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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Tuesday, January 29, 2013

निराधार आधार कार्ड : झूठे जग भरमाय

निराधार आधार कार्ड : झूठे जग भरमाय


भँवर मेघवंशी

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के समर्थक दावा करते हैं कि आधार कार्ड के जरिये फर्जीवाड़ा रोकने में मदद मिलेगी, लेकिन अगर आधार कार्ड बनाने में ही फर्जीवाड़ा होने लगे तो ?

जी हां, पिछले दिनों राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में ऐसा ही मामला उजागर हुआ, शहर के आजादनगर क्षेत्र में 22 जनवरी को पुलिस ने एक युवती राधिका को हिरासत में लेकर पूछताछ की, जिस पर आरोप है उसने नीतू सुथार तथा महेन्द्र लाल इत्यादि से आधार कार्ड बनवाने के लिये 200-200 रुपए ले लिये। आधार के नाम पर फर्जीवाड़ा कर रही इस महिला की हरकत के उजागर होने के बाद कुछ लोगों ने इसकी शिकायत एडीएम टीकमचंद बोहरा से की, एडीएम बोहरा पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे तथा महिला से मामले की जानकारी ली। पुलिस की पूछताछ से पता चला कि पैसा वसूल रही युवती राधिका आधार पंजीयन करने वाले ठेकेदार के यहां मशीन ऑपरेटर है तो यह स्थिति है आधार कार्ड बनाने के दौरान की, अब जो आधार फर्जीवाड़े से शुरू हो रहा है वह भ्रष्टाचार को कैसे रोकेगा यह विचारणीय प्रश्न है।

दूसरी चौंकाने वाली सच्चाई यह सामने आई कि राजस्थान सरकार ने बीपीएल लोगों को आधार कार्ड बनवाने पर मिलने वाले 100 रुपये प्रति व्यक्ति प्रोत्साहन देने की राशि को ही दबा लिया, जिससे गरीबों का हक मारा गया। जानकारी के मुताबिक इस केंद्रीय योजना के लिये वित्त आयोग ने कुल 2989.10 करोड़ रुपये स्वीकृत किये थे। यह राशि वर्ष 2004-05 की बीपीएल जनसंख्या के आधार पर तय की गई थी। राजस्थान को भी इसमें से 134.9 करोड़ रुपये स्वीकृत हुये, मगर राज्य सरकार ने राज्य में इसे लागू ही नहीं किया, इस प्रकार आधार कार्ड बनवाने वाले प्रत्येक परिवार को औसतन 400-500 रुपये का नुकसान हो गया, अब सरकार कह रही है कि वह जल्दी ही इस योजना को लागू करेगी लेकिन सवाल यह है कि अगर समाचार पत्रों ने इस गड़बड़झाले को उजागर नहीं किया होता तो यह योजना सामने ही नहीं आ पाती। आधार कार्ड को हर योजना को लागू करने की जीवन रेखा बता रहे लोग इसका क्या जवाब देंगे कि आधार कार्ड बनवाने के लिये जो योजनाएं बनाई गई, वे ही लागू नहीं की जा रही तो इस आधार पर दूसरी योजनाओं की सफलता कैसे सुनिश्चित हो पायेगी?

भंवर मेघवंशी

भंवर मेघवंशी (लेखक 'डायमंड इंडिया' तथा 'खबरकोश डाॅट काॅम' के संपादक है।)

सरकार ने विशिष्ट पहचान पत्र (आधार कार्ड) बनाने को ऐच्छिक माना है, उसका दावा है कि यह अनिवार्य नहीं है लेकिन सरकारी दावे के विपरीत गरीबों को यह कहा जा रहा है कि अगर उन्होंने वक्त रहते आधार कार्ड नहीं बनवाया तो उन्हें किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिलेगी, यहां तक भ्रम फैलाया जा रहा है कि जिनका आधार कार्ड नहीं होगा उन्हें वोट ही नहीं डालने दिया जायेगा, भीलवाड़ा में तो कांग्रेस का जिला मुख्यालय आधार कार्ड बनाने का कार्यालय बन चुका है, वैसे तो सत्तारूढ़ दल का कार्यालय कार्यकर्ताओं की आमद के लिये तरसता रहा है मगर आजकल जिलाध्यक्ष एक कमरे तक सिमट गये हैं तथा पूरे कार्यालय में आधार ही आधार दिखाई पड़ेगा, जिले में पार्टी इस प्रकार अपना 'जन-आधार' बढ़ा रही है!

आधार कार्ड बनवाने की ऐच्छिकता तो कोरी बयानबाजी ही है क्योंकि सरकारी कर्मचारियों को स्पष्ट कर दिया गया है कि अगर उन्हें वेतन चाहिये तो आधार कार्ड का नम्बर लगाना होगा, इसी प्रकार गैस एजेन्सी के संचालक कह रहे हैं कि रसोई गैस के लिये आधार कार्ड का नम्बर देना आवश्यक है। अगर आधार कार्ड और उससे लिंक बैंक खाते की जानकारी नहीं दी गई तो उपभोक्ताओं के खाते में गैस अनुदान राशि नहीं पहुंच पायेगी।

भीलवाड़ा के अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) टीकमचंद बोहरा का कहना है कि एक अप्रैल से जिले में नकद हस्तान्तरण योजना लागू की जा रही है, इसका लाभ लेने के लिये आधार कार्ड बनवाना ही होगा। इसी प्रकार राज्य के मुख्य सचिव सी.के. मैथ्यु का कहना है कि एक अप्रैल से बिना आधार कार्ड व बैंक खाते के राज्य की 18 योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। इस प्रकार के फरमान यह साबित करने के लिये काफी हैं कि आधार कार्ड बनवाना ऐच्छिक न होकर अनिवार्य कर दिया गया है।

आधार कार्ड बनवाने में आ रही चुनौतियों पर विचार किये बिना ही इसे अनिवार्य कर देना गरीबों को उन्हें मिलने वाले फायदों से वंचित करने की रणनीति का हिस्सा है, सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग, श्रम, शिक्षा, रोजगार, महिला एवं बाल विकास विभाग, चिकित्सा विभाग की जननी सुरक्षा योजना, घरेलू गैस सब्सिड़ी, अजा- जजा तथा अन्य पिछड़ा वर्ग छात्रवृत्ति योजनाएं तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाली वस्तुओं सहित कुल 18 योजनाओं को राज्य सरकार आधार से जोड़ रही है,सरकार 'प्रलोभन' देकर अथवा 'भय' दिखाकर हर हाल में 'आधार कार्ड' बनवाने पर तुली हुई है, सवाल यह है कि क्या एक कार्ड गरीबों की सब समस्याओं को खत्म कर देगा अथवा सरकार गरीबों की विशिष्ट पहचान बनाकर धीरे-धीरे उन्हें खत्म कर देगी ?

(लेखक-मजदूर किसान शक्ति संगठन के साथ कार्यरत है।) 

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