THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Friday, July 29, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/7/29
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


फेयर ऐंड लवली फाउंडेशन स्कॉलरशिप - 2011

Posted: 28 Jul 2011 10:30 AM PDT

महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है, ताकि उन्हें देश ओर समाज की विकास की प्रक्रिया में बेहतर ढंग से भागीदार बनाया जा सके। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 2003 में फेयर ऐंड लवली फाउंडेशन की स्थापना की गई थी, ताकि उन लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा के दरवाजे खुल सकें, जो आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं। फाउंडेशन की ओर से वर्ष 2011 के लिए स्कॉलरशिप से संबंधित अधिसूचना जारी की जा
चुकी है। किस मद में यह स्कॉलरशिप हर स्ट्रीम के लिए छात्राओं की उच्च शिक्षा के लिए उपलब्ध है। स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी अध्ययन के लिए यह छात्रवृत्ति दी जाती है। पूरे देश की छात्राएं इस स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकती हैं।

रकम
आर्थिक रूप से कमजोर, परंतु प्रतिभाशाली युवा छात्राओं को उच्चतर शिक्षा जारी रखने के लिए संस्थान द्वारा एक लाख रुपये तक की स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है।

शैक्षणिक योग्यता

जो छात्राएं इस स्कॉलरशिप का लाभ उठाना चाहती हैं, उनके लिए जरूरी है कि वे 10वीं और 12वीं कक्षा न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण हों।
चयन प्रक्रिया
विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है। चयन में छात्राओं का एकेडमिक रिकॉर्ड, भविष्य में शिक्षा की उनकी योजना व आर्थिक जरूरत का ध्यान रखा जाता है। 

कैसे करें आवेदन
आवेदन-पत्र को बेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। जरूरी डॉक्यूमेंट्स के साथ ठीक ढंग से भरे आवेदन-पत्र को दिए गए पते भर भेज दें। 

आवेदन की अंतिम तिथि 
20 अगस्त, 2011
पता 
फेयर ऐंड लवली स्कॉलरशिप 2011, फेयर ऐंड लवली फाउंडेशन, पोस्ट बॉक्स संख्या - 11281, मरीन लाइन्स पोस्ट ऑफिस, मुंबई - 400020
वेबसाइट 
www.fairandlovely.in(अमर उजाला,27.7.11)

इंटरव्यू के कुछ सामान्य प्रश्न

Posted: 28 Jul 2011 09:30 AM PDT

किसी भी जॉब में इंटरव्यू ही सफलता का अंतिम पड़ाव होता है। यही कारण है कि जब भी आप इंटरव्यू दें, तो इसके लिए तैयारी जरूर करें। विषय संबंधी तैयारी के अलावा कुछ सामान्य प्रश्नों के जवाब तो आपके पास अवश्य ही होने चाहिए। ऐसे ही कुछ सवालों पर आइए डालते हैं एक नजरः

- अपने बारे में कुछ जानकारी दें?
इसके माध्यम से नियोक्ता यह जानने की कोशिश करता है कि आप खुद का आकलन कितने बेहतर ढंग से करते हैं। इस सवाल के माध्यम से आपके अनुभव, योग्यता आदि के बारे में भी जानने की कोशिश की जाती है।

- इस नौकरी में आपकी दिलचस्पी क्यों है?
काफी सोच-समझ कर इस सवाल का जवाब दें। यदि आप फ्रेशर हैं तो बताएं कि यह नौकरी आपके बेहतर भविष्य का आधार बन सकती है। यदि आपके पास काम का अनुभव है तो बताएं कि किस तरह इस नौकरी में उस अनुभव का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है।

- क्या आपने अपना लक्ष्य निर्धारित कर रखा है?

इस प्रश्न से यह आकलन किया जाता है कि आप जॉब के दौरान दिए गए अपने दायित्वों को तत्परता के साथ समय पर पूरा करने में सक्षम हो सकेंगे या नहीं। इसके पीछे सोच यह होती है कि सुनिश्चित लक्ष्य वाला व्यक्ति ही छोटे-छोटे लक्ष्यों को भी पूरा करने के प्रति सजग रहता है। 
- आप प्लान्ड डेवलपमेंट में कितना यकीन करते हैं?
इसके जवाब में आपको यह बताना होगा कि सुनियोजित ढंग से कार्य करने से ही कोई भी सफलता सुनिश्चित होती है। इससे आपके कार्य करने के तरीकों का भी अनुमान लगाया जाता है।

- अपनी कुछ कमजोरियों के बारे में बताएं?
इंटरव्यू के दौरान ऐसे सवाल इसलिए पूछे जाते हैं, ताकि यह जांच की जा सके कि आप विपरीत परिस्थितियों में किस ढंग से व्यवहार करेंगे। साथ ही आप कितना सच बोलते हैं, यह भी पता लगाया जाता है। 

- जिस कंपनी में जॉब करने के आप इच्छुक हैं, उसके बारे में आपकी जानकारी कितनी है?
इस सवाल से कंपनी के प्रति आपकी दिलचस्पी का पता लगाया जाता है। 

- यदि आपको कंपनी का बॉस बना दिया जाए, तो आप क्या करेंगे?
इस प्रश्न के जवाब में अपने लक्ष्य को लेकर आपकी सुनियोजित योजना, कर्तव्य भावना और समाज सेवा की आपकी इच्छा की झलक मिलनी चाहिए। 

- आपको कंपनी के बारे में कुछ पूछना हो तो पूछें?
कंपनी में काम का माहौल, उसकी नीतियां आदि तमाम बातें होती हैं, जिन्हें जॉब पाने से पहले हर अभ्यर्थी जानना चाहता है। यह सवाल इन जिज्ञासाओं को शांत करने का मौका देता है(अमर उजाला,27.7.11)।

इंटीग्रेटेड एमबीए

Posted: 28 Jul 2011 08:30 AM PDT

बेहतर कैरियर के लिए मैनेजमेंट के पाठ्यक्रम हमेशा से छात्रों को आकर्षित करते रहे हैं। एमबीए संबंधी किसी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए अभ्यर्थी का ग्रेजुएट होना अब तक पहली शर्त थी। लेकिन अब इस प्रोफेशनल कोर्स की शुरुआत 12वीं के बाद भी हो सकती है। इससे विद्यार्थियों को इस फील्ड को समझना और सुविधाजनक हो जाएगा। इसी को ध्यान में रखते हुए इंटीग्रेटेड एमबीए जैसा कोर्स शुरू किया गया।

