THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, February 17, 2014

मध्य वर्ग को खैरात बांटकर देश बेचो धंधा बेलगाम On the Interim Budget:Chidambaram eyeing more reforms,may open FDI floodgates

मध्य वर्ग को खैरात बांटकर देश बेचो धंधा बेलगाम

On the Interim Budget:Chidambaram eyeing more reforms,may open FDI floodgates

पलाश विश्वास



अंतरिम बजट 2014-14: वित्त मंत्री की सौगात

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देश का प्रधानमंत्री अर्थशास्त्री है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष अर्थशास्त्री है। सारे नीति निर्धारक कारपोरेट अर्थशास्त्री हैं ,जिनके तार सीधे विश्व व्यवस्था के नियंत्रक संस्थानों से हैं। लेकिन जायनवादी ग्लोबीकरण महाविध्वंस अभियान के लिए वित्तप्रबंधन का मानवीय चेहरा हमेशा राजनीतिक रहा है। चिदंबरम कुशल राजनेता हैं और पेशे से वकील हैं।उनके अंतरिम बजट का कुल जमा सार यही है कि मध्य वर्ग को खैरात बांटकर देश बेचो धंधा बेलगाम।राष्ट्रपति बनने से पहले प्रणव मुखर्जी ठीक यही भूमिका निभाते रहे हैं। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आम चुनाव से पहले कार, मोटरसाइकिल, टीवी-फ्रिज और मोबाइल सस्ते कर आम मध्यमवर्ग को लुभाने का प्रयास किया और भूतपूर्व सैनिकों को खुश करने वाले फैसले के तहत सेना में एक रेंक एक पेंशन की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार करने की घोषणा की। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आम चुनाव से पहले कार, मोटरसाइकिल, टीवी-फ्रिज और मोबाइल सस्ते कर आम मध्यमवर्ग को लुभाने का प्रयास किया और भूतपूर्व सैनिकों को खुश करने वाले फैसले के तहत सेना में एक रेंक एक पेंशन की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार करने की घोषणा की।



आर्थिक घोटालों के महाभियोग को रफा दफा करने के लिए वित्तमंत्री ने कोयला,तेल व संचार क्षेत्रों में विकास के बढ़ चढ़कर दावे पेश किये जबकि इन्हीं सेक्टर में राष्ट्रीय संसाधनों की कारपोरेट हित में सबसे ज्यादा बंदरबांट हुई है।अंध राष्ट्रवाद के चलते रक्षा क्षेत्र को विदेशी निवेशकों को खोल देने के यथार्थ के बावजूद रक्षा घोटालों पर पर्दा पड़ा रहता है और रक्षा कारोबार आधारित कालाधन की महिमा इतनी कि अंतरिम बजट में भी रक्षा व्यय में दस फीसद इजाफा कर दिया गया है।अगले वित्त वर्ष के लिये रक्षा क्षेत्र का बजट 10 प्रतिशत बढ़ाकर 2,24,000 करोड़ रच्च्पये कर दिया गया। गैर..योजना व्यय 12,07,892 करोड़ रच्च्पये रहने का अनुमान लगाया गया है। इसमें खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम पदार्थों की सब्सिडी के लिये 2,46,397 करोड़ रच्च्पये का प्रावधान किया गया जो कि चालू वित्त वर्ष के 2,45,452 करोड़ रच्च्पये की सब्सिडी से मामूली अधिक है।

उन्होंने कहा कि 2014-5 का कुल बजट 17,63,214 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है जिसमें योजना व्यय 5,55,322 करोड़ रुपए और गैर-योजना व्यय 12,07,892 करोड़ रुपए रहने का अनुमान रखा गया है।

चिदंबरम ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय सुदृढीकरण की दिशा में उठाये गये अनेक कदमों की बदौलत राजकोषीय घाटा 4.8 प्रतिशत के बजट अनुमान की तुलना में कम होकर 4.6 प्रतिशत रहेगा जबकि राजस्व घाटा 3.9 प्रतिशत के बजट अनुमान से कम होकर 3 प्रतिशत रहने का संशोधित अनुमान व्यक्त किया गया है।

अर्थव्यवस्था में सुधार का रुख बताते हुये चिदंबरम ने विश्वास जताया कि अगले वित्त वर्ष में 6 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल की जा सकेगी। उन्होंने उत्पाद शुल्क रियायत को उचित ठहराते हुये कहा ''मौजूदा आर्थिक स्थिति हस्तक्षेप की मांग करती है और इसके लिये पूर्ण बजट आने का इंतजार नहीं किया जा सकता। विशेषतौर पर विनिर्माण क्षेत्र को तुरंत प्रोत्साहन की जरूरत है।''



पहले यह समझ लीजिये कि अंतरिम बजट का प्रयोजन क्यों है।आसन्न लोकसभा चुनाव के लिए अल्पमत भारत सरकार को जनादेश नही है कि वे वित्तीय या राजस्व प्रबंधन के फैसले लें। नयी सरकार बनने या चालू सरकार के दोबारा जनादेश लेकर लौटने पर ही बजट पेश किया जा सकता है। इसीलिए अंतरिम बजट। क्योंकि बिना बजट सरकारी खर्च असंवैधानिक है।योजनाओं के कार्यान्वयन और वेतन भुगतान जैसे काम बिना बजट रुक न जाये,इसलिए तकनीकी तौर पर संसद से नई सरकार के बजट पेश करने तक सरकारी खर्च का प्रथागत अनुमोदन का अवसर है अंतरिम बजट।


आर्थिक सुधारों के सिपाहसालार चिदंबरम ने अंतरिम बजट पेश करने के बजाय दरअसल सत्तादल कांग्रेस का चुनाव घोषणापत्र पेश करके संसद और देश को गुमराह किया है। प्रधानमंत्रित्व के प्रबल दावेदार नरेंद्र मोदी के भगवे अर्थशास्त्री और अन्ना ब्रिगेड के प्रधनमंत्रित्व के दावेदार ममता बनर्जी के विकास का माडल पीपीपी है। केशरिया टैक्स फ्री इंडिया का एजंडा है,जिसके तहत मध्यवर्ग को कुछ रियायतें देकर पूंजी को करमुक्त करने का निर्लज्ज कारोबार है।जिसके तहत ट्रैंजक्शन टैक्स लगना है समान दर पर। गंदी बस्ती और आदिवासी दलित गरीबी रेखा के नीचे जो लोग हैं, उनको टैक्स नेट में लाकर उनपर जो कर जिस दर से लगेगा,उसी दर पर रिलायंस,टाटा,बिड़ला,जिंदल,मित्तल वगैरह वगैरह पर भी टैक्स लगाने का प्रावधान है। यानी जो अब सालाना पांच सात लाख करोड़ का टैक्स फोरगान है, वह लाखों करोड़ की रकम होगी और यह रकम देश के बहुसंख्य टैक्स देने में असमर्थ लोगों से वसूला जायेगा। पूंजी को जब टैक्स छूट मिलेगी तो प्रत्यक्ष कर खत्म हो जाने से मध्य वर्ग को भी बड़ी राहत मिलेगी। केशरिया मीडिया मुहिम में इस एजंडा के पक्ष में जनमत प्रबल है।यानी फील गूड इंडिया के ओपन मार्केट में क्रयशक्ति से लैस मध्य वर्ग और उच्च मध्यवर्ग को अपनी जेबें बचने की हालत इस जनसंहारक प्रस्तावित अर्थतंत्र से कोई ऐतराज नहीं है।


जमीनी हकीकत लेकिन यही है कि उल्लेखनीय है कि औद्योगिक उत्पादन में पिछले तीन महीने से गिरावट का रुख बना हुआ है। दिसंबर में आईआईपी में 0.6 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई। इस समय कारों का बाजार भी मंदा है।


फिर भी देश उद्योग जगत ने बजट को उम्मीद से बेहतर बताया और कहा कि परिस्थिति के लिहाज से यह काफी संतुलित बजट है।इसीसे साफ जाहिर है कि अंतरिम बजट के दीर्घकालीन लक्ष्य कारपोरेट हितों के अनुकूल ही हैं।



चिदंबरम के पेश अंतरिम बजट को देखने से साफ जाहिर है कि आगे क्या होने वाला है। उपभोक्ता सामग्री में टैक्स रियायतें देकर समाजवादी तेवर दिखाकर दरअसल वित्तमंत्री ने कर सुधार के व्याकरण का ही उल्लंघन किया है। कर सुधार का बुनियादी सिद्धांत करों का सरलीकरण है और करों को एक रुप बनाना उसका मुख्य मकसद है।आप मद छांटकर अलग अलग छूट या टैक्स लागू कर ही नहीं सकते। चिदंबरम ने दरअसल ऐसा ही किया है मोबाइलें,फ्रीज,कारें जैसी उपभोक्ता सामग्री को सस्ता करके मध्य वर्ग और उच्च मध्यवर्ग को खुश करने की कवायद। बजट चूंकि चुनावी है, इसलिए बजट भाषण में पंडित जवाहर लाल नेहरु, इंदिरागांधी, मुक्त बाजार के सबसे बड़े प्रवक्ता अमर्त्य सेन से लेकर द्रविड़ संत को भी उद्धृत कर दिया गया। तमिलनाडु के चावल कारोबारी चावल के कारोबार में छूट मांग रहे थे, तो तमिलनाडु में अपना राजनीतिक भविष्य सुधारने की गरज से चावल पर छूट दे दी गयी।लेकिन गेंहू, चीनी, अनाज,तिलहन,दलहन पर अलग से कोई प्रावधान नहीं किया गया है। कारें सस्ती कर दी गयी हैं मध्यवर्ग को खुश करने के लिए लेकिन परिवहन उद्योग के लिए और आटो इंडस्ट्री को कोई राहत नहीं मिली है।


मंदी से जूझ रहे ऑटोमोबाइल उद्योग को उन्होंने आगे बढ़कर राहत देने का ऐलान किया। पूंजीगत सामान और टीवी फ्रिज जैसे उपभोक्ता सामानों पर उत्पादन शुल्क 12 से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया। छोटी कार, मोटर साइकिल, स्कूटर, वाणिज्यिक वाहन पर 12 से घटाकर 8 प्रतिशत, एसयूवी वाहनों पर 30 से घटाकर 24 तथा बड़ी और मध्यम श्रेणी की कारों पर 27--24 के दायरे से घटाकर 24--20 प्रतिशत के दायरे में ला दिया।

इन उपायों से मंदी में फंसे विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।

बाजार सूत्रों के अनुसार उत्पाद शुल्क में दी गई इस रियायत से विभिन्न कारों के दाम 10,000 रुपए से लेकर 70,000 रुपए तक कम हो सकते हैं। वहीं कार कंपनियों ने भी कहा है कि वह शुल्क में छूट का लाभ उपभोक्ता तक पहुंचायेंगे।


वित्त मंत्री ने घरेलू स्तर पर विनिर्मित मोबाइल हैंडसेट पर उत्पाद शुल्क ढांचे को भी पुनर्गठित करने की घोषणा की है। विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये टेलीविजन, फ्रिज से लेकर कंप्यूटर, प्रिंटर्स, डिजिटल कैमरा, माइक्रोवेब ओवन, डीवीडी प्लेयर्स जैसी कई वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क 12 से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया। पूंजीगत सामानों में इसी तरह की रियायत दी गई है।

मजा यह है कि उत्पाद शुल्क और सेवाकर में किये गये बदलाव 30 जून 2014 तक प्रभावी रहेंगे। नई सरकार अगले बजट में इनकी समीक्षा कर सकती है।


इसी तरह बार बार अल्पसंख्यकों,पिछड़ों,दलितों और आदिवासियों का उल्लेख करते हुए वोट बैंक गणित के तहत अलग अलग सत्ता समीकरण को साधने का काम किया है,जिसका न अर्थशास्त्र से संबंध है और न वित्तीय प्रबंधन से।किसानों को रियायती ब्याज दर पर कृषि रिण की सुविधा भी जारी रहेगी। शिक्षा रिण पर छात्रों को 31 मार्च 2009 से पहले लिये गये कर्ज पर ब्याज अदायगी में रोक अवधि का लाभ मिलेगा।



यहीं नहीं, जिस अंसवैधानिक गैरकानूनी राष्ट्रविरोधी नागरिकों की खुफिया निगरानी की कारपोरेट योजना से इंपोसिस नंदन निलेकणि के जरिये इंफोसिस को लगातार मार्केट लीडर बनाने का ही काम हुआ, उसके बचाव में बाकायदा सुप्रीम कोर्ट की अवमानना संसदीय विशेषाधिकार की आड़ में पेशेवर वकील चिदंबरम ने कर दी।अपनी इस वाकालत में नकद सब्सिडी और जरुरी सेवाओं से आधार को लिंक करने पर सुप्रीम कोर्ट के निषेधाज्ञा के बावजूद उन्होंने गरीबों के हितों का हवाला देकर डिजिटल बायोमेट्रिक रोबोटिक खुफिया निगरानी को जायाज बताने का कमा किया।इसी तरह उन्होंने ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी के विकास के पीपीपी माडल का एजंडा भी पेश किया बाकी देश के लिए। सात परमाणु संयंत्रों की घोषणा के साथ साथ पर्वतीय राज्यों को केंद्रीय मदद के बहाने पूरे हिमालय को ऊर्जा उद्योग का खुलाआखेट गाह बनाते हुए भावी केदार आपदाओं की तैयारी कर दी।


