THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Wednesday, September 17, 2014

मनुष्य और प्रकृति के सर्वनाश में सहअस्तित्व,बाकी बचा युद्ध राजनय और विदेशनीति की यह मुक्तबाजारी परंपरा है।द्विपाक्षिक संबंध और बहुपाक्षिक राजनय भी एक दूसरे के कारोबारी हितों तक सीमाबद्ध है।कितने वाणिज्यिक समझौते हुए,परमाणु समझौता हो रहा है या नहीं,स्ट्रैटेजिक पार्टनर हैं या नहीं,कितना निवेश हो रहा है,उनकी किस कंपनी से हमारी किस कंपनी का गठजोड़ हुआ और किस राज्य में संबद्ध देश के औद्योगिक पार्क बनेंग,यह सहअस्तित्व का नया,अभूतपूर्व और उत्तर आधुनिक पंचशील है। पलाश विश्वास

मनुष्य और प्रकृति के सर्वनाश में सहअस्तित्व,बाकी बचा युद्ध


राजनय और विदेशनीति की यह मुक्तबाजारी परंपरा है।द्विपाक्षिक संबंध और बहुपाक्षिक राजनय भी एक दूसरे के कारोबारी हितों तक सीमाबद्ध है।कितने वाणिज्यिक समझौते हुए,परमाणु समझौता हो रहा है या नहीं,स्ट्रैटेजिक पार्टनर हैं या नहीं,कितना निवेश हो रहा है,उनकी किस कंपनी से हमारी किस कंपनी का गठजोड़ हुआ और किस राज्य में संबद्ध देश के औद्योगिक पार्क बनेंग,यह सहअस्तित्व का नया,अभूतपूर्व और उत्तर आधुनिक पंचशील है।




पलाश विश्वास

प्रधान स्वयंसेवक का आज जन्मदिन है और अपने साम्राज्य गुजरात वाइब्रेंट में उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेजबानी की।जापान यात्रा से जो उन्होंने विदेशी राष्ट्रनेताओं को गीता भेंट करने की नयी परिपाटी शुरु की है और राजनय को हिंदुत्व पैकेज बना दिया है,उसका सिलसिला जारी है।ग्लोबल इशारों के मुताबिक भारत चीन भारत जापान उभरते नये समीकरण देखें तो अंदाजा लगाना वाकई मुश्किल है कि क्या कुछ पक रहा है।इस उपमहाद्वीपीय समाज वास्तव की पड़ताल करें तो एक ही सूत्र वाक्य समूची प्रक्रिया को समझने के लिए मददगार हो सकता हैःमनुष्य और प्रकृति के सर्वनाश में सहअस्तित्व,बाकी बचा युद्ध।


राजनय और विदेशनीति की यह मुक्तबाजारी परंपरा है।द्विपाक्षिक संबंध और बहुपाक्षिक राजनय भी एक दूसरे के कारोबारी हितों तक सीमाबद्ध है।कितने वाणिज्यिक समझौते हुए,परमाणु समझौता हो रहा है या नहीं,स्ट्रैटेजिक पार्टनर हैं या नहीं,कितना निवेश हो रहा है,उनकी किस कंपनी से हमारी किस कंपनी का गठजोड़ हुआ और किस राज्य में संबद्ध देश के औद्योगिक पार्क बनेंग,यह सहअस्तित्व का नया,अभूतपूर्व और उत्तर आधुनिक पंचशील है।


युद्ध और छायायुद्ध भी जारी रहे,सीमाों पर तनाव रहे,लंबित विवाद सारे उसीतरह अनसुलझे रहे,लेकिन कारपोरेट हित भी सधते रहे।


चीनी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दुनिया की सबसे बड़ी फैक्ट्री और दुनिया के बैक आफिस के गठबंदन से वृद्धिविकास का जो एजंडा पेश किया है,उससे जाहिर है कि उनकी भारत यात्रा का मकसद आखिर क्या है।


