THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Tuesday, March 4, 2014

क्या शारदा की आड़ में बाकी चिटफंड कंपनियों के हित साधे जा रहे हैं?

क्या शारदा की आड़ में बाकी चिटफंड कंपनियों के हित साधे जा रहे हैं?

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


सहारा श्री सुब्रत राय को सुप्रीम कोर्ट की रायके मुताबिक न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बावजूद सहारा में निवेश करने वाले निवेशकों का पैसा लौटने की संभावना कम है।आरोप तो कि सहारा में वास्तविक निवेशकों के निवेश के बाजाय राजनेताओं और दूसरे लोगों के बंहिसाब कालाधन खपाया ज्यादा गया  है।शारदा समूह के पोंजी घोचटाले के राजनीतिक एजंडे के बारे में गिरफ्तार सांसद कुणाल घोष के सनसनीखेज बयानों के बावजूद बंगाल में चिटफंड फर्जीवाड़े के मामले में  राजनेताओं के कालाधन का मामला सामने नहीं आया। अब चिटफंड के शिकार निवेशकों के लिए सदमे की बात यह है कि श्यामल सेन आयोग का गठन शारदा समूह समेत तमाम चिटफंड कंपनियों से पैसा वापस दिलाने के लिए किया गया और आयोग ने लाखों की तादाद में दूसरी कंपनियों के लाखों निवेशकों के आवेदन भी लिये हैं। लेकिन अब आयोग ने शारदा समूह के अलावा बाकी कंपनियों के निवेशकों को पैसा वापस दिलाने के सरकारी वायदे से पल्ला झाड़ लिया है।तो क्या शारदा की आड़ में बाकी चिटफंड कंपनियों के हित साधे जा रहे हैं?


इसी बीच बंगाल के उपभोक्ता मामलों के मंत्री साधन पांडे ने कहा है कि पिछले कुछ माह में सरकार को चिटफंड कंपनियों द्वारा फिर से कारोबार शुरू करने संबंधी अनेक रपटें मिलीं हैं।दरअसल सच तो यह है कि सुदीप्तो और देवयानी की गिरफ्तारी और सेबी व दूसरी केंद्रीय एजंसियों की तत्कालीन सक्रियता के मद्देनजर पोंजी कारोबार में व्यवधान जरुर आया,लेकिन मामला दफा रफा तयहो जाने के साथ ही फिर वही ढाक के तीन पात।पांडे ने बताया, हमें अभी तक कुल 125 शिकायतें मिली हैं। इसमें कुछ पुरानी और नयी सभी प्रकार की कंपनियां शामिल हैं।इस प्रकार की सभी शिकायतों को मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया गया  है।


केंद्रीय एजंसियों की तरफ से चिटफंड के खिलाफ शारदा फर्जीवाड़े मामले में जो अभूतपूर्व सक्रियता दिखायी गयीं,सीबीआई जांच की मांग जो होती रही और सेबी को जो पुलिसिया अधिकार दिये गये,उनका कुल जमा नतीजा सिफर निकला है। शुरुआती दौर में जब मामला बेहद गर्म था तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कुछ हजार लोगों को सांकेतिक मुआवजा देकर मामला रफा दफा कर दिया।अब शारदा समूह के खिलाफ कब जांच पूरी होगी,कब अदालती लड़ाई खत्म होगी और कब शारदा संपत्ति बेचकर निवेशकों को पैसे लौटाये जा सकेंगे,वह कोई भी बता नहीं सकता।लेकिन राज्यसरकार और श्यामल सेन आयोग ने साफ तौर पर शारदा के अलावा बाकी चिटफंड कंपनियों के निवेशकों के आवेदनों को किनारे करके उऩके दावे पर एकतरफा चुप्पी साध ली है। नतीजतन बंगाल में लगभग दस लाख निवेशकों का पैसा पानी में चला गया है,ऐसा अंदेशा है।


सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पांच लाख निवेशकों ने दूसरी कंपनियों की धोखाधड़ी के खिलाफ श्यामल सेन आयोग से  आवेदन किये तो शारदा के पांच लाख निवेशकों के दावों के कागजात सही नहीं पाये गये।जबकि कुल सत्रह लाख आवेदन जमा हुए। शारदा के पांच लाख और बाकी कंपनियों के पांच लाख यानी कुल दस लाख निवेशकों के आवेदन खारिज हो जाने के बावजूद बाकी सात लाख निवेशकों के लिए अब तक कुल 167 करोड़ का ही मुआवजा दिया गया है।


आगोयग की दलील है कि शारदा से रिकवरी अभी हुई नहीं है और न दूसरी चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कोई मुकम्मल कानूनी कार्रवाई हुई है।आयोग शारदा समूह के निवेशकों को पैसा दिलाने के लिए राज्यसरकार की ओर से गठित पांच सौ करोड़ के कोष से ही मुआवजा बांट सकता है जो नियमानुसार सिर्फ शारदा समूह के निवेशकों को ही मिल सकता है।


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