THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Thursday, February 11, 2016

आइये,अपने बच्चों की फिक्र करें और रोकें फिर फिर हत्याओं का सिलसिला! न स्त्री सुरक्षित है और न बच्चे। तो फिर मर मर कर आप जी किसके लिए रहे हैं? कसम लें,मनुस्मृति के शिकार तमाम शंबूक अपने मृत बच्चों के नाम कि अब हत्यारे तिलिस्म के कारसेवक नहीं बनेंगे! कसम लें,नहीं बनेंगे,स्वजन हत्या की पैदल फौजें! कसम लें,पूरा करेंगे बाबा साहेब का जाति उन्मूलन का अधूरा एजंडा! हत्या के बाद न्याय की गुहार से हालात नहीं बदलेंगे क्यंकि संविधान की हत्या हो चुकी है!कहीं कानून का राज नहीं है। हत्यारों के जुल्मो सितम से रिहाई तब तक मुश्किल जबतक हम उनके साथ है,पलटकर गोलबंद हों,तो आजादी का सवेरा है! आइये,अपने बच्चों की फिक्र करें और रोकें फिर फिर हत्याओं का सिलसिला! हमीं तो हैं फासिस्ट हत्यारों,युद्ध अपराधियों के चहरे ,हाथ पांव और वजूद।सिर्फ उनसे अलग होकर दो कदम चलकर आवाम के मोर्चे पर खड़ा होकर तो देखें कि कयामत का यह मंजर कितनी जल्दी वसंत बहार है। पलाश विश्वास

आइये,अपने बच्चों की फिक्र करें और रोकें फिर फिर हत्याओं का सिलसिला!


न स्त्री सुरक्षित है और न बच्चे।

तो फिर मर मर कर आप जी किसके लिए रहे हैं?


कसम लें,मनुस्मृति के शिकार तमाम शंबूक अपने मृत बच्चों के नाम कि अब हत्यारे तिलिस्म के कारसेवक नहीं बनेंगे!


कसम लें,नहीं बनेंगे,स्वजन हत्या की पैदल फौजें!


कसम लें,पूरा करेंगे बाबा साहेब का जाति उन्मूलन का अधूरा एजंडा!


हत्या के बाद न्याय की गुहार से हालात नहीं बदलेंगे क्यंकि संविधान की हत्या हो चुकी है!कहीं कानून का राज नहीं है।


हत्यारों के जुल्मो सितम से रिहाई तब तक मुश्किल जबतक हम उनके साथ है,पलटकर गोलबंद हों,तो आजादी का सवेरा है!


आइये,अपने बच्चों की फिक्र करें और रोकें फिर फिर हत्याओं का सिलसिला!

हमीं तो हैं फासिस्ट हत्यारों,युद्ध अपराधियों के चहरे ,हाथ पांव और वजूद।सिर्फ उनसे अलग होकर दो कदम चलकर आवाम के मोर्चे पर खड़ा होकर तो देखें कि कयामत का यह मंजर कितनी जल्दी वसंत बहार है।

पलाश विश्वास

हत्या के बाद न्याय की गुहार से हालात नहीं बदलेंगे क्यंकि संविधान की हत्या हो चुकी है!कहीं कानून का राज नहीं है।

न्याय होता तो हाथी दांत की मीनारें अब तक धूल में मिल गयी होती और हत्यारों का पर्वचन जारी नहीं रहता इतना अबाध।


न्याय होता तो हमारे बच्चे फिर फिर न्याय की गुहार लगाकर लाठी गोली का मुकाबला न कर रहे होते।


न्याय तब तक नहीं होगा जबतक इस देश के तमाम लोग गोलबंद न हो जाये।


न्याय तब तक नहीं होगा जबतक हम बंटे रहेंगे और हमें बांटते रहने की उनको मुक्ममल आजादी होगी।


आइये,अपने बच्चों की फिक्र करें और रोकें फिर फिर हत्याओं का सिलसिला!आइये और समझ लें कि रोहित मोहित और दूसरों बच्चों की हत्याओं के बाद न्याय की गुहार किसी शहंशाह जहांगीर के दीवाने खास तक न हीं पहुंचने वाला है और न कोई आलमगीर है जो अनारकली को दीवार में चुनवाने के बहाने खुफिया सुरंग से आजाद कर देने वाले हैं।


