THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Monday, June 27, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



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From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/6/27
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


डीयू की तीसरी कटऑफ में ओबीसी को चांस ही चांस

Posted: 26 Jun 2011 11:29 AM PDT

डीयू की तीसरी कटऑफ में ओबीसी के लिए चांस ही चांस हैं। कटऑफ में कला और कॉमर्स कोर्सेज में जहां .25 से 12 फीसद तक की गिरावट हुई है, वहीं साइंस कोर्सेज में 1 से 6 फीसद तक की गिरावट हुई है। इसके अलावा कला और कॉमर्स पाठय़क्रमों में जहां 20 कॉलेजों ने एक दो कोर्सेज छोड़कर सभी कोर्सेज में हाउसफुल का बोर्ड लगा दिया है, वहीं साइंस कोर्सेज में 30 कॉलेजों ने एक से तीन कोर्सेज को छोड़कर सभी कोर्सेज में हाउसफुल का बोर्ड लगा दिया है। विद्यार्थियों के लिए खुशखबरी यह है कि एसआरसीसी ने बीए अर्थशास्त्र ऑनर्स में लगा हाउसफुल का बोर्ड हटाकर 95-98 फीसद कटऑफ जारी किया है। इसी प्रकार, हिन्दू कॉलेज ने गणित और सांख्यिकी ऑनर्स में और रामजस कॉलेज ने बॉटनी ऑनर्स से हाउसफुल का बोर्ड हटा दिया है। नार्थ कैम्पस के पापुलर कॉलेजों हंसराज,किरोड़ीमल समेत साउथ कैंपस के वेंकटेर में अब भी बीकॉम ऑनर्स कोर्स में दाखिले का चांस है। तीसरी कटऑफ में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जाकिर हुसैन कॉलेज ने बीए प्रोग्राम की कटऑफ में इजाफा कर 62 फीसद कर दिया है। शनिवार को जारी तीसरी कटऑफ में सबसे ज्यादा दाखिले का मौका ओबीसी वर्ग के लिए छोड़ा गया है। जबकि सामान्य वर्ग के लिए कई कॉलेजों में दरवाजे बंद कर दिये गए हैं। कटऑफ में गिरावट की बात करें तो अदिति कॉलेज ने बीए प्रोग्राम में 5 फीसद और बीकॉम में 2 फीसद की गिरावट की है। इसी प्रकार, नॉर्थ कैम्पस के दौलतराम कॉलेज ने तो बीए प्रोग्राम में सर्वाधिक 12 फीसद की गिरावट कर कटऑफ 72 फीसद कर दिया है। हंसराज कॉलेज ने बीए प्रोग्राम में एक फीसद की गिरावट की है। किरोड़ीमल ने बीकॉम और बीकॉम ऑनर्स में .25 की गिरावट की है। माता सुंदरी कॉलेज ने बीए प्रोग्राम में 7 और बीकॉम में 4.5 फीसद की गिरावट कर दी है। खालसा ने बीए प्रोग्राम में .25 की गिरावट की है। वेंकटेर कॉलेज ने बीए में 3, बीकॉम में 5 और बीकॉम ऑनर्स में .75 फीसद की गिरावट की है। इसी प्रकार, साइंस कोर्सेज में दौलतराम कॉलेज ने बॉटनी ऑनर्स में 4.5 फीसद की गिरावट की है। हंसराज कॉलेज ने केमिस्ट्री ऑनर्स में 2 फीसद व हिन्दू कॉलेज ने फिजिक्स ऑनर्स में .33 फीसद की गिरावट कर दो कोर्सेज से हाउसफुल का बोर्ड हटाया है। किरोड़ीमल कॉलेज ने बॉटनी ऑनर्स में 4 फीसद, मिरांडा हाउस ने जूलॉजी ऑनर्स में .67 फीसद, खालसा कॉलेज ने इलेक्ट्रानिक्स ऑनर्स में 1.67 फीसद कम कर दिया है(राकेश नाथ,राष्ट्रीय सहारा,26.6.11)।

राजस्थान यूनिवर्सिटीःस्टूडेंट्स की पहचान बनेगी 'नेट आईडी'

Posted: 26 Jun 2011 11:15 AM PDT

राजस्थान यूनिवर्सिटी की ओर से शुरू की गई ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया शुरुआत में स्टूडेंट्स को मुसीबत लग रही थी, लेकिन अब यह पहल उनके लिए वरदान साबित होगी।

इससे जब तक स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी का हिस्सा रहेंगे, सहूलियत रहेगी। क्योंकि प्रवेश प्रक्रिया में दिया जाने वाला नेट आईडी अब स्टूडेंट्स की पहचान बनेगा। यह आईडी एनरोल्ड नंबर की तरह महत्वपूर्ण होगा, जिससे प्रवेश प्रक्रिया की तरह एग्जाम के समय फॉर्म नहीं भरना पड़ेगा। समय की बचत होगी और लाइन में लगने की परेशानियों से निजात मिलेगी।

यूं काम करेगा आईडी


सबकुछ ठीक रहा, तो ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के समय जो आईडी और पासवर्ड स्टूडेंट्स को मिला है, उसे परमानेंट किया जाएगा। इसमें संभावना यह भी है कि दूसरा आईडी जारी किया जाए, क्योंकि अनुमान है कि बहुत से स्टूडेंट्स ने प्रवेश के बाद इसे भुला दिया हो। आईडी के जरिए फॉर्म में दी गई जानकारी के अनुसार स्टूडेंट्स की पहचान की जाएगी। इससे स्टूडेंट्स के साथ प्रशासन भी अपडेट रहेगा।
शुरुआत कैम्पस स्टूडेंट्स से

योजना की शुरुआत पहले चरण में कैम्पस स्टूडेंट्स के लिए करने की कोशिश है। इसके बाद एफिलिएटेड कॉलेजों और प्राइवेट स्टूडेंट्स के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था होगी।

बार-बार नहीं भरेंगे फॉर्म

आईडी से औपचारिकताओं में लगने वाला समय तो बचेगा ही, लेकिन ज्यादा फायदा एग्जाम टाइम में होगा। इससे पारदर्शिता के साथ बार-बार एग्जाम फॉर्म नहीं भरना पड़ेगा। परमिशन लेटर भी समय पर मिलेगा।

ये होंगे फायदे

1. एग्जाम फॉर्म हो जाएगा ऑनलाइन।

2. बार-बार फोटो अपलोड नहीं करनी पड़ेगी। अपलोड खर्च व समय बचेगा।

3. भीड़ और स्टूडेंट्स की लाइन नहीं ।

4. परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी।

5. गड़बड़ नहीं होंगे रोल नंबर।

6. स्टूडेंट्स की पहचान करना होगा आसान, चुनावों में पारदर्शिता के साथ उसमें लगने वाला समय भी बचेगा।