कैसे-कैसे कोर्स
इंटीग्रेटेड एमबीए कोर्सेज के अंतर्गत मार्केटिंग, फाइनेंस या एचआर के अलावा मैनेजमेंट से संबंधित अन्य स्ट्रीम जैसे फार्मा, आईटी, केमिकल, टेलीकॉम आदि से संबंधित पाठ्यक्रम भी उपलब्ध हैं। ऐसे में 12वीं के बाद ही प्रबंधन में कुशलता हासिल करने के कई विकल्प विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। पांच साल के इन कोर्सेज का सिलेबस इस तरह बनाया जाता है कि छात्र पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने क्षेत्र में पूरी तरह से निपुण बन जाएं।

शैक्षणिक योग्यता
जो विद्यार्थी सामान्य इंटीग्रेटेड एमबीए कोर्स में प्रवेश लेना चाहते हैं, उनके लिए किसी भी संकाय से 12वीं उत्तीर्ण होना जरूरी है। एमबीए-टेक. में अध्ययन के लिए साइंस संकाय से 12वीं जरूरी है। अधिकांश बेहतर संस्थानों में एंट्रेंस एग्जाम के बाद ही दाखिला मिलता है।
संस्थान का चयन
विभिन्न संस्थानों द्वारा इंटीग्रेटेड एमबीए कोर्स की पढ़ाई शुरू की गई है। लेकिन इंटीग्रेटेड कोर्स तभी फायदेमंद होगा, जब आपका दाखिला किसी प्रतिष्ठित संस्थान में हो जाए। संस्थान की प्लेसमेंट फैसिलिटी का भी ध्यान रखें।

मुख्य संस्थान
कई विश्वविद्यालयों में इंटीग्रेटेड एमबीए कोर्स संचालित होते हैं। इनमें मुख्य हैं- लखनऊ यूनिवर्सिटी, लखनऊ
www.lkouniv.ac.in
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र
www.kuk.ac.in
वीआईटी यूनिवर्सिटी, वेल्लूर
www.vit.ac.in
डीएवीवी, इंदौर
www.dauniv.ac.in
गुवाहाटी यूनिवर्सिटी, गुवाहाटी
www.gauhati.ac.in
महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक
www.mdurohtak.ac.in

एमबीए (टेक.) जैसे कोर्स के लिए संस्थान हैं-
नरसी मूनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड हायर स्टडीज, मुंबई (पांच वर्षीय एमबीए - फार्मा, टेक्नोलॉजी, आईटी, केमिकल, टेलीकॉम ऐंड मैन्यूफैक्चरिंग) www.nmims.edu
शैलेश जे. मेहता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, आईआईटी मुंबई
www.som.iitb.ac.in
विनोद गुप्ता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, आईआईटी खड़गपुर
www.som.iitkgp.ernet.in(गणेश कुमार पांडे,अमर उजाला,27.7.11)

मरीन इंजीनियरिंग में करिअर

Posted: 28 Jul 2011 07:30 AM PDT

मरीन इंजीनियरिंग भी इंजीनियरिंग का ही एक हिस्सा है, जिसके अंतर्गत नॉटिकल आर्किटेक्चर एवं साइंस का अध्ययन किया जाता है। जानकारों का कहना है कि धरती की तीन चौथाई सतह पानी से घिरी है। एक मरीन इंजीनियर को यंत्रों की सहायता से इनका अध्ययन करना होता है। कार्यशैली के हिसाब से यह प्रोफेशन बेहद उत्साहजनक एवं चुनौतीपूर्ण है।

काम का समय शिप पर
विभिन्न ब्लॉकों में चार-चार घंटे के हिसाब से राउंड डय़ूटी होती है। इस दौरान उन्हें शिप की देखभाल करनी होती है।
पोर्ट पर
जूनियर इंजीनियर देखरेख में लगे रहते हैं, जबकि अन्य इंजीनियर सुबह से लेकर शाम तक रिपेयर एवं मेंटेनेंस का काम देखते हैं। जब शिप पोर्ट पर होती है तो क्रू मैंबर वहां की स्थानीय जगहों पर घूमने के लिए चले जाते हैं।
मिलने वाली सेलरी
एक जूनियर मरीन इंजीनियर की ऑपरेशनल लेवल पर सेलरी 1000 से लेकर 2000 अमेरिकी डॉलर प्रतिमाह (लगभग 70000 रुपए) होती है। धीरे-धीरे यह बढ़ कर 8000 अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाती है, जबकि एक चीफ इंजीनियर को 10000 अमेरिकी डॉलर (करीब पांच लाख रुपए प्रतिमाह) मिलते हैं।
आवश्यक अभिरुचि
मानसिक मजबूती, शिप की मेंटेनेंस में दिलचस्पी (क्योंकि यह जीवन और मृत्यु का मामला होता है)।
लक्ष्य के प्रति संकल्प, कठिन परीक्षा, रेगुलर उपस्थित रहने की बाध्यता।
लोगों के प्रति सहृदयता, खासकर समुद्र में, क्रू को अपना परिवार मानने की मानसिकता होनी चाहिए।

अधिक समय घर से बाहर समुद्र में रहने की क्षमता होनी चाहिए।
योग्यता
फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथ्स सहित बाहरवीं उत्तीर्ण करने के पश्चात मरीन इंजीनियरिंग के विभिन्न पाठय़क्रमों के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा के योग्य हो जाते हैं। देश का सबसे पुराने मरीन इंजीनियरिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, कोलकाता चार वर्षीय बैचलर इन मरीन इंजीनियरिंग से संबंधित कोर्स कराता है।
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी, चेन्नई
वेबसाइट- www.nipm.tn.nic.in
लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज ऑफ एडवांस मेरीटाइम स्टडीज एंड रिसर्च, मुंबई
वेबसाइट- www.dgshipping.com
हल्दिया इंस्टीटय़ूट ऑफ मेरीटाइम स्टडीज एंड रिसर्च, पश्चिम बंगाल
वेबसाइट- www.himsar.org
फायदे एवं नुकसान
अत्यधिक आकर्षक सेलरी प्रदान करने वाली जॉब
विश्वस्तरीय क्षमता का विकास
पूरे विश्व का भ्रमण(संजीव कुमार सिंह,हिंदुस्तान,दिल्ली,27.7.11)

