THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Sunday, January 29, 2012

Fwd: [initiative-india] Press Release : Lokshakti Abhiyan's completes its Third phase in Bihar and Jharkhand



---------- Forwarded message ----------
From: NAPM India <napmindia@napm-india.org>
Date: 2012/1/29
Subject: [initiative-india] Press Release : Lokshakti Abhiyan's completes its Third phase in Bihar and Jharkhand



लोकशक्ति अभियान की प्रेस विज्ञप्ति

विस्थापन और गैरबराबरी के खिलाफ लड़ाई और तेज करने की घोषणा के साथ बिहार और झारखण्ड का लोकशक्ति अभियान का तीसरा चरण पूरा !

पहले पुराना हिसाब साफ़ करो ! फिर नए की बात करो !

बोकारो, जनवरी २९ : उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आँध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार होते हुए लोक शक्ति अभियान की टीम कल रांची पहुंची और उसके बाद आज सुबह मैथन पहुंची और शाम को बोकारो में दुन्गिबाग बाज़ार में हॉकर्स लोगों के बीच आम सभा की | रांची से १८ किलो. मीटर दूर काके रोड नगली में IIM रांची के लिए आदिवासी किसानो की ली जा रही ज़मीन के खिलाफ और देर शाम रांची में जगन्नाथपुर चौक पर HEC की ज़मीन पर अतिक्रमण के नाम पर तोड़े गए घरों के खिलाफ बड़ी आम सभा की गयी | किसी अध्यादेश के बिना किसानों की जमीन गैर तरीके से शासन की कब्जेदारी के खिलाफ़ एक बड़ी सभा आयोजित की गयी है

मेधा पाटकर ने नांगली में होने वाले विस्थापितों और डी वी सी के ५५ साल से विस्थापित आदिवासियों से कहा की, आदिवासीयों के लिए बिहार से विभाजित होकर नवगठित राज्य झारखण्ड में अगर आदिवासियों को एक आदिवासी मुख्यमंत्री इस तरह से उजाड़ने में लगा हो तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है | आई. आई. एम् के लिए जबरन २२७ एकड जमीन पर सेकडों अर्द्सेनिक बलों को तैनात कर जमीन के मालिक किसानों को बेदखल करना और प्रताड़ित करना धिक्कार योग्य है | गोबर बीनने पर प्रतिबन्ध शर्मनाक है | जिस तरह से आदिवासियों के हितार्थ पेशा कानून अनुपालन समिति के संगठनकर्ताओं को १०७ की नोटिस देकर न्यायलय में जबाब तलन करना और उसी दिन उनके धान कटे खेतों पर अर्द्सैनिक बलों को तैनात करना गैरबराबरी एवम आदिवासी द्रोही कदम है |


अर्जुन मुंडा जी आदिवासियों मुख्यमंत्री है तो आपसे आदिवासियों के उद्धार की अपेक्षा थी लेकिन बंदूक और अर्द्सैनिक बलों की ताकत पर आदिवासीयों को खेत से खदेड़ने बाले मुख्यमंत्री को हम सेनापति कहेंगे मुख्यमंत्री नहीं | आज सरकार सबसे बड़ी जमीदार हो गयी है | विश्वविद्यालय, फैक्ट्री, खदान, हर चीज़ के लिए जमीन ली जा रही है | ये सब अंग्रेजों ने भी नहीं किया था | उस समय के राज्यों ने नहीं किया | भूमिअधिग्रहण में उस समयजबरदस्ती नहीं थी | एक तरफ़ा दंगा हो रहा है | अर्जुन मुंडा आदिवासी नहीं रहे राज नेता हो गये है | आज झारखण्ड में करीब तीस लाख से ज्यादा विस्थापित लोग हैं तो अगर उनको सरकार नहीं बसा सकती तो लोगों को उजाड़ने का हक़ और चेहरा कैसे रखती है | किस मुँह से यहाँ के नेता और केंद्र की सरकार लोगों की ज़मीन पर बुलडोजर चलाती है | उन्हें पहले पुराना हिसाब चुकता करना होगा तब जाकर कोई और बात होगी | डी वी सी के विस्थापितों को पहले न्याय देना होगा तब जाकर आगे कोई और बात होगी |

पेसा कानून अनुपालन समिति में शामिल झारखण्ड की सामाजिक कार्यकर्त्ता दयामणि बरला ने कहा की नगड़ी में बंदूक की ताकत से जमीन अधिग्रहण की पूरी तैयारी गैर क़ानूनी है | नगड़ी में जमीन बचाने की लड़ाई पूरे झारखण्ड की लड़ाई हो गयी है और इसे पूरे देश की समर्थन चाहिये | एक किसान को कुछ पैसा देकर १० किसानों की ज़मीन पर कब्ज़ा कर रही है | बोकारो इलेक्ट्रो कम्पनी कर रही है यही जिंदल कंपनी कर रही है माफिया ठेकेदरों को देने के लिए जमीन है गरीबों को देने के लिए नहीं है | दयामनी ने कहा कि यह नगड़ी की ही नहीं, झारखण्ड की ही नहीं पूरे भारत की लड़ाई नहीं है | हम अपने पूर्वजों की एक इंच जमीन नहीं देंगे |