7. दूसरे राज्यों के छात्र भी आसानी से कर सकेंगे आवेदन।

यह यूनिवर्सिटी को वल्र्ड क्लास बनाने की ओर एक कदम है। अभी योजना पर इंफोनेट सेंटर के स्तर पर काम चल रहा है। यदि सबकुछ ठीक रहा, तो इसे चालू सत्र से ही लागू किया जाएगा, लेकिन थोड़ा समय लग सकता है। - डॉ. शैलेंद्र गुप्ता, डिप्टी डायरेक्टर, इंफोनेट सेंटर, राजस्थान यूनिवर्सिटी(विजय सिंह,दैनिक भास्कर,जयपुर,26.6.11)

नागपुर मेडिकल कालेज में एक हजार नर्सों की कमी

Posted: 26 Jun 2011 11:00 AM PDT

नागपुर स्थित मध्य भारत का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय(मेडिकल कालेज)इन दिनों नर्सों की भारी कमी से जूझ रहा है। मेडिकल कालेज में इस समय कुल 571 नर्से कार्यरत हैं ,जबकि जरूरत 1500 नर्सों की है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया(एमसीआई) एवं नर्सिग काउंसिल द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार हर मेडिकल कालेज में तीन मरीज पर एक नर्स होनी चाहिए पर नागपुर मेडिकल कालेज में 30 मरीजों पर एक नर्स का औसत है।


मेडिकल कालेज की क्षमता इस समय 1401 बेड की है और अस्पताल में कुल 45 वार्ड हैं। इस तरह मेडिकल कालेज में एक पाली में 467 नर्सो की जरूरत है। इसके अलावा मेडिकल कालेज के ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर, टीकाकरण, नेत्र रोग विभाग, ईएनटी, त्वचारोग विभाग, रेडियोथेरेपी, सीटीस्कैन, सोनोग्राफी विभागों के लिए हर पाली में 30 नर्सो की अतिरिक्त जरूरत पड़ती है। मेडिकल कालेज की जरूरतों को देखते हुए यहां हर पाली में 500 नर्सो की जरूरत है। लेकिन अस्पताल के सुबह,दोपहर एवं रात्रि पाली में कुल मिलाकर केवल 571 नर्से ही कार्यरत हैं।


एमसीआई मानकों एवं मेडिकल कालेज अस्पताल के आकार के आधार पर मेडिकल में 830 नर्सो एवं 165 स्टॉफ नर्सो की तुरन्त आवश्यकता है। मेडिकल कालेज की पूर्व अधिष्ठाता डॉ. दीप्ति डोणगांवकर के कार्यकाल में 350 नई नर्सो की भर्ती का प्रस्ताव वैद्यकीय शिक्षा निदेशालय के पास भेजा गया था पर अभी तक निदेशालय की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है। मेडिकल कालेज के अधिष्ठाता डॉ.राजाराम पोवार ने अस्पताल मे नर्सों की कमी की बात स्वीकार की। उनका कहना है कि वे इस संबंध में वस्तुस्थिति का पता लगाकर नई नर्सो की भर्ती के लिए वैद्यकीय शिक्षा निदेशक को फिर से पत्र लिखेंगे (दैनिक भास्कर,नागपुर,26.6.11)।

छत्तीसगढ़ःआईआईटी के साथ एनआईटी का विकल्प

Posted: 26 Jun 2011 10:45 AM PDT

शनिवार को एआईट्रिपलई की पहली लिस्ट जारी हो गई। इस परीक्षा में चार हजार से ऊपर की रैंक वाले छात्रों को पुरानी एनआईटी में प्रवेश मिल गया है। चयनित प्रतिभागियों को 2 जुलाई तक चयनित संस्थान में पहुंच कर प्रवेश सुनिश्चित करना होगा।

एआईट्रिपलई में राज्य में चौथी और ऑल इंडिया 656 रैंक लाने वाले अभिषेक का चयन एनआईटी त्रिची, ऑल इंडिया 1614 रैंक वाले आयुष्मान को एनआईटी कालीकट में कंप्यूटर साइंस विभाग से, 4758 रैंक वाले देवव्रत दुबे का एनआईटी राउरकेला में एमएससी फिजिक्स के लिए बुलावा आया है। एसप्रू दिव्या को एनआईटी रायपुर से बुलावा आया है।


सृजन दीपक का एमएनआईटी इलाहाबाद में मैकेनिकल ब्रांच में तो दर्शिल सरना को एमएएनआईटी (मानिट) भोपाल में इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल ब्रांच से कॉल आया है। 1262 रैंक वाले शैलेंद्र शर्मा को एनआईटी वारंगल में सिविल ब्रांच और दीप्ति नथानी को एनआईटी रायपुर में आईटी में प्रवेश मिला है। वहीं विपिन ललवानी को एनआईटी रायपुर में मैकेनिकल ब्रांच मिली है। सात से दस हजार रैंक रखने वाले कई छात्रों को पहली सूची में स्थान नहीं मिल सका है।

एआईट्रिपलई की आज से प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी। एआईट्रिपलई में एनआईटी रायपुर ही राज्य का इकलौता केंद्र है। इसके लिए एनआईटी की आर्किटेक्चर बिल्डिंग में प्रवेश केंद्र बनाया गया है। चयनित छात्र वहां पहुंच कर प्रवेश ले सकते हैं(दैनिक भास्कर,रायपुर,26.6.11)।

यूपीःराजकीय कालेजों के प्राचार्य व शिक्षक बन सकेंगे डिप्टी व असिस्टेंट रजिस्ट्रार

