THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Wednesday, May 29, 2013

आम उपभोक्ताओं पर गिरी गाज, कोयला हुआ महंगा और अब बिजली गिरने का इंतजार!

हड़ताल की धमकी देकर यूनियनों ने कोल इंडिया  की मुसीबतें और बढ़ा दी!


आम उपभोक्ताओं पर गिरी गाज, कोयला हुआ महंगा और अब बिजली गिरने का इंतजार!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


कोल इंडिया ने कायला के दाम तो बढ़ा दिये हैं लेकिन उसकी मुसीबतों का अंत होने का नाम नहीं ले रही है। कोयला आपूर्ति से लेकर उत्पादन में वृद्धि की समस्याओं से जूझते हुए कंपनी के मुनाफे में चामत्कारिक ढंग से वृद्धि हो रही है। लेकिन विनिवेश के विरोध के मुद्दे पर हड़ताल की धमकी देकर यूनियनों ने उसकी मुसीबतें और बढ़ा दी।घरेलू बाजारों में कोल इंडिया सेंसेक्स की टॉप गेनर है। कंपनी के शेयरों में करीब 3.5 फीसदी की तेजी है। चौथी तिमाही के बेहतरीन नतीजों की घोषणा के चलते कंपनी के शेयरों में लिवाली बढ़ गई। यह सही मौका था कि कोलइंडिया अपनी मुसीबतें हल कर लें। लेकिन उसकी मुसीबतें तो हल नहीं हो सकीं, बजाय इसके कोयला उद्योदग के संकट कीचपेट में आ गया बिजली उद्योग भी और सही हालत यह है कि आम उपभोक्ताओं पर गिरी गाज, कोयला हुआ महंगा और अब बिजली गिरने का इंतजार!


वैसे भी कोयला की कीमते बढ़ने से सीधे तौर पर बिजली के दाम बढ़ने है, जिसके लिए बाजली कंपनियों का भारी दबाव है। विनिवेश रुकने से कोल इंडिया पर सरकारी दबाव और बढ़ने वाला है।दुनिया में कोयले का सबसे अधिक प्रॉडक्शन करने वाली कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की वर्कर यूनियनों ने अगस्त में सरकार के कंपनी में 10 फीसदी और हिस्सेदारी बेचने के पहले हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।दूसरी ओर, कोल इंडिया एनर्जी इंटेंसिव इंडस्ट्री से जुड़े कैप्टिव पावर प्लांटों की सप्लाई में कटौती की तैयारी में है। देश के कुल पावर जेनरेशन में इन प्लांटों की हिस्सेदारी 15 फीसदी है। इस मामले में कोल इंडिया सब्सिडियरी कंपनियों में सबसे बड़ी कंपनी साउथ ईस्टन कोलफील्ड्स की तर्ज पर आगे बढ़ने की तैयारी में है। ईस्टन कोलफील्ड्स ने इस महीने की शुरुआत में प्राइसिंग और कोयले की क्वालिटी का मसला उठाने वाली कंपनियों की सप्लाई में 20 फीसदी की कटौती करने का फैसला किया था। कोल इंडिया के इस फैसले से ऐसे प्लांट ऑपरेट करने वाली कंपनियों के लिए बिजली की लागत बढ़ सकती है। दरअसल, इन कंपनियों को ज्यादा महंगे इंपोर्टेड कोयले पर निर्भर होना पड़ेगा। एल्युमीनियम, केमिकल्स, सीमेंट, टेक्सटाइल और बाकी इंडस्ट्रीज से जुड़े ज्यादातर कैप्टिव पावर प्लांट (सीपीपी) फ्यूल सप्लाई के लिए कोल इंडिया और उसकी सब्सिडियरीज पर निर्भर हैं। ऐसे कैप्टिव पावर प्लांट की उत्पादन क्षमता 34,000 मेगावाट है।