नगड़ी की शांतिदेवी ने कहा, इस जमीन से हमने दो बच्चे पैदा किया है, उनका पालन – पोषण किया और आज सरकार कहती है की १९५७ में इसका अधिग्रहण हो गया, हम गर्कनूनी हैं तो मैं पूछती हूँ की फिर किस मुहँ से सरकार ने अहुमको आज तक मालगुजारी वसूल किया | बताये हमको सरकार | नगड़ी की जमीन १९५७ से १९५८ में ९०० रूपये प्रति एकड के हिसाब से ली जानी थी २२ आदमियों ने मुआवजा लिया था बाकि किसी ने नहीं लिया | आज सरकार उसी पैसे को १०% ब्याय की दर जोड़ कर मुआवजा देने की बात की जा रही है | यह सरासर गलत और गैरकानूनी है | अगर धारा ४, , , ११, कुछ भी नहीं लगी तो सरकार को कैसे यह हक़ बनता है की वोह कोई भी काम शुरू करे इन ज़मीनों पर |

मैथन बाँध के विस्थापितों की लड़ाई, दिल्ली में अक्टूबर माह में ८ दिन के धरने के बाद, जिसमे मेधा पाटकर, स्वामी अग्निवेश, राजिंदर सच्चर, कुलदीप नय्यर और अन्य गणमान्य लोगों ने हस्तक्षेप किया था, ने एक बार फिर से जोर पकड़ा है. उर्जा मंत्री शुशील कुमार शिंदे से मुलाकात के बाद २८ दिसम्बर को डी वी सी के चेयरमन के साथ स्वामी अग्निवेश की मध्यस्थता में वार्ता हुई | मामले को एक धक्का तो मिला है लेकिन न्याय नहीं मिला है, घटवार आदिवासी महासभा के सलाहकार रामश्रय सिंह ने बी एस के कॉलेज के मैदान में आयोजित मीटिंग में कहा |

स्वामी अग्निवेश ने सभा को संबोधित करते हुए कहा की देश में आज भीषण समस्या है, विकास के नाम पर चरों ओर लूट मची है | इस पूरी विकास प्रक्रिया में आदिवासी, दलित, शोषित और वंचित समाज के लोगों के साथ और भी अन्याय हो रहा है | आज़ादी के बाद की विकास की प्रक्रिया में आदिवासियों ने सबसे बड़ा बलिदान दिया है | डी वी सी परियोजना उनमे से एक है | आज भी ९,००० परिवारों को वायदे के मुताबिक नौकरी और मुआवजा नहीं मिला है | लेकिन प्रबंधन यह दावा करता है की उन्होंने दे दिया | यह तो वक्त ही बताएगा जब आदिवासी महासभा के लोगों के दावे सरकारी आंकड़ों को झूठा करके दिखा देंगे | सरकार को चहिये की इनके साथ ऐतिहासिक अन्याय हुआ है और न्याय करे | इन्हें हर सुख सुविधा मुहया कराये |

पिछले साल २०११ के अप्रैल महीने में रांची उच्च नयायालय के आदेश के मुताबिक पूरे झारखण्ड के शहरों में एक जबरदस्त विस्थापन का दौर चला जिसमे हजारों घर तोड़े गए | रांची में इस्लामनगर और अन्य कई बस्तियों में घर तोड़े गए | सदमे से करीब आठ लोगों के मौत हो गयी, क्योंकि उनके जीवन के कमाई धूल में मिला डी गयी थी | कारण : ये सभी बस्तियां सरकारी ज़मीन या पब्लिक सेक्टर कंपनी जैसे एच ई सी की ज़मीन पर काबिज थे |

सिद्धेश्वर सिंह, बस्ती बचाओ संघर्ष समिति, रांची के अध्यक्ष ने कहा जब एच ई सी ने लोगो को जगह जगह से लाकर मजदूरी के तौर पर काम दिया और इन ज़मीनों पर बसाया था तब सरकार कहाँ थी | आज वही लोग कैसे अतिक्रमणकारी हो गए | इन बस्तियों में रहने वाले ८० % लोग आदिवासी हैं, मजदूर हैं, झारखंडी हैं, उनका हक़ है इस धरती पर वे अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी जीविका और घर नहीं टूटने देंगे |


निजाम अंसारी, राष्ट्रीय हौकर्स फेडरेशन, बोकारो के समन्वयक ने कहा की उस दौरान रांची के साथ साथ बोकारो में बस्तियां तोड़ी गयी, लोगों की जीविका खतम की गयी | मेहनतकश मजदूर वर्ग पूरे शहर को सेवाएं देते हैं और अपने खून पसीने की कमाई से अपना परिवार चलते हैं, क्या इस नयी आर्थिक व्यवस्था में उनके लिए कोई जगह नहीं है | उनका इस आर्थिक व्यवस्था में स्थान तय करना होगा |

पूरे दो दिन के झारखण्ड दौरे के बाद लोकशक्ति अभियान ने यह एलान किया की विस्थापन और बढती गैरबराबरी के खिलाफ आगामी बजट सत्र के दौरान एक विशाल जन संसद का आयोजन १९ से २३ मार्च को किया जाएगा जिसमे देश के विभिन्न जन संगठन अपने अपने झंडे और बन्नेर के नीचे सरकार को एक कड़ी चुनौती देंगे | लोकशक्ति अभियान का यह तीसरा चरण आज समाप्त हुआ |

अभियान का चौथा चरण ६ मार्च को मुंबई में लोक मंच के कार्यक्रम के साथ होगा | ७ मार्च

को बेलगांव, ८ और ९ मार्च को गोवा, १० मार्च को पुणे, ११ मार्च को औरंगाबाद, १२ मार्च को नागपुर में कार्यक्रम होंगे | १३ मार्च को देश के विभिन्न जन संगठनों एक तैयारी बैठक नागपुर में आयोजित की जायेगी जिसमे बजट सत्र के दौरान होने वाले कार्यक्रम की वृहद योजना तैयार की जायेगी |

लोकशक्ति अभियान के लिए

राजेंद्र रवि, नागेश त्रिपाठी, अमिताव मित्र, मधुरेश कुमार

विस्तृत जानकारी के लिए फोन करें 9818905316



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