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Tuesday, September 22, 2015

URGENT CALL: Protest against deteriorating health situation in Delhi 23rd September, 11am @ Delhi Secretariat ITO


URGENT CALL: Protest against deteriorating health situation in Delhi


23rd September, 11am @ Delhi Secretariat ITO

Keeping in mind the recent tragic dengue deaths of two children in which private hospitals had refused them admission, an urgent meeting of public health groups, activists and concerned individuals was called on 17th September 2015. It is the need of the hour to collectively oppose the deteriorating health system in the city and
 build pressure through direct action since there is much anger and frustration amongst general public against denial of services, expensive treatment and a host of other grievances.

India has one of the largest privatized health system where 85% of expenditure on health is borne by individuals. Health is a vital issue because it is a matter of life and survival. The Delhi Nursing Home Act 1953 and Clinical Establishments Act 2010 are limited in their scope and have grave limitations in ensuring universal access to healthcare or even minimum human rights. Private hospitals are indulging in criminal activity with some even deploying agents to dupe the poor. 

There has been a dengue outbreak in the city every time this year for more than a decade and various government agencies are only passing the buck without addressing its root causes. There are many unreported deaths. Even though the Delhi govt. has taken much credit for the increased health budget, its benefits are yet to be seen. There is a pressing need to bring the issue into the public arena, only public accountability can bring about the goal of right to health for all. 

Calling all organisations and individuals who have been a victim to the private healthcare racket and crumbling public health system to join the protest on 23rd at Delhi Secretariat ITO and demand affordable healthcare for all.


Contact: 9958863754 (Joe Verghese, Jan Swasthya Abhiyan)



दिल्ली में बिगड़ते स्वास्थ हालात के विरोध में एक जरुरी आह्वान

23 सितम्बर 2015 को दिन में 11 बजे

दिल्ली सचिवालयITO पर प्रतिरोध प्रदर्शन

 

 

बीते सप्ताह दक्षिणी दिल्ली में निजी अस्पतालों द्वारा दो डेंगू पीड़ित बच्चों को अस्पताल में भर्ती लेने से मन कर दिया गया और अंतत: दोनों ही बच्चे काल के गाल में समा गए. इस प्रकार नीजी अस्पतालों द्वारा गरीब मरीजों को भर्ती लेने से किया जाने वाले अपराधिक इन्कार व सार्वजनिक स्वास्थ व्यवस्था के बिगड़ते हालातों ने दिल्ली शहर को चलाने वाले गरीबों के स्वास्थ को बुरी तरह प्रभावित किया है. इन तमाम मुद्दों पर चर्चा करने के लिए जन स्वास्थ से सरोकार रखने वाले सामजिक समूहों, राजनितिक कार्यकर्ताओं और संवेदनशील लोगों की एक आवश्यक बैठक 17 सितम्बर 2015 को बुलाई गई थी, जिसमे उपस्थित सभी लोगों ने महसूस किया कि दिल्ली में डेंगू एक महामारी का रूप धारण करती जा रही और इससे निपटने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ सुविधाओं का अभाव, निजी अस्पतालों की मनमानी व खर्चीले इलाज ने आम लोगों के अन्दर गुस्से व जन-विच्छोभ को जन्म दिया है. ऐसे में आज के समय की जरुरत है कि दिल्ली में डेंगू से प्रभावित व इससे चिंतित लोग, संगठन व संस्थाएं एक साथ आयें और अपने संयुक्त संघर्ष के ज़रिये सार्वजनिक स्वास्थ व्यस्था को बेहतर करने तथा निजी अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए दिल्ली सरकार पर दबाव कायम करें.

 

यद्यपि कि स्वास्थ का प्रश्न जीवन-मरण के प्रश्न से जुड़ा होता है फिरभी भारत में निजी स्वास्थ सुविधाओं का बड़े पैमाने पर निजीकारण किया जा चूका है. और आज इस देश में इलाज का 85% खर्च मरीजों द्वारा स्वयं उठाया जाता है. दिल्ली के अन्दर एक तरफ स्वास्थ के क्षेत्र में लागू दो अधिनियम "दिल्ली नर्सिंग होम अधिनियम, 1953 एवं नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण व विनियमन) अधिनियम, 2010" गरीबों को स्वास्थ सुविधाएं मुहैय्या कराने के मामले में काफी सिमित दायरा रखते हैं. तथा इन अधिनियमों की सीमाएं स्वास्थ तक सबकी पहुँच व न्यूनतम मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने में भी बाध्यकारी साबित हो रही हैं. दूसरी तरफ नीजी अस्पताल मरीजों को अपने यहाँ खींच लाने के लिए एजेंटों की तैनाती किये हुए हैं और इलाज के नाम पर आम जनता से पैसा ऐंठने के लिए अपराधिक कृत्यों में संलिप्त हैं.

 

पिछले पांच वर्षों से हर साल बारिश के मौसम में मच्छर जनित वीमारी "डेंगू" अपना पैर पसारता है और सैकड़ों लोगों की जान ले लेता है. साथ ही साथ इस बिमारी से मरने वाले लोगों की एक  अच्छी खासी तादाद सार्वजनिक नहीं हो पाती है. लेकिन सरकारी एजेंसियां इसके मूल कारण पर काम कर इसका स्थाई समाधान करने के बजाय इस बिमारी को रोकने का सतही उपाय करते हुए एक दुसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में मशगूल हो जाती हैं. वर्तमान में दिल्ली सरकार स्वयं के द्वारा स्वास्थ बजट बढ़ा देने का ढिंढोरा पीटने में लगी हुई है लेकिन इस डेंगू संकट में उस बढ़े हुए बजट का साकारात्मक असर कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है. इसलिए ऐसे में यह जरुरी है कि इन तमाम सच्चाईयों को जनता के बीच ले जाया जाय और जन स्वस्थ के मुद्दे पर सरकारों को जनता के प्रति जवाबदेह बनाया जाय. जनस्वास्थ के मुद्दे पर सरकारों को जनता के प्रति जवाबदेह बनाकर के ही सबके लिए स्वस्थ के अधिकार की गारंटी की जा सकती है.

 

इसलिए सार्वजनिक स्वस्थ सेवा के चरमराने व निजी स्वास्थ सेवा के गोरख धंधे के शिकार व्यक्तियों व इससे चिंतित संगठनों व संस्थाओं से अपील है कि इसके विरोध में 23 सितम्बर 2015 को दिल्ली सचिवालय पर हो रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल होकर सबके लिए स्वस्थ अधिकार के गारंटी की मांग बुलंद करें.


Contact: 9958863754 (Joe Verghese, Jan Swasthya Abhiyan)




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