THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Tuesday, January 5, 2016

लखनऊ में मुक्तिबोध सम्मान समारोह



लखनऊ में मुक्तिबोध सम्मान 


समारोह 




लखनऊ के वाल्मिकी रंगशाला ,संगीत नाटक अकादमी में दिनांक 29 दिसंबर वर्ष 2013 में चर्चित कथाकार मो० आरिफ़ को ' रेवान्त मुक्तिबोध साहित्य सम्मान' से सम्मानित किया गया। विख्यात रंगकर्मी राज बिसारिया ने सम्मान स्वरूप 11 हजार रूपये की नकद धनराशि, प्रशस्ति पत्र ,स्मृति चिन्ह एवं शाल प्रदान करते हुए कहा कि ' मो० आरिफ़ की कहानियों में नाटकीयता और शब्दों में ध्वनि है वे जन समस्याओं से जूझती हैं और सभी वर्ग के लोगों को जोड़ती हैं। दीप प्रज्वलन के बाद प्रीति एवं नृत्यांगना कुसुम वर्मा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कवि कथाकार प्रज्ञा पाण्डेय ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। 'रेवान्त' पत्रिका की सम्पादक डा० अनीता श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि ' यह पत्रिका साहित्य, संस्कृति के आदर्शों एवं मूल्यों के प्रति कृत संकल्प है।'
' रेवान्त मुक्तिबोध साहित्य सम्मान समारोह ' की अध्यक्षता कर रही शीला रोहेकर ने 'फुर्सत ' कहानी का जिक्र करते हुए उन्हें सादगी का साहित्यकार कहा। वरिष्ठ आलोचक वीरेंद्र यादव ने उनकी 'चोर सिपाही ' 'तार' आदि अन्य कहानियों, उनके पात्रों व घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि- मो० आरिफ़ ने हाशिये के लोगों की समस्याओं को उठाया है। इन अर्थों में वे जनवादी कथाकार हैं। तद्भव के सम्पादक और मो० आरिफ़ के मित्र अखिलेश ने कहा कि 'दुःख तकलीफों के साथ विडंबनाओं को हंसते हंसते कह देना आरिफ़ की कहानियों की मुख्य विशेषता है। अपनी दोस्ती की बहुत सी बातों को साँझा करते हुए अखिलेश ने कहा कि वे एक प्रतिभावान कथाकार हैं। जसम के संयोजक कौशल किशोर ने मुक्तिबोध की रचनाओं में आम आदमी की पीड़ा और छटपटाहट की चर्चा करते हुए कहा कि मो० आरिफ की कहानियों में आम आदमी का वास्तविक संसार दिखाई देता है। 
' रेवान्त मुक्तिबोध साहित्य सम्मान' के निर्णायक मंडल में तद्भव के सम्पादक अखिलेश ,वरिष्ठ आलोचक वीरेंद्र यादव ,सामाजिक चिंतक कवि बद्री नारायण ,युवा आलोचक अवधेश मिश्र और रेवान्त पत्रिका की सम्पादक डा० अनीता श्रीवास्तव हैं। ' रेवान्त मुक्तिबोध साहित्य सम्मान ' से सम्मानित मो० आरिफ़ कहा कि वे इस सम्मान को पाकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। साँझी संस्कृति की सरजमीं यह याद दिलाती है कि आपसी सौहार्द के द्वारा हर समस्या से निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि डा० अनीता एक जुझारू सम्पादक हैं। मंच संचालन करते हुए डा० नलिन रंजन सिंह ने भी 'फूलों का बाड़ा ' कहानी का जिक्र किया। धन्यवाद ज्ञापन डा० उषा राय ने किया। इस मौके पर मो० आरिफ़ की पत्नी और पुत्र भी मौजूद थे। खचा खच भरे इस सम्मान समारोह में वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना,राकेश ,अजय सिंह , राजेश ,दयानंद पाण्डेय ,विजय राय ,नसीम साकेती ,प्रो०उषा सिन्हा ,कहानीकार किरन सिंह,सुशीला पुरी,विमल किशोर ,अनामिका चक्रवर्ती ,दिव्या शुक्ला ,विजय पुष्पम ,महेंद्र भीष्म ,महेश देवा तथा दीपक कबीर आदि अनेक लोग उपस्थित थे। 
प्रस्तुति 
उषा राय

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