THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Saturday, March 29, 2014

किस सर्वनाशी, आत्मध्वंसी गृहयुद्ध के कगार पर हमारा यह मंत्रोच्चार ओ3म मोद्याय सर्वम् स्वाहा? भूत धरम का नाच रहा है कायम हिन्दू राज करोगे? सारे उल्टे काज करोगे?

किस सर्वनाशी, आत्मध्वंसी गृहयुद्ध के कगार पर हमारा यह मंत्रोच्चार ओ3म मोद्याय सर्वम् स्वाहा?

भूत धरम का नाच रहा है

कायम हिन्दू राज करोगे?

सारे उल्टे काज करोगे?

पलाश विश्वास

मामला हिंदुत्व का अब नहीं है।हिंदुत्व की लड़ाई है ही नहीं।सही मायने में मामला अब अमेरिकापरस्ती का भी नहीं है।

मामला है कारपोरेट साम्राज्यवादी कारपोरेट एकाधिकारी वर्णवर्चस्वी जायनी युद्धक अमेरिकापरस्ती का या सर्वभूताय मोदी और उसकी तीखी प्रतिक्रिया में हो रही भयंकर ध्रूवीकरण का,जिससे लोकतंत्र और लोकगणराज्य के साथ ही जिस हिंदुत्व के नाम यह लड़ाई लड़ी जा रही है,उसके कारपोरेट विध्वंसक कायाकल्प का।


नमोमुखे समस्त असम्मतों को भारतविरोधी राष्ट्रद्रोही फतवा अब मोदियाये अस्मिता सर्वस्व सर्वस्वहारा भारतीयों का भाषाविज्ञान और सौंदर्यशास्त्र है।उनके अलंकार और छंदबद्ध घृणा अभियान और उसी तर्ज पर अहिंदू तोपंदाजी इस देश की एकता और अखंडता के लिए अभूत पूर्व संकट है और न आपके पास कोई इंदिरा हैं और न अटल बिहारी वाजपेयी,जो इस संकटमध्ये देश को नेतृत्व दें।


यक्षप्रश्न यह है कि निर्विकल्प इस महाभारती जनसंहारी राजसूयी जनादेशप्रतिरोधे क्या माओप्रभावित सलवा जुड़ुम अचलों की तरह मतदाताओ के सामने नोटा के अलावा कोई विकल्प है या नहीं।


हम किन्हें चुनने जा रहे हैं ?


नमोमयभारत के लिए नमोपा जिस तेजी से सर्वभूतेषु मोदी और हर हर मोदी का जाप कर रही है और उसके जवाब में जो अल्लाहो अकबर की प्रतिध्वनियां गूंज रही हैं,ये हालात इक्कीसवीं सदी से हमें मध्ययुग के अंधकारी ब्लैकहोल में स्थानांतरित करने जा रहे हैं।अब कयामत कोई बाकी नहीं है।


हम भाजपा के लोकतांत्रिक प्रक्रिया मार्फत सत्ता में आने के विरुद्ध नहीं हैं और न हम असहमत होने के बावजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रतिबंधित करने के पक्ष में हैं।हिंदुत्व की विचारधारा भी बाकी विचारधाराओं की तरह इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहेगी,इससे भी इंकार नहीं है।


लेकिन यह कैसी हिंदुत्व सेना है जो हिंदुत्व,भाजपा और संघ परिवार के साथ भारत राष्ट्र को ही यज्ञअधीश्वर विष्णुपरिवर्ते मोद्याय ओ3म स्वाहा कर रहा है?


इस सनातन श्राद्धकर्म से किसकी आत्मा की प्रेतमुक्ति संभव है,हम नही जानते।


नमूना देख लीजिये।


'या मोदी सर्वभूतेषु, राष्ट्ररूपेण संस्थित:, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:'


इस मंत्रजाप से महिषासुर मर्दिनी मिथक के असली जनसंहारी तात्पर्य का खुलासा भी हो जाता है।


चरित्र से नस्ली इस मंत्र के उच्चारण से नस्ली वर्चस्व की धारावाहिकता की शपथ ले रही है नमोवाहिनी,जिसके तार सीधे उस अमेरिकाविरोधी जायनी नस्ली लंपटक्रोनी वित्तीयपंजी के कारपोरेट युद्धक साम्राज्यवाद से जुड़ते हैं और जो समूची एशिया ही नहीं,बाकी दुनिया को भी परमाणु विध्वंस की कगार तक पहुंचा देते हैं।


इसके खुलासे के लिए तनिक विवरण भी देना जरुरी है।इसलिए इस प्रकरण का विवरण भी यथायथ दिया जा रहा है।


अब मां दुर्गा से जुड़े श्लोक का भी मोदीकरण

भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने स्तुतिगान में कार्यकर्ताओं द्वारा लगाये जा रहे 'हर-हर मोदी' के नारों का इस्तेमाल रोकने की गुजारिश के बाद अब वाराणसी में मां दुर्गा से जुड़े एक श्लोक का भी मोदीकरण कर दिया गया है। भाजपा साहित्य एवं प्रकाशन प्रकोष्ठ द्वारा जारी एक पोस्टर में मां दुर्गा की पूजा करते वक्त पढ़े जाने वाले श्लोक को वाराणसी से चुनाव लड़ रहे मोदी के माफिक बनाने की कोशिश की गयी है।


