THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, April 30, 2012

टू जी स्पेक्ट्रम की नीलामी सरकार के लिए गले की फांस बन गयी!चेहरा छुपाना ही मुश्किल,निवेशकों की आस्था हासिल करना तो दूर की कौड़ी है!

टू जी स्पेक्ट्रम की नीलामी सरकार के लिए गले की फांस बन गयी!चेहरा छुपाना ही मुश्किल,निवेशकों की आस्था हासिल करना तो दूर की कौड़ी है!  

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

खाली हुए  टू जी स्पेक्ट्रम की नीलामी सरकार के लिए गले की फांस बन गयी है। टेलीनर और वोडाफोन के बेहद आक्रामक तेवर अपनाने से सरकार ​​के लिए अब चेहरा छुपाना ही मुश्किल हो रहा है, विदेशी निवेशकों की आस्था हासिल करना तो दूर की कौड़ी है!वोडाफोन ने तो इस सिलसिले में भारत सरकार के नीति निर्धारण की संप्बूता को ही चुनौती दे दी और ट्राई की सिफारिशें लागू न करने की​​ चेतावनी भी दे दी।दूरसंचार कंपनी वोडाफोन ने पिछली तारीख से आयकर कानून में संशोधन के मामले में भारत को नीदरलैंड के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि (बिट) के तहत अंतरराष्ट्रीय पंचाट में घसीटने का नोटिस पहले ही दिया है। तो दूसरी ओर नार्वे की दूरसंचार कंपनी टेलीनॉर ने आज कहा कि भारत में दूरसंचार क्षेत्र में कारोबार के वातावरण की अनिश्चितता के कारण वह उस देश में अपने 68.3 करोड़ डालर (35 अरब रुपए) के निवेश को समेट डालेगी। कंपनी ने कहा कि उसने यह फैसला भारत में उच्चतम न्यायालय द्वारा जनवरी में जारी 122 दूरसंचार 2जी मोबाइल सेवा लाइसेंसों के रद्द किए जाने के बाद स्पेक्ट्रम की नए सिरे से नीलामी के बारे में दूरसंचार बाजार नियामक ट्राई द्वारा सुझाई गई शर्तों के मद्देनजर किया है। रद्द किए गए लाइसेंसों में टेलीनॉर के 22 लाइसेंस भी शामिल हैं।इसी बीच दूरसंचार आयोग ने 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी से जुड़े कुछ दिशानिर्देशों पर ट्राई (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) से जवाब मांगा है। 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की ऊंची कीमत को तय किए जाने का आधार और इससे उपभोक्ताओं पर पडऩे वाले असर के साथ कुछ सीमित मात्रा में स्पेक्ट्रम की तत्काल नीलामी किए जाने की अनुशंसा शामिल है, जिसे लेकर दूरसंचार आयोग ने ट्राई से स्पष्टीकरण मांगने का फैसला किया है।कपिल सिब्बल के रिरियाकर घिसे हुए रिकार्ड की तरह इस संकट की जिम्मेवारी पूर्ववर्ती सरकार परडालने का बयान दोहराने से जाहिर है कि किस हद तक सरकार फंस चुकी है। राष्ट्रपति के सुप्रीम कोर्ट से स्पेक्ट्रम फैसले पर व्याख्या मांगने के जरिए सरकार नाक बचाने की फिराक में थी, पर इस सिलसिले में उसे कामयाबी नहीं मिली और टू-जी स्पेक्ट्रम मामले में जीरो लॉस (राजस्व हानि नहीं) की अपनी बात दोहराते हुए केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि नीलामी के संबंध में जब कोई नीति ही नहीं थी तो इसमें नुकसान होने का सवाल ही नहीं उठता। हमने पूववर्ती सरकार के नियमों का ही पालन किया। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद खाली हुए 2जी स्पेक्ट्रम (1800 मेगाहट्र्ज बैंड) की जल्द नीलामी के लिए गठित अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह (ईजीओएम) को सरकार ने व्यापक अधिकार प्रदान किए हैं। अदालती आदेश के मुताबिक खाली हुए स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया 31 अगस्त तक पूरी करनी है। इससे पहले सरकार ने अदालत से नीलामी प्रक्रिया पूरी करने के लिए 400 दिनों की मोहलत मांगी थी लेकिन उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त तक का वक्त सरकार को दिया है।