आइये और समझ लें कि हम गोल बंद न हुए तो हमारे बच्चों का यह सिलसिला जारी है क्योंकि हमारे सारे बच्चे मनुस्मृति की मुक्तबाजारी बलिबेदी के लिए पंक्तिबद्ध प्रतीक्षारत है मेकिंग इन डिजिटल इंडिया की नालेज इकानामी में।


विश्वविद्यालयों,शिक्षा संस्थानों,केतों ,खलिहानों,कार्यस्थलों और तमाम कारपोरेट वध स्थल में अविराम शंबुक हत्या जारी है तो जल जंगल जमीन को रौंदते हुए अविराम जारी है अश्वमेधी घोड़ों और अबाध पूंजी के छुट्टे सांढ़ों की दौड़।


न स्त्री सुरक्षित है और न बच्चे।

तो फिर मर मर कर आप जी किसके लिए रहे हैं?


आइये,सबसे पहले कसम लें,मनुस्मृति के शिकार तमाम शंबूक अपने मृत बच्चों के नाम कि अब हत्यारे तिलिस्म के कारसेवक नहीं बनेंगे!


कसम लें अपने पुरखों के नाम,जो कभी गुलाम न थे कि हम आगे फिर नहीं बनेंगे कारसेवक मनुस्मृति तिलिस्म के और न ही बनेंगे स्वजन हत्या की पैदल फौजें!


कसम लें अपने पुरखों के नाम,पूरा करेंगे बाबा साहेब का जाति उन्मूलन का अधूरा एजंडा!


हत्या के बाद न्याय की गुहार से हालात नहीं बदलेंगे क्यंकि संविधान की हत्या हो चुकी है!


क्या हुआ देश के चप्पे चप्पे पर न्याय की गुहार का?


फासिस्ट सिर्फ इसलिए मजबूत हैं और उनके तिलिस्म और किले अपराजेय हैं कि हम सिरे से धर्मांध हैं लेकिन धर्म के बारे में कुछ भी जानते नहीं और न धर्म अधर्म का भेद समझते हैं।


हम में से बहुसंख्य आस्तावान हैं और धार्मिक भी हैं,हमारे अज्ञान को वे धर्मोन्माद में बदलकर हमसे ही हमारे स्वजनों का वध करवा रहे हैं।


अपराध का खुलासा हुआ तो सजा होगी धर्मांध अबूझ आम आदमी या औरत की और कठपुतली का खेल कर रहे बाजीगर के खून सने हाथ कभी नजर ही नहीं आयेंगे।


मनुष्यता के सारे युद्ध अपरादियों को हमने देव देवी बनाकर अपने धर्म का नाश किया है और अपनी आस्था से विश्वासघात किया है।


गौर से तनिको देख लें अपने हाथ,अपने चेहरे,दिलोदिमाग कि खून की तमाम नदियां वहीं से शुरु हैं।


हमीं तो हैं फासिस्ट हत्यारों,युद्ध अपराधियों के चहरे ,हाथ पांव और वजूद।सिर्फ उनसे अलग होकर दो कदम चलकर आवाम के मोर्चे पर खड़ा होकर तो देखें कि कयामत का यह मंजर कितनी जल्दी वसंत बहार है।


हत्यारों के जुल्मो सितम से रिहाई तब तक मुस्किल जबतक हम उनके साथ है,पलटकर गोलबंद हों,तो आजादी का सवेरा है!


आइये,अपने बच्चों की फिक्र करें और रोकें फिर फिर हत्याओं का सिलसिला!


हम जैसे कि बार बार घोषित कर चुके हैं,जनसुनवाई के प्रति प्रतिबद्ध हैं।


हमने अंग्रेजी में एक अपील जारी करके उत्पीड़न के शिकार तमाम लोगों से अपील की है कि वे अपना किस्सा हमें उचित सबूतों के साथ तत्काल भेज दें।किसी भी भाषा में।


भाषा या अस्मिता हमारे लिए कोई बाधा नहीं है।

आपका अमूल्य सहयोग मिला तो हर भाषा में हम जन सुनवाई करेंगे।य़ह बाकायद लाइव स्ट्रीम होगी।


आपका अमूल्य सहयोग मिला तो हर भाषा में हम हस्तक्षेप करेंगे।


हमें तकनीकी सहयोग मिला और संसाधन हासिल हुए तो सारे देश में हम भाषा विज्ञान की ऐसी कक्षाएं शुरु करेंगे कि कोई भाषा किसी के लिए अबूझ न हो ताकि हम हर दिल से हर दिल का रिस्ता कायम कर सकें ताकिस देश का फिर फिर बंटवारा करने वाले शातिर दिलोदिमाग की शैतानी हरकतों को कदम दर कदम हम शिकस्त दे सकें।