मोदी की तस्वीर वाले पोस्टर में नवरात्रि के आगमन की बधाई देते हुए लिखा है ''या मोदी सर्वभूतेषु राष्ट्ररूपेण संस्थित:, नमस्तस्ये, नमस्तस्ये नमो नम:।'' विशेषज्ञों के मुताबिक मां दुर्गा के लिये पढ़े जाना वाला श्लोक ''या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थित: नमस्तस्ये, नमस्तस्ये नमो नम:'' है, जबकि मोदी के समर्थकों द्वारा गढ़े गये श्लोक का शाब्दिक अर्थ है..''मोदी जो राष्ट्र के रूप में हर मनुष्य में निवास करते हैं। उन्हें बार-बार नमन।''


गौरतलब है कि भाजपा के प्रान्तीय अध्यक्ष लक्ष्मीकान्त बाजपेयी द्वारा पिछले साल 20 दिसम्बर को वाराणसी में आयोजित मोदी की रैली में दिया गया 'हर-हर नमो' का नारा बाद में 'हर-हर मोदी' में तब्दील हो गया था। इस पर विवाद होने के बाद मोदी ने खुद एक ट्वीट करके नेताओं और कार्यकर्ताओं से इस नारे से परहेज की गुजारिश की थी। इस बीच, भाजपा साहित्य एवं प्रकाशन प्रकोष्ठ के काशी क्षेत्र के संयोजक अशोक चौरसिया ने सफाई दी कि मां दुर्गा से जुड़े असल श्लोक से कोई छेड़छाड़ नहीं की गयी है। दरअसल मोदी के प्रति लोगों की भावनाओं को जाहिर करने के लिये यह नया श्लोक बनाया गया है। उन्होंने कहा, ''हमारी तरफ से गुरुवार को जारी किया गया पोस्टर हमारे अपने दृष्टिकोण को दर्शाता है न कि भाजपा के। हमारा मानना है कि प्रधानमंत्री के रूप में मोदी भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे और भारतीय सीमाओं की सुरक्षा करेंगे।''


जाहिर है कि वाराणसी में नरेंद्र मोदी के गुणगान में जुटे भाजपा कार्यकर्ता अपने नेता के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। सोमवार से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि से ठीक पहले बीजेपी ने देवी दुर्गा को समर्पित मंत्र में बदलाव कर मोदी के लिए नारा गढ़कर नए विवाद को हवा दे दी है। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दुर्गा सप्तशती के मंत्र को बदलकर 'या मोदी सर्वभूतेषु, राष्ट्ररूपेण संस्थित:, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:' गढ़ दिया है। इसका मतलब बताया जा रहा है-'मोदी, जो सभी मनुष्यों के दिलों में राष्ट्र के रूप में रहते हैं, मैं उन्हें बार-बार नमन करता हूं।' जबकि मूल मंत्र कुछ यूं है-'या देवी सर्वभूतेषु, मातृरूपेण संस्थित:, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:'। इसका मोटे तौर पर मतलब होता है-सब स्थानों पर उपस्थित देवी इस संसार की जननी हैं, मैं उनके सामने श्रद्धा से बार-बार सिर झुकाता हूं।

वाराणसी के स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं ने शहर में कई जगहों पर पोस्टर चिपकाए हैं। इन पोस्टरों में मोदी की तस्वीर के साथ मोदी का गुणगान करता हुआ बदला हुआ श्लोक लिखा हुआ है। इस कदम पर बवाल होना तय माना जा रहा है। गौरतलब है कि इससे पहले मोदी समर्थकों ने 'हर हर मोदी, घर घर मोदी' के नारे लगाए थे। इस पर द्वारिका के शंकराचार्य ने आपत्ति जताई थी।



दूसरी ओर इस परिदृश्य पर भी गौर करें।
उत्तर प्रदेश में सहारनपुर संसदीय सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान मसूद की शनिवार तड़के हुई गिरफ्तारी के बाद पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सहारनपुर रैली रद्द कर दी गई है। राहुल की शनिवार को सहारनपुर, गाजियाबाद और मुरादाबाद में जनसभाएं होनी थी, लेकिन मसूद की गिरफ्तारी के बाद उनकी सहारनपुर रैली स्थगित कर दी गई है। राहुल की बाकी दोनों रैलियां तय समय पर ही होंगी।

अपने इस भाषण में मसूद ने नरेंद्र मोदी की बोटी-बोटी अलग कर देने की बात कही थी। इस मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी और इस बयान के लिए मसूद के खिलाफ कार्रवाई की मांग हो रही थी। पुलिस ने बताया कि मसूद को आज सुबह गिरफ्तार किया गया। मसूद सहारनपुर से कांग्रेस के लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी हैं। पार्टी ने उनकी टिप्पणी से यह कहते हुए दूरी बना ली थी कि वह हिंसा को अस्वीकार करती है, चाहे वह शाब्दिक हो या कुछ और। वहीं, भाजपा ने इस टिप्पणी को भड़काउ करार देते हुए विवाद में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को घसीट लिया था।
  
सहारनपुर में एक चुनावी रैली के दौरान के वीडियो फुटेज में मसूद प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते दिखाई देते हैं। इस वीडियो के वेब पर सामने आने के बाद हंगामा मच गया था। उन्होंने कहा था कि यदि नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश को गुजरात बनाने की कोशिश करते हैं, तो हम उनकी बोटी-बोटी कर देंगे, मैं मोदी के खिलाफ लड़ूंगा। वह सोचते हैं कि उत्तर प्रदेश गुजरात है। गुजरात में केवल चार प्रतिशत मुसलमान हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में 42 प्रतिशत मुसलमान हैं।