जाहिर है कि उपचुनावों में मुंङ की खाकर भी केसरिया कारपोरेट जारी रखने और राज्यों में सत्ता दखल के रण हुंकार के मध्य भारत सरकार को जिनपिंग के इस दुस्साहसिक बयान पर शर्म नहीं आयेगी कि चीन दुनिया की सबसे बड़ी उत्पादन प्रणाली है और भारत सबसे बड़ा प्रबंधकीय कार्यालय।


यह दरअसल भारतीय महान विकासगाथा हरिकथाअनंत है और गीता का सार भी।


भारत बांग्लादेश,भारत नेपाल,भारत पकिस्तान,भारत जापान,भारत श्रीलंका  से लेकर भारत इजराइल,भारत ब्रिटेन,भारत अमेरिका और भारत चीन द्विपाक्षिक संबंधों का सार कारोबार है।


डर्टी पिक्चर के बहुचर्चित संवाद मनोरंजन मनोरंज मनोरंजन की तर्ज पर कारोबार कारोबार कारोबार।


लालकिले के प्राचीर से प्रधान स्वयंसेवक ने जो प्राकृतिक संसाधनों के अधिकतम इस्तेमाल की युद्धघोषणा की और उसी मुताबिक मनुष्यता और पर्यावरण के लिए खतरनाक तमाम परियजोनाओं को चालू रखने का जो न्यूनतम राजकाज है,जो हिंदुत्व की सर्वव्यापी धर्मोन्मादी राजनीति है,उससे राजनय और विदेशनीति के प्रस्थानबिंदु भी फिर वहीं अबाध विदेशी पूंजी प्रवाह और निरंकुश देश बेचो अभियान है।


सीमाओं के आर पार जो हिमालय है और सीमाओं के छूने वाले जो समुंदर हैं,जो साझा संसाधन हैं,जो महारण्य,मरुस्थल और रण सीमाओं के आर पार है,वहां मनुष्य और प्रकृति के लिए दसदिगंत सर्वनाश तो है ही,नागरिक और मानवाधिकारों का निषेध भी है।


मसलन बंगाल के केसरियाकरण से बौद्धमय भारत के अंतिम अवशेष के खतम अभियान से जो भद्र सुशील क्रयशक्तिसंपन्न नवधनाढ्य अंबानी अडानी मित्तल जिंदल टाटा बनने को बेताब हैं,उन्हें बांग्ला राष्ट्रीयता के धर्मोन्मादी कायाकल्प में कोई फर्क नहीं पड़ता कि शास्त्रीय नृत्यांगना सांसद स्वप्नसुंदरी ने स्मार्ट सिटी बनने को तैयार वृंदावन से बिहार और बंगाल की विधवाओं को चले जाने का परवाना जारी कर दिया है।


बाकी देश को भी सलवा जुड़ुम और आफसा के नाना अभियानों में बेदखल अस्पृश्य आबादी की कोई चिंता नहीं है।


इस हाल में तेल युद्ध के तीसरे संस्करण से भारतीय अर्थव्यवस्था जो चीनी राष्ट्रपति के शब्दों में अब प्रबंधकीय कार्यालय या बेहतर समझने के लिए पोंजी मार्केंटिंग नेटवर्क है,उसपर आनेवाली मंदी के अंब्रेला के तहत दूसरे चरण के सुधारों के परिप्रेक्ष्य में डांवाडोल डालर तंत्र के कारण क्या कयामत आने वाली है,यह कतई विवेचनीय नहीं है धर्मोन्मादी जनता के लिए।स्काटलैंड में जनमत संग्रह के नतीजतन यूरोपीय समुदाय में क्या क्या गुल खिलेंगे,इसपर भी किसी को कोई फिक्र नहीं है।


कायनात और इंसानियत किस हद तक खतरे में हैं,इसपर वटारिक आदान प्रदान धर्मश्क्षेत्र कुरुक्षेत्रे गीतोपदेस के परम पवित्र परिवेश में कतई विवेचनीय नहीं है।


बीबीसी के जो सवाल हैं,उनमें जाहिर है कि भारतीय मीडिया की कोई दिलचस्पी होनी नहीं है।बीबीसी के मुताबिकः


चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे से चीनी लोगों को क्या चाहिए, इसको लेकर वे बेहद स्पष्ट हैं.

