THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, July 1, 2013

Rajiv Lochan Sah shared Sameer Raturi's photo. यह एक बहुत जरूरी और सामयिक शुरूआत है. इस राहत के साथ क्षति के आँकलन का कार्य भी होता रहे. अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग समूह इसे करें, क्योंकि इस बार की आपदा बहुत बड़े भूगोल में फैली है.

यह एक बहुत जरूरी और सामयिक शुरूआत है. इस राहत के साथ क्षति के आँकलन का कार्य भी होता रहे. अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग समूह इसे करें, क्योंकि इस बार की आपदा बहुत बड़े भूगोल में फैली है.
आपदा के तहत कई गाँव व् कई परिवार अपनी नैसर्गिक अस्तित्व को खो चूका है, कई लोग बेघर होकर अपने करीबियों के लौटने की कल्पना में कहीं न कहीं आश्रय लिया हुए हैं, कुछ संस्था व सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा आंकलन किये जाने पर एक वृहद व दर्द भरा दृश्य दिखने को मिला, अन्वाडी गाँव के २२ बच्चे के लापता के साथ साथ जाल तल्ला व जाल मल्ला के करीब ७० बच्चे अभी तक घर नहीं पहुंचे हैं, माना यह जा रहा है की यह बच्चे नदी की प्रवाह में बह गए हों, जहाँ चंद्रापुरी मार्किट का नामो निशाँ ही नहीं वहीँ चंद्रापुरी गाँव का अस्तित्व ही मिट गया, भले ही जान की कोई हानि नहीं हुई लेकिन सारा गाँव नदी की आघोष में चला गया है, सर में छत नहीं, आने वाले समय में बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था, अपनी आजीविका की खोज, इत्यादि सभी सवाल उनके सामने खड़े हैं लेकिन हादसे से खौफजदा यह लोग अपनी मनोदशा के आगे विवश है, आंकलन के दौरान एक गाँव के २२ पुरुष के गायब हो जाने से पूरे गाँव की महिलाएं अपने को विधवा मान चुकी हैं, अपनी आजीविका को लेकर इस गाँव के पुरुष कार्य के लिए केदारनाथ, रामबाड़ा या अन्य जगह जाया करते थे लेकिन इस बार का जाना वापसी का मार्ग न दिखा सका, यही नहीं कई बच्चे अनाथ व कई युवा जिनकी आने वाले समय में शादी तय थी अपने माँ – पिता के खोए के बाद अपने जीवन को कैसे संवार सके, उसपे बहुत बड़ा सवाल खड़ा हो चूका है
उखीमठ व गुप्तकाशी घाटी की तरफ मचे इस विनाशकारी तांडव को देख एक सशक्त प्रयास की जरुरत है जहाँ सारे संघठन मिलके आपदा राहत के लिए दीर्धकालीन योजना पर कार्य करें, सबसे अपील की जाती है की दीर्धकालीन राहत हेतु गाँव को पुनर्जीवित व ग्रामीणों की आजीविका को खड़े करने हेतु अपने योगदान सुनिश्चित करें, ६ माह के इस कार्यक्रम में विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है: तत्कालीन और दीर्धकालीन राहत :

