THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Saturday, August 1, 2015

1978 से टिहरी बाँध विस्थापित/प्रभावितों का संघर्ष


1978 से टिहरी बाँध विस्थापित/प्रभावितों का संघर्ष

TEHRI DAM DANGER''दस बरस बाद''

बांध विस्थापित क्षेत्रों में आज भी भूमिधर अधिकार नहीं मिल पाए है। बिजली, पानी,स्वास्थय सेवाएं, शिक्षा व्यस्था, बैंक यहाँ तक कि पोस्ट ऑफिस और जानवरों से खेती की सुरक्षा के लिए ताड़-बाड़ जैसी मूलभूत समस्याओं के लिए 1978 से आज तक टिहरी tehriबाँध विस्थापित/प्रभावित संघर्ष कर रहे है। नए टिहरी शहर में मात्र पुराने टिहरी शहर की मात्र 40प्रतिशत आबादी बस पायी, पुश्तों और सीढ़ियों के शहर में हाँफते हुए लोग घुटनों के दर्द और साँस की बीमारियों से पीड़ित हो रहे है। 29 जुलाई, 2005 में बाँध के उद्घाटन के समय तत्कालीन उर्जा मंत्री द्वारा मुफ्त बिजली का किया गया वादा मात्र वादा ही रह गया।
टिहरी बाँध के उद्घाटन के 29 जुलाई, 2005 से 10 वर्ष बीत गए और टिहरी बाँध की झील में रेत भयानक स्तर तक भर गई है। साथ ही झील के चारों तरफ के लगभग 40 गाँव बाँध कि झील के कारण धसक रहे हैं। बाँध कंपनी ''टिहरी जल विद्युत् निगम इंडिया लिमिटेड'', इन गाँवो को बाँध से ना प्रभावित मानकर प्राकृतिक आपदा का शिकार मान रहीं है।
पुनर्वास कार्य पूरा ना होने के कारण एन. डी. जुयाल, शेखर सिंह बनाम भारत सरकार व अन्य,तथा किशोर उपाध्याय बनाम भारत सरकार मुकदमों के कारण माननीय उच्चतम न्यायालय ने बाँध कि झील को पूरा भरने पर रोक लगा रखी है। जो यह बताता है कि बाँध पूरा करना मात्र एक जिद्द थी जिसमे महत्वपूर्ण परि-पासु की शर्त का पालन नहीं हुआ जिसके अनुसार पुनर्वास कार्य व बाँध का इंजीनियरिंग कार्य साथ साथ होना चाहिए था।
बाँध से 1000 मेवा बिजली पैदा करने का दावा था वो भी कम ही पैदा हो पायी है। यहाँ प्रश्न यह भी उठता है कि राज्य सरकार को मिलने वाली 12% मुफ्त बिजली का पैसा कहाँ गया। केंद्रीय उर्जा मंत्रालय नीति के अनुसार यह पैसा बाँध विस्थापितों व पर्यावरण कि समस्याओं के निराकरण के लिए खर्च किया जाना चाहिए था।
बाँध बनने के बाद 2010 में जो बाढ़ आई जिसमे पानी बाँध के ऊपर से गुजरने वाला था उस समय ये सिद्ध हुआ कि झील के पानी कि सर्वे लाइन गलत थी। पुनः सर्वे में नए विस्थापित आए अभी इन सबका पुनर्वास नहीं हुआ है। पुनर्वास में भ्रष्टाचार पराकाष्ठता पर रहा है जो हाल ही में विस्थापितों को हरिद्वार में नदी के खादर में जमीन के पट्टे काट दिए गए। खुलासा होने पर ये स्तिथि कुछ रुकी।
इससे पुनः यह सिद्ध हुआ है कि इन सबका 1978 से विस्थापन शुरू होना, 10 साल से बिजली पैदा शुरू होना जिस विकास कि ओर इंगित करता है उसमे नदी घाटी के लोगों का स्थान ना होना, पर्यावरण की बर्बादी बड़ा भ्रष्टाचार दिखाई देता है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के शब्द सही सिद्ध हुए जो उन्होंने बाँध बनने से पूर्व अपने टिहरी दौरे के बाद कहे थे कि यह बाँध ठेकेदारों और पूंजीपतियों को ही फायदा पहुचायेगा।
बांध के उद्घाटन के 10 साल बाद आज नमामि गंगा का जाप करने वाली केंद्र सरकार व राज्य की कांग्रेस नीत सरकार, क्या इसपर विचार करेगी?
विमलभाई, पूरण सिंह राणा

-- Himalaya Gaurav Uttarakhand
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...