THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Friday, January 29, 2016

पूर्व टिहरी रियासत में राजा के कारिंदे अथवा चमचे अवश्य काली टोपी पहनते थे । इसकी वजह यह थी कि राजा के सम्मुख नंगे सर न जाने की बाध्यता थी । बड़े राज कर्मी तो पगड़ी पहनते थे , लेकिन जन सामान्य टोपी से काम चलाता था । पगड़ी में कपड़ा बहुत लगता था , जो जन सामान्य के वश की बात नहीं थी ।सफेद टोपी चूँकि स्वाधीनता सेनानी पहनते थे , जिन्हें राज शत्रु माना जाता था । अतः राज भक्तों ने सफेद के धुर उलट काली टोपी अपनायी । कालान्तर में इस क्षेत्र में आर एस एस का प्रकोप बढ़ने पर अवश्य उनके अनुयायी काली टोपी पहनने लगे । वस्तुतः काली टोपी गुलामी का द्योतक है ।

अलग राज्य बनने के बाद काली टोपी को उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक पहचान घोषित करने का रिवाज़ ज़ोर शोर से चल पड़ा है । अच्छे भले समझदार और पढ़े लिखे लोग भी इस झांसे में आते देखे गए हैं । सच यह है कि काली टोपी उत्तराखण्ड की परम्परागत धरोहर हर्गिज़ नही है । यहां के कतिपय निवासी इस तरह की टोपी अवश्य पहनते रहे हैं , लेकिन , आवश्यक नहीं कि वह काली ही हो । किसी भी रंग की पहन लेते थे । पूर्व टिहरी रियासत में राजा के कारिंदे अथवा चमचे अवश्य काली टोपी पहनते थे । इसकी वजह यह थी कि राजा के सम्मुख नंगे सर न जाने की बाध्यता थी । बड़े राज कर्मी तो पगड़ी पहनते थे , लेकिन जन सामान्य टोपी से काम चलाता था । पगड़ी में कपड़ा बहुत लगता था , जो जन सामान्य के वश की बात नहीं थी ।सफेद टोपी चूँकि स्वाधीनता सेनानी पहनते थे , जिन्हें राज शत्रु माना जाता था । अतः राज भक्तों ने सफेद के धुर उलट काली टोपी अपनायी । कालान्तर में इस क्षेत्र में आर एस एस का प्रकोप बढ़ने पर अवश्य उनके अनुयायी काली टोपी पहनने लगे । वस्तुतः काली टोपी गुलामी का द्योतक है । अतः यदि आप आर एस एस के अनुयायी या राजा के गुलाम हैं तो अवश्य काली टोपी पहनिए , अन्यथा इसे तुरन्त उतार फेंकिए और बाज़ार से इसमें फल , सब्ज़ी , मूंगफली लाने का काम कीजिये । अथवा इसे चिड़िया भगाने के लिए खेत के बीचों बीच एक डंडे पर टांग दीजिये ।आपको उत्तराखण्डी होने के लिए कोई भी टोपी आवश्यक नहीं है । ठण्ड से बचने के लिए कान ढकने वाली गर्म टोपी पहनिए । टोपी एक अनावश्यक आडम्बर है । गांधी जी भी पहले पहनते थे । बाद में इसे फज़ूल समझ कर उन्होंने उतार फेंका । आप भी उतारिये । नंगे सर घूमिये । फैशन के लिए पहननी हो तो कोई अन्य टोपी पहनिए , न कि काली । चूँकि हमारे पड़ोसी पहाड़ी देश नेपाल में गोर्खाली टोपी का रिवाज़ है , अतः कुछ लोगों को लगता होगा कि हमारी भी एक टोपी होनी चाहिए । नकलची मत बनो । नेपाली तो भैंस खाते हैं , और शौच के बाद पानी नहीं बरतते । क्या तुम भी ऐसा करोगे ? अब आप किसी के गुलाम नहीं हैं । देश आज़ाद हुए 70 वर्ष होने को हैं ।
Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna's photo.

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