लेकिन भारत में चीन को लेकर एक सामूहिक चिंता देखने को मिलती है, जो फ़ैसले और नजरिए दोनों को सीमित करता है.

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा के दौरान किस तरह के समझौते हो सकते हैं?

क्या उन मुद्दों पर दोनों देशों के बीच कोई बातचीत होगी, जिसको लेकर तनाव बना रहता है. वे कौन-कौन से पहलू हैं जिनके बहाने दोनों देश एक-दूसरे के करीब आ सकते हैं?

विश्लेषक सिद्धार्थ वरदराजन का विश्लेषण:

दूसरी अन्य बड़ी ताक़तों की तरह ही, दक्षिण एशिया, एशिया-प्रशांत और विस्तृत एशियाई क्षेत्र में चीन का लक्ष्य अपनी बढ़ती आर्थिक जरूरतों को पूरा करना है. चीन इन इलाकों को बाज़ार और कच्चे उत्पाद के स्रोत और पूंजी निर्यात के ठिकानों के तौर पर देखता है.

इसके चलते चीन का दुनिया के साथ कारोबार, निवेश और वित्तीय लेन देन बढ़ा है.

चीन की मुश्किल

इससे चीन के राजनीतिक नेतृत्व के सामने तीन चुनौतियां भी सामने आई हैं- 1) सीमा पार संपर्क सुनिश्चित करना और समुद्री सीमा की निगरानी करना ताकि विरोधी शक्तियां कारोबार और ऊर्जा के प्रवाह को बाधित नहीं कर सकें.

2) नए बहुपक्षीय व्यवस्था के उभार का मुक़ाबला करने के लिए चीन को तैयार रहना होगा तभी चीन की अपनी आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक स्वतंत्रता कायम रहेगी

3) साझेदारी और नए संबंधों का उभार चीन के रणनीतिक स्टैंड को प्रभावित कर सकता है.

ज़ाहिर है, मुख्य प्रतिद्वंदी अमरीका को चीन की इन चुनौतियों का एहसास हो, उससे पहले ही चीन इसके परिणामों के लिए तैयार रहना चाहता है.

चीन का राजनीतिक नेतृत्व जिस तरह से इन चुनौतियों पर प्रतिक्रिया जताता रहा है, उसको लेकर प्राय विरोधाभास देखने को मिलता है. दूसरी ओर भारत का प्रशासन कुछ हद तक अराजक और बिना सोच समझ वाला प्रतीत होता है.

हम ये गलत अनुमान लगाते हैं कि चीन में जो कुछ हो रहा है वह सोच समझ कर रणनीति के मुताबिक किया गया है. रिश्तों में थोड़े से उतार चढ़ाव से हम बड़ा निष्कर्ष निकाल लेते हैं. हालांकि वास्तविकता भिन्न होती है.



कारोबारी लेनदेन के मध्य तनाव का वही सिलसिला जिसकी अंतिम मंजिल रक्षा कारोबार है, के हिसाब से लाजवाब मीडिया कवरेज का छायायुद्ध जारी है।मसलनः भारत में चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग आए हुए हैं और गुजरात में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका जोरदार स्वागत किया। अब खबरें आ रही हैं कि लेह में भारतीय सीमा में चुमार के करीब चीनी सेना ने घुसपैठ की है। बताया जा रहा है कि चुमार में करीब दो किलोमीटर भीतर भारतीय सीमा में चीनी सैनिक घुस आए हैं। यह घटना बुधवार सुबह की बताई जा रही है। खबर है कि दो जगहों पर चीनी सैनिक रुके हैं। चुमार पर करीब 300 चीनी सैनिक आए हैं और दूसरी जगह डेमचोक पर करीब 40 चीनी सैनिकों की संख्या है।


बहरहाल मीडिया खबरों के मुताबिक भारत चीन रिश्ते के कारोबारी जलवे का रसास्वादन का यह अभूत पूर्व मौका है।


