।সমাবর্তনের দিন যাদবপুরে ছাত্র বিক্ষোভ, শংসাপত্র নিতে অস্বীকার, রাজ্যপালকে কালো পতাকা পড়ুয়াদের।

http://www.hastakshep.com/%E0%A6%AC%E0%A6%BE%E0%A6%82%E0%A6%B2%E0%A6%BE/%E0%A6%A7%E0%A6%BE%E0%A6%B0%E0%A6%A3%E0%A6%BE/2014/12/24/%E0%A6%86%E0%A6%97%E0%A7%81%E0%A6%A8-%E0%A6%A8%E0%A7%87%E0%A6%AD%E0%A7%87%E0%A6%A8%E0%A6%BF-%E0%A6%AF%E0%A6%BE%E0%A6%A6%E0%A6%AC%E0%A6%AA%E0%A7%81%E0%A6%B0%E0%A7%87


आंदोलन अगर जनसंहार संस्कृति और धर्म राष्ट्रीययता के खिलाफ सीमा आर पार इसीतरह जारी रहा तो अमित शाह बंगाल के मुख्यमंत्री या भोरत के प्रधानमंत्री तो हर्गिज ही नहीं बनेंगे।


असम को आग में झोंकने में बेमिसाल कामयाबी के बावजूद पूर्व और पूर्वोत्त्तर को गुजरात बनाने के कल्कि राजकाज का भी खुलासा होता रहेगा।

Jadavpur University students refuse to accept medal from Bengal governor

यूनिवर्सिटी के छात्र कुलपति अभीजित चक्रवर्ती के इस्तीफे की मांग कर रहे थे

कोलकाता: जादवपुर विश्वविद्यालय का बुधवार को विशेष 59वां सालाना दीक्षांत समारोह इसके कुलाधिपति और कुलपति के लिए अजीब स्थिति का सबब बन गया, जब काफी संख्या में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया तथा नारेबाजी की।


राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति केशरी नाथ त्रिपाठी सहित अधिकारियों की अपील प्रदर्शनकारी छात्रों को शांत करने में नाकाम रही। इन छात्रों ने दीक्षांत समारोह के बहिष्कार का आह्वान किया था।


बंगाली विभाग के सर्वश्रेष्ठ छात्र गीतोश्री सरकार ने कुलपति अभीजित चक्रवर्ती की मौजूदगी में स्वर्ण पदक और प्रमाणपत्र स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) प्रबंधन को अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा।

गीतोश्री सरकार ने दीक्षांत समारोह के मंच से उतर कर संवाददाताओं से कहा, मैंने राज्यपाल से कहा कि मैं कुलपति की मौजूदगी में पदक और प्रमाणपत्र स्वीकार नहीं कर सकता। राज्यपाल ने फिर मुझसे वहां से हट जाने को कहा।

पीएचडी के छात्र अभिषेक मित्रा ने अपना प्रमाणपत्र स्वीकार किया, लेकिन उसने एक तख्ती ले रखी थी, जिस पर लिखा था, 'इस्तीफा, बातचीत नहीं' (कुलपति के बारे में)। काली पट्टी बांधे हुए काफी संख्या में छात्र और शिक्षक विश्वविद्यालय के छात्रों पर हुई कथित लाठीचार्ज की घटना की निष्पक्ष जांच और कुलपति के इस्तीफे की मांग कर रहे थे।


छात्रों ने 16 एवं 17 सितंबर की रात विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव और अन्य का घेराव कर परिसर में एक छात्रा के साथ हुए कथित यौन उत्पीड़न की जांच की मांग की थी। यह घटना 28 अगस्त की थी। इस पर, कुलसचिव ने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस बुलाया था, जिसने 35 छात्रों को गिरफ्तार किया था। वहीं, कई छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उस रात परिसर में उन्हें निर्ममता से पीटा था। विश्वविद्यालय परिसर में 'राज्यपाल वापस जाओ, कुलपति वापस जाओ' के नारे वाली तख्तियों से अटा पड़ा था।

http://khabar.ndtv.com/news/india/jadavpur-university-students-refuse-to-accept-medal-from-bengal-governor-717906

