THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Friday, February 14, 2014

ममता दीदी को नरेंद्र मोदी का विकल्प बनाने की तैयारियां जोरों पर

ममता दीदी को नरेंद्र मोदी का विकल्प बनाने की तैयारियां जोरों पर

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से भेंट के बाद अब अमेरिकी राजदूत नैंसी पॉवेल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात के लिए समय मांगा है।इसका मतलब यह हुआ कि अमेरिका भी प्रधानमंत्रित्व पर नरेंद्र मोदी के अलावा दीदी की दावेदारी को गंभीरता से ले रहा है। तृणमूल सूत्रों के मुताबिक नैंसी पॉवेल के कार्यालय से बनर्जी के साथ मुलाकात के संबंध में पत्र प्रदेश सचिवालय नबान्न पहुंच गया है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने विदेश मंत्रालय से औपचारिक मंजूरी मांगी है। मुख्यमंत्री-पॉवेल मुलाकात 21 या 22 फरवरी को हो सकती है। पॉवेल ने सितंबर 2012 में बनर्जी से पहली बार मुलाकात की थी। अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन मई महीने में राइटर्स ब्लिडिंग (पश्चिम बंगाल सरकार का अधिकृत सचिवालय जिसकी अभी मरम्मत चल रही है.) आई थी और खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर अमेरिकी हितों की हिफाजत के लिए कोलकाता में मैडम हिलेरी की सवारी निकली थी।तब दोनों पक्षों ने खुदरा कारोबार पर चर्चा की खबर से इंकार कर दिया था। हालात ये हैं कि भाजपा और ममता बनर्जी दोनों खुदरा कारोबार में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के धुर विरोधी हैं। मोदी लहर के सुनामी में बदलने की संभावना के मद्देनजर नमो को वीसा देने से इंकार कर देने वाले अमेरिका ने पल्टी मार ली है तो चुनाव परवर्ती समीकरण में दीदी की निर्णायक भूमिका के मद्देनजर दीदी से अग्रिम संवाद का आयोजन किया है।


तीसरे मोर्चे की कवायद से अलग थलग पड़ गयी बंगाल की मुख्यमंत्री को गांधीवादी नेता अन्ना हजारे का बिना शर्त समर्थन हैरतअंगेज है। खासकर जबकि अपने चेले अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को समर्थन देने से सिरे से उन्होंने इंकार कर दिया।उनकी शिष्या किरण बेदी तो बाकायदा अपनी टीम के साथ नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के अभियान में जुट गयी हैं।इसके विपरीत अन्ना ने ममता दीदी को प्रधानमंत्री पद के लिए सर्वोत्तम प्रत्याशी ही नहीं कहा,बल्कि देशभर में तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करने की घोषणा कर दी।अब यह समझने वाली पहेली है कि केजरीवाल की राजनीति से सख्त परहेज करने वाले अन्ना ने ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री बनाने का बीड़ा क्यों उठाया।ममता दीदी की आर्थिक नीतियां एकदम नमोमय है और पीपीपी माडल आधारित है। नमो के साथ खड़े होने के बजाय वे दीदी के हक में हवा बनाने लगे हैं जबकि दीदी प्रस्तावित फेडरल फ्रंट के तमाम घटक दलों के सारे क्षत्रप वामदलों की अगुवाई वाले मोर्चे में हैं।बंगाल में दीदी को बयालीस की बयालीस सीटें मिल भी जाये तो भी उनके प्रधानमंत्रित्व के लिए बाकी सीटें अन्ना कहां से निकालेंगे,यह समीकरण खोज और शोध का विषय है।अल्पसंख्यक वोट बैंक दीदी का तुरुप है और बाकी देश के अल्पसंख्यकों में भी उनकी खास साख है। इसलिए कोलकाता ब्रिगेड रैली में नरेंद्र मोदी के खुले आवाहन का भी कोई सकारात्मक जवाब अभी तक दीदी की तरफ से नहीं मिल रहा है। तो जैसा कि कहा जा रहा है कि कांग्रेस के शीर्षस्थ स्तर पर तृणमूल के साथ गठजोड़ बनाने की कोशिश के मद्देनजर कांग्रेस के समर्थन से दीदी की दिल्ली सरकार बनाने की कवायद कर रहे हैं अन्ना। ताजा चुनाव पूर्व सर्वेक्षण से यह गणित भी जटिल हो गया है क्योंकि मोदी रथ दो सौ के आंकड़े के आगे हिल भी नहीं रहा है और कांग्रेस गठबंधन को सैकड़ा पार करने में भी बारी चुनौतियों का समाना करना पड़ रहा है।


इसी बीच दिल्ली में जन लोकपाल विधेयक लोकसभा में पेश न करने की वजह से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार गिर गयी है और केजरीवाल ब्रिगेड और उनकी पार्टी फिर सड़क पर हैं। लेकिन अन्ना हजारे फिरभी उनके साथ खड़े नहीं हैं।केजरीवाल से मुलाकात से कुछ समय पहले अन्ना हजारे ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पर व्यंग्य किया और सादगी के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सराहना की। हजारे ने संवाददाताओं से कहा कि ममता मुख्यमंत्री बनने के बाद भी चप्पल पहनती हैं, लेकिन कुछ लोग बंगला नहीं लेने का वादा करने के बावजूद बंगला ले लेते हैं। हजारे ने कहा कि मार्च के अंत या अप्रैल के पहले हफ्ते से वह देश भर में घूमकर अच्छे लोगों की खोज करेंगे।



अब ताजा हालत है कि खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश दिल्ली में रद्द करने और कारपोरेट राज और कांग्रेसी तेलमंत्री और भूतपूर्व तेलमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर जनलोकपाल विधेयक के मुद्दे पर अपनी सरकारी की बलि चढ़ाने से अरविंद केजरीवाल सड़क की राजनीति के जरिये कांग्रेस और भाजपा के लिए भारी सरदर्द का सबब बन गये हैं। देश भर में तेजी से फैलते आप नेटवर्क के प्रचार प्रसार के चलते सीटें मिले या नहीं,हर सीट पर लाख दो लाख वोट काटकर कांग्रेस और भाजपा के मंसूबों पर पानी फेरने का चाकचौबंद इंतजाम कर चुके हैं केजरीवाल।


तो क्या इन्हीं परिस्थितियों के मद्देनजर अन्ना मोदी के विकल्प बतौर ममता दीदी की छवि निखार कर तीसरे मोर्चे की हवा खराब करने का इंतजाम कर रहे हैं,पहेली यह भी है।


दूसरी ओर,गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रवादी ताकतों को सत्ता में लाने के लिए प्रतिबद्ध है। लक्ष्य पाने के लिए संघ ने रणनीति तय कर ली है। सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वे सत्ता में ऐसे राजनीतिक दल को देखना चाहते हैं जो पूरी तरह राष्ट्रवादी विचारधारा से ओतप्रोत हो और जिसका मिशन 'सशक्त भारत' का निर्माण हो। यह दल भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ कोई और भी हो सकता है। सरसंघ चालक शुक्रवार को वाराणसी में महमूरगंज के निवेदिता शिक्षा सदन परिसर में चल रही संघ के चार प्रांतों की क्षेत्रीय बैठक को संबोधित कर रहे थे।


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