अंतरिम बजट में करों को छूने  की जरुरत ही नहीं थी। नयी सरकार नई दरें लागू कर  के सकती हैं। यहां तक कि अगर कांग्रेस फिर चुनाव जीत जाती है या जोड़ तोड़ की राजनीति में फिर चिदंबरम वित्तमंत्री बन जाते हैं,तो ये तात्कालिक रियायतें जो पहली अपरैल से लागू होनी है,अगर सरकार अलग से अधिसूचना जारी करती है, तो अलग बात है,कभी भी वापस हो सकती हैं।बहरहाल वित्त मंत्री ने एक करोड़ रुपए से अधिक की सालाना आमदनी वाले धनाढ्यों पर पिछले साल सुपर रिच कर के तौर पर लागू दस प्रतिशत का अधिभार जारी रखा है। कंपनियों पर पिछले बजट में लागू आयकर अधिभार भी बरकरार रखे गये हैं।


वित्तीय नीतियों से छेड़छाड़ करने की कोई जरुरत ही नहीं थी।लेकिन चालू वित्त वर्ष के दौरान चालू खाते का घाटा अनुमान से काफी कम होने के मद्देनजर वित्त मंत्री ने सोने के आयात पर लागू प्रतिबंधों और आयात शुल्क पर गौर करने का वादा किया।

आम चुनाव से पहले सभी को खुश करने वाले लोकलुभावन बजट के सवाल पर चिदंबरम ने कहा ''आपका सवाल लोकप्रियता पाने के लिये है, आप लोकलुभावन जवाब चाहते हैं। मेरी मंशा किसी को खुश करने की नहीं है। मैं लोगों से सीधे बात करना चाहता हूं कि हम अर्थव्यवस्था के कठिन दौर से गुजर रहे हैं।''

सोने पर ऊंची शुल्क दरों और प्रतिबंधों को जारी रखने के सवाल पर चिदंबरम ने कहा ''मैं इस संबंध में कोई घोषणा नहीं कर सकता क्योंकि संसद का सत्र चालू है। इन प्रतिबंधों में ढील के कुछ होंगे, हम इस का सावधानीपूर्वक आकलन करेंगे और फैसला लेंगे।''

उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले 21 महीनों के दौरान अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिये काफी कुछ किया है। सरकार को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में उचित सफलता हासिल होगी।



लेकिन वित्तमंत्री ने सातवें वेतन आयोग के गठन के बावजूद राजीव गांधी की मर्जी के मुताबिक सेना के लिए एक रैंक एक वेतन की घोषमा कर दी है।तो अब सातवा वेतन आयोग क्या झुनझुना बजायेगा और वेतन संबंधी इस नीतिगत घोषणा के बाद सातवें वेतन आयोग की क्या वैधता रह जाती है।


परंपरा तोड़कर वित्तमंत्री ने यूपीए सरकारों के एक दशक की उपलब्धियां चुनाव घोषणापत्र की तर्ज पर गिना दीं और आंकड़ों से मनचाहा खेल किया।जाहिर है कि यह तमाशा वैश्विक अर्ततंत्र या रेटिंग एजंसियों को खुश करने के लिए सिरे से नाकाफी हैं। विकास दर और राजस्व घाटे में कटौती के क्या आयोजन है,उसपर मौन साधते हुए जनता को अर्तव्यवस्था पटरी पर होने का भरोसा दिलाने की कोशिश करते हुए अर्थव्यवस्था चौपट करने के आरोपों का खंडन करने का प्रयास है यह।


नवउदारवादी नीतियों और उत्पादन प्रणाली के विध्वंस,श्रम के विसर्जन और मुनाफाखोर दलाल सेवाक्षेत्र के जरिये प्रोमोटर बिल्डर राज के तहत भारतीय कृषि,कृषिजीवी बहुसंख्य जनगण और जनपदों के विध्वंस की मुक्त बाजारी अर्थव्यवस्था के वित्तमंत्री ने औद्योगिक उत्पादन और कृषि उत्पादन शून्य के आसपास होने के बावजूद आर्थिक विकास के मिथ्या दावों का लाइव प्रसारण के लिए इस अंतरिम बजट का दुरुपयोग किया है। जैसे हरित क्रांति के कारीगरों को महिमामंडित किया जाता है,जैसे मुक्त बाजार के प्रवक्ता राष्ट्रविरोधी अर्थशास्त्रियों का महिमा मंडन किया जाता है ,उसी तरह आईपीएल विशेषज्ञ कृषिकत्ल मंत्री शरद पवार जिनके गृहराज्य और गृहक्षेत्र में विषम कृषि संकट के लिए या तो दुष्काल है या हर साल थोक दरों पर किसानबिना नागा खुदकशी का एकमात्र अनिवार्य विकल्प चुनने को मजबूर है,भारत के सबसे सफल कृषि मंत्री बतौर महिमामंडित किया जा रहा है। इस मिथ्या से बड़ी मिथ्या संसद में अंतरिम बजट पेश करते हुए कहने का करतब किया है पेशेवर वकील चिदंबरम ने। दो फीसद से कम कृषि विकास दर चारम हीने की अल्पावधि में कैसे चार फीसद से ज्यादा होने वाली है,यह समझ से परे है।


उलटे अंतरिम बजट में भी परिपाटी तोड़ते हुए देश बेचो ब्रिगेड के महासिपाहसालार ने पहले से मंजूर मुंबई ऩई दिल्ली सत्यानाशी औद्योगिक गलियारे और अमृतसर कोलकाता सत्यानाशी औदोगिक गलियोरे के अलावा  चेनन्ई बेंगलरु, बेंगलुरु मुबंई दो और सत्यानाशी औद्योगिक गलियारे की घोषणा कर दी।जिससे उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम चारों दिशाओं  में जनपदों और खेती के श्मशान घाट पर महासेज और मेगी सिटीज के निर्माण के जरिये देश के भीतर भारतीय सविधान और कायदे कानून के कार्यक्षेत्र से बाहर अनेक रंगबिरंगी संप्रभू अमेरिका बनाने की योजना है।देश बेचो ब्रेगेड की दृष्टि से यह कृषि विकास है और खाद्य सुरक्षा भी।ये महासेज दरअस विदेशी शक्तियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सैन्य केंद्र होंगे जो राष्ट्रीय सुरक्षा,एकता  और अखंडता के लिए उग्रवादियों,आतंकवादियों और माओवादिों से कहीं बड़ी चुनौती साबित होंगे।


कृपया अब इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अंतरिम बजट पर नजर डालें तो देश बेचो ब्रिगेड के राष्ट्रविरोधी जनविरोधी चुनावी एजंडे का खुलासा हो जायेगा।


केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने लोकसभा में शोर-शराबे के बीच सोमवार को वित्त वर्ष 2014-15 के लिए अंतरिम बजट पेश किया। चिदंबरम ने कहा कि तमाम कठिनाइयों के बीच 2013-14 के लिए वित्तीय घाटे का लक्ष्य हासिल हो गया है। उन्होंने साथ ही कहा कि किसानों को ऋण और निवेश का लक्ष्य भी हासिल हुआ। साथ ही चालू खाता घाटा और खाद्य महंगाई को भी कम करने में कुछ सफलता मिली।


वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करते हुए आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं करने की घोषणा की। उत्पाद शुल्क को घटाकर 12 से 10 फीसदी करने का चिदंबरम ऐलान किया, जबकि बड़ी गाड़ियों पर इसे 30 से घटाकर 24 फीसदी कर दिया गया। मोटरसाइकिलों पर उत्पाद शुल्क को 10 से घटाकर आठ फीसदी किया गया, वहीं छोटी गाड़ियों पर इसे 12 से आठ फीसदी किया गया। निर्माण क्षेत्र में एक्साइज़ पर दो फीसदी की कटौती का ऐलान किया गया। फ्रिज, टीवी और देश में बने मोबाइल सस्ते होंगे। उन्होंने आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं किया और कहा कि डाइरेक्ट टैक्स कोड पर जनता के सुझाव लिए जाने की जरूरत है।


पूर्व सैन्यकमियों को बड़ी राहत देते हुए वित्त मंत्री ने घोषणा की कि सरकार ने 'वन रैंक, वन पेंशन' की मांग सैद्धांतिक रूप से मान ली है। रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन 10 प्रतिशत बढ़ाकर 2,24,000 करोड़ रुपए किया गया है जबकि पिछले बजट में यह राशि 2,03,672 करोड़ रुपए थी।


गैर-योजनागत व्यय 12,07,892 करोड़ रुपए अनुमानित है। इसमें से खाद्य, उर्वरक तथा ईंधन सब्सिडी पर खर्च 2,46,397 करोड़ रुपए होगा जो 2013-14 में 2,45,452 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान से थोड़ा अधिक है।


बजट अनुमान देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में निर्धारित लक्ष्य 4.8 प्रतिशत से कम 4.6 प्रतिशत तथा राजस्व घाटा 3.3 प्रतिशत रहेगा। इस लिहाज से चालू वित्त वर्ष का समापन संतोषजनक रहेगा। वित्त वष 2014-15 के लिए राजकोषीय घाटा 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है जो नए राजकोषीय मजबूती के तहत निर्धारित 4.2 प्रतिशत से कम है। राजस्व घाटा 3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।


उत्पाद शुल्क राहत को न्यायोचित ठहराते हुए चिदंबरम ने कहा, 'मौजूदा आर्थिक स्थिति कुछ हस्तक्षेप की मांग करती है। स्थिति ऐसी नहीं है कि आम बजट तक इसके लिए इंतजार किया जा सके। विशेष तौर पर विनिर्माण क्षेत्र को तत्काल गति देने की जरूरत है।'


मोबाइल हैंडसेट के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए वित्त मंत्री ने सभी श्रेणी के मोबाइल हैंडसेट पर उत्पाद शुल्क पुनर्गठित कर सेनवेट क्रेडिट के साथ 6 प्रतिशत तथा बिना सेनवेट क्रेडिट के एक प्रतिशत रखने का प्रस्ताव किया। देश में साबून तथा रंगीन रसायनों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के इरादे से गैर खाद्य स्तर के औद्योगिक तेल तथा उसके अंश, फैटी एसिड तथा फैटी अल्कोहल के मामले में सीमा शुल्क ढांचे को तर्कसंगत कर 7.5 प्रतिशत रखने का प्रस्ताव किया गया है।


इसी प्रकार, करेंसी नोट की प्रिंटिंग के लिए देश में प्रतिभूति पत्रों के उत्पादन को बढ़ावा देने के इरादे से बैंक नोट पेपर मिल इंडिया प्राइवेट लि. द्वारा आयातित पूंजीगत सामान पर रियायती 5 प्रतिशत सीमा शुल्क का प्रस्ताव किया गया है। चिदंबरम ने उत्पाद शुल्क टैरिफ अधिनयम की अनुसूची के अध्याय 84 और 85 के अंतर्गत आने वाली पूंजीगत तथा उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है।


वित्त मंत्री ने आटोमोबाइल उद्योग को भी 30 जून तक उत्पाद शुल्क में कुछ राहत दी है। छोटी कारों, मोटर साइकिल, स्कूटर और वाणिज्यिक वाहनों पर उत्पाद शुल्क 12 से घटाकर 8 प्रतिशत, एसयूवी पर 30 से घटाकर 24 प्रतिशत कर दिया गया है।


बड़ी अथवा मध्यम श्रेणी की कारों पर 27--24 के बजाय अब 24--20 प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव है। आने वाले वित्त वर्ष के लिए योजनागत व्यय 5,55,322 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है जो चालू वित्त वर्ष के बराबर है जबकि गैर-योजनागत व्यय 12,07892 करोड़ रुपए रहने का अनुमान रखा गया है जो 2013-14 के मुकाबले मामूली रूप से अधिक है।


भविष्य के लिए 10 सूत्री दृष्टिकोण रेखांकित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को 2016-17 तक राजकोषीय घाटा, सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य हासिल करना होगा तथा उसे हमेशा उस स्तर से नीचे रखना होगा। चालू खाते के घाटे (कैड) पर उन्होंने कहा कि अगले कुछ और साल कैड रहेगा और इसका वित्त पोषण केवल विदेशी निवेश---एफडीआई, एफआईआई या ईसीबी या अन्य पूंजी प्रवाह से ही किया जा सकता है। इसलिए विदेशी पूंजी आकर्षित करने की नीति से हटने की फिलहाल गुंजाइश नहीं है।


अपने दृष्टिकोण के तहत चिदंबरम ने कहा कि विकासशील अर्थव्यवस्था को निश्चित रूप से यह स्वीकार करना चाहिए कि उच्च आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य होने पर मुद्रास्फीति कम रहनी चाहिए। उन्होंने अपने विजन फार्मूला में कहा, 'रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति तैयार करते समय कीमत स्थिरता तथा वृद्धि के बीच संतुलन साधना होगा।' इसमें वित्तीय क्षेत्र में सुधार, बुनियादी ढांचा, विनिर्माण, सब्सिडी, शहरीकरण, कौशल विकास तथा राज्यों तथा केंद्र के बीच जिम्मेदारी साझा करना शामिल हैं।


वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू नहीं कर पाने पर निराशा जताते हुए वित्त मंत्री ने कहा 'मैं इस सवाल का जवाब आप पर छोड़ता हूं कि जब इस महत्वपूर्ण कर सुधार पर आम सहमति काफी कुछ बन गई थी तो जीएसटी का रास्ता किसने रोका?' उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष करों के मामले में प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) अगले 20 वर्ष तक काम करता रहेगा, यह तैयार है और इसे सार्वजनिक चर्चा के लिए वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा। 'मैं सभी राजनीतिक दलों से अपील करता हूं कि वह 2014-15 में जीएसटी और डीटीसी को पारित कराने का संकल्प लें।'