अर्थ साइंस में करिअर

Posted: 28 Jul 2011 06:30 AM PDT

अर्थसाइंस एक तरह से जियोलॉजी की ही अगली कड़ी है। इस कोर्स को बाजार की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर ही तैयार किया गया है, इसलिए इसमें जॉब के विभिन्न स्तरों पर अनेक संभावनाएं हैं।
पृथ्वी के उदगम, विकास और इसके अंदर और बाहर चलने वाली हलचलों को जानना खासा रोचक है। क्या अन्य ग्रहों पर कोई जीवन है? चन्द्रमा, मंगल, बृहस्पति और अन्य ग्रहों पर क्या संसाधन उपलब्ध हैं? इनमें क्या बदलाव आ रहे हैं? सिकुड़ते ग्लेशियरों का महासागरों और जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? इस तरह की तमाम बातें और अनसुलझी पहेलियों के बारे में डाटा एकत्र करने का काम भूवैज्ञानिक करते हैं, उसका विश्लेषण करते हैं और एक निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास करते हैं।
आज जब पूरे विश्व की धरती को लेकर तरह-तरह की खबरें आ रही हैं, इसे समझने और उसकी तह तक जाने के लिए ऐसे विशेषज्ञों की अच्छी-खासी जरूरत पड़ रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने इस क्षेत्र में कुशल वैज्ञानिक और विशेषज्ञों की मांग को ध्यान में रखते हुए अर्थसाइंस का पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू किया है। खास बात यह कि एमएससी इन अर्थसाइंस नाम से प्रचारित इस कोर्स में प्रवेश का दरवाजा बारहवीं कक्षा के बाद ही खोला गया है। पांच साल के इस कोर्स को पूरा करने के बाद सीधे करियर अपनाने या चुनने का मौका मिलता है।
क्या है कोर्स में?
इस कोर्स में पहले तीन साल स्नातक स्तर की पढ़ाई होती है। इसके बाद सीधे एमएससी में दाखिला मिलता है। कुल 10 सेमेस्टर हैं। इसमें अर्थसाइंस के विविध पहलुओं जैसे भूभौतिकी, जल विज्ञान, समुद्र विज्ञान, वातावरणीय विज्ञान, ग्रहीय विज्ञान, मौसम विज्ञान, पर्यावरणीय विज्ञान और मृदा विज्ञान को व्यापक तौर पर पढ़ने व समझने का मौका मिलता है। महाद्वीपों के खिसकने, पर्वतों के बनने, ज्वालामुखी फटने के क्या कारण हैं, वैश्विक पर्यावरण किस तरह परिवर्तित हो रहा है, पृथ्वी प्रणाली कैसे काम करती है, हमें औद्योगिक कूड़े का निपटान कैसे और कहां करना चाहिए, भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए समाज की ऊर्जा और पानी की बढ़ती मांग को कैसे पूरा किया जा सकता है, जिस तरह विश्व की जनसंख्या बढ़ रही है, क्या हम उसके लिए पर्याप्त खाद्य तैयार कर सकते हैं तथा किस प्रकार खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं, ये सब चीजें अर्थसाइंस के अध्ययन क्षेत्र में हैं।
भूवैज्ञानिक समस्याओं को सुलझाने और संसाधन प्रबंधन, पर्यावरणीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा मानव कल्याण के लिए सरकारी नीतियों को तैयार करने में प्रयुक्त अनिवार्य सूचना या डाटाबेस उपलब्ध कराते हैं। कोर्स के दौरान खनन, तेल व प्राकृतिक गैस, भूजल, कोयला, जियो तकनीक, जीआईएस व रिमोट सेंसिंग, पर्यावरण अध्ययन, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन जैसे कई क्षेत्रों को जानने और समझने का अवसर दिया जाता है। इनसे जुडे क्षेत्रों में से एक क्षेत्र में छात्रों को आगे चल कर स्पेशलाइजेशन चुनना होता है। यह काम एमएससी स्तर पर होता है। एमएससी में चार पेपर थ्योरी के हैं। इसके अलावा कई पेपर वैकल्पिक हैं, जिसमें से छात्र किसी एक को चुन कर अपना करियर बना सकता है।
कोर्स के दौरान छात्रों को दो तरह की ट्रेनिंग भी दी जाती है। पहले स्तर पर हर साल छात्रों को फील्ड ट्रिप पर भेजा जाता है। एमएससी स्तर पर समर ट्रेनिंग और समर इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग के अलावा डिजर्टेशन का काम पूरा करना होता है। यहां फील्ड वर्क के बहुत विकल्प हैं।