Posted: 26 Jun 2011 10:30 AM PDT

सूबे के राज्य विविद्यालयों में रिक्त पड़े प्रशासनिक पदों को अब राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों से भरा जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग ने इसके लिए सभी विविद्यालयों को सकरुलर जारी किया है। इसके मुताबिमक राजकीय डिग्री कालेजों के प्राचार्य डिप्टी रजिस्ट्रार और शिक्षक असिस्टेंट रजिस्ट्रार के पद पर प्रतिनियुक्ति पर रखे जा सकेंगे। शासन के इस फैसले से विविद्यालयों में विभागीय प्रोन्नति कोटे से होने वाली नियुक्तियों पर रोक लग जाएगी। प्रदेश के विविद्यालयों में डिप्टी रजिस्ट्रार के 17 और असिस्टेंट रजिस्ट्रार के दर्जनों पद खाली हैं। विभागीय प्रोन्नतियों पर रोक की वजह से इन पदों पर तैनाती नहीं हो पा रही है। असिस्टेंट रजिस्ट्रार पद पर दो तरीके से भर्त्ती होती है। इस श्रेणी के 50 फीसद पदों को सीधी भर्ती से तथा शेष विभागीय स्तर पर प्रोन्नति से भरे जाते हैं। सीधी भर्ती केन्द्रीयत सेवा से की जाती है। राज्य सरकार इस श्रेणी के पदों अब राजकीय शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति से भरेगी। उच्च शिक्षा विभाग के सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि अब असिस्टेंट रजिस्ट्रार पदों को राजकीय महाविद्यालयों के प्रवक्ताओं की प्रति नियुक्ति के जरिये भरा जाएगा। प्रतिनियुक्ति तीन से पांच वर्ष के लिए होगी और इसका विस्तार भी किया जा सकेगा। इसी तरह राजकीय डिग्री कालेजों के पीजी व यूजी प्राचायरे को प्रतिनियुक्ति देकर डिप्टी रजिस्ट्रार पर तैनाती दे दी जाएगी। सचिव उच्च शिक्षा ने परिषद के निदेशक को राजकीय डिग्री कालेजों के प्राचार्य व प्रवक्ताओं के आवेदनों को शासन को अपनी संस्तुति के साथ 30 जून तक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है, ताकि 16 जुलाई से शुरू होने वाले विविद्यालयों के नये शैक्षिक सत्र में इन प्रशासनिक पदों को भरा जा सके। मालूम हो कि राजकीय प्रदेश में 111 राजकीय डिग्री कालेज हैं, इनके प्राचार्य व विविद्यालयों के डिप्टी रजिस्ट्रार का वेतनमान व पे बैण्ड एक ही है। असिस्टेंट रजिस्ट्रार का वेतनमान भी राजकीय डिग्री कालेजों के प्रवक्ताओं के बराबर है, ऐसे में उन्हें प्रतिनियुक्ति पर लेकर विविद्यालयों में प्रशासनिक पदों पर तैनाती दी जा सकती है। हालांकि शासन के इस फैसले से विविद्यालय की सेवाओं से प्रोन्नति पाकर सहायक कुलसचिव पद पहुंचने का सपना संजाये कार्यालय अधीक्षकों को धक्का जरूर लगा है, लेकिन प्रोन्नतियों के आरक्षण के अमल का मामला कोर्ट में लम्बित होने के कारण विभागीय प्रोन्नतियों पर लगी रोक से रिक्त पदों को भरने की कोई गुंजाइश फिलवक्त नजर नहीं आ रही है। अब विविद्यालयों के रिक्त पदों को भरने के लिए शासन ने प्रतिनियुक्ति का रास्ता निकाल लिया है(कमल तिवारी,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,26.6.11)।

राजस्थानःआर्ट्स में भी बढ़ी कटऑफ

Posted: 26 Jun 2011 10:15 AM PDT

कॉमर्स के प्रति तेजी से बढ़ते रुझान का असर कॉमर्स कॉलेज की कटऑफ पर भी दिखा। पिछले सत्र की तुलना में कॉमर्स पास कोर्स के लिए महारानी कॉलेज में तो पहली लिस्ट में केवल एक प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, मगर कॉमर्स कॉलेज में यह लगभग ढाई प्रतिशत तक बढ़ गई है।

राजस्थान, कॉमर्स और महाराजा कॉलेज ने शनिवार को विभिन्न पाठ्यक्रमों की पहली कटऑफ लिस्ट जारी की। इसमें कॉमर्स कॉलेज में बीकॉम पास कोर्स के लिए 88.31, राजस्थान कॉलेज में बीए के लिए 80, महाराजा कॉलेज में साइंस मैथ्स के लिए 80.92 और साइंस बायोलॉजी के लिए 71.23 प्रतिशत तक अंक वाले आवेदकों को शामिल किया गया। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी राजस्थान कॉलेज में बीए के लिए हुई है। यह पिछले वर्ष की कट ऑफ 79.54 से बढ़कर 80 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

आवेदक कम, कट ऑफ ज्यादा: कॉमर्स कॉलेज में बीकॉम पास कोर्स के लिए पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 900 फॉर्म कम आए हैं। फिर भी कट ऑफ 85.8 से बढ़ कर 88.31 प्रतिशत हो गई। इसकी वजह सीबीएसई के छात्रों के ज्यादा प्रतिशत अंक आना मानी जा रहा है। इस वर्ष पास कोर्स के लिए 6100 फॉर्म आए, जबकि पिछले वर्ष 7000 फॉर्म आए थे। सूत्रों के मुताबिक पास कोर्स की कटऑफ 82 प्रतिशत तक गिरने की संभावना है। हालांकि अभी यहां लगभग 50 प्रतिशत सीटों के लिए ही लिस्ट जारी की गई है। कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो.डी.आर. जाट के अनुसार जिन छात्रों का लिस्ट में नाम है, उन्हें 28 जून तक मूल दस्तावेज सहित फीस जमा करानी होगी।


ऑनर्स विषयों में संतुलन की कवायद: राजस्थान कॉलेज में बीए पास कोर्स की केवल 50 प्रतिशत सीटों के लिए कट ऑफ जारी की गई। वाइस प्रिंसिपल प्रो.जगदीश प्रसाद ने बताया, ऑनर्स विषयों की संख्या काफी ज्यादा है। इनमें छात्रों की संख्या के लिए ऐसी कट ऑफ तय की जा रही है जिससे विषयों में संतुलन बना रहे। पहली लिस्ट में जिन छात्रों का नाम है उन्हें मूल दस्तावेजों के साथ फीस 29 जून तक जमा करानी होगी।
नहीं आए पर्याप्त आवेदन: महाराजा कॉलेज में जूलॉजी और बॉटनी के लिए पर्याप्त आवेदन नहीं आए हैं। इन विषयों के लिए केवल पांच-पांच छात्रों ने ही आवेदन किया है। वहीं कैमिस्ट्री के लिए भी 19 फॉर्म ही आए हैं। कॉलेज के कार्यवाहक प्रिंसिपल प्रो. राज बाली ने बताया कि पर्याप्त संख्या में फॉर्म आएंगे तभी इनके सेक्शन शुरू किए जाएंगे। हालांकि फिजिक्स और मैथ्स ऑनर्स की पहली कट ऑफ सोमवार को जारी कर दी जाएगी। यहां मैथ्स और बायोलॉजी ग्रुप की 80-80 प्रतिशत सीटों के लिए कटऑफ जारी हुई है। वहीं बीसीए के लिए 120 में से 80 सीटों के लिए लिस्ट निकाली गई। महाराजा कॉलेज में पहली लिस्ट के छात्रों के लिए फीस जमा कराने की अंतिम तिथि 29 जून है।