आर्थिक वृद्धि का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा कि 2011-12 में नरमी शुरू हुई और नौ तिमाहियों के दौरान जहां यह 2011-12 की पहली तिमाही में 7.5 प्रतिशत थी वहीं 2013-14 की पहली तिमाही में 4.4 प्रतिशत पर आ गई। उन्होंने कहा कि विभिन्न उपायों से उन्हें विश्वास है कि आर्थिक वृद्धि में गिरावट थमेगी और दूसरी तिमाही में वृद्धि चक्र बदलेगा।


चिदंबरम ने कहा, 'मेरा मानना है कि मैं दोषमुक्त हुआ हूं। वर्ष 2013-14 की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत रही है जबकि पूरे साल के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान 4.9 प्रतिशत अनुमानित है। इसका मतलब यह हुआ कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि 5.2 प्रतिशत रही है।' उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था दो साल पहले के मुकाबले आज ज्यादा स्थिर है। राजकोषीय घाटे में कमी आई है, चालू खाते के घाटे को नियंत्रित किया गया है, मुद्रास्फीति भी नीचे आई है और तिमाही वृद्धि में सुधार आ रहा है। रुपए की विनिमय दर में भी स्थिरता आई है, निर्यात बढ़ा है और सैकड़ों परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ है।


वित्त मंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान निर्यात 6.3 प्रतिशत वृद्धि के साथ 326 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। चालू खाते का घाटा जो कि पिछले साल 88 अरब डॉलर के रिकार्ड स्तर तक पहुंच गया था उसे इस साल 45 अरब डॉलर पर नियंत्रित कर लिया जाएगा। यह वित्त वर्ष के अंत तक विदेशी मुद्रा भंडार से 15 अरब डॉलर अधिक होगा।


पिछले साल थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 7.3 प्रतिशत रही जबकि विनिर्माण क्षेत्र की मुद्रास्फीति दर 4.2 प्रतिशत थी। चालू वित्त वर्ष में जनवरी 2014 के अंत तक थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दर कम होकर 5.05 तथा विनिर्माण क्षेत्र की महंगाई दर 3 प्रतिशत रही।


उन्होंने कहा, 'हालांकि हमारा प्रयास व्यर्थ नहीं गया है, लेकिन अभी लंबी दूरी तय करना बाकी है। खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी मुख्य चिंता का कारण है। हालांकि यह 13.6 प्रतिशत से घटकर 6.2 प्रतिशत पर आ गई है। अर्थव्यवस्था में नीतिगत निष्क्रियता के तर्क को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में सरकार ने कई दूरगामी फैसले किए हैं। चीनी को नियंत्रणमुक्त किया गया। डीजल मूल्यों में धीरे-धीरे सुधार लाया गया। रेलवे किराए को तर्कसंगत बनाया और नए बैंक लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके अलावा बिजली वितरण कंपनियों का पुनर्गठन किया गया।


निवेश पर मंत्रिमंडल की समिति (सीसीआई) तथा परियोजना निगरानी समूह का गठन किया गया। इनके द्वारा किए गए निर्णयों के कारण जनवरी 2014 के अंत तक 6,60,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली 296 परियोजनाओं का रास्ता साफ हुआ। प्रदर्शन के मामले में चिदंबरम ने विभिन्न क्षेत्रों में तीव्र वृद्धि का उदाहरण दिया। देश में अब 26.3 करोड़ टन खाद्यान का अनुमान है जो 10 साल पहले 21.3 करोड़ टन था।


उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में प्रदर्शन शानदार रहा। 2013-14 में इसके 26.3 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। गन्ना, कपास, दलहन, तिलहन का रिकार्ड उत्पादन की उम्मीद है। चिदंबरम ने कहा कि कृषि निर्यात चालू वित्त वर्ष में 45 अरब डॉलर को पार कर सकता है जो 2012-13 में 41 अरब डॉलर था। कृषि ऋण 7,35,000 करोड़ रुपए पहुंचने का अनुमान है जो 7,00,000 करोड़ रुपए के लक्ष्य से अधिक है। 2014-15 के लिए कृषि ऋण लक्ष्य 8,00,000 करोड़ रुपए तय किया गया है।


कृषि ऋण पर ब्याज छूट योजना अगले वित्त वर्ष में भी जारी रहेगी। फिलहाल कृषि ऋण पर ब्याज दर 7 प्रतिशत जबकि जो किसान समय पर ऋण लौटाते हैं, उनके लिए ब्याज दर और कम 4 प्रतिशत रखी गई है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि 31 मार्च 2009 तक लिए गए शिक्षा ऋण की ब्याज वसूली को स्थगित रखने का प्रस्ताव किया है। इससे ब्याज बोझ में कमी से 9 लाख छात्रों को फायदा होगा। इसके लिए 2,600 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।


चिदंबरम ने यह भी कहा कि महिलाओं की सुरक्षा तथा सशक्तिकरण के लिए गठित निर्भया कोष में पिछले साल दिए गए 1000 करोड़ रुपए के कोष इतनी ही राशि सरकार और देगी। (एजेंसी)


अंतरिम बजट 2013- 2014 के मुख्य अंश


-2014-15 में योजनागत व्यय 5 लाख, 55 हजार 322 करोड़ रुपये, गैर-योजनागत व्यय 12 लाख, 7 हजार, 892 करोड़ रुपये

- 2014-15 में वित्तीय घाटा का लक्ष्य 4.1 फीसदी

- आर्थिक तेजी के लिए शुल्कों में कटौती

- उत्पाद शुल्क घटाकर छोटे कारों/दुपहिया वाहनों पर 8 फीसदी, स्पोर्ट्स युटिलिटी वेहिकल पर 24 फीसदी और बड़ी कारों पर 20 फीसदी किया गया

- रक्त बैंकों को सेवा कर से छूट

- वैज्ञानिक शोध और विकास को बढ़ावा देने के लिए शोध फंडिंग संस्थानों के निर्माण की योजना

- ईंधन सब्सिडी 65 हजार करोड़ रुपये

- भारतीय अर्थव्यवस्था का 11वां स्थान, तीसरे पर पहुंचने का लक्ष्य

- वित्तीय घाटा तीन फीसदी

- (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) पीपीपी मॉडल को और बढ़ावा

- विनिर्माण क्षेत्र को निर्यात में सभी करों से छूट

- रक्षा खर्च 10 फीसदी वृद्धि के साथ 2 लाख 24 हजार करोड़ रुपये

- 2014-15 में रेलवे को 29 हजार करोड़ रुपये की बजटीय सहायता

- एक पद एक पेंशन की मांग स्वीकृत, 2014-15 में 500 करोड़ रुपये के साथ कार्यान्वयन

- वित्त वर्ष 2014-15 में 3,38,562 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता

- 50,000 मेगावाट क्षमता के पारंपरिक बिजली उत्पादन संयंत्र निर्माणाधीन

- वित्त वर्ष 2014-15 में 500 मेगावाट क्षमता प्रत्येक वाले चार सौर बिजली उत्पादन संयंत्रों का होगा निर्माण

- 100 करोड़ रुपये के साथ सामुदायिक रेडियो को मिलेगा बढ़ावा

- वित्त वर्ष 2013-14 में अनुमानित विकास दर 4.9 फीसदी

- नीतिगत अवरोध नहीं

- एक दशक में 10 करोड़ नौकरियों का सृजन होगा

- 19 तेल ब्लॉक आवंटित

- सात नए हवाईअड्डे निर्माणाधीन

- थोक महंगाई दर 5.05 फीसदी

- प्रमुख क्षेत्रों की महंगाई दर तीन फीसदी

- 2013-14 में खाद्यान्न उत्पादन अनुमानित 26.3 करोड़ टन

- मौजूदा कारोबारी साल में निर्यात अनुमानित 326 अरब डॉलर

- मौजूदा कारोबारी साल में 29,000 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन बढ़ा

- हमारे सामने मौजूद समस्या आज उभरती अर्थव्यवस्थाओं की आम समस्या है

- वैश्विक अर्थव्यवस्था से भारत अप्रभावित नहीं रह सकता

- वित्तीय घाटा 4.6 फीसदी

- चालू खाता घाटा 45 अरब डॉलर

- विदेशी पूंजी भंडार में 15 अरब डॉलर वृद्धि की उम्मीद। (एजेंसी इनपुट के साथ)


सुधार केंद्रित बजट!

संपादकीय /  February 17, 2014


वर्ष 2011-12 में पी चिदंबरम के वित्त मंत्री का पद दोबारा संभालने के पहले राजकोषीय घाटा 5.16 लाख करोड़ रुपये था। लोकसभा में पेश बजट में चिदंबरम ने अगले वर्ष के बजट घाटे के मामूली बढ़ोतरी के साथ 5.29 लाख करोड़ रुपये रहने की बात कही थी। तीन साल की अवधि (वर्ष 2012-15) के दौरान हमारा औसत आर्थिक विकास सन 1990 के बाद की किसी भी तीन वर्षीय अवधि के लिहाज से न्यूनतम रहा और इस अवधि में सरकार के राजस्व के 55.3 फीसदी तथा खर्च के 33.7 फीसदी की गति से बढऩे की बात कही गई। इस तरह घाटा दिखाने में कमी आई और वह जीडीपी के मुकाबले 5.7 फीसदी से घटकर 4.1 फीसदी हो गया। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है और वित्त मंत्री के राजकोषीय सुधार की ओर संकेत करती है। यह मानना होगा कि उपरोक्त गणित राजस्व वृद्घि को लेकर कुछ महत्त्वाकांक्षी आकलन पर आधारित है। अगले वर्ष के लिए 19 फीसदी का लक्ष्य तय किया गया है जो पिछले कुछ सालों के दौरान कर कटौती वाले सालों में कभी हासिल नहीं किया गया।  जीडीपी की वृद्घि के 6फीसदी रहने का आकलन भी थोड़ा आशावादी है। आखिर में, चूंकि भुगतान में देरी की वजह से सब्सिडी भुगतान का आकलन नहीं किया गया है इसलिए उसका आकार भी जीडीपी के एक फीसदी के बराबर हो सकता है। इन बातों से राजकोषीय सुधार की चमक थोड़ी कम होती है। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि सरकार को 75,000 करोड़ रुपये के बजटीय खर्च का भी ध्यान रखना चाहिए जो इस वर्ष कर संग्रह में और विनिवेश प्रक्रिया में होने वाली भारी कमी की भरपाई के लिए मुहैया कराया गया था। एक खतरा यह भी है कि प्रतिबद्घ वित्त मंत्री ने खर्च पर जो अनुशासन लगा रखा था वह आने वाले दिनों में छू मंतर हो सकता है। चूंकि चिदंबरम ने अपने बजट भाषण का अधिकांश पिछले 10 वर्षों के दौरान हुए सुधार की बातों में गुजारा इसलिए वृहद आर्थिक आंकड़ों पर भी उसी नजरिये से ध्यान देना उचित होगा। मौजूदा सरकार ने 10 साल पहले जब काम संभाला था तब राजकोषीय घाटा 4.4 फीसदी था और आज वह 4.6 फीसदी से ज्यादा है।

इस सरकार को चालू खाता अधिशेष की स्थिति में मिला था जबकि इस वर्ष यह 2.5 फीसदी घाटे में रहा है। इस कमी को कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी बढ़ोतरी से समझा जा सकता है। वर्ष 2004 में यह 38 डॉलर प्रति बैरल थी और अब बढ़कर 108 डॉलर हो चुकी है। ऐसे में सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। हां, यह कहा जा सकता है कि अगर पेट्रोलियम सब्सिडी बढऩे न दी गई होती तो मांग को नियंत्रित किया जा सकता था। उदाहरण के लिए एक दशक में केरोसिन की कीमत में खास बदलाव नहीं आया है जबकि मूल्य आपूर्ति और मूल्य संबंधी सुधारों को राहुल गांधी ने ही खत्म किया था।

आखिर में मुद्रास्फीति के मामले में भी इस सरकार का प्रदर्शन बहुत खराब रहा। वर्ष 2003-04 में खुदरा महंगाई जहां 3.8 फीसदी थी वहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल के दौरान 10 फीसदी से अधिक की औसत महंगाई को तेल कीमतों अथवा खाद्यान्न खरीद मूल्य में इजाफे से नहीं समझा जा सकता। संक्षेप में कहें तो चिदंबरम की वित्त मंत्रालय में वापसी के बाद जो सुधार हुए हैं उससे कहीं ज्यादा अपेक्षित थे। इन आंकड़ों से इतर बजट का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू है वाहन क्षेत्र, पूंजीगत वस्तुओं तथा कुछ अन्य क्षेत्रों में की गई कटौती। यह कहकर इनका बचाव बहुत आसानी से किया जा सकता है कि ये उन क्षेत्रों में विकास के लिए आवश्यक हैं जहां मांग में कमी है।  बहरहाल, यह बात ध्यान में रखनी होगी कि हर बार जब वित्त मंत्री ऐसी तदर्थ कटौती करते हैं तब वह एकीकृत कर दर से थोड़ी और दूरी बना लेते हैं जबकि वह प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर की आत्मा है। जाहिर है इस बजट के साथ वस्तु एवं सेवा कर की ओर कदम बढ़ाना थोड़ा और मुश्किल हो गया है। खासतौर पर स्पोट्र्स यूटिलिटी व्हीकल्स (एसयूवी) के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती का तो कोई बचाव संभव ही नहीं हैं क्योंकि ये वाहन मिनी ट्रक के समान हैं और ईंधन की अत्यधिक खपत करते हैं।

जहां तक प्रशासनिक ढांचे की बात है तो सबसे बड़ा बदलाव है सरकार द्वारा केंद्रीय योजना से राज्य योजना में 2 लाख करोड़ रुपये का स्थानांतरण। स्कूली शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास तथा ग्रामीण विकास की भारी योजनाओं को पूरी तरह केंद्र से राज्यों को हस्तांतरित कर दिया गया है। यह केवल लेखा संबंधी बदलाव नहीं है हालांकि पैसा अभी भी केंद्र की ओर से ही राज्यों को सौंपा जाएगा। अब कार्यक्रमों के लचीलेपन और उनके गठन में राज्यों को ज्यादा सुविधा होगी। खर्च करने की शक्तियों के हस्तांतरण की बात की जाए तो यह पिछले कई सालों में सबसे बड़ा बदलाव है और इसका पूरी तरह स्वागत किया जाना चाहिए। केंद्र अभी यह दिशानिर्देश देना जारी रखेगा कि पैसे को कैसे खर्च किया जाए लेकिन इसे तैयार करने में राज्यों की बात सुनी जाएगी। विभिन्न राज्य अपनी जरूरतों के हिसाब से उनका निर्माण करवा सकेंगे।

बिजनेस स्टैंडर्ड


यूपीए-3 का इकनॉमिक रोडमैप पेश कर गए चिदंबरम?



