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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, October 31, 2011

Fwd: [Buddhist Friends] उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती और केंद्र...



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From: Sanjay Samant <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2011/10/31
Subject: [Buddhist Friends] उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती और केंद्र...
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उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती और केंद्र...
Sanjay Samant 8:09pm Oct 31
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती और केंद्र सरकार के मंत्री यूं तो किसी सरकारी कार्यक्रम में भी लंबे अर्से से साथ नजर नहीं आए लेकिन रविवार को भारत की पहली फॉर्मूला-1 रेस की दर्शक दीर्घा में मायावती भी थीं और गृहमंत्री पी. चिदंबरम समेत केंद्र सरकार के आधा दर्जन मंत्री भी। राजनेताओं के अलावा रेसिंग ट्रैक पर रफ्तार की जादूगरी देखने के लिए सिने सितारों के साथ ही क्रिकेट और कारपोरेट दुनिया की नामचीन हस्तियां भी पहुंची थीं। भारत की पहली ग्रैंड प्रिक्स का लुत्फ लेने के लिए गृहमंत्री पी. चिदंबरम पहुंचे थे।

केंद्रीय मंत्रियों में चिदंबरम के अलावा दर्शक दीर्घा में भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल, पेट्रोलियम राज्यमंत्री आरपीएन सिंह, वाणिज्य राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे। इससे पहले फॉर्मूला-1 फैन मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने चेकर्ड फ्लैग दिखा कर रेस के समापन का एलान किया। सचिन के अलावा रेस के ग्रैंड स्टैंड पर वीरेंद्र सहवाग, विराट कोहली, युवराज सिंह और हरभजन सिंह भी मौजूद थे।

वहीं सिने जगत के सितारों में शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, गुलशन ग्रोवर, संजय कपूर, फरदीन खान, प्रीति जिंटा और डीनू मोरिया भी नजर आए। गीता बसरा के साथ हरभजन तो दीपिका के साथ नजर सिद्धार्थ माल्या ने भी रेस का लुत्फ उठाया। रेस के दर्शकों में दुनिया-भर में मिस्टर बींस किरदार से मशहूर हॉलिवुड अभिनेता रोवान एटकिंस भी शामिल थे। यादगार रहेगा आयोजन रविवार को बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पहंचे एक लाख से ज्यादा खेलप्रेमियों के पास निश्चित तौर पर पहली इंडियन ग्रैंड प्रिक्स की ऐसी यादें होंगी, जिन्हें वह जिंदगी भर नहीं भुला पाएंगे।

महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का मुख्य रेस के अंत में विजय ध्वज (चैकर्ड फ्लैग) लहराना।
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती का विजेताओं को सम्मानित करने के लिए हैलीकॉप्टर से सर्किट में उतरना और देशी-विदेशी मेहमानों के साथ नामचीन शख्सियतों के जमावड़े ने इस आयोजन को हाई वोल्टेज बना दिया। इस रेस को दुनिया भर में 60 करोड़ से ज्यादा दर्शकों ने देखा। सभी के आकर्षण का केंद्र रहे मास्टर ब्लास्टर पहली इंडियन ग्रैंड प्रिक्स की मुख्य रेस देखने लोगों का हुजूम बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पहुंच चुका था। लंबे जाम से निकल कर सर्किट पहुंचे दर्शकों की नजरें सितारों को तलाश रही थीं, लेकिन नजर कोई नहीं आ रहा था।

अचानक एक ओर शोर उठा, सभी की निगाहें उसतरफ हो गईं। पीछे से आवाज आई, सचिन आला रे..। फॉर्मूला-1 के प्रशंसक तेंदुलकर बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर पत्नी और बेटी सारा के साथ पहुंचने वाली पहली हस्ती रहे। भारतीय स्टार क्रिकेटर का स्वागत रेस के प्रमोटर जेपी स्पो‌र्ट्स इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक समीर गौड़ ने किया। इसके बाद तेंदुलकर सर्किट पर पहुंच गए। फोटोग्राफर भागते हुए इस क्रिकेटर की फोटो खींचने लगे। सर्किट पर पहुंचने के तुरंत बाद तेंदुलकर ने फॉर्मूला-1 अध्यक्ष बर्नी एक्लेस्टोन से मुलाकात की और करीब आधे घंटे तक उनसे बात हुई।

ग्रे. नोएडा के फॉर्मूले ने बढ़ाई भारत की शान पहली इंडियन ग्रां प्रि के उद्घाटन समारोह में जब राष्ट्रगान बजा, तो बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में मौजूद भारतीय दर्शकों के चेहरों पर गर्व का भाव था। भले ही इसे आभिजात्य वर्ग का खेल माना जाता हो, लेकिन गर्व की यह अनुभूति टीवी पर सीधा प्रसारण देख रहे करोड़ों खास और आम भारतीयों को भी हुई होगी। दुनियाभर में करोड़ों लोगों ने इस रेस के जरिए भारतीय आन-बान और शान का दीदार किया। आज से एक दशक पहले हमने यह कल्पना भी नहीं की थी कि यह हाई-प्रोफाइल इवेंट कभी भारत में भी आयोजित होगा। रविवार को इस रेस के सफल आयोजन के साथ ही भारत एफ-1 आयोजित करने वाले चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया। अभी भी दुनिया के कई विकसित देश इस क्लब में शामिल नहीं हैं।

भारत का यह सपना साकार करने का श्रेय उत्तर प्रदेस की मुख्यमंत्री मायावती और जेपी समूह को जाता है। केंद्र की कांग्रेस सरकार ने तो इस आयोजन पर उन्हें कर में भी छूट देना उचित नहीं समझा। बुद्ध इंटरनेशनल दुनिया का एकमात्र सर्किट है, जिसका स्वामित्व निजी हाथों में है। एफ-1 के अन्य मेजबान देशों में सर्किट और आयोजन सरकारी नियंत्रण में हैं। जेपी समूह ने एक सपना देखा और उसे साकार करने के लिए ग्रेटर नोएडा में बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट बनाने पर करीब 20 अरब रुपये खर्च किए। रविवार को यह सपना जब साकार हुआ तो दुनिया ने भारत को सलाम किया और भारतीय दक्षता का लोहा माना।

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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