जमशेदपुर के जिस होनहार इंजीनियर को मां की बीमारी के इलाज का बिल देने पर मारा पिटा और नौकरी से निकाल गया कि दलित उत्पीड़न का केस चलाकर देखें,उनका नाम है पलाशकांति हाजरा।

उनका नाम पता वगैरह हम जारी कर रहे हैं और उनके भेजे सबूत भी नत्थी कर रहे हैं।


जमशेदपुर में हमारे आदरणीय मित्र फैसल अनुराग,लखी दास ौऱ शमित कर,रांची के एके पंकज,डुंगडुंग,वासवी और दयामणिबारला से निवेदन है कि उनसे संपर्क करके सच का पता लगाकर सही कदम उठायें।झारखंड के तमाम मीडियाकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से यही निवेदन है।


इंजीनियर हाजरा का ईमेल यह हैः

Dear Sir,  
                                                                                 Date :-10-2-16

I hope you are fine , I am sending few documents for your kind information.

Please do something for me.

With Thanks.

Yours faithfully,
Palash Kanti Hazra,

7HF 1/17 HIG,

IDTR Housing Complex,

Near Sarita Cinema,

Adityapur-831013

Jamshedpur.

Mobile No-09835175552.

Email-Id :- hazrapalashkanti@gmail.com




प्रतिरोध की सांस्कृतिक धाराओं का मिलन....

सोशल मीडिया से पता चला कि दिल्ली के आयोजन में शीतल साठे ने रोहित वेमुला पर लिखा गया एक गीत गाया, जिसमें ब्राह्मणवाद का विरोध किया गया और मौजूदा लोकशाही पर सवाल उठाए गए। हमने भी रोहित वेमुला की याद में हिरावल के साथी संतोष झा द्वारा गाए गए गीत को लोगों को सुनाया। मुझे सूचना है कि हिरावल के साथी हैदराबाद में आंदोलनरत छात्रों के बीच अपने गीतों के साथ पहुंचने वाले हैं। वे उसी तरह प्रतिरोध की धाराओं के साथ अपनी एकजुटता जाहिर कर रहे हैं, जैसे कबीर कला मंच के कलाकारों की गिरफ्तारी और पुलिसिया दमन के खिलाफ विरोध के अभियान में उतरे थे और उनकी जुबान पर शीतल साठे का मशहूर गीत- 'ऐ भगतसिंह तुम जिंदा हो' था।

विद्रोही, रोहित वेमुला, रमता जी, गोरख पांडेय,- सारे नाम एक-दूसरे में घुल-मिल रहे हैं।...गांव से लेकर पूरे देश को नए किस्म से रचने की समझ और उसमें यकीन ही तो हम सबको जोड़ता है- 'हमनी देशवा के नया रचवइया हईं जा...हमनी देशवा के नइया के खेवइया हईं जा'। शाम हो रही थी, पर हम सुबह की उम्मीद से भरे हुए थे। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मैंने गोरख पांडेय के 'वतन का गीत' को गाया- 'हमारे वतन की नई जिंदगी हो।' बाद में सोशल मीडिया के जरिए पता चला कि ठीक उसी वक्त दिल्ली की शाम में सुबह की वह आवाज- शीतल साठे की आवाज गूंज रही थी- भगत सिंह तुम जिंदा हो, इंकलाब के नारों में...।

एक ही तारीख को हुए तीन आयोजनों के बीच एकता की सूत्रों पर एक निगाह


Media Blackout on brutal lathicharge on Bahujan Students in Bangalore



On Feb 3rd, 2016, more than 30000 Dalit Bahujan students from all over Karnataka part of BVS(Bahujan Vidhyarthi Sangha) conducted a peaceful massive rally and protest demanding Reservation in Private Sector and boycotting Global Investors Meet was met with huge police repression of students without any provocation and arresting 30 students charging various offenses and kept in subjail without bail or 3 days. The entire mainstream with the exception of few kananda media suppressed the news when they were pouring crocodile tears and extensive analysis on Rohit Vemula's death and situation of Dalit students. Thanks to Dalit Camera Ambedkar for video footage of the protests and lathi charge and the interview taken of Hariram, Coordinator of BVS and Asst Professor of Political Science on the protest.

https://www.youtube.com/watch?v=RI3wVgovDzc


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