शाखाएं
अर्थसाइंस की कई शाखाएं हैं। इनमें पर्यावरण अध्ययन, माइनिंग, जियोटेक्नोलॉजी, डिजास्टर मैनेजमेंट, एटमॉसफेरिक साइंस, जियोहैजर्डस, क्लाइमेट चेंज, ओशनोग्राफी, रिमोट सेंसिंग, एप्लायड हाइड्रोजियोलॉजी, काटरेग्राफी और जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम आदि प्रमुख हैं। 
अवसर हैं कहां
कोर्स के छात्र के लिए राज्य और केन्द्र सरकार में जियोलॉजिस्ट बनने के कई अवसर हैं। एमएससी पास छात्रों के लिए जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा समय-समय पर जियोलॉजिस्ट की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की जाती है। सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड भी इस कोर्स के छात्रों को काम करने का अवसर मुहैया कराता है। इसमें हाइड्रोजियोलॉजिस्ट के रूप में उसी स्केल पर नियुक्ति होती है, जिस स्केल पर जियोलॉजिस्ट की। इनके अलावा पीएचडी करने के बाद साइंटिस्ट पद पर भर्ती होती है। ये सभी पद ग्रेड ए स्तर के अधिकारी के हैं। रिसर्च संस्थाओं के अलावा आजकल निजी कंपनियों में एग्जिक्यूटिव के रूप में भी क्लास वन पद पर इसके विशेषज्ञ रखे जा रहे हैं।
ओएनजीसी, वेदांता, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड, ईएसएसआर, केर्न इंडिया जैसी कई कंपनियां हैं, जहां इनकी मांग है। पीएचडी करने वालों के लिए रिसर्च एसोसिएट और अध्यापन के भी मौके हैं। इसके अलावा इनकी मांग देश में जहां पेयजल के लिए काम हो रहा है या फिर सीमेंट, माइनिंग आदि के कामों में इस कोर्स के छात्रों की मांग है।
दाखिला कैसे
इसमें बारहवीं की मेरिट के आधार पर दाखिला दिया जाता है। साइंस के छात्र के लिए बारहवीं में भौतिकी, गणित और रसायनशास्त्र पढ़ा होना जरूरी है, तभी उसे दाखिला दिया जाता है। हंसराज कॉलेज इस कोर्स की कट ऑफ लिस्ट निकाल कर मेरिट के हिसाब से दाखिला देता है। आईआईटी प्रवेश परीक्षा पास करने वाले को कट ऑफ में 5 फीसदी की छूट दी जाती है। ओबीसी वर्ग के लिए कट ऑफ में दस फीसदी तक रियायत है। 
फैक्ट फाइल
कोर्स कराने वाले संस्थान
इस कोर्स की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग में होती है। हालांकि दाखिला हंसराज कॉलेज में हो रहा है। वहां छात्रों को मुख्य पेपर के लिए नहीं, बल्कि उसके साथ पढ़ाए जाने वाले स्पेशलाइजेशन पेपरों के लिए जाना होता है। मुख्य कोर्स की पढ़ाई और क्लास जियोलॉजी विभाग में होती है। कुल 25 सीटें हैं।
विश्वविद्यालय में इसके अलावा जियोलॉजी ऑनर्स का कोर्स रामलाल आनंद कॉलेज में चलाया जा रहा है, लेकिन अर्थसाइंस का सिलेबस इससे थोड़ा भिन्न है। यह कोर्स इसके अलावा देश में आईआईटी खड़गपुर और रुड़की में चलाया जा रहा है। 
दिल्ली विश्वविद्यालय, हंसराज कॉलेज
आईआईटी, खड़गपुर और रुड़की
पांडिचेरी यूनिवसिटी, पुड्डुचेरी
इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
फैक्ट फाइल
स्कॉलरशिप
इस कोर्स में आईआईटी संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आयोजित गेट पास करने के बाद छात्रों को 8 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं। एमएससी के बाद एमफिल या पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने के लिए जेआरएफ यानी जूनियर रिसर्च फेलोशिप के रूप में करीब 20 हजार रुपये मिलते हैं।
एमफिल स्तर पर केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में सरकार की ओर से करीब तीन हजार रुपए प्रतिमाह स्कॉलरशिप दी जाती है।
पीएचडी में यह राशि पांच हजार प्रतिमाह है। अर्थ विज्ञान के क्षेत्र में शोध कार्य के लिए अन्य सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं भी स्कॉलरशिप देती हैं। यह रिसर्च कार्यों, पीएचडी या पोस्ट डॉक्टरेट फेलोशिप के लिए दी जाती है। 
वेतन
इस कोर्स के छात्रों को रिसर्च संस्थान 30 हजार से लेकर 40 हजार तक के पैकेज पर ले जा रही हैं। निजी क्षेत्रों में युवाओं की सैलरी स्किल को देखते हुए तय की जाती है। जियोलॉजिस्ट का वेतनमान भी 40 हजार रुपये से 50 हजार रुपये है।
कॉलेज शिक्षण और रिसर्च एसोसिएट के रूप में वेतनमान शुरुआती तौर पर 40 से 45 हजार रुपये है।
कोचिंग संस्थान
कोर्स में दाखिला आमतौर पर 12वीं के अंकों के आधार पर होता है। भौतिकी, रसायनशास्त्र और गणित की पृष्ठभूमि से लैस छात्रों को ही इंटीग्रेटेड एमएससी अर्थसाइंस में दाखिला मिलता है। अगर चाहें तो बारहवीं के बोर्ड में इन विषयों में अच्छे अंक लाने के लिए कोचिंग संस्थान की मदद ले सकते हैं। अपने पास किसी स्तरीय कोचिंग का चुनाव कर सकते हैं। जो छात्र आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफल होकर इधर आना चाहते हैं, वे भी कोचिंग की मदद ले सकते हैं।
एजुकेशन लोन
कॉलेज में इससे जुड़े कोर्स में दाखिले की फीस बहुत कम है, इसलिए लोन की जरूरत नहीं पड़ती। विदेश में पीचएडी की पढ़ाई के लिए बैंक में लोन आदि की व्यवस्था है। 
अवसर 
स्नातक की डिग्री हासिल कर चुके छात्रों के लिए बीएड करने के बाद शिक्षण, टूरिज्म में सर्टिफिकेट कोर्स करके टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी आदि में काम के अवसर मिलते हैं। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होकर बैंक व अन्य निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों में नौकरी कर सकते हैं। सरकारी क्षेत्र की ओर देखें तो यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होकर आईएएस, आईपीएस बन सकते हैं।
अगर इतिहास की अच्छी समझ है तो ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनने वाले धारावाहिक या फिल्म में पटकथा लेखन का काम कर सकते हैं। एमए, एमफिल करने के बाद कॉलेजों में अध्यापन का काम करने के काफी अवसर हैं। पुरातत्व विभाग से डिप्लोमा कोर्स करने के बाद केन्द्र व राज्य सरकार के संग्रहालयों में काम किया जा सकता है।
एक्सपर्ट व्यू
जॉब के बहुत से अवसर मुहैया करवाता है अर्थसाइंस का कोर्स
एक्सपर्ट व्यू/ प्रो. सीएस दुबे
अध्यक्ष, भूगर्भ विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय
अर्थसाइंस में इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू करने का आइडिया कहां से आया?
यह कोर्स वैसे तो आईआईटी रुड़की और खड़गपुर में चलाया जा रहा है, लेकिन विश्वविद्यालयों में नहीं है। आज जिस तरह की नौकरियां बाजार में आ रही हैं, उसे ध्यान में रखते हुए यह कोर्स तैयार किया गया है। यह छात्रों को बाजार की जरूरतों के हिसाब से पढ़ने का मौका देता है।
यह कोर्स किस तरह के अवसर मुहैया कराता है?
इसमें कई तरह के स्पेशलाइजेशन हैं। छात्र एमएससी स्तर पर किसी एक वैकल्पिक पेपर को चुन कर क्षेत्र विशेष में एक से बढ़ कर एक नौकरी पा सकता है। पहले इस कोर्स में नौकरी की संभावना काफी कम थी। आज खनन, तेल व प्राकृतिक गैस, भूजल, कोयला, जियो तकनीक, जीआईएस व रिमोट सेंसिंग, पर्यावरण अध्ययन, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन जैसे विभिन्न क्षेत्र छात्रों को काम के अवसर मुहैया कराते हैं।
डीयू में जियोलॉजी और अर्थसाइंस दो तरह के कोर्स हैं। इन दोनों कोर्सेज में क्या फर्क है?
यह कोर्स पहले से चल रहे जियोलॉजी ऑनर्स से थोड़ा भिन्न और व्यापक है। जियोलॉजी में सिर्फ हम भूतल की बात कर पाते हैं। अर्थ साइंस इसकी प्रक्रिया की बात करता है। जैसे जलवायु में बदलाव कैसे आ रहा है।
अगले सौ साल में क्या बदलाव आएगा? पिछले सौ साल में क्या बदलाव आए हैं। इन सबको एक निरंतरता में समझने की कोशिश करता है यह कोर्स। 
आज इस क्षेत्र में किस तरह के अवसर हैं, प्लेसमेंट की क्या व्यवस्था है?
यह कोर्स 2010 में शुरू किया गया था। यह दूसरा साल है। भूगर्भ विज्ञान ने पिछले साल अपने यहां इसके लिए अलग से प्लेसमेंट सेल भी खोला है। कोर्स पूरा होने के बाद छात्रों को निजी और सरकारी, दोनों कंपनियों से प्लेसमेंट के लिए रूबरू कराया जाएगा(प्रियंका कुमारी,हिंदुस्तान,दिल्ली,27.7.11)।

