RIHAI MANCH
(Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism)
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जज बताएं कि उन्होंने किस आंख से देख लिया कि शहजाद ने एमसी शर्मा को
गोली मारी- मोहम्मद शुऐब
सजिद और आतिफ का फर्जी एंकाउंटर और अब शहजाद का अदालती एंकाउंटर- रिहाई मंच
पीपी पांडे को जमानत और बीमार मुस्लिम कैदियों की जमानत अर्जीयों का
खारिज होना न्यायालय का दोहरा चरित्र उजागर करता है
लखनऊ 30 जुलाई 2013। आजमगढ़ के शहजाद पर दिल्ली की साकेत कोर्ट का फैसला
सजा से ज्यादा मुस्लिम समाज पर आतंकी होने का ठप्पा जबरदस्ती लगाने की
कोशिश है। यह बात कहते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि
जब दिल्ली पुलिस शहजाद के मोहन चन्द्र शर्मा पर गोली चलाने व वहां से
भागने पर कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे पाई तो ऐसे में जिस तरह से शहजाद को
हत्या का आरोपी माना गया है वो एक जबरन दिया गया तथ्य विहीन फैसला है।
उन्होंने कहा कि कहा जाता है कि कानून अंधा होता है पर जब मुसलमान और
आदिवासी की बात आती है तो कानून की आंखे निकल आती हैं। आखिर में जब जज
बटला हाउस गए नहीं और दिल्ली पुलिस स्पष्ट जवाब नहीं दे पाई तो न्यायालय
की किस आंख ने देख लिया कि शहजाद ने गोली मारी और वहां से भाग गया और
उन्होंने शहजाद को हत्यारा बता दिया और उम्र कैद की सजा सुना दी।
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि कल जिस तरीके
से इशरत जहां मामले में अभियुक्त पीपी पाण्डे को सीने में दर्द होने के
नाम पर जमानत दी गई वो दर्शाता है कि मौजूदा तंत्र दोहरा बर्ताव करता है।
उन्होंने कहा कि देश में ऐसे सैकड़ों मुस्लिम समाज के लोग आतंकवाद के नाम
पर कैद हैं जिन्हें हृदय संबधी घातक बीमारियां हैं जिनकी जमानत अर्जी
कोर्ट खारिज कर देता है, ऐेसे में सवाल उठता है कि मुसलमानों के साथ इस
लोकतंत्र में न्यायपालिका कैसे दोहरा बर्ताव कर सकती है।
धरने के समर्थन में दिल्ली से आए लीगल फ्रीडम के अभिषेक आनंद ने कहा कि
किसी भी बड़े आपराधिक मामले में जब राज्य सत्ता से जुड़ा कोई नेता हो या
फिर प्रशासनिक अधिकारी जब उसके जेल जाने का वक्त आता है तो उसके सीने में
जरुर दर्द हो जाता है और हमारी कोर्ट मान भी लेती है। पीपी पांडे का
उदाहरण अदालतों औ पुलिस के साम्रदायिक गठजोड़ को साबित करता है। जिसे
तोड़े बिना लोकतंत्र को नहीं बचाया जा सकता।
भारतीय एकता पार्टी के नेता सैयद मोइद अहमद ने कहा कि जिन तजींमों ने
आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों को न्याय दिलाने के लिए
रिहाई मंच के धरने का समर्थन किया है उसका यह मंच शुक्रगुजार है। जो
तंजीमें पिछले 70 दिनों से चल रहे धरने के साथ खड़ी हुयी हैं वो
अपने-अपने क्षेत्रों में भी अवाम के बीच न्याय की इस लड़ाई में अवाम की
भागीदारी सुनिश्चित कराएं। 4 जुलाई को बेगुनाहों की रिहाई के इस आंदोलन
के पचहत्तर दिन हो रहे हैं, उस दिन शाम की मगरिब की नमाज व इस्माई दुआ के
आयोजन में अधिक से अधिक तादाद में शिरकत करें।
इंडियन नेशनल लीग के नेता हाजी फहीम सिद्दीकी ने कहा कि मुस्लिम समाज की
खामोशी का फायदा उठाकर खुफिया एजेन्सियां मुस्लिम नौजवानों को जेलों में
ठंूसने का काम करती रही हैं। जबकि जुल्म के खिलाफ अवाज उठाना उनका
धार्मिक फर्ज है। अब जुल्म जब हद से बढ़ गया है तब जरुरी हो जाता है कि
इस खामोशी को तोड़ा जाए और जुल्म और अन्याय के खिलाफ जमहूरी तरीको से
आवाज उठाई जाय।
सामाजिक कार्यकर्ता हरेराम मिश्र ने कहा कि जिस तरीके से आजमगढ़ के शहजाद
को कोर्ट द्वारा आरोपी बनाने व सजा सुनाने का फैसला आने के बाद मीडिया
