THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Sunday, June 28, 2015

कामरेड महासचिव, मुसलमानों के वोटों का ख्याल नहीं होता तो आप भी केसरिया हो जाते!

कामरेड महासचिव, मुसलमानों के वोटों का ख्याल नहीं होता तो आप भी केसरिया हो जाते!

पलाश विश्वास

माफ कीजियेगा, कामरेड महासचिव सीताराम येचुरी जी,मुसलमानों के वोटों का ख्याल नहीं होता तो आप भी केसरिया हो जाते,अब हमें आपके रोज बदलते बयानों के मद्देनजर यह कहना पड़ रहा है।


रंग बदलने में हमारी दीदी तो बेहद माहिर हैं और मुसलमानों को टोपी पहनाये हुए हैं जबकि उनका साथ मोदी का है,इसमें किसी गधे को भी शक हो नहीं सकता।


गौरतलब है कि  माकपा कांग्रेस के साथ मुद्दों के आधार पर सहयोग करने के लिए तैयार है लेकिन संसद के बाहर उसके साथ किसी भी तरह का गठबंधन करने से इंकार करते हुए पार्टी ने कहा कि अब तक नव उदारवादी नीतियों का अनुसरण करने वाले दल के साथ वह  कुछ भी नहीं  करेगी। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा  है कि हम विशेष मुद्दों पर संसद में और बाहर मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ, दूसरी राजनीतिक ताकतों के साथ एकजुट हो सकते हैं।


इस सहयोग के बयान का मतलब क्या है,हमारी समझ में बात आ नहीं रही है।कांग्रेस की बंगाल में अब साइनबोर्ड हैसियत भी नहीं है,जाहिर है।लेकिन संघ परिवार का भंडा जैसे भरे हाट में फूटने लगा है,जैसे कि दस्तूर है कि कांग्रेस के बदले भाजपा और भाजपा के बदले कांग्रेस भारतीय राजनीति में क्रांति का मतलब यही है।


अब संघपरिवार ललितासन मोड में है,रोज धमाके हो रहे हैं। बिहार के आसण्ण चुनाव में जहां भाजपा के लालू नीतीश गठबंधन के मुकाबले चारों खाने चित्त हो जाने के आसार है,कांग्रसे के हाथ तीतर बटेर कुछ लगे न लगे,देशभर में वह फिर भाजपा का एकमात्र विकल्प है।इस ताजा अपडेट के संदर्भ में एकदम साफ है कि सत्ता की भूख अभी खत्म हुई नहीं है और कामरेड महासचिव देश के ज्वलंत मुद्दों को छोड़ आम जनता की अगुवाई में पार्टी को खड़ा करने की कवायद के बदले अब भी मुद्दों के आधार पर कांग्रेस को सहयोग की बात कर रहे हैं।जबकि सारा का सारा जनसंहारी कार्यक्रम कांग्रेस और भाजपा का साझा है।

एक नागनात तो दूसरा सांपनाथ।तो बताइये कामरेड महासचिव मुद्दों के आधार पर कांग्रेस के साथ खड़े हो सकते हैं तो केसरिया बन जाने में दिक्कत कहां है।


ममता बनर्जी भी केसरिया हैं अंदर बाहर से और उनका जिहाद भी संघ परिवार के खिलाफ है लेकिन केसरिया मुस्कान खिली खिली है और शारदा फर्जीवाड़ा रफा दफा है जो अब कामरेडों के लिए भी कोई मुद्दा नहीं है,जैसे संघियों के लिए नहीं है।

दीदी खुलेआम मोदी का स्पर्श बचाकर चलती हैं तो सिर्फ इसलिए कि कहीं मुसलमान नाराज न हो जायें और बंगाल में मुसलमन बिगड़ गये तभी न वाम अवसान संभव हुआ।

संघ परिवार के शत प्रतिशत हिंदुत्व के मुक्त बाजारी एजंडे का आप कैसे प्रतिरोध कर रहे हैं ,जनता यह हिसाब चाहती है जैसे मुक्तबाजार अर्थव्यवस्था और अल्पमत सरकारों के साथ नत्थी होकर आपकी पार्टी भी तमाम जनसंहारी नीतियों और कानूनों को पास करवाने की संसदीय सहमति में शामिल हैं और मेहनतकशों और सर्वहारा के पक्ष में नवउदारवादी विद्वंसक सुनामी के मुकाबले आप कभी ते ही नहीं,जनता यह भी खूब जानती हैं।


और आप अब कहते हैं  कि संसद के बाहर हम भूमि अधिग्रहण विधेयक के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ राष्ट्रपति के पास गए। विशेष मुद्दों पर हम अन्य राजनीतिक दलों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं।  पीटीआई भाषा को दिए एक साक्षात्कार में येचुरी ने कहा  कि लेकिन जब हम कहते हैं, संसद के बाहर नहीं, तो इसका मतलब है कि किसी भी दल  के साथ गठबंधन या मोर्चे पर विचार नहीं किया जा रहा है।



