THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tuesday, December 23, 2014

हमारा देश और समाज दरअसल वैसे नहीं हैं, जैसा मीडिया उसे दिखाता है।


वंशी चौधरी मेरे बाल सखा हैं। नियमित रूप से उनकी दुकान पर पान खाते हुए दुनिया ज़हान की बातें हो जाती हैं, सूचनाओं का आदान-प्रदान हो जाता है. कुछ समय पूर्व उनसे त्रेपन सिंह चौहान की 'हे ब्वारी' की चर्चा हुई तो उन्होंने पढ़ने की इच्छा ज़ाहिर की। पढ़ कर वे इतने प्रभावित हुए कि और किताबों की डिमांड करने लगे। अब पाँच महीनों में उन्हें लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास पढ़ा चुका हूँ और उतने से ही वे मानने लगे हैं कि अख़बार पढ़ कर दुनिया को जानने का उनका जो नज़रिया था, वह बेहद अधूरा और एकांगी था। हमारा देश और समाज दरअसल वैसे नहीं हैं, जैसा मीडिया उसे दिखाता है।
वंशी चौधरी संयोगवश इतना समझे, मगर मैं उन अगणित पढ़े-लिखों को कैसे समझाऊँ कि किताबों के बगैर, सिर्फ दो-चार अख़बार पढ़ या चैनल देख कर प्राप्त उनका ज्ञान कितना अधूरा है ?

वंशी चौधरी मेरे बाल सखा हैं। नियमित रूप से उनकी दुकान पर पान खाते हुए दुनिया ज़हान की बातें हो जाती हैं, सूचनाओं का आदान-प्रदान हो जाता है. कुछ समय पूर्व उनसे त्रेपन सिंह चौहान की 'हे ब्वारी' की चर्चा हुई तो उन्होंने पढ़ने की इच्छा ज़ाहिर की। पढ़ कर वे इतने प्रभावित हुए कि और किताबों की डिमांड करने लगे। अब पाँच महीनों में उन्हें लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास पढ़ा चुका हूँ और उतने से ही वे मानने लगे हैं कि अख़बार पढ़ कर दुनिया को जानने का उनका जो नज़रिया था, वह बेहद अधूरा और एकांगी था। हमारा देश और समाज दरअसल वैसे नहीं हैं,  जैसा मीडिया उसे दिखाता है।  वंशी चौधरी संयोगवश इतना समझे, मगर मैं उन अगणित पढ़े-लिखों को कैसे समझाऊँ कि किताबों के बगैर, सिर्फ दो-चार अख़बार पढ़ या चैनल देख कर प्राप्त उनका ज्ञान कितना अधूरा है ?
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