शहजाद को आंतकी कहकर या इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी कहकर प्रसारित कर रही
है वह तथ्यहीन है और मीडिया को इन शब्दों से बचना चाहिए। क्योंकि अब तक
किसी कोर्ट ने शहजाद को आतंकी या इंडियन मुजाहिदीन के साथ उसके संबन्धों
पर कोई टिप्पड़ी नहीं की है।
पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक ने कहा कि जो मीडीया शहजाद को इंडियन
मुजाहिदीन का आतंकी कह रही है मैं उससे पूछना चाहूंगा इशरत जहां मामले
में जब सीबीआई राजेन्द्र कुमार को चार्जशीट कर रही थी तो उसने क्या
राजेन्द्र कुमार को आतंकी लिखा और आज जब आरडी निमेष अयोग की रिपोर्ट
खालिद और तारिक की बेगुनाही का सबूत दे चुकी है और दोषी पुलिस अधिकारियों
को सजा देने की बात कर रही है तो क्यों नहीं मीडिया विक्रम सिंह, बृजलाल,
मनोज कुमार झां और अन्य को आतंकी लिखती है।
उत्तर प्रदेश की कचहरियों में सन् 2007 में हुए सिलसिलेवार धमाकों में
पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना
खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन
रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और खालिद
के हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग को लेकर रिहाई मंच का
अनिश्चितकालीन धरना मंगलवार को 70 वें दिन भी जारी रहा।
धरने का संचालन बब्लू यादव ने किया। धरने को भारतीय एकता पार्टी (एम) के
सैयद मोईद अहमद, मौलाना कमर सीतापुरी, हाजी फहीम सिद्दिीकी, हरे राम
मिश्रा, बब्लू यादव, मोहम्मद फैज, अभिषेक आनंद, शाहनवाज आलम और राजीव
यादव शामिल रहे।
द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752
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Office - 110/60, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon Poorv, Laatoosh
Road, Lucknow
Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism
Email- rihaimanchlucknow@gmail.com
https://www.facebook.com/rihaimanch
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गोली मारी- मोहम्मद शुऐब
सजिद और आतिफ का फर्जी एंकाउंटर और अब शहजाद का अदालती एंकाउंटर- रिहाई मंच
पीपी पांडे को जमानत और बीमार मुस्लिम कैदियों की जमानत अर्जीयों का
खारिज होना न्यायालय का दोहरा चरित्र उजागर करता है
लखनऊ 30 जुलाई 2013। आजमगढ़ के शहजाद पर दिल्ली की साकेत कोर्ट का फैसला
सजा से ज्यादा मुस्लिम समाज पर आतंकी होने का ठप्पा जबरदस्ती लगाने की
कोशिश है। यह बात कहते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि
जब दिल्ली पुलिस शहजाद के मोहन चन्द्र शर्मा पर गोली चलाने व वहां से
भागने पर कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे पाई तो ऐसे में जिस तरह से शहजाद को
हत्या का आरोपी माना गया है वो एक जबरन दिया गया तथ्य विहीन फैसला है।
उन्होंने कहा कि कहा जाता है कि कानून अंधा होता है पर जब मुसलमान और
आदिवासी की बात आती है तो कानून की आंखे निकल आती हैं। आखिर में जब जज
बटला हाउस गए नहीं और दिल्ली पुलिस स्पष्ट जवाब नहीं दे पाई तो न्यायालय
की किस आंख ने देख लिया कि शहजाद ने गोली मारी और वहां से भाग गया और
उन्होंने शहजाद को हत्यारा बता दिया और उम्र कैद की सजा सुना दी।
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि कल जिस तरीके
से इशरत जहां मामले में अभियुक्त पीपी पाण्डे को सीने में दर्द होने के
नाम पर जमानत दी गई वो दर्शाता है कि मौजूदा तंत्र दोहरा बर्ताव करता है।
उन्होंने कहा कि देश में ऐसे सैकड़ों मुस्लिम समाज के लोग आतंकवाद के नाम