सार्वजनिक उपक्रम कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने निम्न श्रेणी के कोयले की कीमतों मे औसतन दस प्रतिशत की बढोतरी की है। यह वृद्धि मंगलवार से प्रभावी हो गई हैं।कोल इंडिया ने अपने 17 ग्रेड के कोयले के कीमतों में बदलाव की घोषणा की। सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी ने निम्न ग्रेड वाले कोयले की कीमतों में 11 फीसदी इजाफा किया, जबकि उच्च ग्रेड वाले कोयले की कीमतों में 12 फीसदी तक कमी की।उधर कंपनी के चौथी तिमाही के अच्छे नतीजों और कोयले की कीमतों में बदलाव के कारण उसके शेयर में आज पांच फीसदी की तेजी देखने को मिली। सत्र के अंत में कंपनी का शेयर 3.01 फीसदी चढ़कर 322.25 रुपये पर बंद हुआ। कंपनी ने 2,200 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम और 2,500 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम के बीच से सबसे निचले ग्रेड (जी17) के कोयले के दाम 11.1 फीसदी बढ़ाकर 360 रुपये प्रति टन से 400 रुपये प्रति टन कर दिए हैं।


इसी बीच कोयला सचिव एस.के. श्रीवास्तव ने कहा है कि गैर बिजली क्षेत्र के लिए चयनित कोयला ब्लॉकों की नीलामी जून आखिर तक हो जाएगी। श्रीवास्तव के मुताबिक कोल इंडिया की रिस्ट्रक्चरिंग का मतलब यह नहीं है कि उसकी पूरी प्रणाली को ही ध्वस्त कर दिया जाए। कुछ निश्चित बदलाव के जरिए भी यह रिस्ट्रक्चरिंग हो सकती है। कोल इंडिया की रिस्ट्रक्चरिंग पर आगामी नवंबर-दिसंबर के बाद ही कोई फैसला किया जा सकेगा। कोल इंडिया की रिस्ट्रक्चरिंग की रूपरेखा तय करने के मामले में मंत्रालय की तरफ से एक कमेटी बनाई गई है जो अपनी रिपोर्ट नवंबर-दिसंबर तक देगी।हालांकि इन कोयला ब्लॉकों के मूल्यों को लेकर अभी वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा जारी है। फिलहाल कोयला मंत्रालय की तरफ से 17 कोयला ब्लॉकों को नीलामी प्रक्रिया शुरू की गई है और इनमें से 14 ब्लॉक सरकारी क्षेत्र की बिजली कंपनियों को दिए जाने हैं। तीन ब्लॉक माइनिंग क्षेत्र को आवंटित किए जाने हैं जिनकी नीलामी अगले महीने के आखिर तक होगी।पीएचडी चैंबर की तरफ से मंगलवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में श्रीवास्तव ने कहा कि बिजली क्षेत्र के 14 ब्लॉकों में से 13 ब्लॉकों को पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से क्लियर कर दिया गया है।इन 14 कोयला ब्लॉकों से सालाना 1590 लाख टन कोयला उत्पादन का अनुमान है और इनकी बदौलत 13वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान लगभग 32,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा। श्रीवास्तव ने कहा कि कोयला ब्लॉकों की नीलामी में ब्लॉक की खोज सबसे बड़ी चुनौती है। कोयला ब्लॉकों की नीलामी में पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी भी बड़ी चुनौती है।


कोयले की कीमत बढ़ाने की वजह से कोल इंडिया (सीआईएल) की ग्रोथ फाइनेंशियल ईयर 2014 में ज्यादा रह सकती है। दुनिया की सबसे बड़ी कोयला प्रोडक्शन कंपनी सीआईएल रेगुलेटेड सेल्स पर पहले ही 5 फीसदी दाम बढ़ा चुकी है। यह कंपनी के लिए सबसे बड़ा सेंटीमेंट बूस्टर होगा क्योंकि फाइनेंशियल ईयर 2013 में इसकी ग्रोथ की बड़ी वजह वॉल्यूम में बढ़ोतरी थी। इससे ई-ऑक्शन की आमदनी में कमी की भरपाई हो जाएगी। कंपनी के टोटल सेल्स वॉल्यूम में लगभग 85 फीसदी रेगुलेटेड सेल्स है, जबकि ई-ऑक्शन का कंट्रीब्यूशन लगभग 11 फीसदी है।