भारत को अमेरिका बनाने की मैराथन दौड़ इस वक्त की भारतीयसंसदीय राजनीति है।कांग्रेस और भाजपा क्या,इस देश के संसदीय वामपंथी भी औद्योगीकरण और शहरीकरण के जरिये देहाती देश का कायाकल्प करना चाहते हैं।नंदीग्राम और सिंगुर इसके सबूत हैं।

इस अमेरिकापरस्त राजनीति की खासियत यह है कि अमेरिकी कारपोरेट साम्राज्यवाद का अंध अनुसरण करते हुए अमेरिकी लोकतांत्रिक परंपराओं की सिरे से अनदेखी करने में ये लोग चूकते नहीं हैं।


हमारे मित्र एचएल दुसाध दावा करते हैं कि अमेरिका महाशक्ति अकेला इसलिए बना रहा क्योंकि वहां डायवर्सिटी लागू है।यानी सबके लिए समान अवसर और संसाधनों का बंटवारा।संसाधनों के बंटवारे की बात तो किसी पूंजीवादी व्यवस्था में एकदम असंभव है और तथ्य से परे हैं।


शायद अवसरों के लिए न्याय वहां भी नहीं है।लेकिन नागरिकों की संप्रभुता के मामले में नागरिकों के सशक्तीकरण के मामले में और दुनियाभर में एकाधिकारवादी साम्राज्यवाद की खूंखार एक ध्रूवीय वैश्विक व्यवस्था का इजारेदार होने के बावजूद अमेरिका में आखिरकार सरकार और संसद आम नागरिकों के प्रति करदाताओं के प्रति ,मतदाताओं के प्रति जवाबदेह है।


अगर दुसाध जी की डायवर्सिटी का तात्पर्य इस आंतरिक लोकतंत्र से है,तो उन्हें गलत नहीं कहा जा सकता।


सबसे अहम बात जो है वह यह है कि दुनियाभर में नस्ली भेदभाव के विरुद्ध आजादी की लड़ाई अमेरिका ने लड़ी तो काम के घंटे तय करने की निर्णायक लड़ाई भी अमेरिका में लड़ी गयी।वहां श्रम कानून कितनी सख्ती से लागू है,देवयानी खोपड़ागड़े का मामला सामने है।


इसके अलावा वियतनाम युद्ध हो या इराक अफगानिस्तान युद्ध.युद्धविरोधी अमेरिकी जनमत ने हमेशा  वैश्विक प्रतिरोध का नेतृत्व भी किया है।


हमारे साम्राज्यवाद विरोधी तमाम रंगबिरंगे तत्व तो विचारधारा जुगाली तक सीमाबद्ध रहे हैं और चरित्र ने नस्ली वर्चस्व और वर्णवर्चस्वी व्यवस्था बहाल रखने के लिए घनघोर सामंती तत्वों से साझा मोर्चा उनका भी भारतीयबहुसंख्यजनगणविरुद्धे हैं।


सबसे खास बात है कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बारे में सभी उम्मीदवारों को अपनी विदेश नीतियों,आर्थिक नीतियों,गृहनीतियों का खुलासा करना होता है।


अमेरिकी मतदाता जिन नीतियों का समर्थन करते हैं,उन्हींके मुताबिक मतदान की रुझान बनती है और जिसे बनाने में चुनाव अभियान के दौरान होने वाली बहसों और संबोधनों का खास महत्व होता है।


इसके विपरीत भारत में चुनाव बिन मुद्दा नारों पर लड़ा जाता है।चुनावघोषमापत्र रस्मी होते हैं और किसी उम्मीदवार को अपनी विचारधारा और नीतियों पर कोई कैफियत देनी नहीं होती।


अमेरिका में हर सरकारी फैसले और हर समझौते का संसदीयअनुमोदन ही नहीं,बाकायदा कानून बतौर पास होना भी अनिवार्य है।


हमारे यहां कारपोरेट नीति निर्धारण हैं।असंवैधानिक काकस राजकाज चलाते हैं और संसद हाशिये पर मौन।


अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अंतरराष्ट्रीयसंबंधों और विदेश नीति पर खास फोकस होता है गृहनीतियों और आर्थिक नीतियों की तरह।


भारतीय चुनावों में आर्थिक नीतियों और मुद्दों पर खुलकर चर्चा नहीं होती।


गृहनीतियों और आंतरिक सुरक्षा परिदृश्य पर,रक्षा विषयक चर्चा भी नहीं होती और विदेश नीति का मामला पड़ोसी देशों को मवालियों की तरह मस्तानी चुनौतियां देना शामिल है।


समस्याओं का जिक्र करना ही मुद्दा नहीं होता,यह तमीज भी अपनी राजनीति को नहीं है।अमेरिकी चुनावों में समस्याों को संबोधित करते हुए उनके समाधान पर संवाद तो करना अनिवार्यहै ही,हर उम्मीदवार को तत्संबंधी परिकल्पना प्रस्तुत करनी होती है।