मनोविज्ञान में करिअर

Posted: 28 Jul 2011 05:30 AM PDT

वर्तमान माहौल में एक ओर जहां लोगों की सुविधाओं में इजाफा हुआ है, वहीं चिंता, तनाव, अवसाद जैसी परेशानियां भी उभरकर सामने आई हैं। यही कारण है कि सामान्य व्यक्तित्व विकास के अलावा मानसिक परेशानियों के हल के रूप में मनोविज्ञान का महत्व बढ़ता ही जा रहा है। इतना ही नहीं, बेहतर कर्मचारियों के चयन में भी मनोविज्ञान से काफी मदद मिलती है। मनोविज्ञान मानव व्यवहार से जुड़े सभी पहलुओं का वैज्ञानिक अध्ययन है। इसलिए समाज के हर सेक्टर में किसी-न-किसी रूप में इसकी जरूरत बनी रहती है और यही कारण है कि मनोविज्ञान की आज कई शाखाएं बन चुकी हैं, जैसे चाइल्ड साइकोलॉजी, क्लिनिकल साइकोलॉजी, रिहैबिलिटेशन, काउंसलिंग, इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी, फिजियोलॉजिकल साइकोलॉजी, कॉगनिटिव साइकोलॉजी, न्यूरो साइकोलॉजी, सोशल साइकोलॉजी, क्रिमिनल साइकोलॉजी आदि। बढ़ती जरूरत के कारण इस फील्ड में अवसर भी लगातार बढ़ रहे हैं।

कैसे-कैसे कोर्स

बीए इन साइकोलॉजी, बीए ऑनर्स इन साइकोलॉजी, बीएससी इन साइकोलॉजी, एमए इन साइकोलॉजी, एमएससी इन अप्लायड साइकोलॉजी, पीजी डिप्लोमा इन गाइडेंस ऐंड काउंसलिंग, पीजी डिप्लोमा इन चाइल्ड साइकोलॉजी केयर ऐंड मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन क्लिनिकल ऐंड कम्युनिटी साइकोलॉजी आदि कई तरह के कोर्सेज इस फील्ड में उपलब्ध हैं। कई संस्थानों में 12वीं में भी मनोविज्ञान की पढ़ाई होती है। इसके अलावा ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और एमफिल, पीएचडी लेवल पर भी इस विषय का अध्ययन किया जा सकता है। बाद में उच्च शिक्षा के स्तर पर मनोविज्ञान की विभिन्न शाखाओं में से किसी में भी विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है। 

शैक्षणिक योग्यता
कई संस्थानों में 12वीं में भी मनोविज्ञान की पढ़ाई होती है। जो विद्यार्थी मनोविज्ञान में स्नातक स्तर का कोर्स करना चाहते हैं, उनके लिए जरूरी है कि वे 12वीं उत्तीर्ण हों। मनोविज्ञान में पीजी के लिए इसी विषय में ग्रेजुएट होना जरूरी है। पीजी के बाद एमफिल व पीएचडी के लिए रास्ते खुलते हैं। 
व्यक्तिगत गुण जो विद्यार्थी मनोविज्ञान के माध्यम से कैरियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए जरूरी है कि लोगों से मिलने-जुलने में उनकी दिलचस्पी हो। उनकी बातचीत का अंदाज बेहतर होना चाहिए। तभी वे दूसरों की बातों को, समस्याओं को ठीक से समझ सकेंगे। लोगों की समस्याएं या मनोवैज्ञानिक जरूरतें किसी भी फील्ड की हो सकती हैं, इसलिए साइकोलॉजिस्ट के लिए जरूरी है कि वे अपने सामान्य ज्ञान और समसामयिक जानकारी को दुरुस्त रखें। 

अवसर कहां-कहां
मनोवैज्ञानिक व्यक्तित्व और व्यवहार से संबंधित न सिर्फ आंकड़ों का संकलन करते हैं, बल्कि पर्सन, बिजनेस, मैनेजमेंट, एम्प्लॉई रिलेशन, लॉ, स्पोर्ट्स आदि विभिन्न परिस्थितियों में उन्हें लागू भी करते हैं। इसलिए मनोविज्ञान की जरूरत आज अनेक सेक्टर्स में है। स्कूलों, कॉलेजों आदि विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में काउंसलर के रूप में मौके मिलते हैं। क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट की आज काफी मांग है। हॉस्पिटल, नर्सिंग होम, रिहैबिलिटेशन सेंटर, समाज सेवा में संलग्न एनजीओ आदि में इन विशेषज्ञों को मौके मिलते हैं। कैदी सुधार गृहों में भी क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट को अवसर मिलते हैं, जबकि विभिन्न स्पोर्ट्स क्लब द्वारा खिलाड़ियों को मानसिक रूप से सशक्त बनाने के लिए मनोवैज्ञानिकों की मदद ली जाती है। 
इसके अलावा विभिन्न निजी और सरकारी संस्थानों में मानव संसाधन विभागों में कर्मचारियों के बेहतर चयन के मद्देनजर मनोवैज्ञानिकों की मदद ली जाने लगी है। चूंकि मनोविज्ञान में नए-नए शोध कार्यों की जरूरत हमेशा होती है, इसलिए रिसर्चर के रूप में भी आप अपने कैरियर को आगे ले जा सकते हैं। टीचिंग तो इस फील्ड में विकल्प है ही, आप चाहें तो काउंसलर के रूप में निजी प्रैक्टिस से भी अच्छी कमाई कर सकते हैं। 