ट्राई ने कुछ दिनों पहले ही अपनी सिफारिश में 2जी स्पेक्ट्रम के लिए 3जी से भी 4 गुने तक की कीमत वसूलने का प्रस्ताव भेजा है।टेलिकॉम कंपनियों का कहना है कि अगर ट्राई की सिफारिशें मानी गईं तो मोबाइल पर फोन करना 30 फीसदी महंगा हो जाएगा। टेलिकॉम कंपनियां का कहना है कि नई पॉलिसी से 80 फीसदी स्पेक्ट्रम को नीलामी के लिए डालने से इसकी जबरन किल्लत पैदा की जा रही है।भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए भारी न्यूनतम बोली तय की है।ट्राई ने 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में प्रति मेगाहर्ट्ज 3622.18 करोड़ रुपए तथा 800-900 मेगाहर्ट्ज बैंड में प्रति मेगाहर्ट्ज 7244.36 करोड़ रुपए की न्यूनतम बोली तय की है।दूरसंचार नियामक ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर स्पेक्ट्रम का न्यूनतम नीलामी मूल्य तथा उसके लिए प्रक्रिया संबंधी सिफारिशें दूरसंचार विभाग को भेजी है।न्यायालय ने गत फरवरी में अपने फैसले में वर्ष 2008 में आवंटित 122 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद्द करते हुए ट्राई को स्पेक्ट्रम की नीलामी के बारे में दिशानिर्देश तय करने का कहा था।

टेलिकॉम सचिव आर चंद्रशेखर के मुताबिक ट्राई से रिजर्व प्राइस तय करने का आधार पूछा जाएगा। साथ ही, ट्राई को बताना होगा कि इतने ऊंचे रिजर्व प्राइस की वजह से ऑपरेटर्स के ऑपरेशनल कॉस्ट और टैरिफ पर कितना असर पड़ेगा।स्पेक्ट्रम की बोली में शामिल होने की शर्तों के साथ-साथ रोलआउट से जुड़े मुद्दों को भी ट्राई के सामने रखा जाएगा। इसके अलावा ट्राई से स्पेक्ट्रम की रीफॉर्मिंग से जुड़े सवाल भी पूछे जाएंगे।टेलीकॉम कमीशन 2 मई तक ट्राई को अपने सवाल सौंप देगा। उम्मीद है कि 15 15 दिन में ट्राई से जवाब भेज देगा।जबकि टेलिकॉम कंपनियां स्पेक्ट्रम की सिफारिशों के खिलाफ लामबंद हो गई हैं। इस मसले पर एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और यूनिनॉर ने टेलिकॉम मंत्री कपिल सिब्बल को चिट्ठी लिखी है।टेलिकॉम कंपनियों की मांग है कि हर तरह के स्पेक्ट्रम की सिर्फ नीलामी की जाए और इसके लिए रिजर्व प्राइस 80 फीसदी कम रखी जाए। यही नहीं कंपनियां चाहती हैं कि सरकार स्पेक्ट्रम की फार्मिंग नहीं करे। इससे उन्हें उपकरणों के अपग्रेडेशन पर भारी खर्च करना पडेगा। यही नहीं कंपनियों की दलील है कि नई स्पेक्ट्रम पॉलिसी से मोबाइल दरें महंगी होंगी।

टेलीनॉर ने ओस्लो स्टाक एक्सचेंज से कहा ' टेलीनॉर एएसए ने एहतियातन 3.9 अरब क्रोनर की परिसंपत्ति को बट्टे-खाते में डाल दिया है।' इस बयान में कहा गया कि टेलीनॉर 2012 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) का वित्तीय नतीजा आठ मई 2012 को पेश किया जाएगा। कंपनी ने कहा ' भारत में किए गए निवेश को  बट्टे-खाते में  डालने के बाद अब 31 मार्च 2012 के बाद लेखा जोखा की दृष्टि से भारत में टेलीनॉर का कोई निवेश नहीं रह जाएगा।' टेलीनॉर ने भारतीय बाजार में जमीन जायदाद कंपनी यूनिटेक के साथ संयुक्त उद्यम के माध्यम से भारतीय दूसरसंचार बाजार में काम कर रही है। यूनिनॉर में उसकी 67 फीसद हिस्सेदारी है। शेष हिस्सेदारी यूनिटेक के पास है।