वित्तीय घाटा कम करने की कोशिश आमदनी और खर्च के बीच का घाटा वित्तीय घाटा होता है। चालू वित्त वर्ष में इसके जीडीपी की तुलना में 4.6 प्रतिशत रहने की संभावना है। साल 2016-17 तक इसे 3 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य है।


चालू खाते का घाटा जितनी विदेशी मुद्रा बाहर जाती है और जितनी देश में आती है, उसके अंतर को चालू खाते का घाटा कहा जाता है। इस साल सरकार द्वारा इसको 45 अरब डॉलर से कम रखने में सफल रहने का अनुमान है।

महंगाई पर नरमी, विकास पर जोर चिदंबरम ने महंगाई कम करने पर जोर दिया, मगर उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक विकास दर को बढ़ाना भी जरूरी है। साफ है कि विकास दर में तेजी के लिए यूपीए कुछ हद तक महंगाई में तेजी को भी बर्दाश्त करेगी।


मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर यूपीए सरकार का जोर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ाने पर रहेगा। चिदंबरम ने कहा कि इस सेक्टर को मजबूत किए बिना विकास की गाड़ी को रफ्तार नहीं दी जा सकती है।


सब्सिडी पर नजर चिदंबरम ने कहा कि यह देखा जाएगा कि किसको सब्सिडी की असल जरूरत है। उसी के आधार पर सब्सिडी तय की जाएगी।


शहरीकरण यूपीए सरकार को लग रहा है कि गांवों के साथ अब शहरों का विकास भी जरूरी है। यही कारण है कि यूपीए सरकार की भविष्य की योजना शहरों का विकास है।


बजट भाषण के दौरान चिदंबरम ने किया मोदी पर कटाक्ष

नवभारतटाइम्स.कॉम | Feb 17, 2014, 03.47PM IST

नई दिल्ली

वित्त मंत्री पी. चिदंबरम सोमवार को अंतरिम बजट पेश करते हुए बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करना नहीं भूले। चिदंबरम ने मोदी को पिछले दिनों उनके उस बयान का जवाब दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि जरूरी नहीं है कि हावर्ड में पढ़कर आने वाले में देश की अर्थव्यवस्था को ठीक से संभालने की काबिलियत हो। गौरतलब है कि चिदंबरम हावर्ड में पढ़े हैं।


जानिए चिदंबरम के बजट की खास-खास बातें


चिदंबरम ने बजट भाषण के दौरान मोदी का नाम लिए बगैर इसका जवाब देते हुए कहा कि मेरी मां और हावर्ड यूनिवर्सिटी ने मुझे कठिन परिश्रम की शिक्षा दी है। उन्होंने कहा कि हावर्ड ने उन्हें हार्ड वर्क करना ‍सिखाया है।

क्या कहा था मोदी नेः मोदी ने पिछले हफ्ते चेन्नै में कहा था कि चिदंबरम के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था गिरावट के मामले में नए स्तर पर पहुंच गई है। उन्होंने गुजरात के विकास की मिसाल देते हुए कहा था, 'हावर्ड जाने का कोई मतलब नहीं। मायने रखता है कड़ी मेहनत, किसी व्यक्ति ने एक सामान्य विद्यालय में पढ़ाई की, चाय बेची और हावर्ड का दरवाजा भी नहीं देखा उसने दिखा दिया कि अर्थव्यस्था कैसे संभाली जाती है।'

The government today said the fiscal deficit for the current financial year will be contained at 4.6 per cent of GDP.On the other hand,Prices of automobiles, including cars, sports utility vehicles and two-wheelers, are set to come down with Finance Minister P Chidambaram on Monday announcing a reduction in excise duty in the interim Budget.However,Finance minister P Chidambaram on Wednesday exuded hope that the economy will return to a high growth trajectory by 2017.


Most private analysts have predicted muted economic growth in the current fiscal hovering in the range of 5 per cent.

Mind you, on first April last year,Chidambaram targeted controversial move on FDI despite massive opposition in India.

India's economy is capable of absorbing $50 billion in foreign direct investment (FDI) per year,the nation's Finance Minister P. Chidambaram said,adding that the government is committed to reforms to tackle a large current account deficit.Addressing a news conference during a visit to Tokyo promoting India as investment destination,Chidambaram also reiterated that growth in Asia's third-largest economy was expected to accelerate in the current fiscal year to March 2014.



"The slowdown reflects a worldwide trend. As the global economy recovers and as our new measures take effect, I am confident that the Indian economy will also get back, step by step, to the high growth path within three years," he said at the valedictory session of Petrotech 2014.

But for that to happen, he said, India would need to adhere to a three-pronged agenda: raise income, cut spending, stick to fiscal deficit correction. "We are aware that growth can be secured only on a strong financial foundation.  We are aware of the need to raise adequate resources, expend them wisely, and remain within prudent fiscal limits," he said, adding that the fiscal deficit in the ongoing financial year would be contained at the targeted level.

Chidambaram's comments come days before the advance estimate for GDP growth in 2013-14 are released by the Central Statistics Office (CSO) on February 7. Most private analysts have predicted muted economic growth in the current fiscal hovering in the range of 5 per cent.

The CSO is also expected to release revised estimates of GDP growth in 2012-13 and Chidambaram expressed hope that it would be better than the earlier forecast. The Indian economy is estimated to have grown at 5 per cent in the previous fiscal, lowest in a decade.

Chidambaram, who is set to present an interim Budget next month, also stressed on the need for fiscal prudence and announced that the current account deficit would be contained at $50 billion in 2013-14.

"Our efforts to contain the CAD have yielded splendid results.  Last year, we faced a daunting number of $88 billion…Therefore, we were constrained to take some hard measures, including conservation, and these measures have helped us contain the CAD.  I am glad to be able to say that the CAD in the current year will be approximately $50 billion," Chidambaram said.

Chidambaram urged for an energy security that would assist India's growth rate since the developing nation would remain an energy deficit country for many more years.


"Let me begin with the good news. Fiscal deficit for 2013-14 will be contained at 4.6 per cent of GDP, well below the red line that I had drawn last year," Finance Minister P Chidambaram said in the interim budget presented in Parliament.

The fiscal deficit, which is the gap between expenditure and revenue, was 4.9 per cent of GDP in the previous financial year.

After talking over as Finance Minister in August 2012, Chidambaram had drawn up a financial consolidation road map to lower the fiscal deficit to 4.8 per cent of GDP in 2013-14, 4.2 per cent in 2014-15 and 3.6 per cent in 2015-16.

He said the government's objectives included fiscal consolidation, reviving the growth cycle and enhancing manufacturing.

The minister had on several occasions said he had drawn a red line for the fiscal deficit and it would not be breached.

As per current indications, the fiscal deficit has come down mainly on account of expenditure compression and higher realisation from the 2G spectrum auction.

The Finance Minister also said GDP growth has improved and will be 4.9 per cent for the current financial year.

Economic growth had slowed to a decade's low of 4.5 per cent in 2012-13.


Prices of automobiles, including cars, sports utility vehicles and two-wheelers, are set to come down with Finance Minister P Chidambaram on Monday announcing a reduction in excise duty in the interim Budget.

"To give relief to the automobile industry, which is registering unprecedented negative growth, I propose to reduce excise duty," Chidambaram said.

Excise duty for small cars, scooters, motorcycles and commercial vehicles will come down to 8 per cent from 12 per cent earlier.

SUVs will attract excise duty of 24 per cent as against 30 per cent earlier.

Excise duty on large cars will now be 24 per cent compared with 27 per cent earlier, while the duty on mid-sized cars will go down to 20 per cent from 24 per cent previously.

The excise duty cut will be applicable up to June 20, 2014.

Annual car sales in India declined for the first time in 11 years in 2013, posting a 9.59 per cent dip, as the auto industry reeled under a prolonged demand slump due to the economic slowdown.

According to the Society of Indian Automobile Manufacturers, domestic car sales last year fell to 18,07,011 units from 19,98,703 units in the previous year.

The slump in sales continued in January as car sales fell for the fourth straight month with a decline of 7.59 per cent to 1,60,289 units from a year earlier.

While industrial growth contracted for three consecutive months through December, good monsoon rains in 2013 were a good news for  the agricultural sector, which has about 15 per cent share in the GDP.


Interim budget highlights: Chidambaram makes no change in tax laws, excise duty on small cars reduced

Finance Minister P Chidambaram on Monday presented the interim Budget amid chaos in the Parliament.

Here are the highlights of the Interim Budget 2014-15:

# RBI must strike a balance between growth and moderating inflation:Chidambaram

# Excise duty on SUVs cut from 30 to 24 pc, in large and mid-segment cars from 27-24 pc to 24-20 pc: Chidambaram

# Blood banks to be exempt from service tax: Chidambaram

# Revenue deficit estimated at 3 pc for current fiscal.

# Service tax relief storage for warehousing for rice.

# Excise duty on small cars, motorcycles and SUVs reduced.

# Excise duty cut from 12 to 10 per cent in capital goods sector to stimulate growth.

# No changes in tax laws in interim budget.

# 140 million moved out of poverty during the Government of UPA I and II

# Government has obtained information in 67 cases of illegal offshore accounts of Indians.

# Finance Minister says neither populism, nor majoritism is a way for governance

# Moratorium on interest on student loans taken before March 31, 2009; to benefit 9 lakh borrowers.

# Social Justice Ministry gets Rs 6730 crore; Panchayati Raj Ministry Rs 7000 crore, says FM.

# Minority bank accounts have swelled to 43,53,000 by 2013-14 from 14,15,000 bank accounts 10 years ago.

# I am disappointed that we could not introduce GST: FM

# We must focus on manufacturing, specially manufacturing for exports: Chidambaram

# The excise duty reduced for small cars from 12% to 8%l; for SUVs from 30% top 24%.

# Social Justice Ministry gets Rs 6730 crore; Panchayati Raj Ministry Rs 7000 crore: Chidambaram

# I wonder how many have noted the fact the Indian economy is 11th largest in the world: Chidambaram

# Focus should be on PPPs in infra sector; for the flagship programmes, the states should come forward and contribute: FM

# 1,200 crore rupees additional assistance to N-E states to be released before end of the year: FM

# Chidambaram proposes to set up research funding organisation for funding research in science; contribution to this shall be exempt from tax.

# Rs 6000 crore to rural housing fund, Rs 2000 crore for urban housing fund

# We must focus on manufacturing, and manufacturing for export; with minimum tariff protection: Chidambaram

# Top areas of priority: fiscal consolidation; CAD; high growth with moderate level of inflation; time table for passing legislation.

# Rs 500 crore estimated requirement for implementing one-rank-one-pay scheme for armed forces in 2014-15.

Nearly 9 lakh student borrowers will benefit through the moratorium on repayment of student loans:  Chidambaram

# Food subsidy will be Rs 1,15,000 crore for implementation of National Food Security Act.

# Budgetary support to Railways increased from Rs 26,000 crore to Rs 29,000 crore 2014-15: Chidambaram

# Aadhaar is tool for empowerment: FM

# Rs 3,370 crore to transferred to 2.1 crore LPG users; Govt committed to Aadhaar-based LPG transfer but scheme on hold temporarily: Chidambaram

# 41,16,000 women have been provided credit through SHGs: Chidambaram

# Bank accounts for the minorities have increased during ten years of UPA I and II. Banks have rendered yeoman service in reaching government programmes to various sections: Chidambaram

# The allocation for the Defence Ministry has been increased to Rs. 2,24,000 crores: Chidambaram

# Happy to announce that the Govt has accepted the principle of 'one rank of pay' for the defence forces. Rs 500 crore will be transferred for 2014-15 for implementing the 'one rank one pay' decision: Chidambaram

# Budgetary support to railways has been increased to Rs. 29,000 crore: Chidambaram

# Chidambaram for Ministry of Housing and Poverty Alleviation- Rs 6000 crore; Rs. 21,000 cr to Ministry of WCD; Ministry of HRD gets Rs 67,398 crore; Drinking water and sanitation ministry gets Rs 15,260 crore; Social Justice and Empowerment gets Rs 6730 crore

# Railways need to mobilise support through market borrowing: Chidambaram

# Rs 1,000 crore grant for Nirbhaya Fund will be non-lapsable; another Rs 1,000 crore to be given next fiscal:  Chidambaram

# Rs 1,200 crore additional assistance to N-E states to be released before end of the year: Chidambaram

# National Solar Mission to undertake 4 ultra mega solar power projects in 2014-15: Chidambaram

# 500 MW fast breeder nuclear reaction in Kalpakkam to be ready shortly; 7 nuclear power reactors under construction: Chidambaram