बांग्ला दैनिक आजकाल की यह रपट देखेंः

নীলাঞ্জনা স্যানাল, গৌতম চক্রবর্তী





অশাম্তির আবহেই হল যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের সমাবর্তন৷‌ উপাচার্যের পদত্যাগের দাবিতে অধিকাংশ পড়ুয়াই নিলেন না পদক, শংসাপত্র৷‌ আচার্য তথা রাজ্যপাল কেশরীনাথ ত্রিপাঠিকে দেখতে হল পড়ুয়াদের কালো পতাকা৷‌ সমাবর্তনের শুরুতেই হয় ছন্দপতন৷‌ উপাচার্য মঞ্চে থাকায় আচার্যের হাত থেকে পদক এবং শংসাপত্র নিতে অস্বীকার করলেন গীতশ্রী সরকার নামে এক কৃতী ছাত্রী৷‌ শুধু এই ছাত্রীই নন, বহু পড়ুয়াই পদক এবং শংসাপত্র নিতে অস্বীকার করে নজিরবিহীনভাবে প্রতিবাদ জানালেন৷‌ অনেকে নাম নথিভুক্ত করেও এদিন আসেননি৷‌ যদিও বিশ্ববিদ্যালয়ের তরফে দাবি করা হয়, অধিকাংশ পড়ুয়াই শংসাপত্র নিয়েছেন৷‌ সমাবর্তন শুরুর আগে থেকে এবং চলাকালীন বুধবার সারাদিনই তুমুল ছাত্র-বিক্ষোভে উত্তাল ছিল ক্যাম্পাস৷‌ বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষের প্রতি পড়ুয়াদের প্রতিবাদ গড়িয়েছে সমাবর্তন মঞ্চ পর্যম্ত৷‌ এবং তা কার্যত দাঁড়িয়ে দেখতে হয়েছে আচার্য, উপাচার্য-সহ কিছু শিক্ষক এবং আধিকারিকদের৷‌ প্রথমার্ধের পর সারাদিন ধরে ছন্নছাড়া, বিশৃঙ্খল পরিবেশেই শেষ হল সমাবর্তন অনুষ্ঠান৷‌ কোনও নিয়ম না থাকলেও সাধারণত বিশ্ববিদ্যালয়ের সমাবর্তন অনুষ্ঠানে উপাচার্যরা থাকেন৷‌ অনেকে নিজে হাতে শংসাপত্রও দেন৷‌ কিন্তু এদিন আচার্যের পরপরই ক্যাম্পাস ছেড়ে চলে যান উপাচার্য অভিজিৎ চক্রবর্তী৷‌ ওই ছাত্রীর পদক নিতে প্রত্যাখ্যানের পরই অস্বস্তিকর পরিস্হিতি এড়াতেই তিনি বেরিয়ে যান বলে বিশ্ববিদ্যালয় সূত্রে খবর৷‌ ১৬ সেপ্টেম্বরের ঘটনার প্রেক্ষিতে সামবর্তন ঘিরে যে জট তৈরি হয়েছিল, তাতে এমনটাই যে হবে তা একরকম প্রত্যাশিত্যই ছিল৷‌ শিক্ষক সংগঠন জুটার সিংহভাগ সদস্যই এদিন সমাবর্তন থেকে দূরে ছিলেন৷‌ মঙ্গলবার রাত থেকেই তাঁরা গান্ধীভবনে অনশন ও অবস্হানে বসেন৷‌ আন্দোলনকারী পড়ুয়ারা আগেই জানিয়েছিলেন তাঁরা সমাবর্তন অনুষ্ঠান বয়কট করবে৷‌ এবং প্রাক্তনী এবং শংসাপত্র প্রাপকদের কাছে তাঁদের আবেদন ছিল তাঁরাও যেন বয়কট করে৷‌ যে উপাচার্যের ডাকে পুলিস এসে রাতের অন্ধকারে তাদের পিটিয়ে ছিল সেই উপাচার্যের হাত থেকে যেন কেউ শংসাপত্র না নেয়৷‌ আন্দোলনকারী পড়ুয়াদের এই আবেদনে এদিন সাড়া দিতে দেখা গেছে সিংহভাগ পড়ুয়াকেই৷‌ ওপেন এয়ার থিয়েটারে (ও এ টি) হয়েছে এবারের সমাবর্তন৷‌ ৫ নম্বর গেট থেকে ও এ টি যাওয়ার গোটা রাস্তাতেই আচার্য ও উপাচার্যের উদ্দেশে 'গো