प्रतिभा नहीं, अंकों की चली: पिछले वर्ष तक कुछ मेरिटोरीयस छात्रों को आरयू के संघटक कॉलेजों में सीधा प्रवेश दे दिया जाता था, जिसमें एक तय प्रतिशत को निर्धारित कर दिया जाता था। इस बार ऐसा होना संभव नहीं हो पाया है। वजह सीबीएसई के छात्रों के प्राप्तांकों का स्तर अचानक बढ़ जाना है। महाराजा कॉलेज के कार्यवाहक प्रिंसिपल प्रो. राज बाली ने कहा, अधिक प्रतिशत अंक वाले छात्रों की संख्या बढ़ने के कारण मेरिटोरीयस छात्रों का निर्धारण आसान नहीं है। उदाहरण के लिए साइंस मैथ्स में कटऑफ 80.92 रही है, मगर इसके लिए 94.15 प्रतिशत तक अंक वाले छात्रों के आवेदन भी आए थे(दैनिक भास्कर,जयपुर,26.6.11)।

डीयूःज्यादा दाखिलों ने बढ़ाई कॉलेजों की मुश्किलें

Posted: 26 Jun 2011 10:00 AM PDT

आवेदन फॉर्म की छुट्टी के बाद सीधे कटऑफ और इससे पार पाने वाले छात्रों को दाखिला का अवसर मुहैया कराने की युक्ति दिल्ली विश्वविद्यालय को भले ही बेहतर जान पड़ रही हो पर कॉलेजों की परेशानियां इससे बढ़ी हैं।

कॉलेजों में दाखिलों का उफान इस कदर देखने को मिला है कि पांचवीं कटऑफ तक दाखिले के अवसर मुहैया कराने की बात कर रहे डीयू में दूसरी ही कटऑफ में कॉलेजों में दाखिले सीटों की अपेक्षा दोगुने से ज्यादा जा पहुंचे हैं।

कैम्पस कॉलेजों की बात करें तो यहां पहुंच रहे टॉपर्स की संख्या इतनी ज्यादा है कि रामजस कॉलेज में केमिस्ट्री में दाखिले का आंकड़ा पांच गुना तो एसआरसीसी में बी.कॉम ऑनर्स का आंकड़ा डेढ़ गुना से ज्यादा पहुंच गया है।

ऐसे में छात्रों के लिए बेहतर अध्ययन सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कहीं संसाधनों के विकास की तैयारी जारी है तो कहीं गुरुजनों से सहयोग की आस लगाई जा रही है।

श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) के प्रिंसिपल डॉ. पीसी जैन ने बताया कि उनके यहां उपलब्ध बी.कॉम ऑनर्स व इकोनॉमिक्स ऑनर्स दोनों ही पाठच्यक्रमों में सामान्य श्रेणी के तहत सीटों की अपेक्षा अधिक दाखिले हुए हैं।


बी.कॉम में जहां यह आंकड़ा 252 सीटों पर 414 है तो इकोनॉमिक्स ऑनर्स में 62 सीटों पर 71 दाखिले हुए हैं। सीटों की अपेक्षा अधिक दाखिलों की स्थिति से निबटने के विषय में जब डॉ. जैन से पूछा गया तो उनका कहना था कि परेशानी तो नहीं आएगी बस अभी जहां 2 बजे तक कक्षाएं खत्म हो जाती थीं, वह समय बढ़कर 3 या 4 बजे तक पहुंच जाएगा। 

ओवर एडमिशन की समस्या से जूझ रहा दूसरा कैम्पस कॉलेज है रामजस कॉलेज। कॉलेज में केमिस्ट्री ऑनर्स मतें 47 सीटों पर 289 दाखिले हुए हैं जो करीब पांच गुना से ज्यादा हैं। इसी तरह यहां साख्यिकी ऑनर्स की 23 सीटों पर 113 दाखिले, फिजिक्स ऑनर्स की 47 सीटों पर 171 दाखिले, बी.ए प्रोग्राम की 56 सीटों 110 दाखिले और बी.कॉम ऑनर्स में 50 सीटों पर 104 दाखिले हुए हैं। 

कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि शिक्षकों के सहयोग से इस समस्या से निबट लिया जाएगा। उन्हाेंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो एडऑक शिक्षक व गेस्ट लेक्चर का इंतजाम भी किया जाएगा। हिन्दू कॉलेज के पापुलर कोर्स बी.कॉम ऑनर्स में 62 सीटों पर 129 दाखिले हुए हैं जबकि केमिस्ट्री में 62 सीटों पर 96 दाखिले हुए हैं। 

कॉलेज प्रबंधन की मानें तो एक दो विषय में खड़ी हुई ओवर एडमिशन की समस्या से टाइम टेबल में शिक्षकों सहयोग से निबट लिया जाएगा। ओवर एडमिशन की परेशान से ऑफ कैम्पस कॉलेज भी जूझ रहे हैं। 

आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. सावित्री सिंह ने बताया कि उनके यहां सबसे ज्यादा लाइंस साइंसेस में 40 सीटों पर 109 दाखिले हुए और इसके बाद केमिस्ट्री में 31 सीटों के मुकाबले 81 दाखिले, बॉटनी में 41 सीटों के मुकाबले 73 दाखिले और जूलॉजी में 41 सीटों पर 62 दाखिले हुए हैं। 

डॉ. सिंह ने बताया कि ओवर एडमिशन की परेशानी उनके समक्ष पहली बार खड़ी हुई है। वह अभी कक्षाओं के इंतजाम और शिक्षकों के सहयोग की दिशा में प्रयासरत हैं।

कोटा बढ़ाया जाय

सामान्य श्रेणी की सीटों पर जारी ओवर एडमिशन को देखते हुए अब अनुसूचित जाति/ जनजाति, विकलांग व ओबीसी कोटा भी दाखिलों के हिसाब से मुहैया कराने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। यूथ फोर सोशल जस्टिस के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह का कहना है कि जिस तरह से मैरिट में जगह पाने वाले छात्रों को सीटे फुल होने के बाद भी कटऑफ में आने के बाद दाखिला दिया जा रहा है तो फिर कोटे के छात्रों के प्रति क्यों दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है। 

हमारी कुलपति से मांग है कि वह कोटे की सीटों का निर्धारण उपलब्ध सीटों के हिसाब से नहीं बल्कि उनके लिए हुए दाखिलों के आधार पर होना चाहिए और यही न्याय संगत है(दैनिक भास्कर,शिमला,26.6.11)।

