THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Thursday, March 13, 2014

दिल्ली के फ्लाप शो का दीदी की सेहत पर कोई असर नहीं,बंगाल में जमीन खोकर देश भर हव हवाई बनने का विकल्प दीदी अब शायद ही चुनें।

दिल्ली के फ्लाप शो  का दीदी की सेहत पर कोई असर नहीं,बंगाल में जमीन खोकर देश भर हव हवाई बनने का विकल्प दीदी अब शायद ही चुनें।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास



जिन लोगों को लगता है कि दिल्ली में अन्ना हजारे की गैरहाजिरी में रामलीला मैदान पर हुए फ्लाप शो से दीदी को गहरा धक्का लगा है,वे लोग शायद बहुत गलतफहमी में हैं या फिर दीदी के मिजाज को जानते ही नहीं है। दीदी अपने भाषण और संवाददाता सम्मेलन में अन्ना के खिलाफ टिप्पणी करने से बचे हैं। लेकिन इसमें कोई शक नही है कि इस गुड़ गोबर खेल में अन्ना से दीदी का भरोसा उठ गया है।जब दिल्ली में ही अन्ना के नाम पर भीड़ नहीं जुटी तो बाकी देश में अन्ना के भरोसे दीदी फिर कोई बड़ादांव खेलने की गलती शायद दोबारा करें। प्रणव मुखर्जी के खिलाफ पूर्व राष्ट्रपति कलाम को मैदान में उतारने के लिए मुलायम सिंह यादव के साथ साझा सम्मेलन का मामला सामने है।उस दुर्घटना के बाद दीदी का मुलायम से कोई संवाद नहीं है।


खासकर बंगाल में दीदी के वोट बैंक पर दिल्ली फ्लाप शो का किसी असर की आशंका फिलहाल  नहीं है।बल्कि अन्ना के साथ दीदी के राष्ट्रव्यापी अभियान का असर उनके अल्पसंख्यक वोट बैंक पर होना था,क्योंकि मुस्लिम नेता इसे भाजपा का खेल समझ रहे हैं। जिस तरह दीदी की रैली में न आने के लिए तबीयत खराब का बहाना बनाया अन्ना ने और पूर्व सेनाध्यक्ष भाजपाई जनरल वीके सिंह से मंत्रणा की,कांग्रेसियों से भी उनकी बात हुई,दीदी का उनपर भरोसा उठ गया है।इसके साथ ही चुनाव परवर्ती परिस्थितियों में भाजपा के साथ दीदी के मधुर संबंधों की संभावना भी खारिज हो गयी है। बताया जाता है कि अन्ना के नजदीदी जिस पत्रकार पर रैली में भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी थी,उनको भुगतान मोदी कैंप से हुआ और आखिरी मौके पर उन्होंने दीदी को लंगड़ी मार दी। दीदी को जानने वाले बखूब समझ सकते हैं कि इस अपमान को हजम करने वाली वे कतई नहीं हैं।


गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के साथ भाजपा का गठबंधन और दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुर द्वार में तृणमूल उम्मीदवारों के मुकाबले विमल गुरुंग का भाजपा को समर्थन दीदी के सरदर्द का सबब बन सकता है।इसके अलावा पूरे बंगाल में दीदी को घेरने की जो भाजपाई कोशिश है,उससे दीदी को पलटवार करने की जरुरत महसूस हो सकती है।इसके मद्देनजर दीदी पहले तो पहाड़ से निर्वासित नेता सुबास घीसिंग को पुनर्जीवित करने के बारे में सोच सकती हैं और ज्यादा आक्रामक हुईं तो बाकी देश में भाजपा का खेल खराब करने के लिए अप्रत्याशित और हैरतअंगेज कदम उठा सकती हैं।वामपंथियों से चूकि दीदी की मुख्य लड़ाई है तो तीसरे मोर्चे के खिलाफ मैदान तो वह नहीं छोड़ेंगी।अन्ना हजारे की अनुपस्थिति के बावजूद बाकी देश में तीस उम्मीदवारों की सूची जारी करके दीदी ने अपना इरादा बता दिया है।दिल्ली में एक ही सीट पर फिलहाल बीते दिनों केफिल्मस्टार विश्वजीत के नाम की घोषणा हुई है जो दिल्ली के फ्लाप शो के अकेले स्टार थे।


लेकिन वक्त का तकाजा यही है कि दीदी का ध्यान अब बंगाल की रणभूनि पर केंद्रित रहेगा,जहां कांग्रेस,वामदलों के अलावा मुकाबले में भाजपा भी पहले से काफी मजबूत है।लेकिन चहुमुंखी चुनाव होने के बावजूद बंगाल में जो लगभगचार दशकों की जो परंपरा है,उसके मुताबिक ध्रूवीकरण फिर हुआ तो दीदी की सीटें बढ़ेंगी,घटेंगी नहीं।


दिल्ली में केडी सिंह और संतोष भारतीय पर भरोसा करना दीदी के लिए भारी पड़ा।दीदी फिर जब चाहे तब दिल्ली के रामलीला मैदान में ही अपने दम पर बड़ी रैली करके आलोचकों को जवाब दे सकती हैं। लेकिन अरविंद केंजरीवाल की आम आदमी पार्टी बन जाने के बाद केडी सिंह और किरण बेदी के भाजपा में चले जाने के बाद निस्संग अन्ना के नाम पर देश में कहीं भी चुनाव लड़ना संभव नहीं है,दीदी को यह सबक मिल गया है।


कायदे से देखा जाये तो दीदी का मजबूत जनाधार बंगाल में है।दो चार सीटों के अलावा बाहरी राज्यों में किसी बड़े करिश्मे की उम्मीद दीदी को नहीं होगी।दिल्ली का हादसा नहीं होता तो शायद भाजपा को दीदी के देस व्यापी अभियान के मौके का लाभ उठाने का अवसर मिल जाता। फायदा चूंकि सिर्फ भाजपा को ही होना है,वामदलों और कांग्रेस को नहीं,इसलिए नये सिरे से दीदी की रणनीति बन गयी है। उनके समर्थकों का मनोबल पस्त नहीं हुआ है और पार्टी पर उनका पूरा नियंत्रण है। तो भाजपाई चुनौती को अब शायद वे बेहतर ढंग से निपटेंगी।


बाकी उनकी सेहत पर कोई असर होने नहीं जा रहा है।बंगाल में जमीन खोकर देश भर हव हवाई बनने का विकल्प दीदी अब शायद ही चुनें।


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