कंपनी आने वाले समय में ज्यादा ग्रोथ और ज्यादा डिविडेंड दे सकती है। इसे देखते हुए इसके शेयरों में वाजिब वैल्यूएशन पर ट्रेडिंग हो रही है। इसके पास लगभग 62,000 करोड़ रुपए का कैश बैलेंस है। इससे डिविडेंड पेआउट ज्यादा हो सकता है। स्टेक सेल की संभावना और पावर सेक्टर को कोयले की इंक्रीमेंटल सप्लाई का मुद्दा नहीं सुलझने के चलते पिछले कुछ महीनों से कंपनी के शेयरों का परफॉर्मेंस बंधा रहा है। जहां तक कोयले की इंक्रीमेंटल सप्लाई की बात है, तो इस मामले में कंपनी प्रॉफिटेबिलिटी से समझौता करने के मूड में नजर नहीं आ रही है।


दाम बढ़ाने के एलान और मार्च क्वार्टर के स्ट्रॉन्ग रिजल्ट्स के बाद शेयर मार्केट इसको लेकर बुलिश हो गया है। मंगलवार को कंपनी के शेयर 3 फीसदी चढ़कर बंद हुए। लगभग 12 ब्रोकरेज हाउस कंपनी के शेयर को 390 से 410 रुपए के टारगेट के साथ पहले ही बाय रेटिंग दे चुके हैं। यह मौजूदा बाजार भाव से 25-30 फीसदी ज्यादा है।


फाइनेंशियल ईयर 2013 के अंतिम क्वार्टर में कोल इंडिया का मुनाफा बाजार की उम्मीद से बहुत ज्यादा रहा। इसकी सबसे बड़ी वजह प्रोडक्शन कॉस्ट में तेज गिरावट रही। कंपनी की सेल्स तो पिछले साल के मुकाबले सिर्फ 3 फीसदी बढ़ी, जबकि ऑपरेटिंग प्रॉफिट और प्रॉफिट आफ्टर टैक्स क्रमश: 62 फीसदी बढ़कर 6,100 करोड़ रुपए और 36 फीसदी बढ़कर 5,400 करोड़ रुपए रहा। साल दर साल आधार पर कंपनी का रेवेन्यू 9.4 फीसदी और मुनाफा 17.3 फीसदी बढ़ा। इसका ऑपरेटिंग मार्जिन 39.29 फीसदी रहा, जो पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा है। पिछले दो साल में कंपनी की स्थिति खराब रही, फिर भी वॉल्यूम ग्रोथ और समय पर दाम बढ़ाने की वजह से इसका मुनाफा 70 फीसदी बढ़ा। आने वाले वर्षों में इन दो फैक्टर्स से कंपनी की प्रॉफिट ग्रोथ स्ट्रॉन्ग रहेगा। कंपनी के शेयरों में फिलहाल 12 पी/ई पर ट्रेड हो रहा है। इसकी रिटर्न ऑन इक्विटी 40 है।


कोल इंडिया लिमिटेड में हड़ताल होने पर पावर प्लांट्स को कोयले की कमी हो जाएगी और इससे इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन में कमी आएगी और यूनिटों के अस्थायी तौर पर बंद होने से देशभर में पावर कट होंगे। कई पावर प्लांट्स कोयले के कम स्टॉक से साथ काम चलते हैं। कुछ दिनों की हड़ताल से पावर सप्लाई में भारी कमी हो सकती है। अगर हड़ताल लगभग 10 दिनों तक चलती है, तो देश के बड़े हिस्से में अंधेरा छा जाएगा। सीआईएल में एक दिन की हड़ताल से कम से कम 10 लाख टन प्रॉडक्शन का नुकसान होता है और इससे लगभग 100 करोड़ रुपए प्रतिदिन की चोट कंपनी पर पड़ती है।


