THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Wednesday, December 16, 2015

कमल जोशी की कैमरा दृष्टि! कोरबा-जौनसार की दिवाली (बग्वाल)... सुबह 5:30, 12 दिस्मबर 2015 सामान्य दिवाली से एक माह बाद मानायी जाने वाली दिवाली....

कमल जोशी की कैमरा दृष्टि!

कोरबा-जौनसार की दिवाली (बग्वाल)...


सुबह 5:30, 12 दिस्मबर 2015


सामान्य दिवाली से एक माह बाद मानायी जाने वाली दिवाली....



बार बार इंडिया और भारत की बात करने वाले लोगों से एक ही सवाल है जिसका उत्तर समझ में नहीं आ रहा. 98000 करोड़ की लागत वाली बुलेट ट्रेन में सफ़र कौन करेगा? इंडिया वाले या भारत वाले? (वैसे इंडिया मानसिकता वाले ये भी जानते हैं की बुलेट ट्रेन से कम के किराए वाले जहाज में वे इस दूरी को एक -तिहाई से भी कम समय में पूरी कर सकते है.)
44000 करोड़ में भारत की रेलवे के कुल डिब्बों को सुविधाजनक तरीके से बैठने लायक बनाया जा सकता है..उसके लिए भी सरकार के पास पैसा नहीं. हमारा कोटद्वार से दिल्ली तक के स्लीपर का टॉयलेट चालीसवीं सीट तक बदबू प्रेषित करता है .. मोबाइल चार्जिंग तो दूर की बात है...
रही बात भारत वालों की तो वे बिना कर्मचारी और गेट वाले रेलवे की ट्रैक्स क्रासिंग में हर वर्ष हज़ारों की संख्या में मारे जाते हैं. इन क्रोस्सिंग्स पर गेट लगवाने का कुल खर्चा 52000 करोड़ है (रेलवे के अनुसार). पर सरकार के पास गेट लगाने का पैसा नहीं... ये बे मौत मरने वाले तो शायद भारतवालीश्रेणी मेंआते हैं जो इस बुलेट ट्रेन में बैठने से रहे...
हाँ एक चनाव से पहले "इंडिया बनाम भारत" का जूमला उछालने वाले बंधू ने मेरी नादानी पर मुझे बताया की ये सारा पैसा जापान दे रहा...(वैसे सारा नहीं दे रहा..., जो दे रहा वो ब्याज लगा कर दे रहा ) , मैंने उन्हें बताया की वो कर्जा तो मेरे द्वारा पे किए जाने वाले टैक्स से दिया जाएगा और मैं लडखडाती रेलवे पर ही सफ़र करता पाया जाऊंगा तो वे तैश में आकर कहने लगे आप असहिष्णु हैं आप देश की तरक्की नहीं देख पा रहे...मेरी समझ में नहीं आया की अपने स्लीपर वाले डिब्बे को देखूं या देश की तरक्की करने वालों को...? foto from google


चलदा महासू मंदिर, 
बिसोई - (नागथात) कालसी .
परम्परा और आधुनिक तकनीक का नमूना....
बताया गया की आर्किटेक्ट के सी कुडियाल जी ने इस पारंपरिक वास्तुकला का संगम आधुनिक तकनीक से किया है. उत्तराखंड के मंदिरों का जीर्णोद्धार के नाम पर प्लास्टर पुताई, संगमरमर का दिखावा और टाइल्स का इस्तेमाल बंद होना चाहिए और इस मंदिर के निर्माण से सबक लिया जाना चाहिए..! इसके लिए कुडियाल जी और मंदिर समिति का साधुवाद..!


आज पकड़ ही डाला एक जिन्दा सांप....!
सिद्धबली मेले में जब अपने मित्र विकास मित्तल के साथ श्री भारत सिंह रावत जी के स्वस्थ्य का हाल पूछ कर आ रहा था तो अचानक एक सांप दिखायी दिया. सांप पर किसी का पैर पड़ सकता था तो इससे व्यक्ति और सांप दोनो को नुक्सान सो सकता था...भगाया जाता तो वह फिर रस्ते पर आ कर खतरा बन सकता था... इस लिए उसे पकड कर जंगल में छोड़ दिया....., सांप का भला हो ना हो... ज़िंदा सांप को पकड़ने की मेरी एक साध पूरी हो गयी! जय सिद्ध बाबा...
( फोटो मेरे ही कैमरे से मित्र विकास मित्तल ने लियाहै)


लखनऊ: इमाम बाड़ेसे.....,
लखनऊ के दोस्तों से मिलना चाहता था...? पर कुछ समय कम था.... कुछ के मिलने का पता नहीं था....., और थोड़ी सी हिचकिचाहट भी थी....


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