कारपोरेट साम्राज्यवादी अमेरिका ही अमेरिका नहीं है। रंगभेद के खिलाफ मोर्चाबंद युद्धविरोधी अमेरिकी जनमत को जाने बिना अपनी नस्ली वर्चस्वी व्यवस्था को बहाल रखने के लिए हम घृणा आधारित विदेश,गृह और अर्थनीतियों की बहाली और निरंतरता के लिए कारपोरेट जायनवादी साम्राज्यवादी विश्वव्यवस्था के साथ रणनीतिक गठबंधन करके अपनी आंतरिक वर्णवर्चस्वी सामंतशाही को ही मजबूत कर सकते हैं,अमेरिकी ऊंचाइयों को हरगिज छू नहीं सकते।

फिर नमो भारत की वैश्विक पारिपार्शिक पृष्ठभूमि पर फिर एकबार कवि अशोक कुमार  कुमार पांडे जी के सौजन्य से अगला संवाद शुरु से पहले पाकिस्तानी कवियत्री की ये पंक्तियां हमें जरुर इस अखंड महादेश के जुझारु पुरखों की याद में अवश्य पढ़ लेनी चाहिए।

माफ करना रियाज भाई,आपका मेल देरी से मिला ।पहले ही फेसबुक पर बहस की शुरुआत कर दी थी।लेकिन इस पाकिस्तानी कविता के लिए आपका आभार भी।

गौर करें कि कवियत्री फ़हमीदा रियाज़, पाकिस्तान ने नमो भारत को नया भारत नाम दिया है।नये भारत की जो तस्वीर बन रही है पास पड़ोस में बिना शत्रूभाव अटल नजरिये से उस पर भी गौर करें हमारे मोदीयाये देशवासी।पढ़ा जरूर,भले ही हमें नामलिहाज से एखे 47 की तुक से न मिला सकें तो पाकिस्तानी एजंट तो बता ही सकते हैं।

अटल जी के निष्पक्ष मूल्यांकन पर भी और उनको नेहरु इंदिरा से ऊपर के दर्जे में रखने के बावजूद मोदीयापे में लोग हमें पहले ही पाकिस्तानी ,नक्सली वगैरह खिताब दे रहे हैं।ताज्जुब तो यह है कि अबकी दफा बांग्लादेश तमगा देना भूल रहे हैं।

हम भारतीय लोकतंत्र में बाकायदा एक राजनीतिक दल भाजपा की भूमिका और उनके घनघोर आलोचक हैं।हम हिंदू राष्ट्र के विरुद्ध है।

लोकिन भाजपा का यह कारपोरेट नमोपा अवतार न केवल हिंदुत्व के खिलाफ है बल्कि राष्ट्रीयस्वयंसेवक संघ के उच्च आदर्शों और मूल्यबोध के विरुद्ध भी है।मोदियापा हिंदुत्व नहीं,सरासर कारपोरेट लाबिइंग है और उससे भी ज्यादा जायनी अमेरिकापरस्ती।

आपको ऐतराज हो तो खुलकर लिखें।

हम पूरा आलेख तैयार करते हुए आपके विचारों को भी यथायथ रखेंगे।

जो सिर्फ गालीगलौज कर सकते हैं, वे भी स्वागत हैं।बहुसंख्य भारतीय तो काले ही हैं,काला रंग रंगभेदी नस्लवाद है।तो कालिख पोतने से तो हम अपने ही जड़ों में लौटेंगे और गालीगीतों वाले देश में गालियों से किसे परहेज हैं।

बहरहाल जैसे भी हो आपको अपनी राय दर्ज करनी चाहिए।उकड़ू बैठे जो मौसमी मुर्ग मुर्गियां शुतूरमुर्ग हैं,उनसे भी निवेदन है कि इस संक्रमणकाल में अपनी जुबान पर लगा ताला खोले बशर्ते कि चाबी उनके पास हो।

नया भारत

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तुम बिल्कुल हम जैसे निकले

अब तक कहां छुपे थे भाई?

वह मूरखता, वह घामड़पन

जिसमें हमने सदी गंवाई

आखिर पहुंची द्वार तुम्हारे

अरे बधाई, बहुत बधाई


भूत धरम का नाच रहा है

कायम हिन्दू राज करोगे?

सारे उल्टे काज करोगे?

अपना चमन नाराज करोगे?


तुम भी बैठे करोगे सोचा,

पूरी है वैसी तैयारी,

कौन है हिन्दू कौन नहीं है

तुम भी करोगे फतवे जारी


वहां भी मुश्किल होगा जीना

दांतो आ जाएगा पसीना

जैसे-तैसे कटा करेगी

वहां भी सबकी सांस घुटेगी


माथे पर सिंदूर की रेखा

कुछ भी नहीं पड़ोस से सीखा!

क्या हमने दुर्दशा बनायी

कुछ भी तुमको नज़र न आयी?


भाड़ में जाये शिक्षा-विक्षा,

अब जाहिलपन के गुन गाना,

आगे गड्ढा है यह मत देखो

वापस लाओ गया जमाना


हम जिन पर रोया करते थे

तुम ने भी वह बात अब की है

बहुत मलाल है हमको, लेकिन

हा हा हा हा हो हो ही ही


कल दुख से सोचा करती थी

सोच के बहुत हँसी आज आयी

तुम बिल्कुल हम जैसे निकले

हम दो कौम नहीं थे भाई


मश्क करो तुम, आ जाएगा

उल्टे पांवों चलते जाना,

दूजा ध्यान न मन में आए

बस पीछे ही नज़र जमाना


एक जाप-सा करते जाओ,

बारम्बार यह ही दोहराओ

कितना वीर महान था भारत!