# PSUs to achieve record capex of Rs 2,57,645 crore in 2013-14

# Average growth under UPA's ten year rule was 6.2 per cent against 5.9 during NDA period of 1999-2004

# Average growth under UPA-I was 8.4 per cent and UPA-II 6.6 per cent.

# The IT modernisation project of the Dept of Posts will be operational soon: Chidambaram

# More than 54 lakhs transactions have been put through, through the DBT scheme: Chidambaram

# The govt remains fully committed to the Aadhar for financial inclusion: Chidambaram

# Chidambaram promises to grant Rs 1000 crore to the Nirbahya Fund for next year

# The NE states, HP and Uttarakhand deserve special attention: Chidambaram

# I reject the argument of policy paralysis: Chidambaram.

# Govt has approved the National Agro Forestry Policy which will enhance employment: Chidambaram

# The Kalpakkam nuclear reactor is nearing completion: Chidambaram

# Expenditure on education has risen from Rs 10,145 crore 10 years ago to Rs 79,251 crore this year: Chidambaram

# Declining fiscal deficit, moderation of CAD, stable exchange rate and increase in project implementation result of hardwork: Chidambaram

# Power capacity rises to 234,600 MW in 10 years: Chidambaram

# GDP growth rate in Q3 and Q4 of 2013-14 will be at least 5.2 pc: Chidambaram

# Three more industrial corridors – Chennai-Bangalore, Bangalore-Mumbai, Amritsar-Kolkata -

under various stages of implementation: Chidambaram

# Merchandise export to grow by 6.8 pc to USD 326 billion: Chidambaram

# 296 projects worth Rs 6,60,000 crore cleared by Cabinet Committee on Investment by end January 2014: Chidambaram

# 8 national manufacturing zones have been approved along the Delhi-Mumbai corridor: Chidambaram

# CAD will be USD 45 billion in 2013-14: Chidambaram

# Agriculture credit will cross USD 45 billion against USD 41 billion in 2012-13: Chidambaram

# Foodgrain production estimated at 263 million tons in 2013-14: Chidambaram

# We acted with the RBI to fight inflation: Chidambaram

# Fiscal deficit to be contained at 4.6 pct of GDP in 2013-14: Chidambaram

# We will add forex exchange of USD 15 billion: Chidambaram

#  Imports are down and this does not augur well for manufacturing and trade: Chidambaram

# We shall not do anything that will affect the foundation of India's economy: Chidambaram

# Chidambaram's speech disrupted by ministers over Telangana issue. Lok Sabha speaker Meira Kumar asks members not to shout. "Last few days left, don't obstruct."

(With PTI inputs)

Express News Service


केन्द्रीय वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने 5,55,322 करोड़ रूपए के योजना व्‍यय और 12,07,892 करोड़ रूपए के अनुमानित गैर-योजना व्‍यय वाला वर्ष 2014-15 का केन्द्रीय अंतरिम बजट आज लोकसभा में प्रस्तुत किया। बजट में चालू वित्‍त वर्ष में 4.6 प्रतिशत का वित्‍तीय घाटा और 3.3 प्रतिशत राजस्‍व घाटा होने से स्‍थिति संतोषजनक रहने का दावा किया गया है। चिदंबरम के मुताबिक वर्ष 2014-15 में वित्‍तीय घाटा और राजस्‍व घाटा क्रमश: 4.1 प्रतिशत और 3 प्रतिशत रहेंगे।

वित्त मंत्री ने लोकसभा में बताया कि आगामी वित्‍तीय वर्ष के लिये खाद्य, उर्वरक और ईंधन, सब्‍सिडी 2013-14 के संशोधित अनुमानों से थोड़ी सी अधिक है। उन्‍होंने यह जानकारी दी कि ईंधन सब्‍सिडी के लिये 65 हजार करोड़ रूपए उपलब्‍ध कराए गये हैं। पूरे देश में राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू करने के लिये यूपीए सरकार की पूर्ण प्रतिबद्धता को ध्‍यान में रखते हुए खाद्य सुरक्षा के लिये 115,000 करोड़ रूपए आवंटित किये गये हैं। रक्षा आवंटन में 10 प्रतिशत बढ़ोत्‍तरी की गयी है। उन्‍होंने जानकारी दी कि 224,000 करोड़ रूपए सुरक्षा के लिये आवंटित किये गये हैं जबकि पिछले बजट में यह राशि 203,672 करोड़ रूपए थी।

सार्वजनिक क्षेत्र की चार गैर-जीवन बीमा कंपनियों ने 10,000 अथवा उनसे ज्‍यादा की जनसंख्‍या वाले कस्‍बों और ग्रामीण क्षेत्रों में 1,849 कार्यालय खोले हैं। पी. चिदंबरम ने इसकी जानकारी देते हुये बताया कि 10,000 अथवा उनसे ज्‍यादा की जनसंख्‍या वाले कस्‍बों और ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन बीमा निगम ने 1,252 कार्यालय खोले हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की गैर-जीवन बीमा कंपनियां अपने निर्धारित लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिये निरंतर आगे बढ़ रही हैं।

सरकार ने रक्षा बलों के लिये एक रैंक एक पेंशन योजना को कार्यान्वित करने के लिये वर्तमान वित्‍त वर्ष में रक्षा पेंशन खाते के लिये 500 करोड़ रुपये का आबंटन किया है। अंतरिम बजट भाषण के दौरान इसकी घोषणा करते हुये वित्‍त मंत्री श्री चिदंबरम ने कहा कि यह निर्णय वित्‍त वर्ष 2014-15 से भविष्‍यलक्षी प्रभाव से कार्यान्वित किया जायेगा।

वित्‍त मंत्री ने कहा कि सरकार ने प्रत्येक रैंक से सेवानिवृत्‍त होने वाले व्‍यक्तियों की पेंशन में अंतर को समाप्‍त करने का निर्णय लिया है। उन्‍होंने कहा कि रक्षा सेवाओं में एक रैंक एक पेंशन (ओआरओपी) की मांग लम्‍बे समय से थी और यह एक भावनात्‍मक मुद्दा भी रहा है।

अंतरिम बजट 2014-15 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी निवेश के लिये 11,200 करोड़ रूपये आबंटित किये गये हैं। चिदम्‍बरम ने यह घोषणा भी की।

वित्‍त मंत्री ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अब तक 5207 शाखाएं खोली हैं तथा बैंक प्रत्‍येक शाखा में एटीएम लगाने के लक्ष्‍य के निकट हैं। श्री चिदम्‍बरम ने कहा कि बैंकों ने आश्‍वासन दिया है कि वे अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार के साथ अनुपादक परिसम्‍पत्ति को नियंत्रित करने, अधिक ऋण वसूली तथा बेहतर तुलन-पत्र बनाने में सफल होंगे।

Interim Budget 2014: Chidambaram woos middle class with duty sops on automobiles

With economy reviving, Chidambaram expressed confidence of achieving a 6 per cent GDP growth next fiscal.A man watching the presentation of Interim Budget 2014 by Finance Minister P.Chidambaram in Parliament, at a Tv showroom in Mumbai on Monday. (PTI Photo)


In sops to middle-class ahead of the elections and to boost manufacturing, the Interim Budget Monday slashed excise duty on cars and two- wheelers, capital goods and consumer non durables and acceptance of long standing demand of one-rank-one-pension for ex-servicemen.
Presenting the Budget in the Lok Sabha, Finance Minister P Chidambaram did not propose to make changes in the tax laws except to continue the 10 per cent income tax surcharge on 'super-rich' individuals and up to 5 per cent on corporates.
"In keeping with the conventions, I do not propose to make any announcements regarding changes to tax laws," he said in UPA-II's last budget that sought to provide sops in indirect taxes including reliefs in service tax to storage and warehousing of rice and blood banks.
The revenue sacrifice on account of indirect tax concessions would be Rs 300 to Rs 400 crore in the 40 days remaining in the current fiscal. But a pick up in the demand and sale of products in these sectors would make up for the loss of revenue, he said in his post-Budget press briefing.
On continuance of the tax on 'super-rich' and corporates, he said he has left it to the new government to review the impost that was slapped in the last budget.
The concessions will be valid up to June 30 and can be reviewed by the new Government.
In a major relief to ex-servicemen who have been demanding one-rank-one-pension for long, the Minister announced that the government has accepted it in principle for which an allocation of Rs 500 crore has been made.
The concessions aimed at the middle-class and to boost the automobile sector that has been registering a negative growth, include a slashing of excise duty from 12 to 8 per cent on small cars, motor cycles, scooters and commercial vehicles and 6 per cent cut to 24 per cent on SUVs.
Large and middle segment cars will attract an excise duty of 24/20 per cent, reduced from 27/24 per cent. Appropriate reductions will also be made in the excise duty on chassis and trailers.
To stimulate growth in capital goods and consumer non-durables, the Budget proposed to reduce the excise duty from 12 to 10 per cent on all goods falling under Chapter 84 and 85 of the Schedule to the Central Excise Tariff Act.
The other populist measures include continuation of interest subvention scheme for farm loans and a moratorium period for education loans taken before March 31, 2009 to benefit 9 lakh students. The interest moratorium for students will amount to Rs 2,600 crore.
the elections, Chidambaram said, "My intention was not to please anyone. I wanted to talk to the people directly that we are going through a turbulent phase in the economy."
The allocation for Defence for the coming year has been enhanced by 10 per cent from Rs 2,03,672 crore in Budget estimate of 2013-14 to Rs 2,24,000 crore in 2014-15.
Non-plan expenditure estimated at Rs 12,07,892 crore. Of this expenditure on food, fertiliser and fuel subsidy will be Rs 2,46,397 crore, which will be slightly more than the revised estimate of Rs 2,45,452 crore in 2013-14.
Giving Budget estimates, the Minister said the current financial year will end on a satisfactory note with the fiscal deficit at 4.6 per cent, below the red line of 4.8 per cent, and the revenue deficit at 3.3 per cent.
The fiscal deficit for 2014-15 has been pegged at 4.1 per cent, which will be below the target of 4.2 per cent set by the new fiscal consolidation path. Revenue deficit is estimated at 3 per cent.
With the economy reviving, Chidambaram expressed confidence of achieving a 6 per cent GDP growth next fiscal.
Justifying the excise duty reliefs, Chidambaram said, "The current economic situation demands some interventions that cannot wait for the regular Budget. In particular, the manufacturing sector needs an immediate boost."
To encourage domestic production of mobile handsets, he restructured the excise duty for all categories fixing it at 6 per cent with CENVAT credit or 1 per cent without CENVAT credit.
Customs duty structure on non-edible grade industrial oils and its fractions, fatty acids and fatty alcohols has been pegged at 7.5 per cent to encourage to domestic production of soaps and oleo chemicals.

Asked whether the sops were intended to be populist ahead of the elections, Chidambaram said, "My intention was not to please anyone. I wanted to talk to the people directly that we are going through a turbulent phase in the economy."

The allocation for Defence for the coming year has been enhanced by 10 per cent from Rs 2,03,672 crore in Budget estimate of 2013-14 to Rs 2,24,000 crore in 2014-15.

Non-plan expenditure estimated at Rs 12,07,892 crore. Of this expenditure on food, fertiliser and fuel subsidy will be Rs 2,46,397 crore, which will be slightly more than the revised estimate of Rs 2,45,452 crore in 2013-14.

Giving Budget estimates, the Minister said the current financial year will end on a satisfactory note with the fiscal deficit at 4.6 per cent, below the red line of 4.8 per cent, and the revenue deficit at 3.3 per cent.

The fiscal deficit for 2014-15 has been pegged at 4.1 per cent, which will be below the target of 4.2 per cent set by the new fiscal consolidation path. Revenue deficit is estimated at 3 per cent.

With the economy reviving, Chidambaram expressed confidence of achieving a 6 per cent GDP growth next fiscal.

Justifying the excise duty reliefs, Chidambaram said, "The current economic situation demands some interventions that cannot wait for the regular Budget. In particular, the manufacturing sector needs an immediate boost."

To encourage domestic production of mobile handsets, he restructured the excise duty for all categories fixing it at 6 per cent with CENVAT credit or 1 per cent without CENVAT credit.

Customs duty structure on non-edible grade industrial oils and its fractions, fatty acids and fatty alcohols has been pegged at 7.5 per cent to encourage to domestic production of soaps and oleo chemicals.



The Economic Times

Vote on Account 2014: Top 5 takeaways for markets from FM's interim Budget


Finance minister P Chidambaram presented interim budget for FY2014-15 on Monday ahead of the general elections due in the next three months, which is widely expected to set the tone for the stock markets in the near term. The budget remained more or less a non-event. Read more here: http://ow.ly/tGXZ4 | ET Budget Special:http://ecoti.ms/voteonaccount

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ndia Today

Interim Budget: Experts give thumbs up to cut in excise duty


http://indiatoday.intoday.in/story/interim-budget-2014-excise-duty-experts-p-chidambaram/1/344014.html

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Navbharat Times Online

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके अरविंद केजरीवाल का नरेंद्र मोदी पर हमला जारी है। अब उन्होंने मोदी की खामोशी पर पूछ लिया एक सवाल। पढ़िए पूरी खबर...http://nbt.in/anDafY


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‪#‎NaMo‬ ‪#‎Kejriwal‬ ‪#‎AAP‬

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India Today

Interim Budget 2014: Cars, phones cheaper but no change in taxes

http://indiatoday.intoday.in/story/interim-budget-2014-chidambaram-lok-sabha-upa/1/343917.html

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Ak Pankaj updated his cover photo.
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Aam Aadmi Party

Dear BJP, Do you have the guts..?


To stand up against the price hike?


To stand up against Reliance?


To stand up for the Nation?


To stand up for the people?


Whether you do it or not.


"We Will".