पर कैद हैं जिन्हें हृदय संबधी घातक बीमारियां हैं जिनकी जमानत अर्जी
कोर्ट खारिज कर देता है, ऐेसे में सवाल उठता है कि मुसलमानों के साथ इस
लोकतंत्र में न्यायपालिका कैसे दोहरा बर्ताव कर सकती है।
धरने के समर्थन में दिल्ली से आए लीगल फ्रीडम के अभिषेक आनंद ने कहा कि
किसी भी बड़े आपराधिक मामले में जब राज्य सत्ता से जुड़ा कोई नेता हो या
फिर प्रशासनिक अधिकारी जब उसके जेल जाने का वक्त आता है तो उसके सीने में
जरुर दर्द हो जाता है और हमारी कोर्ट मान भी लेती है। पीपी पांडे का
उदाहरण अदालतों औ पुलिस के साम्रदायिक गठजोड़ को साबित करता है। जिसे
तोड़े बिना लोकतंत्र को नहीं बचाया जा सकता।
भारतीय एकता पार्टी के नेता सैयद मोइद अहमद ने कहा कि जिन तजींमों ने
आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों को न्याय दिलाने के लिए
रिहाई मंच के धरने का समर्थन किया है उसका यह मंच शुक्रगुजार है। जो
तंजीमें पिछले 70 दिनों से चल रहे धरने के साथ खड़ी हुयी हैं वो
अपने-अपने क्षेत्रों में भी अवाम के बीच न्याय की इस लड़ाई में अवाम की
भागीदारी सुनिश्चित कराएं। 4 जुलाई को बेगुनाहों की रिहाई के इस आंदोलन
के पचहत्तर दिन हो रहे हैं, उस दिन शाम की मगरिब की नमाज व इस्माई दुआ के
आयोजन में अधिक से अधिक तादाद में शिरकत करें।
इंडियन नेशनल लीग के नेता हाजी फहीम सिद्दीकी ने कहा कि मुस्लिम समाज की
खामोशी का फायदा उठाकर खुफिया एजेन्सियां मुस्लिम नौजवानों को जेलों में
ठंूसने का काम करती रही हैं। जबकि जुल्म के खिलाफ अवाज उठाना उनका
धार्मिक फर्ज है। अब जुल्म जब हद से बढ़ गया है तब जरुरी हो जाता है कि
इस खामोशी को तोड़ा जाए और जुल्म और अन्याय के खिलाफ जमहूरी तरीको से
आवाज उठाई जाय।
सामाजिक कार्यकर्ता हरेराम मिश्र ने कहा कि जिस तरीके से आजमगढ़ के शहजाद
को कोर्ट द्वारा आरोपी बनाने व सजा सुनाने का फैसला आने के बाद मीडिया
शहजाद को आंतकी कहकर या इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी कहकर प्रसारित कर रही
है वह तथ्यहीन है और मीडिया को इन शब्दों से बचना चाहिए। क्योंकि अब तक
किसी कोर्ट ने शहजाद को आतंकी या इंडियन मुजाहिदीन के साथ उसके संबन्धों
पर कोई टिप्पड़ी नहीं की है।
पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक ने कहा कि जो मीडीया शहजाद को इंडियन
मुजाहिदीन का आतंकी कह रही है मैं उससे पूछना चाहूंगा इशरत जहां मामले
में जब सीबीआई राजेन्द्र कुमार को चार्जशीट कर रही थी तो उसने क्या
राजेन्द्र कुमार को आतंकी लिखा और आज जब आरडी निमेष अयोग की रिपोर्ट
खालिद और तारिक की बेगुनाही का सबूत दे चुकी है और दोषी पुलिस अधिकारियों
को सजा देने की बात कर रही है तो क्यों नहीं मीडिया विक्रम सिंह, बृजलाल,
मनोज कुमार झां और अन्य को आतंकी लिखती है।
उत्तर प्रदेश की कचहरियों में सन् 2007 में हुए सिलसिलेवार धमाकों में
पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना
खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन
रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और खालिद
के हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग को लेकर रिहाई मंच का
अनिश्चितकालीन धरना मंगलवार को 70 वें दिन भी जारी रहा।
धरने का संचालन बब्लू यादव ने किया। धरने को भारतीय एकता पार्टी (एम) के
सैयद मोईद अहमद, मौलाना कमर सीतापुरी, हाजी फहीम सिद्दिीकी, हरे राम
मिश्रा, बब्लू यादव, मोहम्मद फैज, अभिषेक आनंद, शाहनवाज आलम और राजीव
यादव शामिल रहे।
द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752
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