लखनऊ विविःफीस हुई दोगुनी तो खाली रह गयीं 223 सीटें

Posted: 26 Jun 2011 09:45 AM PDT

लखनऊ विविद्यालय ने एमबीए की फीस बढ़ाकर दो गुनी कर दी। इसकी वजह से छात्रों ने आईएमएस के एमबीए पाठ्यक्रमों से मुंह मोड़ लिया। एमबीए कोर्स में दाखिले के अंतिम दिन शनिवार को सभी को मौका देने के बाद भी 223 सीटें खाली रह गयीं। इनमें दो कोर्स में ताला ही लग गया और गलती से रूरल डेवलपमेंट मैनेजमेंट में एक सीट पर दाखिले लेने वाले छात्र ने अपना कोर्स चेंज करा लिया है। एमबीए इन एग्री बिजनेस की भी सभी 60 सीटें खाली रह गयी हैं। इसके साथ ही विविद्यालय के कई अन्य पाठ्यक्रमों एमबीए इन कारपोरेट मैनेजमेंट की 36 सीटें खाली रह गयीं, सिर्फ 24 सीटों पर ही प्रवेश हो सका एमबीए एचआर में भी एक सीट बच गयी। इसी प्रकार रिटेल मैनेजमेंट में भी 36 सीटें खाली रह गयी हैं। एमबीए के एक और पाठ्यक्रम (सीएम) में 30 सीटें खाली रह गयी हैं। विविद्यालय में एमबीए में 660 सीटें हैं। इनमें 437 सीटों पर ही प्रवेश हो सका और 223 सीटें खाली रह गयी हैं। उल्लेखनीय कि विविद्यालय में एमबीए की फीस अभी तक 45 हजार रुपये थी, लेकिन इसको बढ़ाकर अब 80 हजार रुपये कर दिया गया है। इसके साथ ही पांच हजार रुपये सिक्योरिटी, 750 रुपये इनरोलमेंट और 500 रुपये काउंसलिंग के जमा कराये जाने थे। विविद्यालय के व्यवसाय प्रबंधन विभाग (लुम्बा) से एमबीए की सभी 120 सीटें भर गयी हैं लेकिन प्रबंध विज्ञान संस्थान (आईएमएस) के कोर्स में दाखिला देने के लिए काउंसलिंग में लगे शिक्षक छात्र-छात्राओं का इंतजार करते रह गये। इसके कुछ कोर्स में तो सभी सीटें भर गयी हैं, लेकिन दो कोर्स में एक भी प्रवेश नहीं हुआ। दो कोर्स में 36-36 व एक पाठ्यक्रम में 30 सीटें खाली रह गयीं। छात्रों के इस रवैये की वजह विविद्यालय की प्रबंधन पाठ्यक्रमों में फीस की बेतहासा बढ़ोतरी मानी जा रही है। हालांकि विविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि बेहतर पढ़ाई की कीमत पर फीस कहीं आड़े नहीं आ रही है, लेकिन 223 सीटें खाली रहने के सवाल का उनके पास भी कोई जवाब नहीं है(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,26.6.11)।

मध्यप्रदेशःसरकारी कॉलेजों में 70 साल की उम्र तक पढ़ा सकेंगे

Posted: 26 Jun 2011 09:30 AM PDT

प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए राज्य सरकार अब रिटायर होने जा रहे डॉक्टरों की सेवाएं लेगी। इसके लिए संचालक चिकित्सा शिक्षा ने सभी मेडिकल कॉलेजों के डीन को स्वस्थ (फिट) डॉक्टरों की सूची भेजने को कहा है।
ये डॉक्टर अधिकतम 70 साल की उम्र तक मेडिकल कॉलेजों में पढ़ा सकेंगे। फिलहाल मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों के रिटायरमेंट की उम्र 65 साल है।
सरकार के इस फैसले के साथ ही मेडिकल कॉलेजों से रिटायर हो चुके डॉक्टरों के बीच नई बहस छिड़ गई है। कुछ डॉक्टर इस निर्णय को सही ठहरा रहे हैं, वहीं मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के सेवानिवृत्त अधिकारी इसकी आलोचना कर रहे हैं।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में फॉरेंसिक मेडिसिन, रेडियो डायग्नोसिस, एनाटॉमी, कार्डियोलॉजी सहित कई अन्य विषयों के सहायक प्राध्यापक नहीं मिल रहे हैं। इसका असर मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई पर भी हो रहा है। सरकार ने इन डॉक्टरों के चयन का आधार कॉलेज में पद की उपलब्धता और डॉक्टरों की फिटनेस को रखा है।
युवा डॉक्टरों को नौकरी नहीं मिलेगी: मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के सेवानिवृत्त अध्यक्ष डॉ. भरत छपरवाल का कहना है कि मेडिकल कॉलेजों से रिटायर होने वाले डॉक्टरों का कार्यकाल बढ़ने से युवा डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेजों में नौकरी मिलने में दिक्कत होगी।

रिटायर डॉक्टरों की सेवाएं लेने के लिए सरकार को अलग से पद स्वीकृत करना चाहिए, जिससे नियमित पदों पर नए डॉक्टरों की पदस्थापना की जा सके।
तो सुधर जाएगा पढ़ाई का स्तर : सेवानिवृत्त संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. एनआर भंडारी ने मेडिकल कॉलेजों की दशा सुधारने के लिए रिटायर हो रहे डॉक्टरों का कार्यकाल बढ़ाने के निर्णय को सही ठहराया है। उनका कहना है कि मेडिकल कॉलेजों में टीचिंग स्टाफ की कमी के कारण एमसीआई कई विषयों के पीजी कोर्स को मान्यता नहीं दे रही है। डॉक्टरों का कार्यकाल बढ़ने से कॉलेजों की टीचिंग स्टाफ की कमी दूर हो जाएगी।
मेडिकल कॉलेजों के डीन से उन डॉक्टरों की सूची मांगी गई है, जो इस साल रिटायर होने जा रहे हैं। इनमें से उन डॉक्टरों की सेवा पांच साल बढ़ाई जाएगी, जो स्वस्थ होने के साथ कॉलेज की जरूरत को पूरा कर सकेंगे।
डॉ.एमके सारस्वत,संचालक,चिकित्सा शिक्षा(दैनिक भास्कर,भोपाल,26.6.11)