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Marxistindia

news from the cpi(m)

February 17, 2014




Press Statement




The Polit Bureau of the Communist Party of India (Marxist) has issued the following statement:




On the Interim Budget




The Finance Minister's Speech presenting the Interim Budget for 2014-15 was more of a political statement aimed at the forthcoming elections rather than an effort to overcome the current challenges faced by the Indian Economy. On the contrary the manner in which the economy has been managed suggests the worsening of our economic fundamentals. This will mean imposing further burdens on the people who are already groaning under severe hardships, through continued price rise and contraction of employment opportunities.




The GDP growth rate has been estimated at 4.8 % and could grow up to 4.9 %. Agricultural growth is estimated at 4.6%. This means that the non-agricultural economy has stagnated at best.




The claim that there has been a fiscal consolidation with the fiscal deficit pegged at 4.6% of the GDP below the estimated 4.8% is untenable. This has been achieved by a gross reduction in budgetted expenditure, particularly in social sectors.  The revised estimates show the total Central plan outlay is Rs. 66,000 crores less than the budgetary estimates. The budgetary support for the Central plan was Rs 63,575 crores less. Likewise the central assistance for plan expenditure for states and Union Territories was Rs. 17,215 crores less. Thus, the fiscal deficit has been contained through a severe squeeze in expenditures. In other words, through a budgetary contraction of the economy the announced nominal increase in major subsidies is actually less in real terms if the inflation rate is taken into account. It is at the same proportion of 12% as in 2013-14 budget. All these means that over 2013-14, job opportunities have shrunk significantly.




This fall in employment combined with the rise in prices of essential commodities will impose further severe burdens on the people. The Consumer Price Index for food items continues to hover around double digits.




The cut in excise duties in order to give a boost to the manufacturing sector, particularly, the automobile sector can only be very transient unless the domestic demand rises significantly. On the contrary, the efforts of fiscal consolidation have led to sharp contraction of domestic demand. The announcement of further reduction of tariff protection will affect the domestic manufacturing sector adversely.




The emphasis on containing the Current Account Deficit (CAD) through attracting greater foreign investments and not through restricting unnecessary luxury imports is bound to make the Indian Economy further vulnerable to international speculative capital flows. In fact the marginal success in containing the burgeoning CAD has been mainly through hike in the import duties on gold. Overall, instead of expanding public investment thus expanding employment generation leading to a growth in domestic demand which in turn would provide the required impetus to revive the manufacturing sector and propel industry growth, this Interim Budget only compounds the crisis by contracting the economy and imposing greater burdens on the people.




In the global situation of continued economic crisis, the anticipation of further foreign capital inflows is not merely unrealistic but would mean a slew of measures for attracting foreign capital, undermining domestic manufacturing and further mortgaging India's economic sovereignty.




In fact, the crisis in the Indian economy which is destined to further compound, is not due to any policy paralysis. It is due precisely due to the policy of appeasing international finance capital at the expense of undermining India's domestic economic fundamentals and imposing greater burdens on the people.



Sunil Sardar

With farmers their struggle.

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Rajiv Nayan Bahuguna

एक पुरानी पोस्ट का पुनर्पाठ

रटंत विद्या

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ज़िशांद के नवाब साहब मुकरी बायीं के कोठे पर तशरीफ लाये . शौकीन तबीयत इंसान थे . आना - जाना बना रहता था . बायीं भी जयपुर की मानी - जानी राक्क़सा थीं . तयायाफों की नूर . जो सुर गले में थे वही हुस्न का तडका सरा - पा . बड़े बड़े नवाब , राजे , यहाँ तक की अँगरेज़ हाकिम - हुक्काम भी उनके घुंघरुओं पर अशर्फियों के थाल उंडेल जाते . नवाब साहब ने बैठक में मसनद पर पीठ टिकाई ही थी कि पिंजड़े में तोता चहक उठा - हुजूर आज तो बहुत दिन बाद तशरीफ़ लाये . बायीं साहब अभी गुसल फरमा रही हैं , आती ही होंगी . हुजुर की खिदमत में क्या पेश किया जाये , शरबत या शीराज़ी ? आनन् - फानन बायीं भी आ पंहुची . आदाब बजा कर अर्ज़ किया - हुजूर एक ठुमरी नयी हुयी है , पेश करती हूँ . तोते पर फ़िदा हुए नवाब साहब बोले - बायीं आज तो रहने ही दो . फिर कभी , आज तो हम इस तोते को ले जायेंगे . तवायफ ने लाख समझाया - तवायफ का तोता है हुज़ूर , आपके मतलब का नहीं . अपने काम के हिसाब से सिखाया है . पर तोते पर फ़िदा नवाब बोले - नहीं, मुंह मांगी रकम लेलो पर तोता तो लेके रहेंगे . तावायाफ़ ने सोचा ज्यादा जिद की तो यह कमबख्त जबरन ले जाएगा . जो आपकी मर्ज़ी सरकार . रास्ते भर तोते ने खूब दिल चस्पी की - हुजूर की आँखें एकदम जाने- आलम नवाब वाजिद अली शाह की मानिंद हैं . हुजुर एक रोज़ तख्ते- दिल्ली पर ज़रूर तशरीफ़ फरमा होंगे .

महल में बेगमो की भी तोते ने तारीफ़ के पुल बाँध दिए . ससुबह - सुबह चार बजे एक बांदी बद हवास नवाब के ख्वाब गाह में दाखिल हुयी - हुजूर जल्दी तशरीफ़ ले चलिए , उस नामुराद तोते ने कहरढा दिया . तहमद में ही नवाब अपने रनिवास पन्हुंचे तो देखते क्या हैं की तोता रट लगाए जा रहा है - अरी रंडियों जल्दी उठो , बालों को कंघा करो , सुबह हो गयी है . सड़कों पर ट्रकों की आवा जाही शुरू हो गयी . ग्राहक आने वाले हैं . नवाब की पट रानी की और ख़ास इशारा कर बोला - ऐ रांड , तू क्या किसी महारानी की तरह टांग फैलाए बैठी है . चल जल्दी तैयार हो . कमाएगी नहीं तो खायेगी क्या ? बेगमों का रो रो कर बुरा हाल था . नवाब ने हैरान होकर तोते को डांट बतायी - क्या बकता है बे ये सब ? तमक कर तोता बोला - चुप बे भडवे , शर्म नही आती इन रंडियों की कमाई खाते हुए , जा ग्राहक ढूंड इनके लिए .

सबक-

" आदमीयत और शैय है , इल्म है कुछ और शैय

कितना तोते को पढ़ाया , पर वो हैवान ही रहा . "

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Rajiv Nayan Bahuguna

उत्तराखंड में मंत्रियों को एक पखवाड़े से उनके विभाग नहीं बांटे गए , फिर भी सब कुछ यथावत , बल्कि और अच्छा चल रहा है . अगर उन सबको हटा भी दिया जाए , तो और भी अच्छा चलेगा

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Rajiv Nayan Bahuguna

जैसे किसी छुटेड औरत से शादी करने पर उसके पिछले पति से हुए मुस्टंडे बच्चे भी गले पड़ जाएँ , ऐसे ही हरीश रावत को पिच्छली बहुगुणा सरकार के मंत्री अडॉप्ट करने पड़े , जिनमे ज़्यादातर नकारा , कलुषित और थकेले हैं

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Satya Narayan

केजरीवाल समर्थक कृप्‍या ध्‍यान दें। क्‍या केजरीवाल भ्रष्‍टाचार के खिलाफ है ????

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Aam Aadmi Party

Can we afford one more price hike?


Modi ji, We need an answer.


Did we give our vote to these guys...


To protect the interest of Ambani.


For BJP & Congress, its all about money and power.


For us, its a matter of life.


STAND UP INDIA.

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H L Dusadh Dusadh

मित्रों,वर्ल्ड बुक फेयर में शिरकत करने का सबसे बड़ा लाभ यह रहता है तमाम लेखक मित्रों और खास पाठकों से साल में कमसे कम एकबार मिलने का अवसर सुलभ हो जाता है.कल अपने स्टैंड पर बैठा था कि एक व्यक्ति को चमडिया जी के स्टैंड की और बढ़ते देख आकृष्ट हुआ.मैं इससे पहले उन्हें नहीं देखा था.हां फेसबुक पर दो एक बार जरुर देखा था.एक तो कट्टर मार्क्सवादी और ऊपर से ब्राह्मण,जो हमेशा तिलक लगाये तस्वीरों में नज़र आता था.कुछेक बार उनसे मेरी घंघोर वैचारिक मुठभेड़ भी हो चुकी थी.एक तरह से कहूं तो उन्हें नफरत ही करता था.अभी कुछ दिन पहले देशबंधु अखबार के दफ्तर में बैठा हुआ था.वहा 'जनमोर्चा 'के संस्थापक संपादक शीतला सिंह जी भी बैठे हुए थे.शेष नारायण जी फोन पर किसी को शीतला सिंह जी का साक्षात्कार लेने निर्देश दे रहे थे,फिर उनकी शितालाजी से बात भी कराया.मैंने कहा क्या हस्तक्षेप वाले उपाध्याय से बात कर रहे थे?उन्होंने 'हां' कहा और पूछा, 'क्या आप उनसे बात करेंगे?मैंने मना कर दिया .लगा उपाध्य से बात करने पर मूड उखड़ जायेगा.मित्रों वही उपाध्याय पुस्तक मेले में चमडिया जी के स्टैंड की और जाते दिखे.उनके चेहरे पर छाई प्रशांति और सज्जनता का भाव देखकर चकित हुए बिना न रह सका.वह कुछ लोगों से घिरे हुए थे.धीरे-धीरे उनके निकट पहुंचा और पूछा क्या आप हस्तेक्षेप वाले उपाध्याय हैं?हां कहते हुए मेरा परिचय पूछा .मैंने जब अपना नाम बताया तो उन्होंने बहुत ही गर्मजोशी से हाथ मिलाया,लगा अपने किसी बिछड़े मित्र से मिल रहे हैं..लगा ही नहीं उनसे कुछ अप्रिय संवाद हो चूका है.विचारों से कट्टर मार्क्सवादी उपाध्याय की सज्जनता से इतना कायल हुआ कि उनसे हुई मुलाकात को इस विश्व पुस्तक मेले की विशेष उपलब्धि के खाते में दर्ज कर दिया.उपाध्याय जी तरह ही बंगाल के के मर्क्स्चवादी अरुण कुमार माझी से मुलाकात हो गयी.शायद वह मेरे विषय में अनिल चमडिया जी से पूछे चमडिया जी हही उन्हें मेरे पास लाये.फिर तो अरुण दा के साथ देर तक बातें हुई.उनसे बंगाल का अनुभव शेयर कर भारी मजा आया.कट्टर मार्क्स वादी होकर अरुण दा भी सज्जनता की प्रतिमूर्ति लग रहे था थे.मित्रों इन दो लोगो से मिलकर शायद पहली बार मुझे लगा कि मार्क्सवादी भी 'सज्जन'होते हैं.यह मुलाकात शायद मार्क्स वादियों के प्रति मेरी धारणा बदलने में सहायक

हो सकती है.

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  • Sudhir Ambedkar, DrVijay Kumar Trisharan, Lalajee Nirmal and 25 others like this.

  • View 4 more comments

  • Pushpandra Kumar Pandey फेसबुक एक ऐसा माध्यम हो चूका हे की किसी में अगर कोई अच्छाई हो पर कुछ कारणों से हम उन्हें पसंद नहीं कर रहे हो तो यहाँ के लोग हमेसा दूर करदेते हे .... या आप को किसी गिरोह का सदस्य बना लेते हे इस कारन सामने बाले में लाख अच्छाई हो उसे सही नहीं कह सकते

  • 9 hours ago · Like

  • Sudhir Ambedkar Mai bhi kal mele me tha. Kintu samay abhao ke karan nhi mil saka. Afsos hai.

  • 8 hours ago · Like

  • देशदीपक दुसाध शायद उन्होंने आपकी पुस्तक 'जाति उन्मूलन मार्क्सवादी बनाम आंबेडकरवादी परियोजना' पुस्तक पढ़ ली होगी ।आपके तर्कोँ के आगे घुटने टेक दिए होँगे और आपसे न टकराने मेँ ही मार्क्सवादियोँ का भलाई समझते होँगे।उन्हेँ डर है कि जो दुसाध थोड़ा सा क्रोधित होने पर किताबोँ की अंबार लगा सकता है वह अपने पूरे स्वभाव मेँ आ जाये तो पता नहीँ क्या कर दे?

  • 8 hours ago · Like · 1

  • Shrawan Kumar Paswan सही कहा है ,सर जी ,लेकिन दलित साहित्कारों को एकजुट होकर काम करने की जरुरत है ,हमारे लोगो में इगो प्रोब्लूम है इसे भी बड़ी कमजोरी के रूप में देखना चाहिए ,सवर्ण कुछ जनता नहीं घिंसा पीटा-शव्द वोलते है और सारे लोग उसका वाहवाही में लग जाता है।

  • 19 minutes ago · Like

Jagadishwar Chaturvedi

कमाल के तेवर हैं इस मध्यवर्ग के यह हेकड़ी में रहता है!दावे के साथ झूठ बोलता है!दावे के साथ कृत्रिम जीवनशैली जी रहा है!

इसके अंदर सच के लिए किसी भी क़िस्म की क़ुर्बानी की जज़्बा नहीं है!हेकड़ी और श्रेष्ठत्व में हमेशा डूबा रहता है !