तत्कालीन राहत :
1. चूँकि बरसात के फिर से शुरु हने से घाटियों में बाड़ का खतरा फिर मंडराने लगा है और जान माल का नुकसान होने का भी खतरा है अत: बेघर हुए ग्रामीण व खतरे के साए में ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर लाने के विचार किया जाय I
2. विचारानुसार किसी एक सुरक्षित स्थान को राहत शिविर या रिलीफ कैंप में बदलने का विचार किया गया है जहाँ उन्हें पूरी बरसात में रखा जाए और वहां उनके खाने पीने, दवाई, व कपडे दिए जाये I केदार घाटी के दो स्थान गुप्तकाशी घाटी व ऊखीमठ घाटी में सब – रिलीफ कैंप रखे जाने का सुझाव है, जो दोनों घाटी के आपदाग्रस्त गाँव में काम करेंगे या राहत कार्य करेंगे
3. तत्कालीन राहत के दौरान जन नायक, जनकवि, प्रेरणा श्रोत बुद्दिजीवी, समाज सेवी, विभिन्न संघटन के संघर्ष शील व्यक्ति ग्रामीणों के साथ उनके मनोबल को बढाने का प्रयास करेंगे
4. केंद्र बिंदु श्रीनगर को चुना गया है, यह स्थान संभावित स्थानों में सबसे उत्तम इसलिए माना गया क्यूँकी बरसात के किसी दौर में भी वो संपर्क में रहेगा और वहां संसाधनों को पहुचने में कोई दिक्कत नहीं होगी I चिकित्सा, से लेकर सारी सुविधायें वहां उपलब्ध हो सकती हैं I
दीर्धकालीन राहत :
रिलीफ कैंप के दौरान दो आपदाग्रस्त गाँव को चिन्हित कर गाँव को गोद लिया जायेगा जिसे एक आइडियल विलेज बनाने का प्रयास किया जाएगा, यह गाँव बिजली के लिए सोलर एनर्जी को वैकल्पिक रूप में तैयार किया जाएगा, पर्यावरण दृष्टीकोण के मद्देनजर इकोलॉजी व इकॉनमी का निर्माण किया जाएगा, स्थायी रोजगार के लिए पहाड़ के संसाधनों के अनुसार साधन खड़े किये जाने का प्रयास किया जाएगा, पर्यावरण को बढावा जो दे सके उस तरह के स्थायी रोजगार पर भी जोर दिया जाएगा
1. चूँकि ग्रामीणों को असली राहत उनके अपने स्थानीय गाँव के पुनर्जीवित होने पर ही मिलेगी अत: बरसात के बाद गाँव में काम करने पर विचार किया गया है I
2. कुछ बुरी तरह प्रभावित गाँव को गोद लेके उनके पुनर्जीवित होने तक उनकी आजीविका, खाने और रहने का काम किया जाएगा
3. वहां के नागरिकों के हिसाब से उनकी आजीविका के अनुसार उनकी आजीविका को खड़े करने में मदद करेंगे
4. जब तक सरकार ग्रामीणों को घर बनाके देगी तब तक उन लोगों के लिए टिन शेड बना दिए जायेगे जहाँ वो रह सकें,
5. सामूहिक रूप से वहां के लोगों के लिए खाने की व्यवस्था और आपस में मदद करके गाँव को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जाएगा I
6. इस कार्य के लिए स्थानीय जनता का सहयोग बखूबी मिलेगा I
प्रमुख बातें :
1. सहायता स्वरुप सारे संघठनो से उम्मीद की जाती है वो इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता दे
2. सहयता स्वरुप आर्थिक सहायता के बदले संसाधनों से सहायता करें
3. राहत शिविर में आप अपनी उपस्तिथी भी दर्ज करायें
4. ज्यादातर गाँव वासियों को संसाधनों से राहत पहुचायी जायेगी
5. ग्रामीण इस भयावह मंजर को देख बहुत भयभीत है अत: उनको प्रेरित करना अति दुर्लभ कार्य है अत: हमे खुद उनके लिए काम करना हो
निम्नलिखित संसाधनों की आवश्यकता हेतु अपील :
1. टेंट / शेड : १०० व्यक्तियों के रहने हेतु ५ शेड, व १० व्यक्तियों के रहने हेतु १०० टेंट/शेड
2. सोलर लालटेन :
3. सोलर लाइट : दो गाँव को बिजली उर्जा के वैकल्पिक रूप देने के लिए सोलर इक्विपमेंट
4. बरतन किचन के कार्य के लिए (बनाने व खाने हेतु दोनों)
5. ब्लीचिंग पाउडर
6. कपडे : सभी कपडे नए हो व pre-autumn seasonके हो, ज्यादातर लार्ज साइज़ के हो
7. कैर्री बैग : जिसमे आंशिक प्रभावित गाँव के लोग आपदा राहत का सामान ले जा सके
8. जमीन में बैठने के लिए मैट
9. Beddings : कम्बल, चद्दर, गद्दे, इत्यादि
10. दवाइयां :
11. छाते (umbrella)
12. सिलिंडर के जगह अगर खाने पकाने के लिए कोई और तरीके हो तो वो भी सहायतार्थ उपलब्ध करायें
13. पैक्ड मिल्क
14. राशन लम्बे समय तक निरंतर उपलब्ध कराएं
सामाजिक संगठन जिनके सहयोग से यह कार्यक्रम किया जा रहा है :
1. डीन- स्कूल ऑफ़ सोशल साइंस, हेमवती नंदन बहुगुणा विश्व-विद्यालय, श्रीनगर संपर्क: प्रोफ. जे.पी.पचौरी
2. पर्वतीय विकास शोध केंद्र, श्रीनगर, संपर्क: डॉ. अरविन्द दरमोड़ा - 9411358378
3. रोटरी क्लब, श्रीनगर संपर्क: धनेश उनियाल : 9412079049
4. हिमालय साहित्य कला परिषद्, श्रीनगर, संपर्क: डॉ. उमा मैंठानी : 7579428846/9411599020
5. उत्तराखंड सोसाइटी फॉर नार्थ अमेरिकन, (U.S.A)
6. प्रमोद राघव, निस्वार्थ कदम - (U.S.A)
7. उत्तराखंड कौथिक ग्रुप, नयी दिल्ली: संपर्क – भरत बिष्ट - 8285481303
8. सल्ट समाज- दिल्ली
9. हिमालयन ड्रीमज ग्रुप, दिल्ली
10. उत्तराखंड जन जागृति संसथान, खाड़ी : संपर्क: अरण्य रंजन- 9412964003
11. क्रिएटिव उत्तराखंड, दिल्ली
12. उत्तराखंड विकास पार्टी – ऋषिकेश, संपर्क: मुजीब नैथानी – 9897133989, नरेन्द्र नेगी-9897496120
13. अल्मोड़ा ग्राम कमिटी, दिल्ली
14. सार्थक प्रयास, दिल्ली
15. हमर उत्तराखंड परिषद्, दिल्ली
16. उत्तराखंड चिंतन, दिल्ली
17. मेरु उत्तराखंड, दिल्ली
18. सस्टेनेबल एप्रोच ऑफ़ डेवलपमेंट फॉर आल (SADA), दिल्ली संपर्क : रमेश मुमुक्षु - 9810610400, बसंत पाण्डेय - 7579132181, डॉ. सुनेश शर्मा- 9456578242
19. प्रथा, ऋषिकेश – संपर्क: प्रभा जोशी : 9411753031, हरी दत्त जोशी: 9410103188
निवेदक :
(हिमालय बचाओ आन्दोलन)
राजीव नयन बहुगुणा: 9456502861, समीर रतूड़ी : 9536010510, जगदम्बा प्रसाद रतूड़ी: 9412007059, चंद्रशेखर करगेती: 9359933346, दीप पाठक: 9410939421, हितेश पाठक: 8699023548, हरीश बडथ्वाल: 9412029305, अनिल स्वामी – 9760922194, कृष्णा नन्द मैंठानी: 9456578209 ,
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