ज़ी मीडिया ब्यूरो/रामानुज सिंह

अहमदाबाद: अहमदाबाद के होटल हयात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में भारत और चीन के बीच तीन समझौते हुए। चीन के ग्वांग्डोंग प्रांत और गुजरात में समझौता, गुजरात में इंडस्ट्रियल पार्क बनाने का समझौता, ग्वांगझाओ और अहमदबाद के बीच ट्रेनिंग का समझौता, चीन डवलपमेंट बैंक और GIDC के बीच करार हुआ। ये तीनों समझौते गुजरात के लिए हुए।

उधर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आज चीनी नेता की बैठक को विदेश मंत्रालय ने शिष्टाचार बातचीत बताते हुए कहा कि दोनों नेताओं के बीच शिखर स्तर की वार्ता गुरुवार को दिल्ली में होगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैय्यद अकबरूद्दीन ने कहा, यह अनौपचारिक मुलाकात (गेट टूगेदर) थी। कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई। उन्होंने (मोदी) उनका (शी) अतिथि के तौर पर स्वागत किया और उनके अहमदाबाद आने की सराहना की और धन्यबाद किया। उन्होंने कहा, यह शिष्टाचार चर्चा थी और औपचारिक बातचीत गुरुवार को दिल्ली में होगी।

* चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अहमदाबाद से दिल्ली पहुंचे

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*  शी जिनपिंग की पत्नी भी साबरमती रिवरफ्रंट पर  मौजूद

*  चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मोदी के साथ साबरमती नदी को देखा

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*  साबरमती रिवरफ्रंट पर नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग वॉक द टॉक करेंगे

*  साबरमती रिवरफ्रंट पहुंचे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

*  जिनपिंग साबरमती आश्रम में विजिटर बुक पर दस्तख्त किए

*  मोदी ने चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग को साबरमती आश्रम में गांधी से जुड़ी पुस्तकें गिफ्ट किया  

* चीनी राष्ट्रपति ने साबरमती आश्रम में गांधी जी चरखा भी चलाया

* गांधी आश्रम में देख रहे हैं चीनी राष्ट्रपति

* साबरमती आश्रम में चीनी राष्ट्रपति का सूत की माला से स्वागत किया गया

* चीनी राष्ट्रपति साबरमती के गांधी आश्रम पहुंचे।

इससे पहले चीनी राष्ट्रपति अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। अहमबादाद एयरपोर्ट पर उनका पांरपरिक तरीके से भव्य स्वागत किया गया। उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। एयरपोर्ट से जिनपिंग सीधे होटल हयात पहुंच जहां पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनका इंतजार कर रहे थे। मोदी ने फूलों का गुलदस्ता देकर चीन के राष्ट्रपति और उनकी पत्नी का स्वागत किया। चिनपिंग का ये दौरा कई मायने में खास है पहली बार कोई विदेशी राष्ट्रपति दिल्ली की बजाय अहमदाबाद में आया है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग किसी प्रमुख देश के शायद पहले राष्ट्राध्यक्ष हैं, जिनकी सरकारी भारत यात्रा गुजरात से शुरू हो रही है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रात्रिभोज करेंगे।

भारत को उम्मीद है कि शी की यात्रा से दोनों देशों के 'हितों व चिंताओं' का समाधान किया जाएगा और सीमा विवाद सहित द्विपक्षीय संबंधों के रास्ते बाधा बन रहे सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को निपटाया जाएगा। भारत के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने का इच्छुक चीनी पक्ष पहले ही संकेत दे चुका है कि वह शी की यात्रा के दौरान भारत के रेलवे, विनिर्माण, ढांचागत परियोजनाओं में अरबों डालर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जाहिर करेगा। भारत चीन के साथ अधिक प्रगाढ़ संबंध चाहता है, लेकिन साथ ही 'चिंता के मुद्दों' पर प्रगति चाहता है। शी महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम जाएंगे और वहां मोदी के साथ कुछ समय बिताएंगे। मोदी साबरमती के तट पर चीनी राष्ट्रपति को एक निजी भोज देंगे। उद्योग जगत के साथ होने वाली बैठक में दोनों देशों के शीर्ष उद्योगपति शामिल होंगे। रात्रिभोज में सिर्फ गुजराती व्यंजन होंगे जिसमें 22 वीवीआईपी शामिल होंगे। शी देर शाम यहां से दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।


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