लखनऊ विवि के बाहर होगी बीएड की काउंसलिंग

Posted: 26 Jun 2011 09:15 AM PDT

ज्योतिबा फुले विविद्यालय रुहेलखण्ड बरेली ने लखनऊ विविद्यालय के बाहर काउंसलिंग सेंटर बनाने का निर्णय लिया है, लेकिन नोडल अफसर के रूप में लखनऊ विविद्यालय के कुलसचिव ही अधिकृत रूप से काम करेंगे। 14 जुलाई से प्रस्तावित बीएड की काउंसलिंग के लिए पांच केन्द्र बना दिये गये हैं। इनमें नगर निगम डिग्री कालेज, कालीचरण डिग्री कालेज में दो केन्द्र तथा एक-एक केन्द्र राजकीय बिजली पासी डिग्री कालेज और पंडित दीन दयाल उपाध्याय डिग्री कालेज राजाजीपुरम को बनाया गया है। इन केन्द्रों के लिए डा. दिनेश कुमार शिक्षा शास्त्र, डा. एसके अग्रवाल बायो कमेस्ट्री, डा. एके लाल फ्रेंच (अंग्रेजी विभाग), डा. देशदीपक रसायन विज्ञान व डा. राम गणोश समाजशास्त्र विभाग को कोआर्डिनेटर बनाया गया है। सूत्रों का कहना है कि 14 से 27 जुलाई के बीच होने वाली काउंसलिंग में लखनऊ केन्द्र पर करीब 20 हजार अभ्यर्थियों के काउंसलिंग में शामिल होने की उम्मीद है। राजधानी में 45 हजार छात्रों ने इम्तहान दिया था और काउंसलिंग के लिए यहां सीतापुर, बाराबंकी, रायबरेली और उन्नाव के अभ्यर्थियों के आने की उम्मीद है। आमतौर पर काउंसलिंग में एक दिनों में 300 छात्र-छात्राओं की ही प्रवेश प्रक्रिया पूरी की जा सकती है, ऐसे में एक दिन में सभी केन्द्रों को मिलाकर 1500 से ज्यादा छात्रों की काउंसलिंग पूरी करायी जा सकती है। इसको लेकर सभी तैयारियां चल रही हैं। प्रवेश परीक्षा के मुख्य कोआर्डिनेटर रहे प्रोफेसर पवन अग्रवाल को अभी कोई जिम्मेदारी नहीं मिली है, लेकिन उन्हें काउंसलिंग का भी हेड बनाया जा सकता है। इसके संकेत विविद्यालय प्रशासन के एक अधिकारी ने दिये हैं(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,26.6.11)।

डीयूःहाईकोर्ट का सेंट स्टीफन कॉलेज को नोटिस

Posted: 26 Jun 2011 09:00 AM PDT

दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंट स्टीफन कॉलेज को प्रवेश देने के मामले में ईसाई समुदाय में चर्च के आधार पर भेदभाव करने के मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
जस्टिस मनमोहन सिंह ने एक छात्र को प्रवेश नहीं देने के मामले में पूछा है कि कॉलेज ने चर्च के आधार पर सीएनआई (चर्च ऑफ नार्थ इंडिया) और सीएनआईडी (चर्च ऑफ नार्थ इंडिया दिल्ली) के आधार पर उप वर्गीकरण क्यों किया? अदालत ने यह नोटिस एक छात्र निखिल नील दास की याचिका पर जारी किया है।

इस छात्र ने याचिका में कहा है कि उसने 12वीं में 89 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। लेकिन क्रिश्चियन कोटा के अंतर्गत उसे साक्षात्कार में शामिल नहीं होने दिया गया। दास सीएनआई का सदस्य नहीं है। कॉलेज का कहना है कि छात्र को कोटा का लाभ तभी मिल सकता है जब वह सीएनआई का सदस्य हो(दैनिक भास्कर,दिल्ली,26.6.11)।

मध्यप्रदेशःकॉलेज के लिए करें पड़ताल

Posted: 26 Jun 2011 08:45 AM PDT

यदि मार्क्‍स ज्यादा हों तब तो सिलेक्टेड चॉइस भरना ठीक है,लेकिन यदि मार्क्‍स कम हों तो ज्यादा से ज्यादा चॉइस भरें। यदि मांगे गए कॉलेजों में मेरिट के आधार पर आपको सीट नहीं मिली तो आपको कंप्यूटर सीट ही अलॉट नहीं करेगा। ऑनलाइन काउंसलिंग के समय आपका ध्यान स्क्रीन पर होना चाहिए।
ये सलाह दैनिक भास्कर और आइसेक्ट यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित इंजीनियरिंग एजुकेशन फेस्ट में तकनीकी शिक्षा संचालक आशीष डोंगरे ने। उन्होंने कहा कि कॉलेज सिलेक्शन के मामले में किसी की बातों में न आएं बल्कि खुद पड़ताल करें। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पेरेंट्स और कॉलेज के फैकल्टी मेंबर्स ने भी हिस्सा लिया।
पूछे सवाल, जाने जवाब : स्टूडेंट्स और पेरेंट्स ने श्री डोंगरे से खूब सवाल पूछे। आरती सोगारिया ब्रांच चुनाव को लेकर असमंजस में थीं। उन्होंने बताया, यहां आकर मैंने तय कर लिया कि मुझे जिस ब्रांच में रुचि है उसे ही चुनूंगी।
धीरज तिवारी ने कहा, इस लेक्चर ने काउंसलिंग की प्रक्रिया तो समझा ही दी हमें ऐसे टिप्स भी दिए ताकि हम आसानी से कॉलेज चुन सकें। बेटी खुशबू के साथ आईं सीमा बकतानी ने कहा, मेरी बेटी इस बात को लेकर परेशान थी कि कौन सी ब्रांच उसके लिए कंफर्टेबल होगी पर लेकिन अब वह सही निर्णय कर पाएगी।