कैसा आलीशान था भारत!


फिर तुम लोग पहुंच जाओगे

बस परलोक पहुंच जाओगे!


हम तो हैं पहले से वहां पर,

तुम भी समय निकालते रहना,

अब जिस नरक में जाओ, वहां से

चिट्ठी-विट्ठी डालते रहना!


(फ़हमीदा रियाज़, पाकिस्तान)


लाहौर से खबर है कि दो अज्ञात बंदूकधारियों ने आज पाकिस्तान के वरिष्ठ विश्लेषक और लेखक रजा रूमी पर गोलियां चला दीं जिसमें उनके चालक की मौत हो गई और सुरक्षाकर्मी घायल हो गया. लाहौर पुलिस के प्रवक्ता नियाब हैदर ने कहा कि मोटरसाइकिल पर सवार दो लोगों ने गार्डन टाउन के राजा बाजार में रूमी की कार रोकी और गोलियां चलाना शुरू कर दिया. रूमी को नुकसान नहीं पहुंचा लेकिन उनके चालक मुस्तफा और अंगरक्षक अनवर को छर्रे लगे.

आदरणीय हिमांशु कुमार ने सच लिखा है

अडवाणी को इसलिए औकात बताई गयी क्योंकि वो पाकिस्तानी हैं .


उनका जनम पाकिस्तान में हुआ था .


जो कुछ भी पाकिस्तानी है


उससे मोदी जी को नफ़रत है


इसलिए धूल चटा दी अडवाणी पाकिस्तानी को


इस अनंत मूत्रधार को चिन्हित भी कर दिया कवि उदय प्रकाश ने
देवघर के बाबा बैजनाथ की कथा तो याद ही होगी। ऐसा ही दीर्घसूत्री मूत्रपात रावण को हुआ था और उसने बैजनाथ को एक गड़रिये को सौंपा था। गडरिया इंतज़ार ही करता रहा कि कब इस दीर्घ-शंका का अंत हो, नहीं हुआ, तो उकता कर वह शिव-लिंग वहीं रख कर चला गया।
बाबा बैजनाथ तब से वहीं रखे हुए हैं , जहां उस गडरिये ने रखा था… और ....

ई देख्या ससुर रावण का , ई देख्या ! ..... आजौ मूते जा रहा है !

हा हआ हा। .... दोस्तो , तनी अपने पुरान परधानमंत्री मोरार देसाई साहेब का सुमिरन करिये , जो जगत परसिद्ध 'शिवाम्बु -सेवी ' ह्वै गए थे, आज कतहूँ ऊ होते , तो उहईं आल इंडिया दिव्य-मूत्र औषधालय खुलवा देते …
(ससुर, ई ना दरसाता, कि उहाँ की भुइयां पबित्र भई कि नसाय गई ?)

अभिषेक पाराशर ने लिखा है: आम आदमी पार्टी पर फोर्ड फाउंडेशन से पैसा लेने का आरोप लगाने वाली भाजपा और कांग्रेस खुद ही इसके लपेटे में आ गई हैं। दोनों दल भाजपा और कांग्रेस वेदांत और सेसा गोवा जैसी कंपनियों से चंदा लेने की दोषी पाई गई हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति जयंत नाथ के पीठ ने कहा, 'हमें यह मानने में कोई झिझक नहीं है कि प्रतिवादियों का जो आचरण याचिका में बताया गया है, उससे विदेशी चंदा (नियमन) अधिनियम 1976 का साफ उल्लंघन हुआ है। राजनीतिक दलों ने स्टरलाइट और सेसा से जो चंदा लिया है, वह कानून के मुताबिक 'विदेशी स्रोत' से लिए गए चंदे की श्रेणी में आता है।' अदालत ने चुनाव आयोग को दोनों दलों को मिले चंदों की रसीदें छह महीने के भीतर जांचने का आदेश दिया है।


वैसे भी नैनीताल इन दिनों केसरिया है।पहाड़ के क्रांतिकारी तो मैदानी जंग छोड़कर कन्याकुमारी में तामिल बोलते नजर आयेगे या ओड़ीशा में उड़िया।मुंबई और रांची में तो हिंदी चलेगी।राजनीतिक पर्यटन स‌े पहाड़े के हालात बदलेंगे नहीं।मुझे तो हमारे कविमित्र बल्ली की फिक्र हो रही है।कहां फस गये बेचारे।जिनने खड़ा कराया ,वे ही मैदान छोड़ रहे हैं।अब तिवारी बूढ़ापे में पहाड़ को स‌द्गति दिलाने का करतब दोहराने कोश्यारी केसरिया के मुकाबले हो तो आप चैन की बांसुरी ही बजा स‌कते हैं दाज्यू।
राजीव नयन जी के पोस्ट पर प्रतिक्रिया
राजीव नयन बहुगुणा ने लिखा हैः
अपूरित कामनाओं के पर्याय रंगीले राज पुरुष नारायण दत्त तिवारी आजकल अपने जैविक पुत्र और त्यक्त भार्या को लेकर नैनीताल की तराईयों में घूम रहे हैं। उन्हें कोंग्रेस से लोक सभा का टिकट चाहिए ।हद है। मुंह में दांत और पेट में आंत नहीं। फिर भी लालसा हिलोरे मार रही है ।जैविक पुत्र को अगर बिरासत पर हक़ चाहिए तो तिवारी की अकूत सम्पदा का पता लगा कर उस पर दावा करे ,लेकिन जनादेश क्या कोई अचल सम्पदा है जिस पर पीढ़ी दर पीढ़ी हक हुकूक चलते रहें? रोहित शेखर के संकट काल में मैं उन गिनती के पत्रकारों में था ,जिन्होंने उसके पितृत्व के दावे का समर्थन किया था ।लेकिन अब वह जनादेश का भी हस्तांतरण चाहता है ।जनता को चाहिए कि इन तीनों को वहां से खदेड़ भगाए। तिवारी ने अगर स्वाधीनता संग्राम में भाग लिया तो उसकी उन्हें पेंशन मिल रही है और ता उम्र सत्ता में रहे हैं।