ব্যাক' লেখা ছিল৷‌ ছিল কালো পতাকা৷‌ চলছিল স্লোগান৷‌ ১০টা নাগাদ রাজ্যপাল আসার পর তাঁকে কালো পতাকা দেখানো হয়৷‌ ডাস্টবিনকে ড্রাম বানিয়ে তা বাজিয়ে বিক্ষোভ দেখানো হয়৷‌ রাজ্যপাল যখন ফ্ল্যাগ তুলছিলেন তখনও তাঁকে ঘিরে ধরে চলে কালো পতাকা দেখানো এবং বিক্ষোভ৷‌ ও এ টি-তে ঢোকার সময়ও তাঁকে ঘিরে ধরে পড়ুয়ারা৷‌ ক্যাম্পাসে সেই সময় পর্যাপ্ত পুলিস থাকা সত্ত্বেও লক্ষণীয়ভাবে তাদের কাউকেই পড়ুয়াদের জোর করে সরিয়ে দিতে দেখা যায়নি৷‌ সমাবর্তন শুরুর পর সেরা স্নাতক হিসেবে রাজ্যপালের হাত থেকে পদক ও শংসাপত্র নিতে মঞ্চে ওঠেন বাংলা বিভাগের ছাত্রী গীতশ্রী সরকার৷‌ কিন্তু আচার্যের পাশে উপাচার্য দাঁড়িয়ে থাকায় সে পদক নিতে অস্বীকার করে৷‌ তার সঙ্গে রাজ্যপালের এ নিয়ে কয়েক মুহূর্ত কথাও হয়৷‌ তা সত্ত্বেও শংসাপত্র নিতে অস্বীকার করে গীতশ্রী৷‌ রাজ্যপাল তাঁকে চলে যেতে বলায় সেই সময় এক শিক্ষকদের দেখা যায় গীতশ্রীকে হাত ধরে টেনে নামিয়ে দিতে৷‌ পরে গীতশ্রী বলেন, সমাবর্তন আমার কাছে স্মরণীয় দিন৷‌ এদিনটা আমাদেরই দিনই৷‌ ভেবেছিলাম আচার্যের হাত থেকে শংসাপত্র নেব৷‌ কিন্তু ১৬ সেপ্টেম্বরের ঘটনার পর আমরা উপাচার্যের পদত্যাগের দাবিতে লাগাতার আন্দোলন করে চলেছি৷‌ কিন্তু আজও এ নিয়ে কোনও সাড়া আমরা পাইনি৷‌ সেই অবস্হায় দাঁড়িয়ে উপাচার্য মঞ্চে থাকায় আমার পক্ষে পদক ও শংসাপত্র নেওয়া সম্ভব হয়নি৷‌ আচার্যকে বলার পর তিনি আমাকে চলে যেতে বলেন৷‌ গীতশ্রীর দাবি, রাজ্যপাল তাঁর সঙ্গে 'অত্যম্ত বাজে ব্যবহার' করেছেন৷‌ এই ঘটনার পর পুরো অনুষ্ঠানটিই কিছুক্ষণের জন্য থমকে যায়৷‌ ওই সময় মঞ্চে যাঁরা ছিলেন প্রত্যেকেই অস্বস্তিতে পড়ে যান৷‌ তবে অনুষ্ঠানের মূল সুরটি পদক নিতে অস্বীকার করে গীতশ্রীই বেধে দেয়৷‌ এরপর বর্ষা পিংচা নামে এক পড়ুয়া রাজ্যপালের হাত থেকে পদক নিলেও পাঁচজনের মধ্যে বাকি তিনজন আসেনইনি৷‌ এরপর যতক্ষণ রাজ্যপাল ছিলেন ও এ টি-তে ঢোকার গেটের সামনে দাঁড়িয়ে ক্রমাগতই স্লোগান দিতে দেখা গেছে পড়ুয়াদের৷‌ ভেতরেও ছিল খুব কম সংখ্যক পড়ুয়া৷‌ ডিন এবং কয়েকজন বিভাগীয় প্রধান এবং জনা কয়েক শিক্ষক, আধিকারিক ও নিমন্ত্রিতরা ছাড়া কেউ ছিলেন না৷‌ দ্বিতীয় দফায় শংসাপত্র নিতে নাম ডাকার পর সমাবর্তনের জন্য বিশেষ পোশাক পরে মঞ্চে উঠেও অনেকেই তা না নিয়ে নমস্কার করে নেমে গেছে৷‌ প্রত্যেকের জামার বুকের কাছে, কারও হাতে 'আমরা উপাচার্যের পদত্যাগ চাই' এই ব্যাজ আটকানো ছিল৷‌ অনেকে আবার ভেতরে থাকলেও মঞ্চেও ওঠেনি৷‌ কলা বিভাগের স্নাতকোত্তর স্তরের