मुख्य संस्थान

दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली www.du.ac.in

तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद www.tmu.ac.in

जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली www.jmi.ac.in

एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा व अन्य केंद्र 222 www.amity.edu

गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ एजुकेशनल साइकोलॉजी ऐंड गाइडेंस, जबलपुर www.gcpgjabalpur.nic.in

उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद www.osmania.ac.in

कोलकाता यूनिवर्सिटी, कोलकाता www.caluniv.ac.in

बेंगलुरु यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु www.bub.ernet.in

इग्नू, दिल्ली, www.ignou.ac.in(डॉ. अरूण कुमार,अमर उजाला,27.7.11)

ई-कॉमर्स

Posted: 28 Jul 2011 04:30 AM PDT

ई-कॉमर्स यानी इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स का ही नतीजा है कि ऑनलाइन बैंकिंग, इंटरनेट शॉपिंग और ई-ट्रेडिंग जैसे पेपरलेस बिजनेस मोड के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। इंटरनेट के विस्तार ने तो ई-कॉमर्स को एक नई ऊंचाई दी है। इसके तकनीकी पहलुओं के जानकारों के लिए यह फील्ड कैरियर के मामले में भी काफी फायदेमंद हो रहा है। इसी के मद्देनजर आज ई-कॉमर्स से संबंधित सर्टिफिकेट से लेकर पीजी स्तर तक के कोर्स उपलब्ध हैं।
ई-कॉमर्स बिजनेस का आधुनिक रूप है जो पूरी तरह से तकनीक पर आधारित होता है। बिजनेस के इस रूप में किसी प्रोडक्ट या सेवा की खरीद-बिक्री विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों द्वारा की जाती है, जिसमें इंटरनेट प्रमुख है। कहा जा सकता है कि ई-कॉमर्स में इंटरनेट बैक-बोन की भूमिका अदा करता है। यहां न तो समय का कोई बंधन है और न ही किसी प्रतिष्ठान में जाने की मजबूरी। पैसों का आदान-प्रदान भी आप इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही कर सकते हैं। बिजनेस के इस स्वरूप में इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर, डिजिटल कैश, इलेक्ट्रॉनिक मनी आदि का उपयोग किया जाता है, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी फायदेमंद है। ई-कॉमर्स के साथ-साथ अब एम-कॉमर्स का चलन भी शुरू हो चुका है, जिसमें बिजनेस मोबाइल से संपन्न किया जाता है।
ई-कॉमर्स वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख इंडस्ट्री का रूप ले चुका है। तकनीकी विकास के साथ आज के जमाने के ग्राहकों को भी ई-कॉमर्स काफी सुविधा मिल रही है। साथ ही इसके उपयोग से संस्थानों की सर्विस कॉस्ट में भी भारी गिरावट आई है। ई-कॉमर्स के कई प्रकार हैं -


बिजनेस टू कंज्यूमर (बी टू सी)- ई-कॉमर्स के इस रूप में कोई भी कस्टमर सप्लायर की वेबसाइट से कोई प्रोडक्ट सीधे खरीद सकता है। इसमें कस्टमर और सप्लायर के बीच सीधा कारोबार होता है।

बिजनेस टू बिजनेस (बी टू बी)- यहां बिजनेस ट्रांजैक्शन में ग्राहक सीधे शामिल नहीं होता है। ई-कॉमर्स का यह रूप काफी बड़ा होता है, जैसे मैन्यूफैक्चरर्स और होल सेलर्स। 

कंज्यूमर टू कंज्यूमर (सी टू सी)- इस बिजनेस मोड में थर्ड पार्टी का कॉन्सेप्ट होता है। यह थर्ड पार्टी कोई बिजनेस वेबसाइट हो सकती है। इस पर एक पार्टी किसी सामान को बेचने के लिए पोस्ट कर करती है और दूसरी उस साइट की मदद से उस सामान को खरीदती है। यहां ग्राहकों के बीच सीधा बिजनेस होता है, किसी थर्ड पार्टी के माध्यम से, जैसे ई-बे, आमेजन आदि(संजीव कुमार,अमर उजाला,27.7.11)।

एम्स की 31 फीसदी सीटों पर एलेन के छात्र

Posted: 28 Jul 2011 03:40 AM PDT

इंजीनियरिंग एवं मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में अपनी श्रेष्ठता की विशेष पहचान रखने वाले एलेन कैरियर इंस्टीट्यूट, कोटा (राज.) ने 15 जुलाई को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) द्वारा घोषित एम.बी.बी.एस. - 2011 की परीक्षा में भी सबसे बेहतर परिणाम दिए हैं। देश की सबसे प्रतिष्ठित इस मेडिकल प्रवेश परीक्षा में एलेन से कुल 32 विद्यार्थी चयनित हुए हैं, जिनमें कन्फर्म मेरिट लिस्ट में 22 विद्यार्थियों का चयन हुआ है, जबकि 10 विद्यार्थी प्रतीक्षा सूची में चयनित हुए हैं। कुल कन्फर्म 72 चयनित विद्यार्थियों में से एलेन का सफलता दर 31 प्रतिशत है जो देश में किसी एक स्थान पर संचालित कोचिंग संस्थान में सर्वाधिक है। 1 जून को अखिल भारतीय स्तर पर सामान्य, ओबीसी एवं एससी-एसटी कैटेगरी हेतु मात्र 72 सीटों के लिये देशभर के 11 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित इस परीक्षा में लगभग 70 हजार विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें कन्फर्म एवं वेटिंग लिस्ट मिलाकर कुल 112 विद्यार्थी चयनित किये गये(अमर उजाला,दिल्ली,27.7.11)।