फिर लेनिन रघुवंश

यहाँ हम मंदिर-मसजिद के कोनों-अँतरों में

कोई पवित्र पुण्यफल नहीं, विध्यंसक विस्फोटक

सूँघते-ढूँढते फिर रहे हैं

वहाँ वे

खुलेआम भर रहे है लोगों के मस्तिष्क में

विध्वंसबीज विस्फोटक विचार

अभी-अभी आनी है होली

लाल चेहरे और हरी हथेलियाँ लिये

घूमते बच्चों के समूहों पर रीझे या खीजे

हमने कभी सोचा है, उनके हाथों की रंग-पिचकारियोँ

पिस्तौल के रूपाकार में क्यों बदल गई है?

हम कभी हुए है चिंतित की दीपावली और शबे-बारात के शिशु पटाखे

दहलाते बमबच्चों में क्यों बदल गए है?

और आज

महाशिवरात्रि और ईद की करीबी से

सबकी साँस रुकी है

जबकि ईद का कमसिन चाँद क्यों न हो सहर्ष शिरोधार्य

बालचंद्र ही नहीं, शिवशंकर का भालचंद्र जो

वे कहते हैं, अयोध्या के बाद काशी की बारी है

धर्म-संसद में पारित हुआ है प्रस्ताव

मंदिर के धड़ पर रखा है जो मसजिद का माथा

उसे कलम करने की तैयारी है

लेकिन क्यों?

इतिहास की भूल सुधारने में

भूल का इतिहास रचना क्यों जरूरी हो?

नरसिंहावतार के आगे नतमस्तक

गजमुख गणेश के पूजक

जनों के लिए निंदनीय क्यों हो वह, वंदनीय क्यों नहीं?

यदि जमीनस्थ जड़ो में

शिव-स्तोत्र के श्लोक और कुरआन की आयतें

प्यार से अझुराएँ

तो भला क्यों

हर हर महादेव और अल्ला हो अकबर के नारे

प्रकंपित आसमान में टकराएँ।


("गंगातचट" की "समरकांत उवाच" शीर्षक कविता का एक अंश)

मित्रवर उर्मिलेश उर्मिल

कैसी विडम्बना है, 56 इंच सीने वाले 'महापुरूष' के पास राजनीतिक विमर्श का कितना छोटा और संकरा दायरा है। वह अपने किसी भी आलोचक को 'पाकिस्तानी एजेंट' बताते फिर रहे हैं। कई मुद्दों पर केजरीवाल और उनकी पार्टी की मैं भी आलोचना करता रहा हूं, फिर इसी तर्ज पर वह मुझे बांग्लादेश का एजेंट बता दें। सिलसिला ऐसे ही चला तो यह देश 'विदेशी एजेंटों का देश' हो जाएगा और जो बचेंगे वह सिर्फ वो होंगे, जो 'भगवा और कारपोरेट' के साथ खड़े होंगे।