स्टॉल्स में लगी रही भीड़ : यहां सभी स्टॉल्स में स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स की जबरदस्त भीड़ रही। सभी ने कॉलेज, फीस, इंफ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी के बारे में पूछताछ की। इसके अलावा कॉलेज कौन से यूनिक मॉडयूल्स के जरिए ट्रेनिंग देते हैं, प्रोजेक्ट-इंडस्ट्री विजिट के लिए उनके कौन सी कंपनियों के साथ टाईअप हैं, यह भी जाना। खास बात यह कि लेक्चर अटेंड करने के बाद विद्यार्थियों ने केवल प्लेसमेंट के बारे में न पूछकर फैकल्टी-इंफ्रास्ट्रक्चर और रिजल्ट पर ज्यादा जोर दिया।
आज अंतिम दिन : डीबी सिटी के बेसमेंट में हाइपरसिटी के सामने चल रहे इस फेस्ट का आज अंतिम दिन है। दोपहर 12 बजे से लेकर रात 8 बजे तक स्टूडेंट्स यहां अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
कॉलेज के साथ ब्रांच भी देखें
क्या हम एआईईईई के जरिए प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला पा सकते हैं?नहीं, इसके लिए पीईटी ही जरूरी है। यदि नहीं दी है तो 12वीं के आधार पर काउंसलिंग पूरी होने के बाद आखिरी में दाखिला ले सकते हैं।
ब्रांच को महत्व दें या कॉलेज को?
यदि आपको प्रदेश के टॉप कॉलेज में दाखिला मिल गया लेकिन ब्रांच ऐसी मिली कि जिसमें आपको बिल्कुल रुचि नहीं है तो यह गलत है। इसलिए कॉलेज तो देखें पर ब्रांच को फोकस करें।
मेरे 12 वीं क्लास में 50 फीसदी से कम स्कोर किया है क्या मुझे इंजीनियरिंग कॉलेज दाखिला मिल पाएगा?नहीं, अब एआईसीटीई के नियम के मुताबिक 50 प्रतिशत अंक जरूरी हैं।सर, मैं एससी वर्ग से हूं। क्या निजी कॉलेज में मुझे स्कॉलरशिप मिलेगी?हां, सभी निजी कॉलेजों में दाखिले के लिए आरक्षित कोटा है। इसके अलावा इन सभी में आरक्षित वर्ग के लिए सरकारी कॉलेजों की तरह स्कॉलरशिप और शुल्क में छूट की सुविधा है(दैनिक भास्कर,भोपाल,26.6.11)।

लखनऊःडीएवी इण्टर कालेज में सह-शिक्षा शुरू

Posted: 26 Jun 2011 08:30 AM PDT

मोती नगर स्थित डीएवी इण्टर कालेज में हाई स्कूल तक सह-शिक्षा शुरू की गयी है। विद्यालय में दाखिले के लिए इच्छुक विद्यार्थियों के लिए आवेदन पत्रों की बिक्री शुरू हो गयी है। यह जानकारी विद्यालय के प्रधानाचार्य ओम प्रकाश त्रिपाठी ने दी। उन्होंने बताया कि विद्यालय में कक्षा एक से कक्षा दस तक सह-शिक्षा शुरू की गयी है। इन कक्षाओं में दाखिले के लिए आवेदन पत्रों की बिक्री प्रात: नौ बजे से अपराह्न तीन बजे तक तक की जा रही है। उन्होंने बताया कि हाई स्कूल में सभी विषय तथा इण्टर मीडिएट में विज्ञान, कृषि, वाणिज्य तथा कला सभी वगरे में उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त विद्यालय में व्यावसायिक शिक्षा के तहत रेडियो, टीवी तथा टंकण की शिक्षा भी दोनों ट्रेडों में दी जाती है। उन्होंने बताया कि विद्यालय में एनसीसी, स्काउट एवं गाइड, खेल तथा शारीरिक शिक्षा की सुविधा भी उपलब्ध है। दाखिले के लिए आवेदन पत्र 30 जून तक उपलब्ध है तथा प्रवेश प्रक्रिया जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष विद्यालय का रिजल्ट हाई स्कूल में 93 फीसद तथा इण्टरमीडिएट में 82 फीसद रहा है(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,26.6.11)।

डीयूःचार दिन तक लगावाए चक्कर, और फिर नहीं दिया दाखिला

Posted: 26 Jun 2011 08:15 AM PDT

.कॉलेजों के अड़ियल रवैये के आगे दाखिले की दौड़ में छात्र पस्त होते नजर आ रहे हैं। किस तरह से चार दिन का समय भी कम पड़ता है, इसका उदाहरण रामजस कॉलेज में दाखिले के लिए पहुंचे बादल चौधरी बने।

जयपुर राजस्थान से दूसरी कटऑफ में ओबीसी कोटे के तहत दाखिले के लिए पहुंचा यह छात्र दस्तावेजों की बानगी में कुछ ऐसा उलझा कि शनिवार शाम 4 बजे तक कॉलेज में चली दाखिले की खींचतान के बावजूद उसे बैरंग लौटा दिया गया।

बादल चौधरी दूसरी कटऑफ में रामजस कॉलेज के बी.ए प्रोग्राम में दाखिले के लिए 22 जून को कॉलेज पहुंचा। यहां पहुंचकर उसे पता चला कि बिना चरित्र प्रमाण पत्र के उसे दाखिला नहीं मिलेगा सो वह अगले दिन स्टॉम्प पेपर पर इसे बनवाकर पहुंचा। अब जबकि दाखिला का दूसरा दिन था तो उसे कहा गया कि माइग्रेशन सर्टिफिकेट दाखिले के लिए चाहिए होगा, सो उसे ले आएं।

बादल ने बताया कि कॉलेज की इस मांग को देखते हुए वह दाखिले के तीसरे दिन अजमेर जाकर अपना माइग्रेशन सर्टिफिकेट लेकर पहुंचा अब जबकि चौथे दिन यानी शनिवार सुबह वह दाखिला कराने आया तो पता चला कि प्रोविजनल सर्टिफिकेट को लेकर कॉलेज ने दाखिले से इंकार कर दिया।

बादल ने बताया कि इस दौरान उनसे दो फॉर्म भी भरवा लिए गए और जब मामला ग्रीवांस कमेटी के पास पहुंचे तो दोपहर 4 बजे तक चली लम्बी चर्चा के बाद एडमिशन कमेटी ने उन्हें पर्याप्त दस्तावेज न होने के चलते लौटा दिया।


इस बारे में जब कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. राजेन्द्र प्रसद से पूछा गया तो उनका कहना था कि छात्र को दाखिला देने की तमाम सम्भावनओं पर विचार किया गया है लेकिन चूंकि उसके पास जरूरी दस्तावेज ही मौजूद नहीं थे सो कैसे उसे दाखिला दिया जा सकता था। 
डॉ. प्रसाद ने बताया कि डीन छात्र कल्याण कार्यालय से मिले आदेश के तहत स्पष्ट किया गया है कि अंडरटेकिंग लेकर हम केवल मार्क्‍सशीट की इंटरनेट कॉपी को स्वीकार कर सकते हैं। ऐसे में प्रोविजनल सर्टिफिकेट के मोर्चे पर राहत कैसे दी जा सकती थी सो छात्र को इंकार किया गया और यह फै सला एडमिशन कमेटी में चर्चा के बाद लिया गया।

अभिभावक नहीं तो दाखिला नहीं

कहीं दस्तावेजों की मार तो कहीं अभिभावकों का दाखिले के दौरान छात्रा के साथ मौजूद न रहने के चलते दाखिले से इंकार कि या जा रहा है। डीयू के आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज में अभिभावकों की गैर मौजूदगी के चलते दाखिले से वंचित रखी गई एक छात्र स्वाति ने बताया कि तमाम अनिवार्यताओं को पूरा किए बिना उन्हें आखिरी दिन दाखिला देने से इंकार कर दिया गया। 