यूपीःबीएड काउंसिलिंग का पहला चरण हुआ खत्म

Posted: 28 Jul 2011 03:23 AM PDT

बीएड 2011-12 की पहले चरण की काउंसिलिंग बुधवार को समाप्त हो गई। काउंसिलिंग के अंतिम दिन प्रदेश के 30 केन्द्रों पर 7000 अभ्यर्थियों ने विकल्प लॉक किए फिर भी आगरा और मेरठ विश्वविद्यालय से संबद्ध बीएड महाविद्यालयों में विज्ञान, कृषि संकाय की 10 हजार सीटें खाली हैं। कला और वाणिज्य संकाय की 1100 सीटों का विकल्प भी दिख रहा है। ये सीटें 3 से 7 अगस्त तक होने वाली दूसरे चरण की काउंसिलिंग से भरी जाएंगी।
बुधवार को 1.92 लाख से 2.10 लाख रैंक तक के अभ्यर्थियों को बुलाया गया था। लगभग 18 हजार अभ्यर्थियों को आना था लेकिन 7000 अभ्यर्थी ही आए। अंतिम दिन भी मेरठ और आगरा विवि से संबद्ध कृषि, विज्ञान संकाय के 264 बीएड महाविद्यालयों का विकल्प ही दिख रहा था। कला और वाणिज्य के 39 कालेजों की सीटें दिख रही थीं। काउंसिलिंग समन्वयक डा. आरसी कटियार, डा. संदीप सिंह और डा. वीपी सिंह ने बताया कि बुधवार को काउंसिलिंग कराने वाले अभ्यर्थियों को गुरुवार को अलाटमेंट लेटर दिए जाएंगे। 30 जुलाई तक फीस जमा की जाएगी। अलाटमेंट लेटर लेने वाले जिन अभ्यर्थियों ने फीस नहीं जमा की है, उन्हें दोबारा मौका दिया गया है। वह फीस जमा करके बीएड की सीट कंफर्म करा सकते हैं। 30 जुलाई तक फीस नहीं जमा हुई तो सीट खाली मान ली जाएगी, जिसे दूसरे चरण की काउंसिलिंग से भरा जाएगा(अमर उजाला,कानपुर,28.7.11)।

पंजाब यूनिवर्सिटीःअब अटेंडेंस होगी 'लॉक'

Posted: 28 Jul 2011 03:12 AM PDT

पीयू प्रशासन ने अपने सभी विभागों में आनलाइन अटेंडेंस सिस्टम लागू करने की तैयारी कर ली है। इस सिस्टम के लागू हो जाने के बाद स्टूडेंट्स हर सप्ताह अपनी अटेंडेंस आनलाइन चेक कर सकेंगे। इस सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सत्र के अंत में अटेंडेंस में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकेगा।
पीयू के डीयूआई प्रो. बीएस बराड़ ने मंगलवार को पीयू के शिक्षकों के साथ हुई दो अलग-अलग बैठकों में उन्हें आनलाइन अटेंडेंस सिस्टम 15 अगस्त तक लागू करने को कहा। इस सिस्टम को लागू करने से पहले शिक्षकों और विभागाध्यक्षों के लिए वर्कशाप भी आयोजित की जाएगी। शिक्षकों के साथ-साथ नान टीचिंग स्टाफ को भी ट्रेनिंग दी जाएगी। पीयू ने दो साल पहले भी आनलाइन अटेंडेंस सिस्टम शुरू करने की कोशिश की थी, लेकिन उस समय कुछ ही विभाग इस सिस्टम को लागू कर सके थे।

इस सिस्टम के लिए पीयू ने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है। इसके तहत शिक्षकों क्लास में रोज हाजिरी लेंगे। इसके बाद अटेंडेंस का रिकार्ड रोज कंप्यूटर पर अपडेट किया जाएगा। जो छात्र क्लास में उपस्थित नहीं होंगे उन्हें एबसेंट मार्क कर दिया जाएगा। अगर कोई शिक्षक किसी दिन अटेंडेंस अपडेट नहीं कर सका तो वह अगले दो तीन दिन में इसे अपडेट कर सकते हैं। एक सप्ताह बाद छात्र अपनी अटेंडेंस चेक कर पाएंगे और अगर किसी छात्र को कोई आपत्ति है तो वह तीन दिन में अपनी आपत्ति दर्ज करा सकेगा। इसके बाद हर स्टूडेंट की अटेंडेंस लॉक हो जाएगी। विभाग के हर छात्र और शिक्षक को लाग इन आईडी और पासवर्ड दिया जाएगा।
इस सिस्टम को लागू करने का उद्देश्य सत्र के अंत में छात्र नेताओं की ओर से शिक्षकों या विभागाध्यक्षों पर अटेंडेंस को पूरा करने के बनाए जाने वाले दबाव को खत्म करना है। हर सत्र के अंत में छात्र संगठन लेक्चर पूरे करवाने के लिए धरना भी देते हैं, लेकिन अब हर सप्ताह छात्रों की अटेंडेंस लॉक होने के बाद सत्र के अंत में इससे छेड़छाड़ नहीं हो सकेगी। पीयू के डीयूआई प्रो. बीएस बराड़ ने कहा कि उनकी कोशिश है कि यह सिस्टम हर विभाग में 15 अगस्त से लागू हो जाए। इस सिस्टम के लागू हो जाने से छात्र और शिक्षकों के संबंध में सुधार आएगा। साथ ही पारदर्शिता बढ़ेगी। अभी छात्र सत्र के अंत में शिक्षक पर लेक्चर पूरा करने का जो दबाव डालते हैं उससे शिक्षकों को मुक्ति मिल जाएगी(अमर उजाला,चंडीगढ़,28.7.11)।