अशोक कुमार पांडे

एक लम्बी कविता का एक खंड

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राजा के पीछे खड़ी

चतुरंगिणी फौज़ बड़ी

तोप और बन्दूक लिए

भरे हुए संदूक लिए

टीवी के चैनल हैं

दफ्तर अखबार के

झुक झुक के गाते हैं

गीत सब दरबार के


राजा के पाँव को

राजा की छाँव को

राजा के नाम को

मुख को मुखौटे को

कुत्ते-बिलौटे को

चूमते-चाटते

रेंगते केंचुए से

नाग से फुंफकारते

भेडिये से काटते


पीछे-पीछे भागते हैं हाथ में कलम लिए

भाषा के कारीगर जादू बिखेरते

कला कला गा गा के सिक्के बटोरते

नोच नोच फेंकते हैं चेहरे पर के चेहरे

आँसूं बहाते हैं, रोते हैं, गाते हैं, चीखते चिल्लाते हैं


कोट काला टांग कर

आला लहराते हुए

प्रेस क्लब का नया पुराना

बिल्ला चमकाते हुए

कविता सुनाते हुए

कहानी बनाते हुए

एकेडमी से कालेज से

पार्टी मुख्यालय से

मल मल के आँख जागे सब

दिन के उजाले में

भागे सब भागे सब


जय श्रीराम, हनुमान जय

जय जय भवानी

जय अक्षरधाम जय

हम भी हैं हम भी है हैं हम भी हम हम हम

बम बम बम बोल बम हम हम हम

एक नज़र देखो तो

राजाजी नहीं अगर सारथि जी देखो तो

देखो तो फौजी जी भौजी जी देखो तो

देखो न कर दो न हम पर भी ये करम

जय जय अमेरिका सी आई ए की जय जय

वर्ण की व्यवस्था जय आप ही की सत्ता जय

एक बार राजा जी नजरियाइए जय जय

देखिये न छोड़ दी हमने है सब लाज शरम

हम भी हैं हम भी हैं हम भी हैं हम हम हम


कोई नहीं सुनता कोई कान भी देता नहीं

सडक किनारे खड़ा जन ध्यान भी देता नहीं


देखते ही देखते क्या हुआ ग़ज़ब हुआ

कलम लिए लिए जोंक बन गए सारे

जाकर चिपक गए अश्वों की पीठ से पूँछ से पैर से लिंग से अंड से

कुछ जो चतुर थे जा चिपके राज दंड से


और अश्व हैं कि भागते ही चले जाते हैं...

नित्यानंद गायेन

किसी भी व्यक्ति को जब यह लगने लगे , जो कुछ वह सोच रहा है या लिख रहा है वही सत्य है और अंतिम सत्य है , तो उस व्यक्ति को अपने पक्ष में बहस के लिए भी तैयार रहना चाहिए तथ्यों के साथ .........जो बहस से भाग जाता है वह झूठा और तानाशाही होता है .

जगदीश्वर चतुर्वेदी

भाजपा अध्यक्ष महान "डेमोक्रेट" हैं, कह रहे हैं मैं केजरीवाल के किसी आरोप का जबाव नहीं दूँगा।अब आप ही बताएं भाजपा को कैसे देश सौंप दें ? वे विपक्षी नेता के सवालों का अभी जबाव नहीं दे रहे हैं,सत्ता में आने के बाद तो कसाई की तरह पेश आएंगे !!

  • अभिषेक सिंहः मुझे हमेशा लगता था के जिस तरह अरविन्द, मोदी उनके विकास , उनकी नीतियों और भ्रष्टाचार पर इतनी बेबाकी से बहस करते हैं,कभी न कभी मोदी उन बातों का कोई तार्किक और ठोस जवाब अवश्य देंगे लेकिन कल जब इनका काश्मीर वाला भाषण सुना और जिस तरह से मोदी मंच से अपने समर्थकों का राजनैतिक मनोरंजन करा रहे थे, मेरा विस्वास और दृढ हो रहा था के यह व्यक्ति अटल जी के जैसे प्रखर ओजस्वी तर्क पूर्ण और विरोधियों चित्त कर देने वाली भाषण शैली का एक प्रतिशत भी नहीं है,विकास के साबुन से जिन पापों के दाग मोदी साम दाम दंड भेद अपना कर धुलना चाहते हैं विज्ञापनों रैलियों अम्बानियों अदानियों मीडिया चैनेलों रामविलासो,रामकृपालों,जगदम्बिका पालों और येदुरप्पाओं के साथ मिल कर सत्ता प्राप्ति की इस संवैधानिक द्यूत सभा में शकुनियों के पासों के दम पर मिली जीत या हार महत्वपूर्ण नहीं है,क्यूंकि सत्य और असत्य के बीच निर्णायक युद्ध का माहौल देश में बन चुका है और मोदी कितने भी प्रयास कर लें वो कुरुक्षेत्र से बच नहीं पाएंगे जहाँ आमने सामने ही पड़ेगा जवाब देना ही पड़ेगा

अनिता भारतीfeeling angry

जिस तरह से सारी राजनैतिक पार्टियों में महिला उम्मीदवारों की अनदेखी, उपेक्षा हो रही है उसे देखकर लगता है महिलाओं को अपनी राजनैतिक पार्टी बनानी चाहिए और उसमें पुरुषों को 33 प्रतिशत आरक्षण देना चाहिए.


अब नमोमय नमोसेना की प्रतिक्रिया पर भी गौर करें



Jeetendra Soni

4:18pm Mar 28

हर हर मोदी घर घर मोदी।



Pramod Thapliyal

3:13pm Mar 28

पलाश बाबू आप कुँए के मेढक हो, आपको सऊदी या कुवैत जाने की जरुरत है ...


Nikesh Deo

2:23pm Mar 27

bewakoooooffiiyaan .............


Ashit Tomar IS POST KO EK BILANG CHOTA KAR Do...

Aakash Gupta II

10:57am Mar 28

achha ... dekhte rahiye

इस परिदृश्य पर शंभूनाथ शुक्ल ने लिखा है

मैं नरेंद्र मोदी को नहीं जानता न गुजरात को न साल २००२ को क्योंकि दंगे-फसाद तो देश में और विदेश में इतने ज्यादा होते हैं कि लगता है कि हम अगर जी रहे हैं तो किसी सरकार के भरोसे नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ रामभरोसे जिंदा हैं। माफ कीजिएगा अपने अपने लिहाज से राम का नाम बदल लेना और जो नास्तिक हैं तो वे राम की जगह खुद को मान लें। पर मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए मोदी के बारे में इतनी बार पढ़ा कि लगा कि अगर मोदी बन गए पीएम तो हिंदुओं को तो रामराज्य मिल जाएगा और मुसलमानों के लिए यह मुल्क रहने लायक नहीं रह जाएगा। यह प्रचार का हथकंडा है अथवा मोदी से बचने का डर? दोनों ही हालात मोदी के अनुकूल जाते हैं। इसलिए तनाव पैदा करने से बेहतर है कि १६ मई का इंतजार करो क्योंकि आपकी पोस्ट व लेख पढ़ कर कोई वोट देने तो जाएगा नहीं। वह जमाना गया जब जनसत्ता में संपादक स्वर्गीय प्रभाष जोशी के लेख पढ़कर लोग वोट दे आया करते थे। मुसलमानों का एक तबका या तो जानबूझकर मोदी का एजंट बनता जा रहा है अथवा अनजाने में ध्रुवीकरण किए जा रहा है। हिंदुओं का एलीट तबका आपके भयादोहन में लगा है। इसलिए बेहतर यही है कि मोदी के बारे में चिंता करने की बजाय अपने-अपने वोट डालने की तैयारी करो।

