THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Sunday, February 23, 2014

बतौर सांसद,विधायक अतिथि कलाकारों की भूमिका तो बताइये,दीदी!

बतौर सांसद,विधायक अतिथि कलाकारों की भूमिका तो बताइये,दीदी!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास



ममता बनर्जी के प्रधानमंत्रित्व के दावे और उन्हें गांधीवादी नेता अन्ना हजारे के समर्थन से बाकी देश में कुछ असर हो या न हो,बंगाल में विपक्ष के सफाये की पूरी तैयारी है। लेकिन दीदी जिस तरह से राजनेताओं के बदले संसद और लोकसभा में कलाकारों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों को भेज रही हैं,उससे राजनीतिक संस्कृति ही बदलने जा रही है। पार्टी और सरकार पर पकड़ के लिहाज से इस रणनीति से दीदी की केंद्रीकृत सत्ता को किसी चुनौती की आशंका नहीं है।


सोमेन मित्र आखिरी कद्दावर नेता थे,जिनकी छुट्टी हो गयी है। बाकी डूबते जहाज छोड़कर तृणमूल में अपना वजूद बचाने आये लोगों की कोई ऐसी हैसियत है ही नही कि वे कोई राजनैतिक चुनौती पेश करें।


मुश्किल यह है कि दीदी सेलीब्रेटी को जनप्रतिनिधि बनाने की मुहिम मे जुटी हैं और ये तमाम लोग अव्वल तो पेशेवर व्यस्तता से निकलने की हालत में नहीं हैं और फिर वे आम जनता के बीच उनकी फौरी समस्याों को सुलझाने से लेकर संबंधित क्षेत्र में विकास कार्यक्रमों के कार्यन्वयन के लिहाज से फीसड्डी है।


इससे कभी कभी भारी समस्या हो जाती है,जैसे सांसद कबीर सुमन के सात हुआ।सांसद कोटे के अनुदान खर्चने के मामले में पार्टी में असरदार राजनेताओं की उन्होंने नहीं सुनी तो नही सुनी।इसपर दीदी ने उन्हें बतौर सांसद अतिथि कलाकार बता दिया।इस पर कबीर को इतनी घनी आपत्ति हो गयी कि वे न केवल बागी हो गये,बल्कि तृणमूल की सांसदी पर बहाल रहते हुए दीदी पर सबसे तीखे हमला करने वाले हो गये।उनकी कला सीधे राजनीति में अनुदित हो गयी।


कलाकार,पत्रकार या बुद्धिजीवी राजनीति नहीं करेंगे,इसकी कोई पुक्ता गारंटी नहीं है।शारदा फर्जीवाड़े मामले के रफा दफा हो जाने के बावजूद पत्रकार सांसद कुमाल घोष की वजह से शारदा कांड अब भी जिंदा है।


बहरहाल दीदी के लिए बेहतर हालत यह है कि हर कोई कबीर सुमन या कुमाल घोष भी ह नहीं सकता।फिल्म स्टार तापस पाल और शताब्दी राय बेसुरा चलने लगे थे तो दीदी ने उन्हें उनकी औकात बता दी।मेगा स्टार मिथुन को लाकर उन्होंने बाकी लोगों को खामोश कर दिया है।जोगेन चौधरी जैसे सम्मानीय राज्यसभा से अब तृणमूल सांसद है।पूरी बंगाली फिल्म इंडस्ट्री दीदी के कबजे में हैं। प्रसेनजीत,देव से लेकरमुनमुन सेन तक कोई भी किसी का विकल्प बन सकता है।


फिल्मों में नायक नायिका की केंद्रीय भूमिका निभाने वाले कलाकारों की लेकिन राजनीति में कोई भूमिका नहीं है।


रायदिघी से विधायक चुने जाने के बाद पूरे ढाई साल से इलाके के लिए लापता फिल्मस्टार देवश्री राय को फिर दीदी ने अतिथि कलाकार बता दिया और इस पर देवश्री को कोई आपत्ति भी नहीं है।दीदी के मुताबिक कलाकार राजनेताओं के तरीके से जनता के बीच काम कर ही नहीं सकते और न इलाकों का विकास उनसे संभव है।उनका काम लेकिन मां माटी मानुष की सरकार कर रही है।इलाके का तेज विकास जारी है।


सही है ,लेकिन बतौर सांसद,विधायक अतिथि कलाकारों की भूमिका तो बताइये,दीदी!


No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...