THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Friday, February 19, 2016

ढूँढ़ो अब इस रेत में जो भी सोचेगा अलग हम लेंगे संज्ञान जेएनयू का तोड़ दो मेधामय अभिमान रात हुई इस राष्ट्र की जैसे किया मसान आसपास हैं घूमते नव नाज़ी बलवान अधिनायक की आँख में हत्या का वीरान इस विदर्भ में झूलते लुटते हुए किसान हर कोने से गूँजता फासिस्टी जयगान उस कोने बजरंग है, पतंग लिये सलमान इस ताक़त के सामने काँप गया ईमान दावत में दिखते रहे पीके नर्वस खान किस हक़ से हो जाँचते बार बार ईमान हर भाषा में पूछते कितने पाकिस्तान साँस भरी पानी पिया खुसरो लुटा मकान ढूँढ़ रहे इस रेत में अपना नखलिस्तान (देवी प्रसाद मिश्र)


ashish k Singh

A poem by Devi Prasad Mishra, senior Hindi poet 
carrying shades of Khusro, Nagarjun and Raghuvir Sahay

* * *

ढूँढ़ो अब इस रेत में

जो भी सोचेगा अलग हम लेंगे संज्ञान 
जेएनयू का तोड़ दो मेधामय अभिमान

रात हुई इस राष्ट्र की जैसे किया मसान 
आसपास हैं घूमते नव नाज़ी बलवान

अधिनायक की आँख में हत्या का वीरान 
इस विदर्भ में झूलते लुटते हुए किसान

हर कोने से गूँजता फासिस्टी जयगान 
उस कोने बजरंग हैपतंग लिये सलमान

इस ताक़त के सामने काँप गया ईमान 
दावत में दिखते रहे पीके नर्वस खान

किस हक़ से हो जाँचते बार बार ईमान 
हर भाषा में पूछते कितने पाकिस्तान

साँस भरी पानी पिया खुसरो लुटा मकान 
ढूँढ़ रहे इस रेत में अपना नखलिस्तान

(देवी प्रसाद मिश्र)

d.pm@hotmail.com

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