পড়ুয়াদের মধ্যে ১৩ জনের স্বর্ণপদক পাওয়ার কথা ছিল৷‌ কিন্তু ১২ জনই এই পদক নিতে অস্বীকার করে৷‌ কলা বিভাগের এই স্তরের অনেক পড়ুয়াই শংসাপত্র নেয়নি৷‌ সেই সময় মঞ্চে ছিলেন সদ্য দায়িত্ব নেওয়া সহ-উপাচার্য আশিস বর্মা৷‌ এই ঘটনায় তাঁকে একটু হতভম্ব দেখায়৷‌ এই পড়ুয়াদের বক্তব্য, তাঁদের এই আচরণের জন্য যদি বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষ কোনও পদক্ষেপ করেন তা নিয়ে তাঁদের কোনও ভয় নেই৷‌ উপাচার্য হিসেবে তিনি যা করেছেন তারপর তাঁর কাছ থেকে শংসাপত্র নিতে কোনও প্রবৃত্তিই তাঁদের হয়নি৷‌ যশোধরা গুপ্ত নামে স্নাতকোত্তর স্তরের বাংলা বিভাগের দ্বিতীয বর্ষের এক পড়ুয়া জানিয়েছে গত বছর যে পদকটি সে পেয়েছিল প্রতিবাদ হিসেবে তা বিশ্ববিদ্যালয়কে ফিরিয়ে দেবে৷‌ এ বছর সেরা স্নাতকোত্তর হয়েছে অগ্নিভ মজুমদার৷‌ প্রতিবাদ জানাতে এদিন পদক নিতে আসেনইনি অগ্নিভ৷‌ আবার পি-এইচ ডি-র ছাত্র অভিষেক মিত্রকে দেখা গেছে শংসাপত্র নিয়েও উপাচার্যের পদত্যাগ চেয়ে প্ল্যাকার্ড দেখিয়ে বেরিয়ে যাচ্ছেন৷‌ গান্ধীভবনের উল্টোদিক থেকে এদিন সারাদিনই 'হোক কলরব' লেখা প্রতীকী শংসাপত্র বিলি করা হয়েছে৷‌ অনেকেই তা নিয়ে বন্ধুদের সঙ্গে 'পোজ' দিতে দেখা গেছে৷‌ সবাই যে বয়কট করেছেন তা নয়, অনেককে আবার মঞ্চে উঠে শংসাপত্র নিতেও দেখা গেছে৷‌ বিকেল ৪টে নাগাদ ও এ টি-র সামনে থেকে মিছিল করে আন্দোলনকারী পড়ুয়ারা৷‌ এইট বি পর্যম্ত মিছিল যায়৷‌ এবং উপাচার্যের কুশপুতুল দাহ করা হয়৷‌ সারা সকাল, দুপুর জুড়ে ও এ টি-র বাইরে বিক্ষোভ দেখালেও এই সময় হঠাৎই 'হোক কলরব' স্লোগান তুলে এরা ভেতরে ঢুকে পড়ে৷‌ সমাবর্তনের মতো এক অনুষ্ঠানে পড়ুয়াদের এই আচরণ কতটা শোভন তা নিয়েও প্রশ্ন উঠছে৷‌ সংশ্লিষ্ট মহলের অনেকেরই বক্তব্য, ডিগ্রি পড়ুয়াদের অর্জিত বিষয়৷‌ এটা উপাচার্যের দান নয়৷‌ তাই এতটা বাড়াবাড়ি না করলেও হত৷‌ কারণ এর সঙ্গে বিশ্ববিদ্যালয়ের সুনাম জড়িত আছে৷‌ রাজ্যপালও তাঁর বক্তব্যে ছাত্রছাত্রীদের উদ্দেশে বলেন, একজন পড়ুয়ার প্রথম কাজ হল পড়াশোনা করা৷‌ এমন কিছু করা তাঁর উচিত নয় যাতে সেই শিক্ষাপ্রতিষ্ঠানের মর্যাদা ক্ষুন্ন হয়৷‌ যেহেতু একজন পড়ুয়া ওই শিক্ষাপ্রতিষ্ঠানেরই অংশ তাই তার সবসময় চেষ্টা করা উচিত সেই শিক্ষাপ্রতিষ্ঠানের সুনামকে উচ্চশিখরে নিয়ে যাওয়া৷‌ এতে পড়ুয়ারাও সব থেকে বেশি উপকৃত হবে৷‌ এ নিয়ে জুটার নেতৃত্বকে প্রশ্ন করলে সংগঠনের সাধারণ সম্পাদক নীলাঞ্জনা গুপ্ত বলেন, উপাচার্যের জন্যই বিশ্ববিদ্যালয়ের সুনাম নষ্ট হচ্ছে৷‌ তাঁর