Sunday, 01 April 2012 14:28 |
तरुण विजय वे कौन हो सकते हैं, जिन्हें इस प्रकार के अत्यंत गोपनीय पत्र के लीक होने से फायदा पहुंच सकता है? शुरू के तीन दिनों तक चैनलों पर जो बहस चली, उसमें जनरल वीके सिंह पर ही पत्र 'लीक' करने के आरोप लगाए गए। जब जनरल वीके सिंह ने कहा कि यह अत्यंत गोपनीय पत्र 'लीक' करने का कुकृत्य देशद्रोह है और जिसने भी यह अपराध किया है उसके विरुद्ध निर्मम कार्रवाई होनी चाहिए, तो सिंह-विरोधी आक्रमण ढीले हुए। न केवल शानदार कीर्ति और बेदाग छवि वाले पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके मलिक, जनरल शंकर रायचौधरी और पूर्व नौसेनाध्यक्ष विष्णु भागवत जनरल वीके सिंह के समर्थन में खुल कर सामने आए हैं, बल्कि उत्तरी क्षेत्र के जीओसी लेफ्टीनेंट जनरल केटी परनायक ने जम्मू में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जनरल वीके सिंह ने फौज के पास अच्छे शस्त्रों, कारतूसों और सैन्य उपकरणों की कमी का जो पत्र लिखा है, वह तथ्यों पर आधारित है। अब क्या जवाब रहता है इस सरकार के पास? देशभक्त सैनिक को क्या इसी छल के साए में जलते रहना होगा? बाहरी शत्रु की अपेक्षा भीतर का शत्रु ज्यादा घातक होता है। चाहे गढ़चिरौली हो, मलकानगिरि या उत्तर पूर्वांचल के क्षेत्र; सब जगह भीतरी शत्रुओं से सामना करते हुए सीमा सुरक्षाबल, सीआरपीएफ, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और सेना के जवान अपना बलिदान भी देते हैं और अपने परिवारों में देशभक्ति की अलख जगाए रखते हैं। सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी विनोद शर्मा आतंकवादियों से लड़ते हुए मारे गए। अब उनकी बेटी उर्मिला आठ साल की है। उसने कहा, पापा हमें राष्ट्रगीत का सम्मान करना सिखा गए। अगर टीवी पर भी राष्ट्रगीत बज रहा हो और हम न खड़े हों, तो पापा को इतना गुस्सा आता था कि हमें सजा मिलती थी। लेकिन फौजी वर्दी और उसकी निष्ठा पर पत्थर फेंकने वाले आज संसद से मीडिया तक आवाज उठाते दिख जाते हैं, तो भारत सिकुड़ता प्रतीत होता है। हथियारों की खरीद में घोटाला करने वाले सीधे-सीधे बिना शक देशद्रोही हैं। उन्हें कतार में खड़ा कर उन्हीं के लायक सजा मिले तो सैनिक का जलना बंद हो। |
Sunday, April 1, 2012
निष्ठा पर नाहक सवाल
निष्ठा पर नाहक सवाल
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