स्वाति ने बताया कि कॉलेज प्रिंसिपल उनके अभिभावकों से मिलना चाहती थी और चूंकि उनके अभिभावक उनके साथ नहीं गए थे सो उन्हें दाखिला देने से इंकार कर दिया गया।

इस बाबत जब कॉलेज प्रिंसिपल डॉ.सावित्री सिंह से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि दाखिले के दौरान कई जगह अभिभावकों के हस्ताक्षर अनिवार्य ऐसे में जब अभिभावक होंगे ही नहीं तो दाखिला कैसे हो सकता है। कॉलेज के इस रवैये ने कॉलेज दाखिलों के दौरान दिल्ली में अंजाम दी जाने वाली नर्सरी की दाखिला प्रक्रिया की यादे ताजा कर दी(दैनिक भास्कर,दिल्ली,26.6.11)।

छत्तीसगढ़ का पीएमटी फर्जीवाड़ा: आरोपी स्टूडेंट्स के खिलाफ नहीं हुई कार्रवाई

Posted: 26 Jun 2011 08:00 AM PDT

पीएमटी पर्चा लीक मामले में संलिप्त सिम्स के स्टूडेंट्स के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए सिम्स प्रबंधन को पुलिस की रिपोर्ट का इंतजार है। प्रबंधन ने बिलासपुर-रायपुर पुलिस को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने के साथ ही स्वास्थ्य सचिव को मामले से अवगत करा दिया है।
पीएमटी से एक दिन पूर्व 18 जून की रात पर्चा लीक होने का खुलासा हुआ था। पुलिस ने इस मामले में 8 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें अंबिकापुर निवासी आकाश जायसवाल (21 वर्ष) वर्तमान में डेंटल कालेज रायपुर में पढ़ाई कर रहा है।
इसके अलावा प्रतापपुर नाका अंबिकापुर निवासी हेमंत दीक्षित (22 वर्ष), लेन हटिया जिला रांची झारखंड निवासी रवि सिंह (25 वर्ष), चेरम झारखंड निवासी संजीत बनिया (26 वर्ष), रेलवे कालोनी कोरबा निवासी चंद्रमणी कुमार (28 वर्ष), पटना बिहार निवासी धीरज कुमार उपाध्याय (28 वर्ष), ग्राम चौंवार थाना वजीरगंज जिला गया बिहार निवासी अखिलेश पांडेय उर्फ बब्बू (26 वर्ष) व बैजनाथ गुप्ता मेडिकल डेंटल कालेज रायपुर शामिल हैं। मुख्य आरोपी संतोष सिंह उर्फ संजय सिंह सहित 2 लोग अब भी फरार हैं।
पकड़े गए आरोपियों में हेमंत दीक्षित व चंद्रमणी कुमार सिम्स में एमबीबीएस का स्टूडेंट्स है। हेमंत के बारे में सीआईडी की स्पेशल टीम को पता चला कि 2009 में उसके स्थान पर किसी और ने पीएमटी दिया था।
उसने बिहार के संजू सिंह गिरोह के जरिए परीक्षा पास की है। सीआईडी उसके बारे में जांच कर ही रही थी, कि इधर वह पर्चा लीक कांड में पकड़ा गया। इसके साथ ही चंद्रमणी कुमार के खिलाफ भी इसी तरह के फर्जीवाड़े की शिकायत थी, जिसकी जांच चल रही है। अब तक हुई जांच के अनुसार चंद्रमणी को अंबिकापुर में सांख्यिकी की परीक्षा में पकड़ा गया था।

उसे जेल भी हुई थी, लेकिन बाद में वह बरी हो गया। इसके बाद उसने फजीवाड़ा कर पीएमटी पास कर लिया। सीआईडी अभी इस मामले की जांच कर रही है। दूसरी तरफ सिम्स की एक छात्रा प्रीति सोनी भी फर्जी तरीके से 2010 की पीएमटी पास की थी। वह मूलत: भैयाथान सूरजपुर की निवासी है।
सीआईडी जांच के अनुसार प्रीति ने अपनी जगह किसी और लड़की को परीक्षा में बिठाया था। उसने अपना पता भी फर्जी दर्ज कराया था। जांच के दौरान न तो उसके हस्ताक्षर का मिलान हुआ और न ही फोटो का। उक्त स्टूडेंट्स के बारे में सिम्स प्रबंधन ने सारी जानकारी सीआईडी व जिला पुलिस को उपलब्ध करा दी है। साथ ही उसके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
सिम्स से मिली जानकारी के मुताबिक डीन एसके मोहंती ने इस मामले को लेकर बिलासपुर एसपी अजय यादव, रायपुर एसपी दीपांशु काबरा व सेकेट्ररी स्वास्थ्य संचालनालय को पत्र लिखा है। उन्होंने उक्त स्टूडेंट्स के बारे में पुलिस कार्रवाई की जानकारी मांगी है। अंतिम कार्रवाई होने व पुलिस से रिपोर्ट मिलने के बाद उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रीति लापता
बताया जा रहा है कि मामले के खुलासे के बाद से सिम्स की छात्रा लापता है। वह न तो सिम्स में है और न ही अपने निवास पर। उसके बारे में कुछ भी पता नहीं चल सका है।
"सेक्रेटरी हेल्थ को पूरे मामले से अवगत करा दिया गया है। एसपी बिलासपुर व रायपुर को पत्र लिखकर पुलिस कार्रवाई की जानकारी मांगी गई है। पुलिस से रिपोर्ट मिलते ही फर्जीवाड़े में शामिल उक्त स्टूडेंट्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। दोषी पाए जाने पर बर्खास्तगी भी तय है। "
एसके मोहंती, डीन सिम्स, बिलासपुर
'डाक्टर' भी आरोपी भेजा गया जेल
पीएमटी फर्जीवाड़े में तखतपुर पुलिस ने गिरोह को धर्मशाला उपलब्ध कराने वाले डाक्टर भाई साहू को भी आरोपी बनाया है। गिरोह को मदद करने के आरोप में उसे शनिवार को जेल भेज दिया गया।
उसके खिलाफ धारा 420, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है। साहू के घर से कुछ कागजात जब्त किए गए हैं।
पीएमटी का पर्चा लीक करने वाले गिरोह के लिए अग्रवाल धर्मशाला की बुकिंग तखतपुर में नेशनल एजुकेशन एकेडमी चलाने वाले डीबी साहू ने फर्जी नाम से की थी। मामले में उसकी शुरू से ही भूमिका संदिग्ध रही है। पुलिस ने



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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