गौरतलब है कि बंगाल के कामरेड गौतम देेब ने हाल में कहा कि माकपा बंगाल में अकेले चुनाव जीत नहीं सकती तो कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाकर ममता को हराने की जुगत करनी होगी।


कांग्रेस का बंगीयब्रिगेड तो क्या, मुश्किल में फंसी पूरी कांग्रेस पार्टी को तुरंत वे हसीन दिन हानीमून के याद आये,जो बुरा हो प्रकाश कारत का,जिनने परमाणु समझौते पर बवाल ऐसा कर दिया की.जुगलबंदी टूटल गइलन बाड़ा।


बंगाल के कामरेडों ने बंगाल में वापसी की कोई जमीन तैयार की हो या नहीं,34 साल की निरंत वाम सत्ता का करतब दिखाते हुए मलयाली कामरेडों को चारों खाने चित्त करते हुए आपको कामरेड महासचिव बनाया तो उसमें कामरेड प्रकाश कारत के खिलाफ बंगाली कामरेडों के गुस्से का इजहार खूब हो गया।


बंगाली कामरेड तो मानते ही हैं कि बंगाल में सारे कामरेड सत्ता जाने का मतलब कांग्रेस से गठबंधन टूटने की त्रासदी ही मानते हैं,जो कामरेड कारत की वजह से हिमालयी भूल बनकर रह गयी और कांग्रेस तृणमूल गठजोड़ ने बाकायदा परिवर्तन कर दिया।


परिवर्तन का वह महाबवंडर जारी हैं और कामरेड फंसे हैं।तो सुहाना सफर पर नहीं है कांग्रेस भी।


सबसे ज्यादा गुस्से में थे बंगला के आखिरी वाम मुख्यमंत्री कामरेड बुद्धदेव भट्टाचार्य,जो सदस्य होने के बावजूद लगातार पोलित ब्यूरो की बैठक में नहीं गये।

सत्ता जो गयी सो गयी,कामरेड कारत ने विचारधारा का हवाला देखर कामरेड सोमनाथ चटर्जी को बी पार्टी से बाहर कर दिया।


बंगाल के कामरेडों के लिए यह अब भी सदमा है।


बुद्धदेव बाबू चाहते थे कि कामरेड सोमनाथ चटर्जी को पार्टी में फिर वापस लिया जाये लेकिन कामरेड कारत टस से मस नहीं हुए।


अब मजा देखिये कि कांग्रेस के साथ गठजोड़ और दुबारा हानीमून के लिए जब बंगाल के तमामो कामरेड आकुल व्याकुल हैं तभी न कामरेड बुद्धदेव बाबू को विचारधारा का ख्याल आ गइलन बाड़ा।


उनने झटाक से कामरेड गौतम देब जो उनके खास सिपाहसालार रहे हैं,उनहें बुलाया और पब्लिकमें ऐसे उलजुलूल कहने के लिए खूब फटकारा।


पिनक गये वे विमान बोस भी जिनके नेतृत्व में पार्टी का बेड़ गर्क हो गया।रज्जाक मोल्ला और दूसरे तमाम रथी महारथी बाहर कर दिये गये।लेकिन हार के सदमे से जो नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठी तो विमान बाबू राज्य सचिव पद से खुदै हट गये और कामरेड मिसिरजी को नेतृत्व की कमान दे दिहिस।अब वे वामफ्रंट के चेयरमैन बाड़न।


इस ताजा बामफ्रंट में दीदी के साथ परिवर्तन करने वाली एसयूसी और माले भी बाड़न।वे भी खूब तिलमिलाये कि कांग्रेस से गठजोड़ हो तो और नहीं बामफ्रंट।


विमान बाबू ने नजाकत समझकर गौतम देब की पेशी अलीमुद्दीन स्ट्रीट में कर दी और कामरेड देब को लिखित सफाई देकर जान छुड़ानी पड़ी।


दिल्ली को खबर हो गयी तो पोलित ब्यूरो के कान खड़े हो गये और तब आपने बयान दिया कि अब कांग्रेस के साथ कोई सहयोग नहीं।


अब फिर इस बयान में तो गिरगिटोरंग बूझ रहे हैं हम,कामरेड महासचिव हमें मफ कर देना।



Chittaranjan Das

19 hrs

এর পরেও বিজেপি তথা নরেন্দ্র মোদী যখন বসুন্ধরাকে ইস্তফা দিতে বলছেন না, তখন বুঝতে হবে ছোট মোদীর সঙ্গে স্বার্থ জড়িয়ে রয়েছে তাঁরও! কালো টাকা উদ্ধার নিয়ে যাঁরা ভাষণ দিতেন, আদতে তাঁদের সঙ্গেই যোগ রয়েছে কালো টাকার কারবারিদের!

Chittaranjan Das's photo.


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