THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Sunday, May 26, 2013

चुटका: संयंत्र के खिलाफ प्रतिरोध की जीत

चुटका परमाणु संयंत्र के खिलाफ चुटका व आसपास के गांवों की आदिवासी जनता द्वारा चलाए जा रहे जुझारू संघर्ष और तमाम जनपक्षधर संगठनों के सक्रीय समर्थन व प्रयासों से उभरे जबरदस्त जन-उभार के आगे सरकार ने घुटने टेकते हुए 24 मई 2013 को तय की गई जन-सुनवाई को अनिश्चित काल के लिए रद्द करना पड़ा। 
चुटका परमाणु ऊर्जा संयंत्र
ध्यान दें कि चुटका परमाणु संघर्ष समीति के नेतृत्व में इस परियोजना को निरस्त करने की मांग कर रहे स्थानीय नागरिकों ने पहले ही इस जन-सुनवाई के बहिष्कार की घोषणा कर दी थी। इसके बावजूद 23 मई को देर शाम तक इस जन-सुनवाई को करवाने के लिए सरकार पूरे ताम-झाम से तैयारी कर रही थी यहां तक कि जिस गाँव में पानी, शौचालय, बिजली व आवागमन के साधन भी नहीं हैं वहां सरकार ने जनसुनवाई के लिए लाखों रूपए खर्च कर एक टेंट लगाया जिसमे कई शौचालय, हाथ धोने के लिए वाश बेसिन, पंखे यहां तक कि आला अधिकारियों के लिए कूलर लगे थे। यही नही, आम जनता के पैसे का दुरुपयोग करते हुए न्युक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड (NPCIL) ने स्थानीय जनता को बहकाने के लिए मिठाइयां बांटी व दुष्प्रचार किया, लेकिन इसके बावजूद जनता चुटका परमाणु संयंत्र के खिलाफ अपने दृढ़ फैसले से नही डिगी। बरगी बांध द्वारा हुए विस्थापन और इसके खिलाफ लम्बे संघर्ष की चेतना से यहां के आदिवासी नागरिक यह समझ चुके हैं कि उनके संसाधनों को लूटने का सिलसिला सरकार कभी भी बंद नहीं करेगी, क्योंकि सरकार उनके लिए नहीं बल्कि मुट्ठी भर पूंजीपतियों और उनके विदेशी आकाओं के लिए काम करती है। अगर बात सिर्फ आम जनता के लिए और अधिक बिजली उत्पादन की होती तो ढेरों अन्य सुरक्षित प्राकृतिक विकल्प मौजूद है उनपर विचार किया जाता, न की विकसित देशों द्वारा नकारी जा चुकी परमाणु ऊर्जा पर।  

इसके अलावा, चुटका में जारी संघर्ष को मजबूत करने के लिए भोपाल और देश के अन्य हिस्सों से आए अनेक जन-संगठनों के साथियों पिछले एक हफ्ते से जबलपुर के कई हिस्सों और चुटका व आसपास के अनेक गांवों में नाभिकीय ऊर्जा के खतरों के बावजूद सरकार द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हित में जबरदस्ती थोपे जा रहे इस परमाणु संयंत्र के खिलाफ जनचेतना जागरण का व्यापक अभियान चलाया जा रहा था। आखिरकार लोगों के आक्रोश और बढ़ते प्रतिरोध से घबरा कर सरकार ने जन-सुनवाई को स्थगित करते हुए रातो-रात सुनवाई के तमाशे के लिए लगाए गए शामियाने को हटाने का काम शुरु कर दिया। सरकार के खिलाफ इस जीत से उत्साहित आस-पास के दो हजार आदिवासियों और अन्य साथियों ने 24 मई को विजय-रैली निकाली और जन-सभा कर के यह ऐलान कर दिया वो इस परमाणु संयंत्र को नही लगने देंगे। इस जन-सभा के माध्यम से लोगों ने अपनी निम्न मांगो को फिर से दुहरा कर सरकार को चेताया कि इन्हे लागू करे अन्यथा व्यापक आक्रोश के उभार को वह रोक नही पाएगी –
  1. चुटका परमाणु ऊर्जा परियोजना सहित अन्य सभी प्रस्तावित परियोजनाओं को तत्काल रद्द किया जाए;
  2. भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम पर रोक लगाई जाए और सभी परमाणु संयंत्रों को बंद कर सुरक्षित तरीके से हटाया जाए;
  3. युरेनियम खनन पर तत्काल रोक लगाई जाए;
  4. परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम से संबंधित हर जानकारी को सार्वजनिक किया जाए;
  5. वर्तमान ऊर्जा उत्पादन के अनावश्यक व विलासितापूर्ण उपभोग पर रोक लगाई जाए और ऊर्जा के समतामूलक वितरण व उपयोग की व्यवस्था की जाए; और
  6. प्रदूषण-मुक्त ऊर्जा विकल्पों को बिना किसी भी तरह की मुनाफाखोरी या व्यवसायीकरण के जन-भागीदारीपूर्ण तरीकों से विकसित किया जाए।

- [चुटका परमाणु संघर्ष समीति; गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (म.प्र.); जन संघर्ष मोर्चा (म.प्र.); भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (म.प्र.); भारत की कम्युनिस्ट पार्टी – मार्क्सवादी-लेनिनवादी (म.प्र.); पीपल्स इनिशियेटिव अगेंस्ट न्युक्लियर पावर; ऑल इण्डिया स्टुडेंट्स फेडेरेशन (म.प्र.); क्रांतिकारी नौजवान भारत सभा (म.प्र.); अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन (म.प्र.); गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन, भोपाल; मध्य प्रदेश महिला मंच; शिक्षा अधिकार मंच, भोपाल; वुमेन अगेंस्ट सेक्शुअल वॉयलेंस एंड स्टेट रिप्रेशन (म.प्र.)]

तस्वीरें लोकेश मालती प्रकाश 






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