Maheruddin Khan मै नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं करता इसका ये कतई मतलब नहीं कि मै हिंदुओं को पसंद नहीं करता। मोदी के प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना भी मुझे नज़र नहीं आती फिर भी अगर मोदी प्रधानमंत्री बन गए तो व्यवस्था तो नहीं बदल जाएगी और वर्त्तमान व्यवस्था के चलते मोदी कुछ नहीं कर पाएंगे। संविधान सशोधन के लिए उनके पास पर्याप्त बहुमत नहीं होगा इसलिए वो व्यवस्था में कोई बड़ा फेर बदल नहीं कर पाएंगे। तो फिर मोदी से मै तो नहीं डरता। भारत का सेक्युलर ताना बाना ही भारत की एकता की गारंटी है। भारत कभी हिन्दू राष्ट्र नहीं बन सकता। ले दे कर नेपाल हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था उसका हश्र सब के सामने है। हिन्दू राष्ट्र में राजा क्षत्रिय होता है जो भारत में सम्भव ही नहीं है। संघ ,मोदी और भाजपा कितना ही प्रयास कर लें भारत को हिन्दू राष्ट्र नहीं बना सकते। अगर इन्हें सत्ता मिलती है तो ये मुसलमानो को इग्नोर नहीं कर सकते क्योंकि मुस्लिम देशों से इनको बहुत कुछ लेना होगा यही कारण है कि आज भी भाजपा को कुछ दिखावटी मुस्लिम चेहरे रखना इसकी मजबूरी में शामिल है।


सुनीता पुष्पराज पान्डेय बड़ी उलझन है एक तरफ कुँआ एक तरफ खाई और तीसरी राम भरोसे अब या ना पुछना राम भरोसे कौन जो भी हो मेरा पड़ोसी नही है


Mohan Shrotriya

‪#‎कभी_लुभाए‬...‪#‎कभी_डराए‬...‪#‎कैसा_तो_यह_सपना_है‬ !


‪#‎पाकिस्तान‬ और ‪#‎बांग्लादेश‬ भारत के दो नए राज्य बन जाएंगे ! ‪#‎चीन‬ मौजूदा सीमा-रेखा से बहुत-बहुत पीछे चला जाएगा. ‪#‎अफ़गानिस्तान‬ भारत का तीसरा नया राज्य बनने का प्रस्ताव भेज देगा. यह सब साठ दिन के भीतर हो जाएगा !


‪#‎तालिबान_अलक़ायदा‬ बिना शर्त समर्पण कर देंगे ! नेताओं की ‪#‎ज़ेड_प्लस‬ सुरक्षा हटा ली जाएगी !


‪#‎गैस_पेट्रोल_डीज़ल‬ की क़ीमतों में तीन-चार गुना बढ़ोतरी हो जाएगी !


‪#‎देश_को_मिटने_नहीं_दूंगा‬ राष्ट्र-गीत बन जाएगा, और ‪#‎प्रसून_जोशी‬ राष्ट्रकवि घोषित कर दिए जाएंगे !


स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालयों तक में प्रार्थना अनिवार्य कर दी जाएगी : ‪#‎नमो_नमो‬का पंद्रह मिनट तक जाप चलेगा ! सभी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति अनिवार्य होगी !


‪#‎फ़ेसबुक‬ पर निगरानी के लिए एक स्वतंत्र मंत्रालय होगा. यहां से जुड़े मसले‪#‎फ़ास्ट_ट्रैक_कोर्ट‬ को सौंप दिए जाएंगे !


सपने का शुरू का आधा हिस्सा देखकर मज़ा आ रहा था. बाद के हिस्से ने पसीने ला दिए, और मैं घबरा कर उठ बैठा !

Mohan Shrotriya

‪#‎मिल_क्यों_नहीं_जाती_ये_नामालूम_सी_हवाएं‬ !


‪#‎हवा‬

धमका रही है सबको

कि हवा खराब कर देगी

सबकी ही !


सारी हवाएं मिलकर

क्यों नहीं कर देती

हवा खराब

धमकाने वाली हवा की?


‪#‎कम_वेगवती‬ हो सकती हैं

बाक़ी हवाएं

पर बोल ही सकती हैं

‪#‎चौतरफ़ा_हमला‬

धमकाने-धचकाने वाली हवा पर !


कहीं ऐसा तो नहीं

कि ये कम वेग वाली हवाएं

अपने होने पर ही मगन हों !


लेकिन सवाल यह है

कब तक मगन रह सकती हैं ये

मुठभेड़ से बची रह कर !


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