কিছু অন্যায় কাজের প্রতিবাদ করার জন্যই পড়ুয়ারা এটা করেছে৷‌ ফলে তার জন্য সুনাম নষ্ট হবে কেন৷‌ কোন পরিস্হিতিতে পড়ুয়ারা শংসাপত্র নেয়নি, আচার্যের হাত থেকে নিতে অস্বীকার করেছে সেটা বুঝতে হবে৷‌ পাশাপাশি নীলাঞ্জনাদেবী বলেন, সমাবর্তন ঘিরে যা যা হয়েছে তাতে এই বার্তাই গেছে যে, যাদবপুরকে বাঁচাতে এক্ষুণি কিছু পদক্ষেপ করা উচিত৷‌ রাজ্যপাল তাঁর বক্তব্যে অতীতকে ভুলে নতুন শুরুর কথা বলেছেন৷‌ বলেছেন, মনটাকে এতটাই বড় করতে যাতে সব কিছু ক্ষমা করা যায়৷‌ কিন্তু আচার্যের এই আহ্বানেও সাড়া দিচ্ছে না যাদবপুর৷‌ শিক্ষকরা জানিয়েছেন, পরবর্তী পদক্ষেপ ঠিক করতে তাঁরা বৈঠকে বসবেন৷‌ আর পড়ুয়ারাও জানুয়ারি মাস থেকে জোরদার আন্দোলনে নামবেন বলেও জানা গেছে৷‌ পড়ুয়াদের তরফে এদিন দাবিও করা হয়, অধিকাংশ পড়ুয়াই শংসাপত্র নেয়নি৷‌ যদিও ভিন্ন সুর শোনা গেছে কর্তপক্ষের মুখে৷‌ বিশ্ববিদ্যালয়ের পক্ষ থেকে দাবি করা হয়েছে, ২৭০০ জন পড়ুয়া নাম নথিভুক্ত করেছিল, তার মধ্যে ২৫০০ জন শংসাপত্র নিয়েছেন৷‌ তবে সব মিলিয়ে ৪২০০ পড়ুয়ার শংসাপত্র পাওয়ার কথা ছিল৷‌ সেদিক দিয়ে দেখলে ২১০০ পড়ুয়া নামই নথিভুক্ত করেনি৷‌ এটাও যথেষ্টই তাৎপর্যপূর্ণ৷‌ আন্দোলনকারীদের দাবি এরা বয়কট করেছে৷‌ তবে যারা আসেনি বা নেয়নি, তাদের ডাক মারফত বাড়িতে শংসাপত্র পাঠিয়ে দেওয়া হবে৷‌ রেজিস্ট্রার প্রদীপ ঘোষ জানিয়েছেন, যারা নাম নথিভুক্ত করেছিল তারা প্রায় সবাই শংসাপত্র নিয়েছে৷‌ পিএইচ ডি প্রাপক ছিল ৪০০ জন৷‌ তার মধ্যে নাম লিখিয়ে ছিল ৩৫০৷‌ নিয়েছে ৩০০ জন৷‌ ১১৫ জন এম ফিল পড়ুয়ার মধ্যে ৮০-৯০ জনই শংসাপত্র নিয়েছে৷‌ এদিন সাম্মানিক ডি এসসি ডিগ্রি দেওয়া হয় অবিনাশ চন্দ্রকে৷‌ ডি-লিট দেওয়া হয় বাইচুং ভুটিয়াকে৷‌ দীক্ষাম্ত ভাষণ দেন আই এস আই কলকাতার প্রাক্তন অধিকর্তা ও বিজ্ঞানী শঙ্কর পাল৷‌ প্রায় ফাঁকা ও এ টি দেখে শঙ্করবাবু বলেন, আমার বক্তব্য ছিল পড়ুয়াদের উদ্দেশে৷‌ অনেককেই না দেখে আমি তাদের অভাব অনুভব করছি৷‌


এদিকে, বি জে পি-র তরফে রাজ্যপালকে কালো পতাকা দেখানোর নিন্দা করা হয়েছে৷‌ এদিন বি জে পি-র প্রাক্তন রাজ্য সভাপতি তথাগত রায় সাংবাদিক বৈঠকে বলেন, রাজ্যপালকে কালো পতাকা দেখানো দুর্ভাগ্যজনক৷‌ তিনি যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ে আচার্য হিসেবে গিয়েছিলেন৷‌ স্বাভাবিক পরিস্হিতিতে ওই ঘটনা ঘটেনি৷‌ তবে পুরো ঘটল না জেনে মম্তব্য করা ঠিক হবে না৷‌


প্রথম পাতা

piclg




No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...