केंद्रीय विवि में ओबीसी कोटा पर भ्रम बरकरार

Posted: 28 Jul 2011 02:54 AM PDT

उच्च शिक्षा के केंद्रीय शिक्षण संस्थाओं में दाखिले के लिए ओबीसी आरक्षण का पैमाना क्या हो, इस पर भ्रम बरकरार है। ओबीसी आरक्षण पर फैसला देने वाली संविधान पीठ के सदस्य जजों को शामिल करने के आग्रह पर मौजूदा बेंच ने इस मामले को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया। चीफ जस्टिस द्वारा नई बेंच के गठन के बाद ही अब इस मामले की सुनवाई हो सकेगी। जस्टिस आरवी रवीन्द्रन और एके पटनायक की बेंच काफी समय से आरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी, लेकिन बुधवार को सुनवाई के दौरान आरक्षण विरोधी पक्ष के वकील पीपी राव ने कहा कि 10 अप्रैल, 2008 को पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को जायज ठहराया था। उस पीठ के दो सदस्य अभी भी कार्यरत हैं। जस्टिस रवीन्द्रन के अलावा जस्टिस भंडारी को भी इस बेंच में होना चाहिए। वकील का कहना था कि जस्टिस भंडारी ने तीन साल पहले दिए फैसले में कट ऑफ का जिक्र किया था। इसलिए उन्हें बेंच में शामिल किया जाना चाहिए। वकील के इस कथन पर बेंच ने मामला चीफ जस्टिस को भेज दिया। गौरतलब है कि संविधान पीठ के तीन जज जस्टिस केजी बालाकृष्णन, जस्टिस अरिजित पसायत और सीके ठक्कर रिटार्यड हो चुके हैं। बुधवार को सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि सामान्य श्रेणी के छात्रों को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि उच्च शिक्षण संस्थाओं में दाखिले और सरकारी नौकरियों में आरक्षण एक वास्तविकता है। सामान्य श्रेणी के छात्रों का रोष बहुत स्वाभाविक है। जब वह यह देखते हैं कि उनसे कम अंक हासिल करने वाला छात्र दाखिला पाने में सफल हो जाता है, लेकिन समाज में असमानता के कारण यह सुविधा दी गई है। असमान छात्रों को समानता के आधार पर दाखिले से वंचित नहीं किया जा सकता। कट ऑफ अंक को लेकर अलग अलग विविद्यालयों द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया पर अदालत को स्थिति स्पष्ट करनी थी(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,28.7.11)।

यूपीःस्कूलों की गुणवत्ता पर रहेगी नजर

Posted: 28 Jul 2011 02:51 AM PDT

शिक्षा के अधिकार कानून के तहत प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के कामकाज की गुणवत्ता का नियमित तौर पर मूल्यांकन होगा। स्कूलों की गुणवत्ता के समग्र मूल्यांकन की प्रक्रिया निर्धारित करने की जिम्मेदारी राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) पर होगी। गुणवत्ता का मूल्यांकन आंतरिक व बाहरी संगठनों के माध्यम से होगा। उत्तर प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 के अनुसार स्कूलों की गुणवत्ता का साल में कम से कम एक बार विभागीय मूल्यांकन होगा। वहीं हर दो साल पर बाहरी संस्था के माध्यम से स्कूलों की गुणवत्ता का आकलन कराया जाएगा। गुणवत्ता के वार्षिक मूल्यांकन के लिए एससीईआरटी प्रश्न बैंक तैयार करेगा। इस प्रश्न बैंक के आधार पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) रैंडम आधार पर प्रत्येक ब्लॉक के स्कूलों का आकलन करेगा। हर साल दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक स्कूलों की गुणवत्ता मूल्यांकन का जिलावार, ब्लॉकवार प्रतिवेदन जिला मजिस्ट्रेट और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्रस्तुत किया जाएगा। बाहरी संस्था को मूल्यांकन कार्य सौंपे जाने के छह महीने के भीतर परिणाम प्रस्तुत करने होंगे जिसे राज्य स्तरीय विद्यालय एवं विद्या निर्धारण प्रतिवेदन के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। बाहरी संस्था द्वारा किये जाने वाले द्विवर्षीय मूल्यांकन में छात्रों के विद्या प्राप्त करने का स्तर तथा क्लास में होने वाली पढ़ाई में पाठ्यपुस्तकों, अध्यापक संदर्शिका व अन्य संबंधित सामग्री की उपलब्धता व उपयोग का आकलन किया जाएगा। स्कूलों की गुणवत्ता के मूल्यांकन के जिलावार परिणाम राज्य सरकार, एससीईआरटी और सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय को सुसंगत कार्यवाही के लिए भेजे जाएंगे। वहीं ब्लॉकवार परिणाम जिला मजिस्ट्रेट और बीएसए को कार्यवाही के लिए भेजे जाएंगे। एससीईआरटी तैयार करेगा पाठ्यक्रम : प्रारंभिक शिक्षा के लिए विभिन्न विषयों के कोर्स तैयार करने और बच्चों की मूल्यांकन प्रक्रिया निर्धारित करने की जिम्मेदारी एससीईआरटी को सौंपी गई है। एससीईआरटी पर पाठ्य पुस्तकें व सीखने की अन्य सामग्री तैयार करने का दायित्व भी होगा। छात्र को प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के एक महीने के अंदर इस आशय का प्रमाणपत्र दिया जाएगा। यह प्रमाणपत्र बेसिक शिक्षा निदेशक द्वारा संस्तुत प्रपत्र पर जारी किया जाएगा। निजी स्कूलों द्वारा जारी किये जाने वाले प्रमाणपत्रों पर आवंटित मान्यता पंजीकरण संख्या का भी उल्लेख किया जाएगा(दैनिक जागरण,लखनऊ,28.7.11)।

हिंदुस्तान प्रतिभा सम्मान छात्रवृत्ति

Posted: 28 Jul 2011 02:41 AM PDT

विविधताओं से भरे इस देश में अपार प्रतिभाएं है। बस जरूरत है उन्हें पहचान कर मौका देने की। स्कॉलरशिप युवाओं की प्रतिभा को मुकाम देने का प्रमुख टूल है। इस बारे में बता रहे हैं अनुराग मिश्र

स्कॉलरशिप छात्र की मुश्किलों को जहां आसान करती है, वहीं दूसरी तरफ उसे मानसिक संबल प्रदान करने का भी काम करती है। उसे इस बात का भरोसा देती है कि उसकी प्रतिभा को तराशने और पहचानने वाला कोई है। शिक्षा एक ऐसा माध्यम है, जो सफलता के हर द्वार को खोलता है। ऐसे में स्कॉलरशिप मिलना किसी प्रत्याशी की हौसला अफजाई करता है। कई बड़ी सिलेब्रिटीज, महापुरुषों के जीवन को बदलने में स्कॉलरशिप का अहम योगदान रहा है। अहम बात यह है कि इसके द्वारा कई छात्र-छात्राओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का प्लेटफॉर्म मिल पाता है।
विविधताओं से भरे देश में हर छात्र की ख्वाहिश अलग-अलग होती है। किसी की तमन्ना है कि वह इंजीनियर बनें तो कोई डॉक्टर। किसी की हसरत आगे प्रबंधन के क्षेत्र



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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