बहरहाल सरकार के लिए पौरी राहत की बात यह है कि टेलीकाम कंपनियों की खुला बगावत के इस परिदृश्य में भारतीय टेलिकॉम सेक्टर में हाथ जला चुकी बहरीन टेलिकॉम (बाटेल्को) फिर भारत में आ सकती है।खबरों के मुताबिक बहरीन टेलिकॉम भारतीय टेलिकॉम कंपनियों में हिस्सेदारी खरीद सकती है। हालांकि, कंपनी ने साफ कर दिया है कि भारतीय टेलीकॉम कारोबार में उतरने के लिए 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी में बोली नहीं लगाएगी।बहरीन टेलिकॉम की योजना नई कंपनी शुरू करने की नहीं है। बहरीन टेलिकॉम किसी मौजूदा टेलिकॉम कंपनी में ही निवेश कर भारत में वापसी करेगी। किस कंपनी के साथ बातचीत चल रही है, इसका बहरीन टेलिकॉन ने खुलासा नहीं किया।फरवरी में बहरीन टेलिकॉम ने अपनी एस टेल में फीसदी हिस्सेदार बेच दी थी। सुप्रीम कोर्ट के 122 2जी लाइसेंस रद्द करने के आदेश के बाद बहरीन टेलिकॉम ने भारत में कारोबार बंद करने का फैसला किया था।

2जी स्पेक्ट्रम मामले में 'जीरा लॉस' (कोई राजस्व हानि नहीं) की अपनी बात दोहराते हुए केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि नीलामी के संबंध में जब कोई नीति ही नहीं थी तो इसमें नुकसान होने का सवाल ही नहीं उठता। हमने पूववर्ती सरकार के नियमों का ही पालन किया।जालंधर में रविवार को शहीदों के परिजनों की मदद के लिए आयोजित कार्य्रक्रम में हिस्सा लेने आये केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, 'मैं 2जी स्पेक्ट्रम के मामले में 'जीरो लॉस' के बयान पर अभी कायम हूं। इसमें कोई घाटा नहीं हुआ। इस बारे में जब कोई नीति बनी ही नहीं थी तो घाटा कैसे हो सकता है।'

सिब्बल ने कहा, '2जी स्पेक्ट्रम 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर वितरित किए गए और यह नीति पूर्ववर्ती एनडीए सरकार की है। हमने उसी नीति का पालन किया है। इसमें घाटा होने का कोई सवाल ही नहीं है।' केंद्रीय मंत्री ने बीजेपी की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती राजग सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर ऐसा है तो यह घाटा पहले से हो रहा है जब एनडीए सरकार ने ऐसी नीति बनायी थी। इसके लिए पिछली सरकार भी जिम्मेदार है।गौरतलब है कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार परीक्षक ने कहा था कि वर्ष 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी न होने से सरकार के खजाने को अधिकतम एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये के संभावित राजस्व से वंचित होना पड़ा। इस रिपोर्ट के बाद सिब्बल ने कैग के आंकडे़ को आधारहीन करार देते हुए 'जीरो लॉस' की बात कही थी।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने उपभोक्ताओं की शिकायत की निगरानी के लिए पोर्टल शुरू किया है। इससे उपभोक्ताओं को अपने शिकायतों के निपटान के बारे में जानकारी मिल सकेगी।एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, 'टीसीसीएमएस नाम वाले पोर्टल में उपभोक्ता कंज्यूमर केयर नंबर, सामान्य सूचना नंबर और शिकायत केंद्र के संपर्क और सर्विस प्रोवाइडर के अपीलीय प्राधिकरण के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।'इसमें कहा गया है कि इस पोर्टल के जरिए उपभोक्ता सर्विस प्रोवाइडर के शिकायत निगरानी पोर्टल को एक्सेस कर सकेंगे, शिकायत की ताजा स्थिति के बारे में जानकारी पा सकेंगे।

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