"हम बताएँगे सच क्या है?"यह भावबोध उसे बुर्जुआजी की सोहबत से मिला है!बुर्जुआजी की सभी सांस्कृतिक बीमारियों और मूल्यों को इसने जनता के मूल्यों के नाम पर अपने चेहरे पर चिपका लिया है और अब यह विभिन्न क़िस्म की टोपियों के ज़रिए अपने पापों को ढंकना चाहता है या रेशनलाइज करने की चेष्टा कर रहा है!हम सब जिस मध्यवर्ग से आते हैं वह वर्ग कभी मज़दूरों - किसानों के बारे में सोचने पर दिन में दस मिनट भी ख़र्च नहीं करता !हमारे ज़ेहन में कभी उत्पादक शक्तियों के प्रति कोई सच्ची सहानुभूति पैदा नहीं होती !

सच तो यह है मज़दूरों-किसानों को देखकर हमें घिन आती है !

हम उनसे दूरी रखकर बातें करते हैं!

हम मध्यवर्ग के लोग कभी उनसे जुड नहीं पाए ,तो ऐसे में देश में एकता बनाए रखना क्या इन ख़ुदगर्ज़ मध्यवर्ग के लोगों के लिए संभव है ?

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Rajiv Nayan Bahuguna

युद्ध , प्यार , राजनीति और फेस बुक पर सब कुछ जायज़ है

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Jagadishwar Chaturvedi

आजकल सिस्टम बदल देने वालों की ऐसी जमात पैदा हुई है जिसने जनता से कभी मुलाक़ात नहीं की !ज़िंदगी भर सेमीनार कीं, स्टूडियो में रहे या सुंदर घरों में मध्यवर्गीय जेहनियत में जीते रहे, कार के नीचे पैर नहीं रखा , आम आदमी के बीच में पर्यटक की तरह आए और गए , मध्यवर्गीय आकांक्षाओं को कभी तिलांजलि नहीं दी।

सांसद या विधायक होना मध्यवर्गीय आकांक्षा है और यह हम सब में है !

वे बेहतरीन आदमी न बने लेकिन श्रेष्ठ मिडिल क्लास बन गए !

सवाल यह है मध्यवर्ग सिस्टम बदल सकता है ?

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  • Anita Bharti, विबुधेश यादव and 15 others like this.

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  • डॉ. राजेंद्र कुमार साव गुरुवर, प्रयोग में क्या जाता है...अबतक तो भारतीय अवाम यही करते आए हैं...लेकिन उन्हें हर बार अफसोस ही हाथ लगा है... किसी की कही हुई पंक्ति स्मरण हो रहा है : ''जनता को चिंता हुई, कहाँ हुई है भूल। / आम समझ सींचा जिसे, वह हो गया बबूल। ।'' हो सकता है फिर बबूल की खोज में ही उसे कुछ सकुन मिले ...

  • 9 hours ago · Edited · Like

  • डॉ. सरोज गुप्ता सवाल क्या मध्यवर्गीय आम आदमी नही

  • 9 hours ago · Like · 1

  • Jagadishwar Chaturvedi सरोजजी , आदमी तो है लेकिन त्यागी आदमी नहीं है ।

  • 8 hours ago · Like · 1

  • डॉ. सरोज गुप्ता त्याग?केवल मध्यवर्ग ही को करना पड रहा है ़़़़़़़़़अपवेने आप का ही ़़़अपने अस्तित्व का ़़़अपनी पहचान ोखोनी पडती है तब बनाता है उच्च वर्ग को और निम्न वर्ग को उठाने की कोशिश यही वर्ग करता है ़़अभी कालेज के लिए चली,शेष आने के बाद

  • 8 hours ago · Like · 1

Aam Aadmi Party

Arvind Kejriwal to address Confederation Of Indian Industry (CII) now.


Watch it LIVE here:


YouTube: http://youtu.be/5XHZdckHv2k


Google Plus:https://plus.google.com/events/c3a1e7klkkb5kk58vdq5104jpmg

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Jagadishwar Chaturvedi

सेना के लिए एक रैंक और एक पेंशन के प्रस्ताव को मान लिया है सरकार ने। यह स्वागत योग्य क़दम है।

Like ·  · Share · 6 hours ago ·

Surendra Grover

जब तक गुजरात से पत्रकार विरोधी काला क़ानून वापिस न लिया जाए नरेन्द्र मोदी का बहिष्कार करो.. अक्ल ठिकाने आ जायेगी..

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  • Rajiv Nayan Bahuguna, Himanshu Kumar, Surendra Grover and 35 otherslike this.

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  • Mayank Saxena लोकायुक्त वाला क़ानून तो अब बना है, ये बताइए जब ये क़ानून नहीं था...और इस क़ानून के अलावा कौन सा पत्रकारों को वहां निष्पक्ष रिपोर्टिंग करने दी जाती है...रही है...

  • 4 hours ago · Like · 3

  • Michael Rajat Khalu ka himayati hai ye zamat kuch ek ko chodd baki to siyasatdano ki godd me baith kancha khelte hi

  • 2 hours ago · Like · 1

Surendra Grover

जब तक गुजरात से पत्रकार विरोधी काला क़ानून वापिस न लिया जाए नरेन्द्र मोदी का बहिष्कार करो.. अक्ल ठिकाने आ जायेगी..

Surendra Grover

क्या लोकसभा कोंग्रेस और भाजपा की पुश्तैनी जायदाद है..?

Unlike ·  · Share · 5 hours ago · Edited ·

Jagadishwar Chaturvedi

ममता सरकार के शासन में ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना की कितनी बदहाल अवस्था है इसे जान लें अन्ना हज़ारे और उनके भक्त,क्योंकि वे ममता को सुयोग्य शासक के रुप में अगले लोकसभा चुनाव में पेश करने जा रहे हैं ।पढ़ें -

Unchanged by change: rural job limp

telegraphindia.com

Work given in Bengal under central 100-day scheme much less than national average

Unlike ·  · Share · 40 minutes ago ·

Jagadishwar Chaturvedi

मैं पहले समाजवाद और क्रांति के सपने देखता था वह सपना साकार नहीं हुआ ! अब आम आदमी पार्टी के सत्तारूढ़ होकर सिस्टम बदल देने के सपने देख रहा हूँ!

हे ईश्वर ,कम से कम यह सपना तो पूरा कर दो ! कहोगे तो रोज़ आपकी मूर्ति पर दूध चढ़ाऊँगा , पूजा करुँगा !

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Abhishek Srivastava

'आप' से टिकट लेकर लोकसभा चुनाव लड़ने के चक्‍कर में जिन लोगों ने जिंदगी भर के अपने राजनीतिक कर्म और विश्‍वसनीयता को दांव पर लगा दिया और पाला बदलने का जबरन तर्क गढ़ा, तिस पर भी जिन्‍हें टिकट नहीं मिला, उनके लिए मुझे कोई खेद नहीं है। फिर भी, कहना चाहूंगा कि नागपुर के पुराने ट्रेड यूनियन लीडर जम्‍मू आनंद को लेकर मैं बहुत चिंतित हूं जिन्‍हें टिकट का आश्‍वासन देकर अंजलि दमानिया ने 'आप' में आने को बड़ी मेहनत से राज़ी किया जबकि नागपुर का टिकट खुद दमानिया ने अपने नाम कर लिया।


यह आम आदमी के नाम पर की जाने वाली राजनीति का एक शुरुआती विश्‍वासघात है। अभी और हादसे होने बाकी हैं।

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  • You, Surendra Grover, Anita Bharti, Panini Anand and 36 others like this.

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  • Ramprakash Anant जब दमानिया ने गडकरी पर प्रेस कांफ्रेंस कर खुलासे किए थे तभी यह खबर भी आई थी कि दमानिया ने भी लैंड यूज का कुछ ऐसा ही घपला कर रखा है।तब उन्होंने भी गडकरी की तरह सफाई दी थी कि जो भी किया गया है वह नियमानुसार किया गया है।केजरीवाल ने इस पर अपने लोकपाल से जांच कराने की बात की थी।लोकपाल ने क्या जाँच की पता नहीं चल पाया।

  • 3 hours ago · Like · 1

  • Atal Behari Sharma झांसा देकर आदिवासियों की जमीन कोडियों के मौल खरीद कर ,करोडों में बेच दी ....इसे वो बिसिनेस कहती हैं ...............

  • 2 hours ago · Like

  • Arvind Sen सही कहा आपने.. जो बड़े आम आदमी थे वो बाद में आकर भी टिकट ले उड़े।

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Lenin Raghuvanshi shared Umesh Singh's photo.

One day training program on Human Rights in Mirzapur.

Unlike ·  · Share · 20 hours ago ·

Economic and Political Weekly

This article is an attempt to understand the consequences of the sudden collapse and subsequent deaths in August 2013 at the Kulda Opencast coal mine in the Basundhara-Garjanbahal area of Sundargarh district, Odisha. The poor management of such mines affects the local people who have been uprooted and their livelihoods destroyed. Their efforts to eke out a living by collecting coal from around these mines are termed "illegal mining" and leads to their victimisation.


http://www.epw.in/commentary/coal-mining-and-local-livelihoods.html

Like ·  · Share · 153 · about an hour ago ·

Lalajee Nirmal

लखनऊ वि.वि.द्वारा आयोजित सेमिनार में आमंत्रित वक्ताओं की सूची देख कर चौंकना स्वाभाविक था क्यों कि ढेर सारे दलित साहित्यकार उस सूची में दिख रहे थे |फिर याद आया कि सेमिनार के आयोजक हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष तो प्रो.कालीचरण स्नेही जी है जिन्होंने अपने कार्यालय की पट्टिका पर यह नोटिस चस्पा करवा दी है कि इस विभाग में चरण वंदन प्रतिबंधित है |नीति निर्धारक और निर्णायक पदों पर दलितों की भागीदारी से ही यह परिवर्तन संभव है |प्रोन्नति में आरक्षण की आवश्यकता इस लिए भी है कि विभागाध्यक्ष के पदों पर दलितों का प्रवेश हो सके |प्रोन्नति में आरक्षण समाप्त होने का दुष्परिणाम देखिये ,वर्तमान में यू.पी.में कोई विभागाध्यक्ष दलित नही है |दलित एवं प्रगतिशील साहित्यकारो को अपनी रचनाओ के माध्यम से आत्मकथाओ से इतर भागीदारी के सवालो को भी पुरजोर तरीके से उठाना चाहिए |कैसे होगा दलितों का आर्थिक सशक्तिकरण ,ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मिष्ठान और राशन की दुकान छोडिये ,चाय,सब्जी और दातून की दुकान भी नही चल सकती |शहरो में भी कोई दुसाध या पासवान मिष्ठान भंडार ढूढने से भी नही मिलेगा |फिल्मो में अभिनेता ,अभिनेत्री तो छोड़ दीजिये ,पात्रो के नाम भी दलितों के नाम से इसलिए नही रखे जाते कि फिल्म पिट जायेगी |मिडिया.न्यायपालिका सहित देश की हर इंट में हिस्सेदारी के सवालो को दलित साहित्य का मुख्य विषय बनाना पड़ेगा तभी तो दलित साहित्य युवा होगा |

Like ·  · Share · 7 hours ago ·

Aam Aadmi Party Kerala ആം ആദ്മി പാര്ട്ടി കേരളം

റിലയന്‍സും മുഖ്യധാര രാഷ്ട്രീയപാര്‍ട്ടികളും നമ്മെ കൊള്ളയടിക്കുന്നത് എങ്ങനെ ..??

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രാജ്യാന്തര വിപണിവിലയും ആഭ്യന്തര ഉത്പാദനച്ചെലവും നോക്കി വേണം ആഭ്യന്തര പ്രകൃതിവാതകത്തിന്‍റെ വില നിശ്ചയിക്കാൻ എന്നായിരുന്നു അംബാനിയുടെ ഒരാവശ്യം. അമേരിക്കയിൽ ചായയ്ക്ക് ഒരു ഡോളറാണെങ്കിൽ അതിനു സമാനമായി ഡോളർ-രൂപ വിനിമയനിരക്ക് കണക്കാക്കി ഇവിടെ 60 രൂപ നിശ്‌ചയിക്കണമെന്ന് പറയുംപോലെ ഒരു കണക്കാ...See More

Like ·  · Share · 2,033831,462 · 4 hours ago ·

Kiran Tripathi

सूरज तुम्हारे सिर पर चमक रहा है

पहाड़ों की चोटियाँ तुम्हारी निगाहों से नीची हैं

ओछे हैं समन्दरों के तूफान तुम्हारी बाहों के मुकाबले

खुद को अपने अन्दर से निकालो

और फैल जाओ दुनिया में

हवा और धूप और हँसी की तरह।

शलभ श्रीराम सिंह

Like ·  · Share · 20 hours ago ·

Faisal Anurag

इस देश में एक परिवार है जिसका प्रमुख केवल अपने पारिवारिक सदस्यों को ही अपने परिवार की शाखाओं का मुखिया चुनता है. वह भी परख कर.जिसका अतीत कम से कम भय पैदा कर चुका हो.क्या यह रक्त रिश्तों से कम खतरनाक है.और जिसके आगे पीछे कोई बड़ा घराना हो .

Like ·  · Share · 51 minutes ago · Edited ·

Uday Prakash

अफ्रीका के घने जंगलों में , शहरी सभ्यता से हज़ारों किलोमीटर दूर , एक छोटी-सी मानवीय बस्ती -कालाहारी | आज की दुनिया से बिल्कुल अनजान आदिवासियों की हमारी आज की विकसित और जटिल दुनिया से पहली मुलाक़ात एक कोकाकोला की खाली बोतल के ज़रिये होती है , जिसे एक हेलीकाप्टर के पायलट ने पीने के बाद आसमान से नीचे फेंका है |

बस यहीं से शुरू होता है एक अविस्मरणीय किस्सा। १९८० में बनी इस फ़िल्म को देखें , यह बहुत कुछ कहती है।


http://youtu.be/V5QPL757PPU

THE GODS MUST BE CRAZY

youtube.com

© 1980 C.A.T. Films. All Rights Reserved. Originally filmed in South Africa, CBS/Fox Video (the 20th Century Fox home video label of the 1980's and 1990's) r...

