THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Thursday, March 19, 2015

आदिवासियों की जमीन अब गैर आदिवासी खरीद सकेंगे

आज  भोपाल में होने वाले आदिवासी मंत्रणा परिषद की बैठक के पूर्व एकता परिषद माननीय मुख्यमंत्री महोदय पत्र भेज कर अपना विरोद दर्ज किया। 


16 मार्च 2015
प्रति,
माननीय मुख्यमंत्री महोदय
मध्यप्रदेश शासन
भोपाल, मध्यप्रदेश।

विषय- आदिवासियों की जमीन खरीदने पर प्रतिबंध को जारी रखने के संदर्भ में।

आदरणीय शिवराज सिंह जी

इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान 15 मार्च 2015 को पत्रिका समाचार पत्र में प्रकाषित खबर 'आदिवासियों की जमीन अब गैर आदिवासी खरीद सकेंगे की ओर आकर्षित करना चाहता हूं जिसमें उल्लेख है कि मध्यप्रदेष सरकार के द्वारा आदिवासी मंत्रणा परिषद में इस आषय का प्रस्ताव लाये जाने की तैयारी है जिसके अंतर्गत मध्यप्रदेष भूमि राजस्व संहिता की धारा 170 क, 170 ख, 170 ग एवं 170 घ में आदिवासियों को भूमि अधिकार संबध्ांी दिये गये सुरक्षा के प्रावधान को समाप्त किया जाना है।

मध्यप्रदेश की कुल आबादी के 21.1 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है। इस प्रकार के निर्णय से लगभग 1.5 करोड की आबादी का हित प्रभावित होगा। इस समुदाय के साथ सदियों से अन्याय और शोषण हो आ रहा है। आदिवासी अंचलों में लोगों ने इस उम्मीद के साथ सरकार को चुना कि पूर्व में उनकी छीनी गयी जमीनों को सरकार वापस दिलायेगी और भूमि अधिकार का पुर्नवितरण होगा। किंतु ठीक इसके उलट इस तरह की प्रक्रिया को प्रारंभ करने का मतलब है कि जो कुछ संसाधन आदिवासियों के पास है उसको छीनने की प्रक्रिया को वैधानिकता प्रदान करना है। मध्यप्रदेश शासन के द्वारा उठाया जाने वाला यह कदम प्रदेश की आदिवासी जनता के साथ अन्याय और उनको कमजोर करने की प्रक्रिया है। इसलिए एकता परिषद इस कदम को घोर विरोध करती है। 

आदिवासी संस्कृति, परपंरा और प्राकृतिक संसाधनों पर उनके अधिकार को बनाये रखने के लिए ही पेसा कानून और राजस्व संहिता की धारा में अधिसूचित क्षेत्रों में गैर जनजातीय समुदाय के दखल रोकने के लिए प्रावधान किये गये थे। इसके अंतर्गत प्रावधान है कि कोर्इ भी गैर जनजातीय समुदाय अधिसूचित क्षेत्रों में जिला कलेक्टर की अनुमति के बिना न तो जमीन खरीद सकता है और न ही मकान बना सकता है, किंतु इन कानूनों और प्रावधानों के लागू न होने के कारण अधिसूचित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर गैर जनजातीय समुदाय का दखल और संसाधनों पर नियंत्रण बढा है। इससे स्थानीय स्वषासन की प्रक्रिया भी बाधित हुर्इ है।
पूर्व में आदिवासी समुदाय को आबंटित की गयी भूमि अथवा उनके मालिकाना हक की भूमि का भौतिक सत्यापन न कराने और भौतिक कब्जा सुनिषिचत न कराने के कारण बड़े पैमाने पर आदिवासी समुदाय की जमीने गैर आदिवासी समुदाय के लोगों के द्वारा गैर कानूनी ढंग से कब्जा की गयी है। आदिवासी समुदाय की जमीन जो गैर कानूनी ढंग से गैर आदिवासी समुदाय को हस्तांतरित की गयी है, उनको वापस कराने की बजाय राजस्व संहिता में किये जाने वाले इस प्रकार के संषोधनों से प्रदेष की 21.1 प्रतिषत आदिवासी आबादी का हित प्रभावी होगा।

मेरा आपसे विनम्र आग्रह है कि इस प्रकार की परिचर्चाओं और संभावित कार्यो पर पूर्णं विराम लगायें जिससे कि आदिवासी समाज कमजोर होता है।

अत: आपसे आग्रह है कि मध्यप्रदेष भूमि राजस्व संहिता के अंतर्गत आदिवासियों की भूमि अधिकार की संरक्षा के लिए बनाये गये प्रावधान धारा 170 क, 170 ख, 170 ग, एवं 170 घ में किसी भी प्रकार के संषोधन न करे और तुरंत ही इस बात को सुनिशिचत करें कि पूर्व में आदिवासियों की जो जमीन गैर आदिवासियों को हस्तांतरित की गयी है उसकी जांच कराकर आदिवासियों को वापस करायी जाये।

सादर सहित

आपका

(रनसिंह परमार)
अध्यक्ष
प्रतिलिपि-
1 माननीय आदिम जाति कल्याण मंत्री, मध्यप्रदेश शासन।
2 समस्त माननीय संसद सदस्य गण, लोक सभा क्षेत्र, मध्यप्रदेश।
3 समस्त माननीय विधायक गण, मध्यप्रदेश विधान सभा।

-- 
ANEESH THILLENKERY          

National Convener                
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