THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, June 25, 2012

अलविदा प्रणव दा

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अलविदा प्रणव दा

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अलविदा प्रणव दा

देश के वित्त मंत्री के रूप में प्रणब मुखर्जी का आज आखिरी दिन है. कल वे अपने पद से इस्तीफ़ा दे देंगे और दो दिन बाद राष्ट्रपति पद के लिये चार सेटों में अपना नामांकन दाखिल करेंगे. साथ ही साथ वे कांग्रेस को भी अलविदा कह देंगे. कांग्रेस के संकटमोचक कहे जानेवाले दादा के दर छोड़ देने के बाद एकसाथ इतनी कुर्सियां काली नजर आने लगेंगी जिसे कम से कम कांग्रेस के लिए भर पाना मुश्किल होगा.

कांग्रेस के लिए एकसाथ वे कई मोर्चों पर काम कर रहे थे. राजनीतिक गलियारों में उन्हें शैडो पीएम भी कहा जाता था. सरकार या पार्टी पर जब कभी राजनीतिक या प्रशासनिक संकट आया तो प्रणव मुखर्जी ही संकटमोचक बनकर सामने आये. सरकार में वे ग्रुप आफ मिनिस्टर्स के अध्यक्ष थे और लोकसभा में सत्तापक्ष के नेता. आमतौर पर ये पद प्रधानमंत्री के पास रहते हैं लेकिन यह प्रणव मुखर्जी की पहुंच और काबिलियत थी कि वे प्रधानमंत्री न रहते हुए भी प्रधानमंत्री से ज्यादा ताकतवर थे.

यह रोचक है और संवैधानिक राजनीति का दिलचस्प पहलू भी कि जिस कांग्रेस में रहकर उन्होंने अपना कद इतना बड़ा किया कि देश के सर्वोच्च पद तक पहुँच सकें और जो कांग्रेस उन्हें जिताने के लिए पूरी ताकत लगाये हुए है, दादा उससे भी अपना सम्बन्ध तोड़ लेंगे. जाहिर है कि वह क्षण उनके लिए भावपूर्ण होगा और उनके सहयोगियों के लिए भी.

लेकिन यह आखिरी दिन उनके लिए महत्वपूर्ण है. अंतिम पलों में वे ऐसा कुछ कर जाना चाहते हैं जिससे कि एक वित्तमंत्री के रूप में लोग उनको याद करते रहें. वे अर्थव्यवस्था में अपने नामो-निशान छोड़ जाना चाहते हैं. कभी दुनिया के शीर्ष वित्तमंत्रियों में शुमार रहे प्रणव दा जो अब तक नहीं कर पाए वे एक दिन में क्या कर लेंगे. साथ में जैसे हालत हैं और राजनीतिक मजबूरियां हैं उनमें वे शायद ही कुछ ऐसा कर सकें जिससे लोग उन्हें सालों-साल याद करते रहें. फिर भी वे अपनी अंतिम कोशिश जरूर करना चाहते हैं.

ऐसी सम्भावना जताई जा रही है कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए और सूखे पत्ते की तरह गिर रहे रूपये को पतंग की आसमानी उंचाई देने के लिए वे कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक घोषणाएं कर सकते हैं. इन घोषणाओं में व्यर्थ के खर्चों में कटौती और विदेशी मुद्रा की आवक को बढ़ाने के लिए अनिवासी भारतीयों की जमा राशि पर ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की घोषणा की संभावनाएं शामिल मानी जा रही हैं. इसके आलावा रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया दामों कटौती की भी घोषणा कर सकता है. अब क्या क्या घोषणाएं की जाएँगी, वह तो जल्द ही, आज ही पता चल जायेगा.

बहरहाल, कौन नहीं चाहेगा कि वित्त मंत्रालय से विदाई लेने जा रहे प्रणब मुखर्जी वित्तमंत्री के रूप में एक दिन में ही सही, कुछ ऐसा चमत्कार कर जाएं कि वित्त मंत्रालय में उनका नाम अमर हो जाय और देश की जनता को कुछ राहत मिल जाय.

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