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Kiran Tripathi

क्रान्ति व व्यवस्था परिवर्तन के सवाल पर भारत के सभी भ्रमित रेडिकल लोगों की आस्था का केंद्र आजकल आप है .via Purushottam Sharma

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Kiran Tripathi and Sharad Kokas shared a link.

वरिष्ठ कथाकार अमरकांत का देहांत - BBC Hindi - भारत

bbc.co.uk

हिन्दी के वरिष्ठ कथाकार अमरकांत का सोमवार को निधन हो गया है. अमरकांत ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कारों से सम्मानित थे.

Dilip C Mandal

अंबानी के करप्शन का प्रश्न अगर आपके लिए केंद्रीय प्रश्न था, तो FIR के बाद कुछ महीने उसका फोलो अप कर लेते. पूछताछ, गिरफ्तारी की नौबत तो आने देते. अभी आपकी सरकार तो गिर नहीं रही थी. छह महीने तक तो अविश्वास प्रस्ताव लाने का भी प्रावधान नहीं था. छह महीने बाद भी बीजेपी के अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस समर्थन तो नहीं ही देती. अपना लोकपाल बिल केंद्र के पास नियमानुसार भेज देते तो क्या बिगड़ जाता. केंद्र सरकार अड़ंगेबाजी करती नजर आती, तो बदनाम होती. कर देते उसे बदनाम. वैसे भी बिल तो आया नहीं.


लोकपाल लाकर भी तो आप करप्ट लोगों को पकड़ना ही चाहते हैं. काम करने देते एंटी करप्शन ब्यूरो को. FIR के बाद पूछताछ और आगे की कार्रवाई, गिरफ्तारी आदि.

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  • Jagadishwar Chaturvedi, Anita Bharti, Anuradha Mandal and 191 others like this.

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  • Deepak Saun Fir Pradhaanmantri kaise banate?

  • Yesterday at 6:28pm · Like

  • Bharat Doshi Aap ambani ke sath

  • 19 hours ago · Like

  • Sanjay Kumar आपके सवाल बुनियादी हैं लेकिन इनकी नीयत की बुनियाद ही नहीं है। ये तो सवर्णों के महत्वाकांक्षा पर सवार होकर राजनीति के किले में घुसकर संविधान की धज्जियां उड़ाने की मकसद से चले हैं।

  • 18 hours ago · Like · 2

  • Ashok Dogra कितना बड़ा फ्रॉड है यह ... अरविंद केजरीवाल !!

  • इसने जनलोकपाल पास करवाने के लिए उप राज्यपाल से अनुमति नहीं ली

  • कहता था किसी बिल के लिए परमिशन की कोई आवश्यकता ही नहीं है...See More

  • 8 hours ago · Like · 1

Satya Narayan

रूस की अक्टूबर क्रान्ति के लिए मज़दूरों को संगठित, शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए हज़ारों बोल्शेविक कार्यकर्ताओं ने बरसों तक बेहद कठिन हालात में, ज़बर्दस्त कुर्बानियों से भरा जीवन जीते हुए काम किया। उनमें बहुत बड़ी संख्या में महिला बोल्शेविक कार्यकर्ता भी थीं। ऐसी ही एक बोल्शेविक मज़दूर संगठनकर्ता थीं नताशा समोइलोवा जो आख़िरी साँस तक मज़दूरों के बीच काम करती रहीं। हम 'बिगुल' के पाठकों के लिए उनकी एक संक्षिप्त जीवनी का धारावाहिक प्रकाशन कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि आम मज़दूरों और मज़दूर कार्यकर्ताओं को इससे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

http://www.mazdoorbigul.net/archives/845

अदम्य बोल्शेविक - नताशा - एक संक्षिप्त जीवनी - मज़दूर बिगुल

mazdoorbigul.net

रूस की अक्टूबर क्रान्ति के लिए मज़दूरों को संगठित, शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए हज़ारों बोल्शेविक कार्यकर्ताओं ने बरसों तक बेहद कठिन हालात में, ज़बर्दस्त कुर्बानियों से भरा जीवन जीते हुए काम किया। उनमें बहुत बड़ी संख्या में महिला बोल्शेविक कार्यकर्ता भी थीं। ऐसी ही एक बोल्शेविक मज़दूर...

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S.r. Darapuri shared All India Peoples Front's photo.

All India Peoples Front

AIPF news in the Hindi daily "Hindustan" Lucknow edition (17 Feb, 2014)

Shabnam Hashmi added a new photo.

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Economic and Political Weekly

In public speeches in the Hindi heartland, the Bharatiya Janata Party's prime ministerial candidate, Narendra Modi, blends what were until now considered contradictory elements. With a facade that combines caste and class, Modi stresses his backward caste origins while promising efficient governance and state of the art infrastructure. Obviously Narendra Modi is aiming his marketing skills at what he calls the "neo" middle classes who form a signifi cant part of the semi-empowered castes.


http://www.epw.in/commentary/narendra-modis-revealing-speeches.html

Kavita Pandey

Modi attacks Chidamberam,You have come from Harvard and I have come through Hard work" .He forgets that Chidamberam went to Harvard through hard work only which Modi definitely lacked and even today the hard work and the results of world class which Chidamberam can deliver is not within the capacity of Modi to deliver in the same manner that a labour who puts in the most of hard work cannot be equated to Modi.

Modi is neither properly educated nor has the caliber to speak sensible.

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Amalendu Upadhyaya

Digamber Digamber

रिलायन्स के खिलाफ तो कोई उसके बाप, यानी बहुराष्ट्रीय कम्पनी का-- 'आप' ही बोल सकता है....

Digamber Digamber

रिलायन्स के खिलाफ तो कोई उसके बाप, यानी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का-- 'आप' ही बोल सकता है....

Like ·  · Share · 18 hours ago ·

Aam Aadmi Party Kerala ആം ആദ്മി പാര്ട്ടി കേരളം

ആം ആദ്മി പാര്‍ട്ടിയുടെ രാഷ്ട്രീയ രീതിശാസ്ത്രം എന്താണ്?

1) പ്രത്യയശാസ്ത്രം ആധാരമാക്കി പ്രവൃത്തിക്ക് രൂപം കൊടുക്കുക - കാറല്‍ മാര്‍ക്സിന്‍റെ സിദ്ധാന്തങ്ങളുടെ അടിസ്ഥാനത്തില്‍ മുന്നേറിയ കമ്മൂണിസം ഉദാഹരണം.

2) പ്രവൃത്തി ആധാരമാക്കി പ്രത്യയശാസ്ത്രത്തിന് രൂപം കൊടുക്കുക - ഗാന്ധിയുടെ രാഷ്ട്രീയ 'പരീക്ഷണങ്ങളി'ലൂടെ മുന്നേറിയ ദേശീയ പ്രസ്ഥാനം ഉദാഹരണം.


ഇതില്‍ ഒന്നാമത്തേതിന് മാത്രമേ പ്രസക്തിയുള്ളൂ എന്ന് കരുതുന്നതില്‍ യുക്തിയില്ല, തന്നെയുമല്ല, അതില്‍ സിദ്ധാന്തശാട്യം കൊണ്ട് തെറ്റ് പറ്റാനുള്ള സാധ്യത കൂടുതലും തിരുത്തുവാനുള്ള സാധ്യത കുറവും ആയിരിയ്ക്കും. രണ്ടാമത്തേതില്‍ തെറ്റ് പറ്റാനും തിരുത്തുവാനുമുള്ള സാധ്യത ഒരേപോലെയാണ്. രണ്ടാമത്തെ മാര്‍ഗത്തിലാണ് ആം ആദ്മി പാര്‍ട്ടി മുന്നോട്ട് നീങ്ങുന്നത്. പ്രത്യയശാസ്ത്ര ചര്‍ച്ചകള്‍ക്കു വേണ്ടി നേരം കളയാതെ ജനകീയപ്രശ്നങ്ങള്‍ പരിഹരിക്കുന്നതിലാണ് ആം ആദ്മി പാര്‍ട്ടിയുടെ ശ്രദ്ധ. (വാക്കുകള്‍ക്ക് കടപ്പാട്: എം.എന്‍ കാരശ്ശേരി മാഷ്‌)

Like ·  · Share · 42841174 · 40 minutes ago ·

The Economic Times

‪#‎Budget2014‬: Aam aadmi has no big reason to cheer. There were no changes made on the income tax rates. However, the Finance Minister appealed to all political parties to resolve to pass the GST Laws and the Direct Tax Code in 2014-15. Raed more here - http://ow.ly/tHdW8 | ET Budget Special: http://ecoti.ms/voteonaccount

Like ·  · Share · 12682 · about an hour ago ·

The Economic Times

Mukesh Ambani's son Akash joins Reliance Industries; begins at telecom arm Reliance Jio, read more at http://ow.ly/tGAxC

Like ·  · Share · 3,607186296 · 9 hours ago ·

Abhiram Mallick shared Brahmavid Ajaya Khadia's photo.

NAMASHUDRA samajara Mukti masiha mahapurusa Guruchand Thakur1930 masiha re khulana zillare anusthita Nikhil Banga namashudra rajnaitik sammelan re deithiba baktabya.

Like ·  · Share · 3 hours ago ·

Shahnawaz Malik

गुजरात बिना लोकायुक्त के ज़्यादा अच्छा है क्योंकि नया लोकपाल मोदी की पांच साल पुरानी फाइलों को खोल नहीं सकता। और अगर किसी रिपोर्टर ने किसी शिकायत पर ख़बर छाप दी तो उसे जेल भेज दिया जाएगा। याद रहे कि गुजरात में 2003 से लोकायुक्त नहीं है और इसे रोकने के लिए मोदी ने डेढ़ दर्जन नामी वकीलों को बतौर फीस करोड़ों रुपया दिया है।

लोकतंत्र मज़बूत हो रहा है

चुपके-चुपके

Like ·  · Share · 4 hours ago ·

Abhiram Mallick shared Itishree Sahoo's photo.

EHA KAN SATYA NUHE KI ?

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Xavier Dias shared झारखंडी भाषा संस्कृति अखड़ा's album:बिरजिया आदिम आदिवासी भाषा-साहित्य सम्मेलन अखड़ा, मारोमार.

कल भारी तूफान और घनघोर बारिश के बीच रांची से करीब 180 किमी दूर मारोमार गांव में बिरजिया आदिम आदिवासी समुदाय का एक दिवसीय भाषा-साहित्य सम्मेलन अखड़ा उल्लास और नए ...See More

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Economic and Political Weekly

The communal clashes that broke out in Kishtwar in Jammu and Kashmir on 9 August 2013 on the eve of Eid are going to cast a long shadow on the forthcoming elections as well as on communal relations. As it is, the Islamic nature of the later phase of the Kashmiri movement and the creation of the village defence committees have led to the two communities choosing sides and to the shrinking of common spaces. The division which seemed to be political in the initial phase has now entered the social and cultural spaces.


http://www.epw.in/notes/politics-pre-election-riots-kishtwar.html

Like ·  · Share · 22 · 5 hours ago ·

Navbharat Times Online

अन्ना हजारे ने जनलोकपाल के मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले अरविंद केजरीवाल पर बेहद तीखा हमला बोला है।


पढ़िए, क्या कहा है उन्होंने...http://nbt.in/Fqk_sY

Like ·  · Share · 5,1486951,124 · 7 hours ago ·

he Economic Times

In a veiled attack on BJP and RSS, Rahul Gandhi today said the opposition does not respect women and their 'ideological sangathan' has no place for them. Read more at http://ow.ly/tFYxF

Like ·  · Share · 2285819 · 11 hours ago ·

he Economic Times

Finally AAP comes out with its first list of LS candidates. Find out who all are included: http://ow.ly/tFHlC

Like ·  · Share · 3988326 · Yesterday at 6:30pm ·

BBC Hindi

भारतीय सचिन तेंदुलकर को 'भगवान' का दर्जा देते हैं, पर सनी लियोनी के प्रति उनका प्रेम ज़्यादा है. मोबाइल ऐप्स डाउनलोड करने वालों की तादाद तो यही कहती है. पढ़िए

http://bbc.in/N20DGL

Like ·  · Share · 1,1377942 · 5 hours ago ·

India Today

One Rank One Pension scheme is historical, says Rahul Gandhi

One Rank One Pension scheme is historical, says Rahul Gandhi : North, News - India Today

indiatoday.intoday.in

Congress vice president Rahul Gandhi on Monday said that One Rank One Pension scheme will prove historical for the welfare of the soldiers, who defend the country by working in difficult conditions.

Like ·  · Share · 8510 · about an hour ago ·

Navbharat Times Online

दिल्ली के पूर्व मूख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि वह उद्योगपतियों के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि देश को लूटने वालों के खिलाफ हैं।


केजरीवाल ने कहा...http://nbt.in/rYAwAY

Like ·  · Share · 1,00221347 · about an hour ago ·

The Economic Times

With the completion of third phase of Delhi Metro, the number of interchange stations will increase to 22 from the current nine, leading to a drastic reduction of travel time and saving of commuters' money. Read more at http://ow.ly/tFXFh

Like ·  · Share · 2651021 · 14 hours ago ·

Aaj Tak

ब्रिटेन के इतिहासकार ने भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद को आतंकी बतायाhttp://aajtak.intoday.in/story/british-historian-says-bhagat-singh-and-chandrashekhar-azad-was-a---terrorist-1-755026.html

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