इंडियन कैप्टिव पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के एक प्रतिनिधि ने बताया, 'नई कोल डिस्ट्रिब्यूशन पॉलिसी में डिस्ट्रिब्यूशन और कोल प्राइसिंग के बारे में साफ जिक्र होने के बावजूद कोल इंडिया कैप्टिव पावर प्लांटों से इंडिपेंडेंट पावर कंपनियों की तरह सलूक नहीं कर रही है।' इंडियन कैप्टिव पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन में अलग-अलग सेक्टरों के 50 प्रतिनिधि हैं। एसोसिएशन का कहना है कि ऐसे प्लांट भारतीय फर्मों को इंटरनेशनल मार्केट में कॉम्पिटिटिव नहीं रहने देंगे।


कैप्टिव पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के मुताबिक, जिन ऑपरेटरों ने 2009 के कोल इंडिया के साथ फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट किए हैं उन्हें पहले से ही तय मात्रा से आधा कोयला मिल रहा है। उनके मुताबिक, एसोसिएशन यह मुद्दा प्रधानमंत्री, योजना आयोग और कोल एंड पावर मिनिस्ट्री के सामने भी उठाएगी। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स के मैनेजमेंट ने इस महीने की शुरुआत में विभागीय प्रमुखों को लिखा था, 'अगर अप्रैल और मई 2013 में सीमा से ज्यादा बुकिंग हो गई है, तो इसे मई और जून 2013 में एडजस्ट किया जा सकता है।' हालांकि, केंद्र सरकार की पब्लिक सेक्टर इकाइयों, स्टेट एजेंसियों और स्टील और फर्टिलाइजर सेक्टर को कोयले की सप्लाई जारी रहेगी। कैप्टिव पावर प्लांट के जो ऑपरेटर इंपोर्टेड कोयले का खर्च बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे, उन्होंने ग्रिड पावर पर निर्भर होना पड़ेगा। हालांकि, ग्रिड पावर पर भरोसा करना बड़ा मुश्किल (खासकर गर्मियों के दौरान) है। जिन कंपनियों के फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट का रिन्यूवल होना है, उन्हें कोल इंडिया के साथ कॉन्ट्रैक्ट फिर से हासिल होने उम्मीद नहीं है।


नतीजों की खबर के बाद से कोल इंडिया (Coal India) के शेयर में तेजी का रुख है।बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में आज के शुरुआती कारोबार में कंपनी का शेयर 329.30 रुपये तक चढ़ गया। हालाँकि अभी इसकी मजबूती में कमी आयी है। बीएसई में सुबह 11:44 बजे कंपनी का शेयर 3.30% की बढ़त के साथ 323.85 रुपये पर है।


बाजार विशेषज्ञों की राय है कि कि कोल इंडिया में काफी बढ़त आ चुकी है। कोल इंडिया में ऊपरी तरफ 314-315 रुपये के स्तर पर काफी मजबूत रेसिस्टेंस है। निवेशक कोल इंडिया में उछाल आने पर मुनाफावसूली कर सकते हैं। दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) के लिए वित्त वर्ष 2012-13 की चौथी तिमाही शानदार रही है। कंपनी की तिजोरी सब्सिडियरी कंपनियों से मिली लाभांश आय से भर गई। इसके चलते कोल इंडिया को 31 मार्च को समाप्त हुई तिमाही में एकल आधार पर 2,320.61 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है।


जनवरी-मार्च 2013 तिमाही में कंपनी का मुनाफा बढ़ कर 5414 करोड़ रुपये हो गया है। पिछले साल की समान अवधि में कंपनी को 4013 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। इस तरह कंपनी के मुनाफे में 35% की वृद्धि हुई है। इस दौरान कंपनी की कुल आय पिछले साल के 19,419 करोड़ रुपये के मुकाबले 2% बढ़ कर 19,905 करोड़ रुपये रही है।


कारोबारी साल 2013 में कंपनी का कंसोलिडेटेड मुनाफा 17% बढ़ कर 17356 करोड़ रुपये रहा है, जबकि पिछले साल यह 14788 करोड़ रुपये दर्ज हुआ था। इस दौरान कंपनी की कुल आय 9% बढ़ कर 68303 करोड़ रुपये रही है, जो कि बीते वर्ष 62415 करोड़ रुपये रही थी।  


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